A Perfect Murder - 10 in Hindi Crime Stories by astha singhal books and stories PDF | ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 10

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ए पर्फेक्ट मर्डर - भाग 10

भाग 10

अमोल के जाने के बाद कविता उसके पास आई और बोली, “कुछ पता चला?”

“हम्ममम, कुछ तो है जो हमें नज़र नहीं आ रहा। अमोल बहुत शक्की किस्म का इंसान लगता है। या तो ये अपनी पत्नी के लिए ओवर प्रोटेक्टिव है या फिर उसे अपनी बीवी पर भरोसा नहीं है। और हो सकता है कि इसकी इन हरकतों की वजह से नीलम चली गई हो।”

“मतलब तुम ये कहना चाहते हो कि नीलम भाग गई किसी और के साथ? अपने दो मासूम बच्चे छोड़कर? ऐसे कैसे सोच सकते हो तुम विक्रम?” कविता ने गुस्से से तमतमाते हुए कहा।

“मैं ये नहीं कह रहा कि वो भाग गई किसी और के साथ। मैं ये कहना चाहता हूंँ कि शायद वो अमोल के शक करने के नेचर की वजह से कहीं चली गई हो? ऐसा…हो सकता है ना कविता।” विक्रम ने उसे समझाते हुए कहा।

“मुझे…ऐसा नहीं लगता विक्रम। नीलम ऐसी औरत नहीं लगती।” कविता सोचते हुए बोली।

“मैडम, ये बाद में डिसाइड कर लेंगे। अब ज़रा आप हमारे साथ भी डांस करेंगी। क्लोज़ डांस।” विक्रम ने कविता को अपनी बाहों में भरते हुए कहा।

“वैसे अमोल सही ही कहा रहा था कि खूबसूरत बीवी होना भी एक गुनाह है।” विक्रम ने धीरे से कविता के कान में कहा।

“अच्छा जी! तुम कब से ऐसा सोचने लगे!” कविता ने मुँह बनाते हुए कहा।

“सही तो है। अब देखो, हर पार्टी में तुम मेरे साथ कम और मेरे सीनियर या जूनियर्स के साथ ज़्यादा डांस कर रही होती हो। किसी और की पत्नी के साथ तो ये सब इतना नहीं डांस करते।”

“ओह! वो तो इसलिए कि मुझे डांस आता है, इसलिए सब मेरे साथ डांस फ्लोर पर आना पसंद करते हैं।”

“जी नहीं स्वीटहार्ट! इसलिए क्योंकि आप बहुत खूबसूरत और हॉट दिखती हैं। अभी भी देखो, इस लाल‌ गाउन में कहर ढा रही हैं आप!” विक्रम ने व्यंग्यात्मक लहजे में बोला।

“तो क्या बुराई है इसमें?” कविता नाराज़ होते हुए बोली।

विक्रम ने उसे और करीब खींचा और गाने की धुन पर अपने कदम थिरकाते हुए बोला,
“जान! बहुत मुश्किल होता है अपनी पत्नी को किसी और की बांहों में देखना। तुम्हारे साथ नाचते हुए इन सबके हाथ ना जाने कहां-कहां फिसल जाते हैं। कभी कमर पर तो कभी…और क्लोज़ डांस करते समय ना जाने कितनी बार ये सब तुम्हें अपनी बाहों में भर लेते हैं…”

विक्रम की इस बात पर कविता को अचानक बहुत गुस्सा आया और उसने विक्रम को झटक कर पीछे करते हुए कहा, “तुम्हारा दिमाग तो ठिकाने पर है विक्रम? कैसी बातें कर रहे हो? अगर इतनी ही तकलीफ़ होती है तो क्यों मुझे दूसरों के साथ डांस करने भेज देते हो?”

कविता डांस फ्लोर से उतर‌ गई और गुस्से से बाहर की तरफ जाने लगी। विक्रम ने भाग कर उसका हाथ पकड़ा और बोला, “देखा, मैंने आज पहली बार तुम्हें कुछ ऐसा कहा और तुम्हें इतना गुस्सा आ गया कि ये भी भूल गईं कि हम कहाँ हैं। कविता, सोचो, नीलम हर रोज़ अमोल के मुँह से ऐसी बातें सुनती होगी। एक दिन नहीं, दो दिन नहीं, सालों से। उसके मन पर क्या बीतती होगी? एक ना एक दिन तो गुस्सा बर्दाश्त से बाहर हो ही जाएगा। और जब पानी सिर के ऊपर से गुज़र जाता है कविता, तो इंसान कुछ नहीं सोच पाता। शायद नीलम के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ हो?” विक्रम ने कविता को समझाते हुए कहा।

कविता कुछ देर स्तब्ध खड़ी रही और विक्रम की कही बातों पर गौर करती रही। शायद विक्रम की बातों में सच्चाई थी। जब अपने बारे में विक्रम की सोच में परिवर्तन देख कविता को इतना गुस्सा आ गया तो नीलम की क्या हालत होती होगी? ये सोचते ही कविता के सारे शरीर में सिहरन सी दौड़ गई।

“विक्रम, हमें नीलम का बैकग्राउंड भी चैक करना पड़ेगा।” कविता बोली।

“हाँ, ठीक कहा तुमने। चलो सर से पर्मिशन ले कर‌ घर चलते हैं।” विक्रम बोला।

***********

“मैंने आज तुम्हारा मूड खराब कर दिया ना विक्रम? आई एम सॉरी। पता नहीं उस वक्त तुम्हारे सवाल तीर की भांती चुभ रहे थे। जबकि मैं ये जानती हूँ कि तुम कितने खुले विचारों के इंसान हो। फिर भी गुस्सा आ गया।” कविता ने गाड़ी चलाते हुए कहा।

“कोई बात नहीं कवि! इससे साबित होता है कि मेरी एक्टिंग गजब की है।” विक्रम ने हँसते हुए कहा।

“विक्रम, मैं जानती हूंँ कि तुम मुझ पर बहुत विश्वास करते हो, पर क्या तुम्हें कभी ऐसा लगा कि मैं तुम्हारे जूनियर या सीनियर्स के साथ फ्लर्ट कर रही हूँ?”

“कैसी बातें कर रही हो कविता? तुमने कॉलेज में कभी मेरे साथ फ्लर्ट नहीं किया, किसी और के साथ क्या ही करोगी।” विक्रम हँसते हुए बोला।

तभी विक्रम के फोन की घंटी बजी।

“हाँ चौहान! बोलो। छोड़ दिया अमोल को घर?”

“नहीं साहब, वो घर नहीं गया। हमने उसे जी. बी. रोड के पास छोड़ा।” हवलदार चौहान बोला।

“जी.बी. रोड? वहाँ वो क्या करने गया था?” विक्रम हैरान था।

“पता नहीं साहब।”

“पता नहीं? तुमने उसका पीछा क्यों नहीं किया बेवकूफ!” विक्रम चिल्लाते हुए बोला।

“साहब, वो…वाइफ का फोन आ गया था। वो..साहब उसका आखिरी महीना चल रहा है ना, अगले माह डिलीवरी है, तो तबियत नाजुक रहती है उसकी। इसलिए हमें वहाँ जाना पड़ा।” हवलदार चौहान ने डरते हुए कहा।

विक्रम का गुस्सा सातवें आसमान पर था पर वो चुप कर गया और फोन काट दिया।

“शांत हो जाओ विक्रम, कोई बात नहीं।” कविता बोली।

“अजीब बात है, जी. बी. रोड? उस एरिया में अमोल‌ को क्या काम था? वो एरिया प्रोस्टीट्यूशन के लिए बदनाम है। ऐसी जगह पर वो क्या कर रहा था?” विक्रम ने घर आने पर गाड़ी से उतरते हुए कहा।

कमरे में आकर विक्रम सीधे बिस्तर पर लेट गया। उसके सिर में हल्का दर्द हो रहा था।

“इतनी क्यों पी तुमने? तुम्हें पता है कि तुम्हें एक पैग से ज़्यादा सूट नहीं करता।” कविता उसके बगल‌ में बैठकर उसका सिर दबाने लगी।

“अरे! अमोल के साथ पीना पड़ा। पर, समझ नहीं आया कि अमोल जी. बी. रोड…” विक्रम अभी बोल रहा था कि कविता ने उसके होंठों पर अपनी ऊँगली रखते हुए नशीली आवाज़ में कहा, “शशशशशश…अमोल का केस सुबह देखेंगे। अभी मेरा केस सॉल्व कर दो!”

विक्रम ने झट से कविता को गोद में उठाते हुए कहा, “बंदा आपकी खिदमत में हाज़िर है जनाब। कहिए किस तरह की सेवा की जाए आपकी।”

कविता ने उसके गले में अपनी बाहें डालते हुए कहा, “ज़ेड सिक्योरिटी चाहिए जनाब।”

विक्रम के होंठों पर मुस्कान खिल उठी और सारा कमरा प्यार की खुशबू से महक उठा।


क्रमशः
आस्था सिंघल