Bhoot Lok - 4 in Hindi Horror Stories by Rakesh books and stories PDF | भूत लोक - 4

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भूत लोक - 4

अचानक सुरेश  उठ कर खड़ा हो गया, और जोर-जोर से रोने लगा। उसका रोना बहुत ही भयानक है, मानो बहुत से चमगादड़ एक साथ आवाज कर रहे हों। अब तक राज  और मुकेश  दोनों ही अपनी जगह से एक इंच भी नहीं हिले थे। राज , सुरेश  के हालात देख कर गहरे सदमे में था पर फिर भी उसने हिम्मत से काम लिया और सुरेश  से पूछा " सुरेश  क्या हुआ तुझे भाई"
सुरेश  उसी भयानक आवाज में रोता रहा, राज  की बात का उस पर कोई असर नहीं पड़ा।
राज  ने एक बार फिर सुरेश  से वही प्रशन फिर से दोहराया, इस बार सुरेश  का रुदन बंद हो गया। उसने घूर कर राज  की तरफ देखा और खरखराहट से भरी हुई आवाज के साथ बोला " तूँ देख नहीं रहा है ? तुझे में सुरेश  दिखाई देता हूँ?
राज  उसकी बात सुनकर शाँत नहीं हुआ वो फिर बोला " तुम कौन हो और यहाँ कैसे आये "
राज  की बात सुनकर उसने कुछ नहीं कहा बस राज  को घूरता रहा।
राज  ने फिर पूंछ "यहाँ क्यों आये हो, क्या नाम है तुम्हारा"
सुरेश  राज  की बात का कोई जबाब दिये बिना रुम में चहल-कदमी करने लगा। उसके चलने से पायल की आवाज आ रही है, चलते समय हाँथ हिलने से चूड़ियों की आवाज भी आ रही है। राज  और मुकेश  समझ नहीं पा रहे थे ये है कौन है जो चूड़ी और पायल पहने है पर बोलने की आवाज मर्दों जैसी है, पर एक बात तो वो दोनों बहुत अच्छे से समझ गए थे कि सुरेश  पर इस समय कोई भूत  का कब्जा है।
सुरेश  काफी देर तक कमरे में टहलता रहा फिर वो उसी जगह बैठ गया जहाँ पहले बैठा था। वो एक बार फिर जोर-जोर से रोने लगा, इस बार उसकी आवाज बहुत तेज थी। उसके रोने की आवाज सुनकर आस-पास के कुत्तों ने भी रोना चालू कर दिया। माहौल बहुत ही भयानक था, ऐसा लग रहा था कि मोहल्ले के सभी लोग या तो मर चुके हैं या बेहोश हैं क्योंकि इतनी तेज आवाजों को सुनकर भी अभी तक न कोई जागा और न ही किसी के घर से कोई आवाज आई। कुत्ते अपनी विशेष शक्ति की वजह से भुत-भूत  की उपस्थिति जान लेते हैं और भौकने लगते हैं।
पर जानें कैसे उस भयानक और चमगादड़ जैसी रोने आवाज को सुनकर विशाल  की नींद खुल गई और वो हॉल में आ जाता है। यहाँ आने के बाद सबसे पहले उसकी नजर सुरेश  पर गई जो जोर-जोर से रो रहा था, विशाल  को उसकी हालत देख कर समझने में देर नहीं लगी की वो भूत  बाधित है। फिर उसकी नजर राज  और मुकेश  पर गई, उन दोनों के चेहरे फक्क पीले पड़े हुए थे उनके हाँथ-पैर काँप रहे थे।
राज  और मुकेश  में तो इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि वो अपना सर उठा कर विशाल  में आ रहे बदलाव को देख सकें। विशाल  का चेहरा लाल हो गया वो अपनी बड़ी-बड़ी आँखों को और बड़ा करके सुरेश  को देख रहा है। उसके हाँथ किसी तान्त्रिक के समान मुद्रा भाव मे हैं, आँखों के नीचे काजल जैसी कालख है, होंठ लाल सुर्ख, चेहरा दमदमाया हुआ है।
विशाल  ने उसके पास टंगे ब्लैक बोर्ड के नीचे पड़ी एक चाक को उठा लिया फिर राज  और मुकेश  के चारों ओर एक घेरा बना दिया। अब तक राज  और मुकेश  अपने आप को संभाल चुके थे, वो विशाल  को आश्चर्य से देख रहे हैं पा कोई कुछ बोला नहीं क्योंकि विशाल  का डील-डोल और हाव-भाव बहुत ही अजीब लग रहा है।
विशाल  घेरा बना कर वहाँ से उछला और एक ही छलाँग में न सिर्फ सुरेश  के पास पहुँच गया वल्कि सुरेश  कुछ समझ पाता उसके पहले ही उसने सुरेश  के चारों ओर भी एक घेरा बना दिया फिर बोला, "देख शैतान देख मैंने तुझे अब अपनी तांत्रिक शक्ति से कैद कर लिया है, अब तूं या तो इस लड़के को छोड़ दे या में तुझे हमेशा के लिए काले तिलिस्म में कैद कर दूं, तू बता तुझे क्या मंजूर है"
सुरेश  सहमा हुआ उस घेरे में कैद है अपनी वास्तविक परिस्थिति को देख कर उसी चमगादड़ जैसी आवाज में बोला "तू मुझे कुछ देर तक बांध कर जरूर रख सकता है पर तु मेरा कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता"
विशाल  को सुरेश  की ये बात सुनकर बहुत गुस्सा आ गया और वो आसमान की ओर दोनों हाँथ उठाकर कुछ मंत्र पढ़ते हुए सुरेश  के सर पर अपना हाँथ रख देता है, धीरे-धीरे मंत्रों की आवाज तेज होने लगती है, इसके साथ-साथ सुरेश  की छटपटाहट भी बढ़ जाती है फिर सुरेश  बेहोश होकर घेरे में ही गिर जाता है।
विशाल , सुरेश  को उसी हालत में छोड़ कर राज  ओर मुकेश  को देखते हुए कहता है "शैतान कुछ समय काल के लिए गया है पर वो फिर वापस आएगा, जैसे तुमने मुझे जगाया है, वैसे ही तुम लोगों ने अपनी गलती से इसे भी जगा दिया है, अब ये इतनी आसानी से तुम लोगों को नहीं छोड़ेगा"।
राज  और मुकेश  सुरेश  को और विशाल  को देख रहे हैं पर समझ नहीं पा रहे हैं कि सुरेश  के अंदर का शैतान कोन था और विशाल  के अंदर जो शक्ति है वो उनके लिए सही है या नही!


अगला भाग क्रमशः -