कुमार सुपरवाइजर से भी जो उससे उम्र में बहुत बड़े थे से अबे तबे से बात करता और गधा कहता था।
कुछ लोगो ने उसे मण्डल में आते ही लपक लिया था। पहले रेलवे केश रॉड साइड स्टेशनों का सेफ में जाता था।मीटर गेज सेक्शन का अजमेर केश ऑफिस और ब्रॉड गेज का रतलाम जाता था।
आगरा फोर्ट,जमुना औऱ ईद गाह का बैंक में जमा होता था।इन स्टेशनों के बैंक चालान सेफ में जाते थे।रेल जोन अलग होने पर सारी सेफ रतलाम और अजमेर चली गयी।एक दिन कंट्रोल msg मिला कि मुझे अजमेर केस ऑफिस से दस सेफ लानी है।मैं तुरन्त मण्डल गया।कुमार ऑफिस में नही थे।मैं कुरेशी से मिला।कुरेशी से बोला"कोई लेटर तो दो"अरे लेटर की क्या जरूरत है
पूरे कुए में भांग पड़ी हुई थी।नया मण्डल बना लेकिन मण्डल में ज्यादातर लोग नोसिखिये ही आये थे जो काम मे निपुण नही थे।
मैं वापस आगरा फोर्ट आ गया।उस समय स्टेशन मैनेजर किशन सिंह थे।दोस्त भी थे मेरे।वह बोले पास यहाँ से ले तो
मैने उन्हें लिख के दिया और पास ले लिया और उनसे एक लेटर भी बनवा लिया।और मैं अजमेर चला गया।अजमेर में मेरी ससुराल है इसलिए कोई दिक्कत नही थी।अजमेर में बोला,"पहले हेड ऑफिस से आर्डर लेकर आओ
WR के 2 मण्डल अजमेर व जयपुर और NR के 2 मण्डल जोधपुर व बीकानेर को मिलाकर नया रेल जोन NWR बना था।जिसका मुख्यालय जयपुर था।उस समय जोन का ऑफिस एक होटल में चल रहा था।।मेरे साथ के तीन लोग जयपुर मे चले गए थे।हरीश चतुर्वेदी सी एम आई, आर पी मौर्या DCM और वी के शुक्ला ACM।मैने पता किया उस दिन उस समय तीनो नही थे।मेरी समझ मे नही आ रहा था।NWR भी नया ज़ोन बना था औऱ अभी सब कुछ सही नही था।मैं होटल की बॉलकोनी में खड़ा होकर नीचे देख रहा था।तभी मेरी पीठ पर हाथ पड़ा था।मैंने घूम कर देखा था।मैं चोंक गया। बी एल मीना थे।वह कोटा मण्डल मे SDCM रह चुके थे।उनके समय मे मैं आगरा फोर्ट पर Dy ss com के पद पर कार्य कर चुका था।
उनके समय ही पदोन्नति होने पर मेरा तबादला सवाई माधोपुर हुआ था।उनसे मेरे अच्छे सम्पर्क रहे थे।वह इन्सपेक्शन पर आगरा आते रहते थे।प्रोटोकॉल के अनुसार मैं ही उन्हें रिसीव करने के लिये स्टेशन आता था।वह धार्मिक प्रवर्ति के थे।उन्हें सुबह नाश्ते में फल व दूध जलेबी अच्छी लगती थी।और रात को एक गिलास दूध।रात को जब वह आते तो मैं उन्हें रिसीव करता और सुबह भी जल्दी आना पड़ता और उनकी पसन्द का ख्याल रखता।मेने जैसे ही मुड़कर देखा।चोंक गया और हाथ जोड़कर नमस्ते की वह बोले,"यहाँ कैसे?
मैने उन्हें जयपुर आने का कारण बताया था।वह बोले मेरे पास आ।वह जयपुर मे Dy CCM के पद पर कार्य कर रहे थे।मैं उनके चेम्बर मे गया।उन्होंने OS को बुलाया औऱ मेरा लेटर लेकर फ़ाइल तैयार करके दस सेफ को मंजूरी देकर फ़ाइल अप्रूवल के लिय CCM के पास भेज दी थी।
लंच के बाद हरीश चतुर्वेदी भी आ गया था औऱ वी के शुक्ला भी।दोनों पुराने साथी थे।अब CCM से यह तो कोई कह नही सकता था कि जल्दी कर दे।
सी सी एम का चेम्बर एक सकरे से गलियारे मे होकर था।मैं वहाँ खड़ा हो गया।