...!!जय महाकाल!!...
अब आगे...!!
द्रक्षता अब शांत हो चुकी थी.....वोह अपने सामने खड़े सात्विक को देखती है.....जो उसे ही देख रहा था.....और उसके चेहरे पर तिरछी मुस्कान खिली हुई थी.....जो इस बात का प्रमाण थी.....इन सब से उसे बेहद खुशी मिल रही थी.....
सुरुचि उसे पुकारती हैं:क्या हुआ बेटा द्रक्षता.....कहां खो गईं आप.....!!
द्रक्षता उन्हें देख:कुछ नहीं.....आंटी जी.....!!
सुरुचि मुस्कुराते हुए:अब मुझे आंटी कहने की कोई जरूरत नहीं.....अब से जो आप मान्यता को कह कर पुकारती है.....उसी से हमे भी पुकारेगी.....तो मुझे अच्छा लगेगा.....नहीं तो मैं बुरा मान जाऊंगी.....!!(वो अपना मुंह फूला लेती है)
द्रक्षता उनके ऐसे मुंह फुलाते देखती है.....तोह उसके चेहरे पर भी मुस्कान खिल जाती है.....
वोह उनसे कहती है:अरे आंटी.....(सुरुचि उसे घूर कर देखती है).....अच्छा.....अच्छा.....मां.....आप ऐसे नाराज़ क्यों हो रही है.....!!
सुरुचि खुश होते हुए:अब हुई ना बात.....ऐसे ही मुझे मां कहा करो.....मुझे अच्छा लगता है.....ह्म्म्म.....!!
द्रक्षता सिर हिला देती है.....तोह सुरुचि उन दोनों को अकेला छोड़ चली जाती है.....द्रक्षता उन्हें रोकना चाहती थी.....लेकिन वो रुकी नहीं.....
तो उसे सात्विक आवाज आई:क्या कहा था.....आपने.....जरा आप दुबारा रिपीट कर दीजिए.....!!
द्रक्षता उसे देखने लगी.....लेकिन ज्यादा समय तक नहीं.....उसने अपनी नजरे झुका ली.....उसे कुछ बोलते नहीं बन रहा था.....
वोह अपनी सारी हिम्मत जुटा कर और उससे बोली:हम क्यों रिपीट करे.....आपको नहीं पता.....की हमने क्या कहा था.....!!
सात्विक की मुस्कान और ज्यादा तिरछी हो जाती है.....
"क्यों अब हमसे शादी करने के लिए तैयार हैं.....या अभी भी कोई गिला शिकवा है आपको.....!!"...सात्विक...!!
द्रक्षता नजरे चुराते हुए:नहीं.....हमे आपसे क्यों कोई शिकायत होगी.....!!
सात्विक उसे देखते हुए:अब आपको पता चल गया ना.....कि आपके होने वाले पति हम है.....तोह आपके ऊपर किसी और का अधिकार हमे बर्दाश्त नहीं होगा.....आप हमारी है.....हमारी रहेंगी.....!!
द्रक्षता उसके मुंह से यह सुन शौक में थी.....की इस आदमी का दिमाग सही जगह तो फ़िक्स है ना.....या कोई एंटीना हिल गया है.....
द्रक्षता बस सर हिला देती हैं.....
तभी उनके पास आर्या आ जाती है.....
वो खुश होते हुए:वॉव.....आप हमारी भाभी हो ना.....आप कितने सुंदर हो.....भाई ना हम सब पर अपना रौब झाड़ते रहते है.....आप ना उन्हें सीधा कर देना.....!!
यह सुन द्रक्षता मुस्कुरा देती है.....
तोह आर्या उसे देख और प्यार से उसके गाल छूते हुए:भाभी.....आप ना हमेशा काला टिका लगा कर रखा कीजिए.....वरना आपको नजर लग जाएगी.....!!
सात्विक उसकी बात सुन मन में:इन्हें हमारी नजर लग चुकी हैं.....और किससे ही इनको नजर लगेगी.....और किसी ने ऐसी हिमाकत की भी तो.....उन्हें नर्क के द्वार दिखाएंगे हम.....!!(बेहद जुनून से)
फिर द्रक्षता को मुस्कुराते देख.....अजीब सी मुस्कान.....उसके चेहरे पर भी ठहर जाती है.....उन दोनों को बात करता देख.....वोह एक साइड चला जाता है.....
जहां कुछ उसी के उम्र या उसे थोड़े छोटे थे.....उसके वहां आते ही.....
एक 26 वर्षीय आदमी बोला.....जो लगभग दिखने में हल्का उससे मिलता जुलता था:क्यों भाई.....आज तो बहुत खुशी उमड़ रही होगी.....आपके दिलोदिमाग में.....क्योंकि भाभी ने आपसे शादी के लिए हां जो कह दिया.....!!
सात्विक सीरियस होते हुए.....अपने डीप वॉयस में:क्यो संभव.....तुम्हे भी कोई पसंद है.....क्या.....जो मेरी शादी के लिए.....तुम इतने ज्यादा एक्साइटेड नजर आ रहे हो.....ताकि मेरे बाद तुम्हारी भी नैया पार हो सके.....!!
संभव हड़बड़ाते हुए:अरे नहीं भाई.....आप तो दिल पर ले लिए.....बात को.....!!
सात्विक उसे देख ज्यादा कुछ ना बोला.....तोह संभव के साथ खड़ा 25 साल का व्यक्ति.....जो बहुत मजाकिया.....हसमुख स्वभाव का लग रहा था.....
वो बोला:क्यों भाई.....संभव भाई ने कुछ गलत तो नहीं बोला ना.....आप सच में उनके लिए क्रेजी हो गए थे.....!!
सात्विक उसे घूरते हुए:प्रत्यूष.....अपनी दिल की बात दिल में ही रखने में भलाई होती है.....या तुम्हारा भी एंटीना किसी पर अटका हुआ है.....क्या.....अगर ऐसा कुछ है.....तो पहले बता दो.....मैं तुम्हारी शादी का रिस्क ले सकता हु.....!!
यह सुनते ही प्रत्यूष ने बेचारा सा मुंह बना लिया.....वोह अब आगे क्या बोलता.....उसे खुद समझ नहीं आ रहा था.....इसलिए उसने अब चुप रहना ही बेहतर समझा.....
थोड़ी देर पार्टी खत्म हो जाती है.....और अब फैमिली मेंबर्स ही बचते है.....मान्यता और द्रक्षता जाना चाहती थी.....लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया जा रहा था.....
वोह सब अभी बड़े और विशाल से डाइनिंग टेबल.....की कुर्सियों पर बैठे अपना अपना डिनर कर रहे थे.....
तभी हेड चेयर पर बैठे धर्म जी मान्यता से बोले:बेटा.....हम चाहते है.....की सात्विक और द्रक्षता की शादी जल्द से जल्द हो जाए.....तोह अच्छा हो.....इसीलिए कल आप द्रक्षता की कुंडली ले आएंगे.....तोह हम हमारे कुल के पंडित जी.....से इन दोनों के शादी के लिए कोई अच्छा मुहूर्त निकाल पाएंगे.....अगर द्रक्षता को अभी शादी.....करने में दिक्कत नजर आ रहा है.....तो हम केवल इंगेजमेंट कर सकते है.....!!
द्रक्षता ये सुन खाते हुए रुक चुकी थी.....क्योंकि वो शादी तो कर लेती.....लेकिन इतनी जल्दी भी नहीं करना था उसे.....यह बहुत जल्दी हो रहा था.....उसके लिए.....
मान्यता द्रक्षता से पूछती है:बेटा आपने तो सुना ना.....अंकल जी ने क्या कहा.....आप अपनी राय दे दीजिए.....तभी हम कुछ कर पाएंगे.....!!
द्रक्षता थोड़ा हैसिस्टेट करते हुए:मां.....वो ये बहुत जल्दी हो रहा है.....क्या शादी कुछ समय के लिए रुक नहीं सकती.....!!
धर्म जी उसके हैसिस्टेशन को देखते हुए:तो इसमें इतना हिचकने कि क्या बात है.....बेटा.....शादी आपकी हो रही है.....तो इसमें कोई जल्दबाजी नहीं होंगी.....!!
सात्विक जो उन सब के बात.....को बहुत गौर से सुन और समझ रहा था.....लेकिन उसका चेहरा देख ये कहना मुश्किल था.....की वोह क्या सोच रहा है.....जब उसने द्रक्षता को समय लेते देखा.....तो यह बात उसे रास नहीं आई.....लेकिन उसने कुछ कहा नहीं.....
धर्म जी सात्विक को देख:सात्विक आप अब तो कोई नखरे नहीं करेंगे.....ना यह शादी करने में.....अगर करेंगे.....तो पहले बता दीजिए.....हम अभी सबको इनकार कर देंगे.....क्योंकि इससे आपका तो कुछ नहीं जायेगा.....लेकिन द्रक्षता बेटा को आपके नख़रीले व्यवहार.....से दिक्कत हो सकती है.....!!
सात्विक शालीनता से सिर्फ हा में सिर हिला देता है.....तोह यह देख सब हैरान रह जाते है.....की सच में सात्विक इतने अच्छे से उनकी बात मान रहा है.....
तभी संभव बोला:क्यों भाई.....इतने अच्छे से जवाब दे रहे है.....आप.....लगता है आपको भी भाभी पसंद है.....हैं ना.....!!
उसके ऐसा कहने पर सात्विक.....उसे घूर कर बेहद खतरनाक तरीके से देखने लगा.....तोह संभव चुप हो गया.....
सब अपना अपना खाना खत्म.....कर उठ कर हॉल में आ गए.....
जो इतना बड़ा था.....की अगर कोई नॉर्मल इंसान देखे.....तो वोह पागल ही हो जाए.....वहां रखा हर एक शोपीस.....और अन्य इस्तेमाल की जाने वाली वस्तु.....की कीमत लाखों या करोड़ों में होगी.....
मान्यता अब उनसे जाने की परमीशन मांगने लगी.....तोह धर्म जी ने सात्विक को उन्हें सफ़ेली उनके घर पोहचाने बोल दिया.....
यह कहते हुए कि:"अब एक तुम्हारी सास है.....जो मां के दर्जे है.....और एक तुम्हारी जीवनसंगिनी बनने वाली है.....तो इनकी जिम्मेदारी भी तो तुम्हे लेनी चाहिए.....!!"
सात्विक को तो जैसे यही चाहिए था.....उसने बिना किसी आनाकानी के उन्हें घर पोहचाने चला गया.....
यह देख सब काफी हैरान था.....की आज सात्विक को हुआ क्या है.....की यह किसी भी बात के लिए इंकार नहीं कर रहा.....
उसने बाहर आकर अपने गैरेज में से.....उसकी एक्सक्लूसिव एडिशन की कार निकली.....और उनके बैठने के लिए.....दरवाजा भी खोला.....
द्रक्षता बैक सीट पर बैठ रही थी.....
तभी सात्विक बोला:ड्राइवर नहीं है.....हम आपके.....मां के लिए दरवाजा खोला है हमने.....उन्हें आगे बैठने से दिक्कत हो सकती है.....इसीलिए.....!!
द्रक्षता मुंह बनाते हुए आगे जाकर.....पैसेंजर सीट का डोर खोल कर बैठ गई.....
मान्यता उन दोनों को देख मुस्कुरा रही थी.....उनकी अनकही झगड़े को देख.....
उसे खुशी हो रही थी.....की उसकी बेटी अब एक खुशहाल जीवन जी पाएगी.....और ये कौन सी मां नहीं चाहेगी.....कि उसकी बेटी को एक अच्छा हमसफर मिले.....सारी मायें अपने बच्चों की खुशी चाहती है.....आज जब मान्यता ने उन दोनों को साथ में देखा.....तोह उसे अपनी बेटी की खुशी.....सात्विक के साथ ही नजर आई.....वोह बस ऐसे ही द्रक्षता को खुश देखना चाहती थी.....
सात्विक ड्राइविंग सीट पर आकर बैठ गया.....और उसने द्रक्षता को देखा.....जो मुंह फूला कर बैठी हुई थी.....उसे ऐसे देख उसके होठों पर एक दिलकश मुस्कान छा गई.....उसने उसे सीट बेल्ट लगाने को कहा.....तोह वह उसे देखने लगी.....क्योंकि उसे सीट बेल्ट लगाना नहीं आता था.....
उसने धीरे से कहा:मुझे यह लगाना नहीं आता.....और क्या गाड़ी से जाना जरूरी है.....क्योंकि मैं अपनी स्कूटी से आई थी.....(फिर एक ओर इशारा कर)देखिए वहां पार्क की हुई है.....तोह हम उसी से चले जाए.....!!
सात्विक उसे घूरते हुए:चुप चाप बैठे.....आपकी स्कूटी कल आपको आपके घर पहुंचा दी जाएगी.....
...!!जय महाकाल!!...
क्रमशः..!!