A Perfect Murder in Hindi Thriller by astha singhal books and stories PDF | ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 16

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 16

भाग 16


“विपुल सर ने मेरे साथ बदतमीजी की। कहने लगे कि यदि मुझे इस टपरवेयर के काम को आगे बढ़ाना है तो…तो एक रात…उनके साथ बितानी पड़ेगी।” ये कह नीलम फिर रोने लगी।


माधवी शायद विपुल द्वारा रखे इस प्रस्ताव पर ज़्यादा आश्चर्य चकित नहीं थी।


“नीलम, तू घबरा मत। मैं…समझ सकती हूँ।”


“मैंने विपुल सर को एक बड़े भाई की तरह माना था। स्टॉफ में सबके सामने वो भी यही कहते रहे कि तुम मेरे लिए माधवी के जैसी हो। जब किटी पार्टी की लेडीज़ फोटो वगैरह खींचती थीं तो मुझे प्यार से अपने साथ खड़े कर लेते थे कि मेरी बहन मेरे साथ खड़ी होगी। मुझे क्या पता था कि वो इंसान के रूप में हवस का भूखा निकलेगा। और…हद तो तब हुई जब उसने कहा कि मुझे उसकी बात माननी पड़ेगी वरना वो अमोल को मेरे काम के बारे में बता देगा। ये कह उसने उठकर जब ज़बरदस्ती मेरा हाथ पकड़ मुझे अपनी तरफ खींचना चाहा तब मैंने उसके गाल पर कसकर थप्पड़ रसीद कर दिया।”


“तूने बिल्कुल ठीक किया नीलम। तू डर मत बिल्कुल।”


“पर माधवी, उसने यदि अमोल को‌ बता दिया तो मैं….अमोल तो मुझे जान से मार देंगे। तुझे तो‌ बताया है मैंने कितने शक्की मिजाज हैं वो।”


“देख नीलम, अगर तू चुप रहने का वादा करे तो मैं जीजू से बात कर सकती हूँ कि वो भी चुप रहें। बस आज से उनके रेस्टोरेंट में मत जाना।”


“ठीक है माधवी। मुझे बात का बतंगड़ बना कर क्या मिलेगा। मैं कल से वहांँ का रुख नहीं करूंगी। चल…थैंक्स।”


ये कह नीलम फोन रख देती है और रिकार्डिंग खत्म हो जाती है।


“माधवी जी, आपकी बातों से ऐसा क्यों लगा कि आपको ये सुनकर आश्चर्य नहीं हुआ कि विपुल ने नीलम से छेड़छाड़ की?” कविता ने तुरंत सवाल पूछा।


“मैम…मैं जीजू की हरकतों से वाकिफ हूँ। उन्होंने मेरी शादी से पहले मुझसे भी बदतमीजी करने की कोशिश की। दीदी का घर खराब ना हो ये सोचकर मैं चुप कर गयी।” माधवी की आँखों में आँसू थे।


“अच्छा माधवी जी, आपको क्या लगता है विपुल का हाथ हो सकता है नीलम के गायब होने में?”


“मैम एक महीने पहले की बात है। मैंने जीजू को समझा दिया था कि नीलम चुप रहेगी अगर वो चुप रहेंगे। और उन्होंने मुझे कहा कि ठीक है क्योंकि वो भी नहीं चाहते थे‌ कि दीदी को कुछ पता चले। तो…अचानक एक माह बाद ऐसा क्या हुआ होगा? मुझे नहीं लगता मैम…आगे आप अपनी तफ्तीश के ज़रिए पूछ सकते हैं।” माधवी ने कहा।


“ठीक है माधवी जी। आप ये रिकार्डिंग ज़रा मुझे भेज दीजिए। और समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।” ये कह कविता वहाँ से निकल गई।


******************


कविता थाने पहुंची और विक्रम को वो रिकार्डिंग सुनाई।


“तो इस विपुल को उठाना पड़ेगा। अरे भिड़े! भाई ज़रा एक वारंट तो इश्यू कराओ।”


“जी साहब!” ये कह हवलदार भिड़े वहां से चला गया।


तभी सब-इंस्पेक्टर अतुल वहां आया और बोला,


"सर, मगन के बारे में कुछ इंफोर्मेशन है सर। उसकी एक ही बहन है जिसकी शादी दस साल पहले हो चुकी है। हाल ही में उसके घर किसी की शादी नहीं हुई थी। आसपास के लोगों का कहना है कि उसे जूआ खेलने की बुरी लत है।"


"हम्मम….तो अमोल सही कह रहा था। नीलम लोगों की बातों में बहुत जल्दी आ जाती है। हवलदार….उठा कर लाओ इस मगन को। खातिरदारी तो करें।" विक्रम ने ऑर्डर देते हुए कहा।


"अ…. विक्रम…मुझे मोनिका और उसके पति से भी कुछ पूछताछ करनी है। तो क्या तुम एक नो ऑब्जेक्शन लैटर पर दस्तखत करके दे सकते हो?" कविता ने कहा।


"श्योर यार! अभी लो।" विक्रम ने मुस्कुराते हुए कहा।


*************


शरद का ऑफिस

*****************


"जिस दिन नीलम गायब हुई है, उस दिन आपने उसे तीन बार फोन किया था। क्यों?" कविता ने शरद से पूछताछ करते हुए पूछा।


"जी….वो…शाम को पार्टी रखी थी भाभी ने ….उसी सिलसिले में फोन किया था। पर…पहली बार मैं कुछ पूछता इससे पहले ही फोन कट हो गया और दो बार उन्होंने फोन नहीं उठाया।" शरद ने अपनी सफाई देते हुए कहा।


"नीलम…आपको बहुत पसंद थी ना? हर समय, हर तस्वीर में आपकी निगाहें केवल उसी को देख रही होती थीं…" कविता ने बहुत सी पार्टी और पिकनिक की तस्वीरें शरद को दिखाते हुए कहा।


"क्यों, कुछ ग़लत कहा क्या मैंने?" कविता ने उसे और परेशान करते हुए पूछा।


एयरकंडीशन रूम में भी शरद को पसीने छूट रहे थे। उसने रूमाल निकाला और अपना पसीना पोंछने लगा। कविता ने अचानक रूमाल की तरफ देखते हुए कहा,


"वाह! बहुत सुंदर कढ़ाई वाला रूमाल है। आप ऐसे रूमाल यूज़ करते हैं मिस्टर शरद!"


"अ….. नहीं, वो तो मोनिका ने प्यार से गिफ्ट किया तो इसलिए…" शरद ने झेंपते हुए कहा।


"तो जवाब नहीं दिया आपने मिस्टर शरद?"


"देखिए, ये महज़ एक इत्तेफाक है कि इन तस्वीरों में मेरी नज़र नीलम भाभी पर है। वो फोटो खिंचवाते हुए कुछ ना कुछ फनी ज़रूर बोलती थीं। इसलिए शायद…मेरी नज़र उनपर गयी। और रही बात पसंद करने की तो वो बहुत खुशमिजाज, मिलनसार व्यक्तित्व की महिला थीं….मतलब हैं….तो आकर्षित होना ज़ाहिर बात है। पर किसी ग़लत सोच के साथ नहीं।" शरद ने अपनी बात पूरी की।


****************


"अरे! साहब! क्यों पीट रहे हो। मैंने दीदी को कुछ नहीं किया है। मत मारो साहब।" मगन चिल्ला रहा था।


"अच्छा….तूने नीलम से पचास हज़ार रुपए लिए…ये कहकर की बहन की शादी है…. झूठे…तेरी बहन की शादी तो कब की हो गई। बोल…कैसे ऐंठे पैसे तूने?" विक्रम ने उसे ज़ोरदार तमाचा मारते हुए पूछा ‌।


"साहब, साहब…. नीलम दीदी सबकी बहुत मदद करती हैं। तो …. मैं जुए में पचास हजार हार गया था। वो…कालिया….वो गुंडा मेरे पीछे पड़ा था साहब। जान से मारने की धमकी दे रहा था…क्या करता? इसलिए दीदी को झूठी कहानी सुनाकर पैसे लिए थे। पर साहब….माँ कसम, ये पैसे मैं धीरे - धीरे दीदी को लौटाने वाला था।" मगन ने रोते हुए सारी कहानी सुनाई।


"अबे! चल झूठे। तू कहां से लौटाएगा। तेरी तो नीयत भी नहीं दिख रही लौटाने की।" विक्रम ने उसे सिर पर चपत मारते हुए कहा।


"क्या बोल रहे हो साहब! पिछले महीने मैंने पेटीएम किया उनको दो हज़ार रुपए। मैं दिखा भी सकता हूँ अपने फोन पर।" मगन ने कहा।


विक्रम ने क्रॉसचेक किया। मगन सही कह रहा था। उसने मगन को छोड़ दिया।


"देख, आंँख और कान खुले रखना। कोई भी शक की बात हो तो तुरंत फोन करना। समझा? नहीं तो.." विक्रम ने उसे घूंसा दिखाते हुए कहा।


"साहब…. मैं भी चाहता हूँ कि दीदी जल्द मिल जाएं। मैं आपकी पूरी मदद करुंगा साहब।" मगन ने हाथ जोड़कर कहा।


“सब इंस्पेक्टर अतुल, इसके पीछे एक हवलदार लगा दो। अभी भी मेरा शक खत्म नहीं हुई है।” मगन के जाने के बाद विक्रम ने कहा।


क्रमशः

आस्था सिंघल