Shaapit Aaina - 4 in Hindi Horror Stories by Lokesh Dangi books and stories PDF | शापित आईना - भाग 4

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शापित आईना - भाग 4

आध्यात्मिक द्वार"

अर्जुन के मन में अब केवल एक सवाल था—क्या उसने वास्तव में कालदर्पण के शाप को तोड़ दिया था, या वह केवल एक छोटी सी चुप्पी का सामना कर रहा था? सुरंग को नष्ट करने के बाद, महल में कोई बाहरी परिवर्तन नहीं आया था, लेकिन अर्जुन को यह अहसास हो गया कि कुछ अधूरा सा रह गया है। महल के भीतर एक गहरी शांति थी, लेकिन उसके मन में यह अजीब सा भय था कि यह शांति बस एक छलावा है। वह जानता था कि महल में एक ऐसा शक्तिशाली तत्व छिपा हुआ था, जिसे उसने पूरी तरह से नहीं समझा था।

एक रात, जब अर्जुन अकेला महल के कमरे में बैठा था, अचानक वह महसूस करने लगा कि कोई हल्की सी हवा बह रही है। यह हवा अजीब थी—गर्म और ठंडी, एक साथ। उसकी आँखें बंद हो गईं, और उसने महसूस किया कि वह जैसे किसी गहरी खाई में गिर रहा हो। उसी क्षण, महल की दीवारों से एक गूंज उठी, और एक असामान्य आवाज़ सुनाई दी, जैसे कोई पुकार रहा हो।

यह आवाज़ उसे बहुत दूर से आती हुई सुनाई दी, जैसे वह किसी पुराने समय से, किसी भूतपूर्व आत्मा से आ रही हो। अर्जुन ने तुरंत अपनी आँखें खोलीं और उस आवाज़ के स्रोत की ओर देखने की कोशिश की। कमरे में कोई नहीं था, लेकिन वह आवाज़ लगातार सुनाई देती रही। उसे यह महसूस हुआ कि यह कोई सामान्य आवाज़ नहीं थी—यह एक चेतावनी थी।

आखिरकार, अर्जुन ने अपने अंदर की शक्ति को महसूस किया और आवाज़ के स्रोत की ओर बढ़ने का निश्चय किया। वह महल के पुराने कक्षों से होते हुए एक और गहरे कमरे में पहुँचा, जहाँ पर एक प्राचीन द्वार था, जिसे पहले उसने कभी नहीं देखा था। इस द्वार पर कोई विशेष तंत्रिक चिह्न उकेरे गए थे, और यह द्वार न केवल बंद था, बल्कि यह अपने आप में एक रहस्यमय शक्ति से भरा हुआ प्रतीत हो रहा था। अर्जुन को अब यकीन हो गया कि यह वही द्वार था, जिससे वह शापित आईने और उसके साथ जुड़ी शक्तियों के अंतिम रहस्य को देख सकता था।

वह धीरे-धीरे उस द्वार के पास पहुँचा और उस पर उकेरे गए चिह्नों को ध्यान से देखने लगा। वे चिह्न पुराने समय के तंत्रिक प्रतीकों जैसे थे, जो किसी शक्तिशाली आत्मा को पुकारने के लिए बनाए गए थे। अर्जुन ने महसूस किया कि यह द्वार केवल एक प्रतीक नहीं था, बल्कि यह एक आध्यात्मिक द्वार था, जो किसी और दुनिया से जुड़ा हुआ था।

अर्जुन ने इस द्वार को खोलने का निश्चय किया। उसने अपने भीतर की सारी शक्ति केंद्रित की और तंत्रिक मंत्रों का उच्चारण करना शुरू किया। जैसे ही उसने मंत्र का उच्चारण किया, द्वार की लकड़ी से एक गहरी आवाज़ आई और धीरे-धीरे वह खुलने लगा। अर्जुन का दिल तेज़ी से धड़क रहा था, क्योंकि वह जानता था कि इस द्वार के पार कुछ ऐसा छिपा हो सकता है, जिसे समझ पाना उसके लिए जीवन का सबसे बड़ा रहस्य होगद्वार के पार"

द्वार खुलते ही अर्जुन को जो दृश्य दिखाई दिया, वह उसकी कल्पना से कहीं अधिक भयानक था। उस द्वार के पार एक विशाल कक्ष था, जिसमें न केवल प्राचीन वस्तुएं रखी हुई थीं, बल्कि वहां अजीब सी आत्माएँ भी तैर रही थीं। यह कक्ष किसी प्राचीन और निषिद्ध मंदिर जैसा था, और उसमें घना अंधेरा था। अर्जुन ने देखा कि चारों ओर तंत्रिक प्रतीक और पुराने मंत्र उकेरे गए थे, जो इस स्थान को और भी रहस्यमय बना रहे थे।

वह धीरे-धीरे कक्ष में दाखिल हुआ, लेकिन जैसे ही वह अंदर गया, एक तेज़ झंकार गूंजने लगी। अर्जुन को महसूस हुआ कि वह जिस स्थान पर खड़ा था, वह किसी अन्य समय और स्थान से जुड़ा हुआ था। अचानक, उसकी आँखों के सामने एक अदृश्य शक्ति उभरी, जो उसे अपने साथ खींचने की कोशिश कर रही थी। अर्जुन ने साहस जुटाते हुए खुद को संभाला और इस शक्ति के खिलाफ अपनी आंतरिक शक्ति को केंद्रित किया।

फिर, उसने देखा कि कक्ष के केंद्र में एक अन्य आईना खड़ा था—यह वही कालदर्पण था, लेकिन इस बार यह और भी विकृत और घातक लग रहा था। आईने में उसकी छाया दिखाई नहीं दे रही थी, बल्कि उसमे कई दूसरी छायाएँ एक साथ समाहित हो रही थीं। अर्जुन ने यह समझ लिया कि यह आईना केवल एक शक्ति नहीं है, बल्कि यह बहुत सी आत्माओं का गहना बन चुका था। उन आत्माओं की इच्छाएँ और भावनाएँ इस आईने के अंदर जकड़ी हुई थीं, और उनका दर्द अब भी महल के वातावरण में गूंज रहा था।

अर्जुन ने महसूस किया कि वह अब इस आईने के और निकट जा रहा था, और जैसे ही उसने कदम बढ़ाया, एक भयानक दृश्य उभरा। वह आईना उसे अपने अंदर खींचने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अर्जुन ने ठान लिया था कि वह इस बार इस शक्ति को नष्ट करेगा। उसने अपनी सारी शक्ति एकत्र की और वह मंत्र उच्चारण किया, जिसे तंत्रज्ञ ने उसे सिखाया था—"आत्मा की मुक्ति और शांति का मंत्र"।

उस मंत्र की शक्ति से आईने की विकृत छायाएँ धीरे-धीरे मिटने लगीं, और कक्ष में एक अजीब सी शांति छा गई। अर्जुन ने महसूस किया कि वह अब सही दिशा में बढ़ रहा था—वह महल के शापित आईने को पूरी तरह नष्ट कर रहा था, और इसके साथ ही उन सभी आत्माओं को भी मुक्त कर रहा था, जो अनंत काल से इसके अंदर बंधी हुई थीं।
 "मुक्ति और शांति"

अर्जुन ने वह मंत्र पूरी शक्ति से उच्चारित किया, और जैसे ही मंत्र की आवाज़ महल में गूंजने लगी, कक्ष में अचानक एक तेज़ प्रकाश फैलने लगा। कालदर्पण की विकृत शक्ति पूरी तरह से समाप्त हो गई, और आईने का काला प्रभाव धीरे-धीरे मिटने लगा। कक्ष में अंधेरा छटने लगा, और महल की दीवारों से एक नई ऊर्जा का संचार हुआ।

अर्जुन ने महसूस किया कि महल के भीतर अब कुछ बदल चुका था। वह शांति और संतुलन की एक नई अनुभूति महसूस कर रहा था। अब, महल में जो आत्माएँ बंधी हुई थीं, वे मुक्त हो चुकी थीं, और उनका दर्द और पीड़ा अब खत्म हो गया था। अर्जुन को यह अहसास हुआ कि उसने न केवल कालदर्पण के शाप को तोड़ा था, बल्कि उसने उन सभी आत्माओं को मुक्ति भी दी थी, जो कभी इस महल में बंधी हुई थीं।

महल के वातावरण में एक गहरी शांति थी, और अर्जुन जानता था कि उसकी यात्रा अब समाप्त हो चुकी थी। वह महल से बाहर निकल आया, और जैसे ही उसने बाहर की दुनिया में कदम रखा, उसे महसूस हुआ कि महल का रहस्य अब पूरी तरह से समाप्त हो चुका था। यह केवल एक शुरुआत थी—एक यात्रा की समाप्ति और नई संभावनाओं की शुरुआत।

अर्जुन ने महल के रहस्यों को सुलझाया, और अब वह जानता था कि शापित आईना केवल एक प्रतीक था—एक माध्यम, जिसके जरिए इतिहास, आत्माएँ और शक्ति एक-दूसरे से जुड़ी हुई थीं। वह अपने जीवन की सबसे बड़ी खोज को पूरा कर चुका था, और अब वह इस ज्ञान को साझा करने के लिए तैयार था, ताकि कोई और इस तरह के शापित रहस्यों से जूझने के बजाय, उनसे मुक्ति पा सके।