Jununiyat si Ishq - 11 in Hindi Love Stories by Mira Sharma books and stories PDF | ..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 11

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..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 11

...!!जय महाकाल!!...

अब आगे...!!

सात्विक उन्हें देख सोच रहा था.....की वोह उससे तो कभी बात नहीं करती.....वोह दूसरे लड़के से कैसे बात कर सकती थी.....उसे ये सोच सोच कर गुस्सा आ रहा था.....
वोह सारे बॉयज जहां गए थे.....वहां चला जाता है.....क्योंकि उसे भी तो शेरवानी चाहिए थी.....संभव ने उसे बात दिया था.....की वह सब किस फ्लोर में.....और कहां है.....
वही द्रक्षता वहां से निकल कर वूमेंस के कलेक्शन.....जिस फ्लोर में थे वहां चली जाती है.....वोह पूरे फ्लोर को अच्छे से देख रही थी.....तभी उसे लहंगे देखती हुई.....सुरुचि,,मान्यता,,आर्या,,राम्या,,गरिमा जी,,दृशा,,विनीता जी.....दिख जाती है.....वो उनके पास चली आती है.....
सुरुचि उसे देख उसके पास आते हुए:बेटा आपको तब से हम सभी ढूंढ रहे है.....कहा थी आप.....!!
द्रक्षता उसे परेशान देख बोली:वोह कुछ फ़्रेंडस मिल गए थे.....मां.....इसीलिए थोड़ा लेट हो गया.....!!
सुरुचि चैन की सांस लेते हुए:ओह.....तब चलो आप हमारे साथ.....आपके लिए ही तो लहंगा लेना था.....(फिर उसे एक खूबसूरत से लहंगे की ओर इशारा कर)देखिए ये कैसा है.....!!
वोह खूबसूरत सा ब्राइडल लहंगा था.....उस लहंगे को देख साफ पता चल रहा था कि.....यह बहुत हैवी है.....उसके ऊपर किए गए वर्क्स उसे बहुत आकर्षक बना रहे थे.....द्रक्षता की नजर एक पल को उसपर ठहर सी गई.....
उसने सुरुचि से कहा:मां ये तोह बहुत सुंदर है.....इसकी कीमत भी तो ज्यादा होगी.....!!
सुरुचि ना में सर हिला कर बोली:नहीं.....सिर्फ बीस करोड़ की ही तो है.....मैं तो इसके ऊपर और वर्क ऐड करवाऊंगी.....!!
द्रक्षता ये सुन ज्यादा कुछ ना बोली:ठीक है.....मां.....बहुत खूबसूरत है यह.....!!
तब आर्या अपने ऊपर एक वॉयलेट कलर का लहंगा लगा कर बोली:बड़ी मां,,फ्यूचर भाभी,,मां.....देखिए ये लहंगा मुझ पर कैसा लगा रहा है.....!!
राम्या उसे देख प्यार से बोली:बहुत प्यारी लग रही है.....मेरी बच्ची.....ये लहंगा आप संगीत पर पहनना अच्छा लगेगा.....और उसके थीम से मैच भी होगा.....!!
आर्या सिर हिला कर अपने लिए साइड कर रख दी.....और फिर से लहंगे देखने लगी.....जिसमें उसकी हेल्प दृशा कर रही थी.....अब तक आर्या और दृशा की अच्छी खासी दोस्ती हो चुकी थी....क्योंकि दोनों एक जैसी ही थी.....दोनों का बिहेवियर एक जैसा ही था.....मस्तीखोर टाईप का.....
आर्या दृशा के ऊपर लहंगा लगा लगा देख रही थी.....और दृशा उसके ऊपर.....दोनों को जो पसंद आ रहा था.....वोह सभी को दिखा रही थी.....जिसमें सब की अनुमति मिलती वोह लहंगा अपने लिए साइड कर रही थी.....
सुरुचि,,राम्या,,मान्यता.....द्रक्षता के लिए लहंगा देख रही थी.....उन्हें अब द्रक्षता के हल्दी के लिए लहंगा चाहिए था.....स्टाफ उन्हें एक से एक कलेक्शन के लहंगे दिखाए जा रहा था.....लेकिन सुरुचि उन सब में कोई ना कोई नुक्स निकाल दे रही थी.....जिससे अब स्टाफ भी परेशान हो चुका था.....फिर वो अपने हल्दी में पहनने वाले पीले रंग लहंगे.....में से सबसे कीमती लहंगा उनके सामने रख देता है.....
सुरुचि उस लहंगे को द्रक्षता से लगा देखी.....तो उसे यह लहंगा बहुत पसंद आया.....वोह उसे साइड कर देती है.....ऐसे कर वोह सब अपने सभी फंक्शन के लिए कपड़े के रहे थे.....
दूसरी तरफ बॉयज में सब परेशान थे.....क्योंकि सात्विक को कोई शेरवानी पसंद नहीं आ रही थी.....वोह आर्या को मैसेज कर द्रक्षता के लिए चुने गए.....लहंगे का फोटो ले लेता है.....वो स्टाफ को फोटो दिखाते हुए.....
"इससे मैच करता हुआ शेरवानी चाहिए हमे.....!!"सात्विक.....!!
स्टाफ लहंगे के फोटो को देख.....थोड़े देर उसे एनालाइज़ करते हुए.....शेरवानी के कलेक्शन में से कुछ शेरवानी उसके सामने खोल कर रख देता है.....
संभव और प्रत्यूष लहंगे के पिक्चर.....और उन शेरवानी को मैच कर रहे थे.....क्योंकि सात्विक को यह सब बोरिंग लगता था.....या यूं कहे उसने यह सब आज तक किया नहीं था.....तोह उसे इस सब का आइडिया नहीं था.....
तभी प्रत्यूष उसके ऊपर एक शेरवानी लगता है.....तोह सात्विक उसे घूरने लगा.....क्योंकि उसे किसी का टच करना नहीं पसंद था.....
प्रत्यूष दांत दिखाते हुए बोला:भैया हम तो बस देख रहे है.....कि आपके ऊपर अच्छा लग रहा है या नहीं.....घुड़िये मत.....डर लगता है आपकी आंखों को देख कर.....!!
तब संभव वोह शेरवानी को देख कहता है:ये शेरवानी उस लहंगे से बहुत ज्यादा मैच हो रहा है.....यही सही रहेगा.....!!
उसकी बात से सभी सहमत हो उस शेरवानी को पैक करवा लेते है.....उसके बाद सभी फंक्शन की भी शॉपिंग कर रहे थे.....
सात्विक दर्शित जो कि काफी चुप था.....उनके बीच.....सात्विक उसके पास आकर बोला:क्या तुम हमारे बीच कंफर्टेबल फील नहीं कर रहे.....बताओ तुम्हे क्या लेना है.....मैं शायद उसमें तुम्हारी हेल्प कर सकू.....!!
सात्विक की बात सुन सभी हैरान नजरों से उसे देखने लगते है.....क्योंकि वो जिसको ज्यादा नहीं जानता था.....वोह उस इंसान से बात तो क्या.....देखता भी नहीं था.....और यहां वोह दर्शित की हेल्प करने को भी राजी था.....यह बात उन सब को समझ नहीं आ पा रहा था.....
दर्शित सात्विक को देख थोड़ा नर्वस होते हुए:नहीं मुझे कोई हेल्प नहीं चाहिए.....!!
सात्विक उसकी नर्वसनेस को समझते हुए:ओके.....तुम्हे नर्वस होने कि कोई जरूरत नहीं.....उम्म.....तुम क्या करते हो.....!!
दर्शित उसकी बात का जवाब देते हुए:मैं ग्रेजुएशन कर रही हु.....और साथ ही सीए की तैयारी भी कर रहा हु.....!!
सात्विक उससे उसके बारे में और जानते हुए:कुछ हॉबीज.....या तुम्हे किसी पार्टिकुलर चीज़ में इंटरेस्ट है.....!!
दर्शित हां में सिर हिला कर:हां.....मेरी हॉबी बहुत कुछ है.....जैसे स्पोर्ट्स,,ट्रैवलिंग.....या कुछ अलग करना.....मुझे पसंद है.....मैंने स्पोर्ट्स में कई मेडल्स भी जीते है.....अपने कॉलेज का टॉपर भी हु.....और बिजनेस फील्ड में अपना नाम कमाना है.....विदाउट किसी की हेल्प.....!!
सात्विक इंप्रेसिव वे में:ओह.....तो तुम काफी मेहनती हो.....!!
दर्शित उसे देख:मेरी दी और मेरी मां की मेहनत.....के सामने यह कुछ नहीं है.....मैं उनकी मेहनत बर्बाद नहीं जाने दूंगा.....उन्हें कुछ ना कुछ बड़ा कर के दिखाऊंगा.....!!
सात्विक उसके जवाब से उसे एप्रिशिएट करते हुए:जरूर.....तुम्हारी आने वाली फ्यूचर के लिए तुम्हे.....ऑल दी बेस्ट.....!!
दर्शित अपना सर हिला देता है.....वो दोनों आपस में बाते करने लगते है.....
सब उन्हें देख काफी हैरान थे.....सात्विक इतना ज्यादा किसी से कैसे बात कर सकता है.....
दीपक,,संभव से बोला:इसके दिमाग में कोई शॉट सर्किट हुआ है क्या.....अपने साले से कुछ ज्यादा नहीं घुल मिल रहा.....हमसे तो वर्ड गिन गिन कर बात करता है.....!!
संभव अपने कंधे उचकाते हुए:मुझे नहीं पता.....इनके मूड स्विंग एक प्रेग्नेंट लेडी से भी ज्यादा होते है.....और मुझे नहीं पता.....ये अब किस मूड में जाने वाले है.....आपको ज्यादा इंटरेस्ट है इनका मूड जानने में.....तोह भाई से पर्सनली पूछ सकती हैं.....!!
दीपक मुंह बनाते हुए:हां.....ठीक है.....नहीं बताना तो मत बताओ.....इतने नखरे क्यों दिखा रहे हो.....!!
संभव उसे अजीब नजरों से देखते हुए:मैने कब नखरे दिखाए.....मुझे लगता है.....आपको दिमागी इलाज की जरूरत है.....!!
दीपक उसे घूरते हुए:तुमने मुझे पागल कहा.....!!
संभव उसे देख:क्यों आपको कोई शक है क्या.....!!
दीपक उसे मुंह फेर कर:मैं इसका बदला तुमसे जरूर लूंगा.....!!
सबने अपने अपने शॉपिंग कर लिए थे.....अब सिर्फ इंगेजमेंट रिंग्स लेने थे.....
सभी रिंग शॉप में आ चुके थे.....सुरुचि स्टाफ से कपल इंगेजमेंट रिंग दिखने बोलती है.....स्टाफ उनके सामने बहुत तरह के कपल रिंग्स रख देता है.....
सात्विक की नजर एक कपल रिंग पर पड़ती है.....वोह उसे उठा कर देखता है.....सुरुचि उसके हाथ में उस कपल रिंग को देख.....
उसे लेकर खुद देखते हुए बोली:हमे आज पता चला.....मेरे बेटे की पसंद इतनी अच्छी है.....!!
वोह द्रक्षता के हाथो के ऊपर रिंग रख कर देखती है.....उसके ऊपर रिंग बेहद खूबसूरत लग रही थी.....उसकी हाथ की सुंदरता उस रिंग से काफी अच्छी लग रही थी.....
वो द्रक्षता से पूछी:बेटा तुम्हे पसंद आया.....!!
द्रक्षता मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला देती है.....वो कपल रिंग पैक करवा लिया जाता है.....
सब शॉपिंग कर बेहद खुश नजर आ रहे थे.....मान्यता,,द्रक्षता,,गरिमा जी,,दृशा,,दर्शित को उनके घर ड्रॉप कर देते है.....
सभी बहुत खुश थे.....सात्विक और द्रक्षता की शादी से.....
अगले दिन इंगेजमेंट रखा गया था.....जो राजपूत मैंशन में होने वाला था.....बाकी सारे रिचुअल्स भी राजपूत मैंशन में ही होते.....सिर्फ शादी  राजपूत कॉरपोरेशन के अंडर आने वाली एक बहुत बड़े होटल में होती.....

रात के समय...!!

राजपूत मैंशन...!!

महल के भीतरी हिस्से में एक बड़ा बार था.....जहां हर तरह के महंगे और ब्रांडेड व्हिस्की,,बीयर,,और भी बहुत सारी वैरायटी की हार्ड ड्रिंक्स के कलेक्शन थे.....
सात्विक,,संभव,,दीपक,,प्रत्यूष वहां बैठे कुछ डिस्कशन कर रहे थे.....तभी सात्विक का फोन बजा.....उसने कॉलर आई डी देखी.....तो अननोन नंबर से कॉल था.....वो कॉल पिकअप करता है.....सामने की आवाज सुन उसकी आँखें गुस्से से बेहद लाल हो जाती है.....

...!!जय महाकाल!!...