Idhar Udhar ki - 5 in Hindi Anything by Kishanlal Sharma books and stories PDF | इधर उधर की - 5

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इधर उधर की - 5

मैं अकेला उनके चेम्बर के बाहर खड़ा था।वह लंच खत्म होने पर आए।

उस समय उतर पश्चिम रेलवे के सी सी एम विजय कुमार थे।उनसे मिलने के लिये लोग आ जा रहे थे।वह भी दो तीन बार निकलकर बाथ रूम  गए थे।और खड़े खड़े  5 बज गए थे। 5 बजते ही बाबू लोग अपनी सीट छोड़ने लगते है।

तब मैंने शुक्ला से पूछा,"क्या मैं मिल लू साहब से

वह बोला,"चले जाओ

और मैं चेम्बर में चला गया।मेरे नमस्ते करते ही बोले"मैं काफी देर से आपको देख रहा हूँ

तब मैंने अपना परिचय देते हुए उन्हें आने का कारण बताया।वह  बोले,"मैने तो फ़ाइल उसी समय sign कर दी थी।

मैं तुरन्त ओ एस के पास गया।ओ एस मीणा था।सही नही था।मुझसे बोला,"मेरे पास तो फ़ाइल आयी ही नही

छ बज रहे  थे।वह घर चला गया।अगले दिन मुझे फिर जाना पड़ा और तब उसने मुझे फ़ाइल निकाल कर दी थी।जिसे लेकर मैं अजमेर गया था।अजमेर के  मण्डल कार्यालय के केश  ऑफिस में मेरे साले के साले थे।अतः वहां पर काम आसानी से हो गया था।उन सेफ को मैने ल  लोडिंग जमादार को सुपुर्द किया औऱ अनन्या एक्सपरसस से आगरा फोर्ट लेकर आया था।

कुमार से सब ही परेशान थे।सिर्फ चंद चमचों के अलावा।उन्हें काम का अनुभव भी नही था।उनके समय मे 2 बार जरूर मेरे पक्ष में उनका रुख रहा।

बड़ी लाइन बुकिंग और पार्सल के इंचार्ज अलग थे लेकिन मीटर गेज बुकिंग और पार्सल का इंचार्ज एक ही होता था।उस समय के सी चतुर्वेदी इंचार्ज थे।अचानक एक दिन उनका ट्रांसफर मथुरा रिफाइनरी कर दिया गया।और रिलीव भी जल्दी कर दिया गया।उस समय अनुपम मिश्रा आगरा फोर्ट पर सी एम आई था।उससे मेरे सम्बन्ध मधुर नही थे।उसने चालाकी चली औऱ मुझसे बोला मीटर गेज बुकिंग का चार्ज तुम ले लो और मीटर गेज गुप्ता को दे देंगे।गुप्ता मिश्रा का चेला और यार था।मैं उसकी बात सुनकर कुछ नही बोला।आआअगले दिन मण्डल कार्यलय में DTM कुमार के साथ  मीटिंग थी।इसमें मण्डल के सभी वाणिज्य विभाग के इंचार्ज और निरीक्षक आते थे।इस मीटिंग में कुमार मुझसे बोले,"शर्मा के सी बाद चला गया है।मीटर गेज भी तुम्हे ही देखनी होगी।"

उनकी बात सुनकर मैं तुरन्त बोला,"मीटर गेज मे बुकिंग के साथ पार्सल भी है "

"यस यस दोनों तुम्हे ही देखने है।"

और अनुपम का प्लान फेल हो गया।वह पार्सल गुप्ता को देना चाहता था क्योंकि वहाँ कुछ आमदनी होती थी।

धीरी सिंह जब आगरा मण्डल बना तब आगरा फोर्ट पर एरिया ऑफ़सर थे।मण्डल बनने पर वह मण्डल में ATM होकर चले गए थे।उन दिनों बड़ी लाइन साईकिल स्टैंड का ठेका भी खत्म हो गया था।ये सब मेरे पास थे।इतनी जगह स्टाफ मैनेजमेंट करना और देखना के साथ सारे कार्य करना।डेली फिगर।पिरिओडकल और मंथली।

धीरी सिंह और अनुपम मिले हुए थे और गुप्ता के पक्ष में थे।एक दिन मैं बैंक में केश जमा करके लौटा तो मुझे सूचना मिली महेश को धीरी सिंह ने गुप्ता के पास पार्सल में भेज दिया है।महेश मेरा अस्सिस्टेंट था औऱ मेरा काफी काम सम्हालता था।मैं तुरन्त मण्डल कार्यालय आगराकेंट जा पहुंचा।कुमार उस समय चेम्बर में नही थे।मैं उनके आने का  इन तजार करने लगा।मैं सोचकर गया था जो भी होगा देखा जाएगा।लेकिन बात करूंगा