unknown connection - 54 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | अनजान रीश्ता - 54

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अनजान रीश्ता - 54

अविनाश रेड्डी होकर बस खुद को शीशे में देख रहा था और बालो को संवार रहा था की तभी उसके दरवाजे पर खटखटाने की आवाज आती है । वह दरवाजे को खोलने जाता है । तो विशी वहा खड़ा था । वह दरवाजा खोलकर वापस अपने बाल संवारने लगता है । तभी विशी दरवाजा बंद करते हुए सोफे पे बैठते हुए कहता है ।

विशी: क्या बात है किसी को हार्टअटेक देने का इरादा है क्या!?
अविनाश: ( शीशे में से विशी की ओर देखते हुए ) ( मुस्कुराते हुए ) क्या!!?।
विशी: कमोन मेन मेरे सामने तो इतना ना ही बनो तो बेहतर है ।

अविनाश: ऐसा कुछ नही है अब शादी है तो तैयार होना तो लाजमी है । ( विशी के पास बैठते हुए ) ।


विशी: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) अच्छा !! ये बात कोई और कहता तो समझ में आता पर तुम ...


अविनाश: ( विशी की बात काटते हुए ) अच्छा वो जो भी है मुझे ये बताओ मैं कैसा लग रहा हूं! लाईक कोई कमी तो नहीं है ।


विशी: ( हंसी को रोकते हुए ) अच्छे लग रहे हो ।


अविनाश: अरे यार! मज़ाक छोड़ो और सच में बताओ !।


विशी: अवि! हम सिर्फ शादी अटेंड करने आए है ना की तुम्हारी शादी करने !!। हाहाहाहाहा...।


अविनाश: ( गुस्से में विशी की ओर देखते हुए ) ।


विशी: ओके सॉरी अब चले !! फंक्शन थोड़ी देर शुरू ही होने वाला है ।


अविनाश: ( सिर को हां में हिलाते हुए दरवाजे की ओर आगे बढ़ता है । ) ।


अविनाश और विशी फंक्शन हॉल की ओर जाते हुए ऐसे ही बहश कर रहे थे । की तभी अविनाश का सिर किसी से टकराता है और गुस्से में वह उस इंसान पर चिल्लाने ही वाला था की अविनाश की आंखे तो मानो आश्चर्य के मारे खुली ही रह जाती है । वह ना ही कुछ बोल पा रहा था ना ही वह आंखे जपका रहा था । वह बस सामने वाले इंसान को देखे जा रहा था । उसके लिए तो यह पल थम सा गया था । जैसे आस पास सभी लोग गायब से हो गए थे । तभी किसी के हड़बड़ाने की वजह से वह आश्चर्य में से बहार आता है । और सामने देखता है तो पारुल थोड़ी देर पहले जहां खड़ी थी वहां पर नहीं थी । वह चली गई थी । वह इधर उधर देखता है तो कही भी नही थी । अविनाश का दिल पारुल के यहां होने की गवाही दे रहा था । जितनी तेज वह धड़क रहा है उससे साफ साफ पता चलता है की वह अभी पारुल से टकराया था । तभी विशी कहता है ।


विशी: क्या!? ।


अविनाश: वो....! ।


विशी: वह क्या!!?


अविनाश: अभी थोड़ी देर पहले!!? ।


विशी: तुमने इज्जत का फालूदा बना दिया बस !! ।


अविनाश: ( आइब्रो ऊपर करते हुए ) क्या मतलब!!?।


विशी: मतलब यहीं की थोड़ी देर पहले तुम दुल्हन के साथ टकराए थे । और उनके साथ जो लड़कियां थी वह अविनाश ... अविनाश चिल्ला रही थी पर तुम तो बिलकुल ही खो से गए थे । उनको जवाब देना तो दूर उनकी ओर देखा भी नहीं बस तुम तो दुल्हन को ही देखे जा रहे थे । पता है कितनी क्यूट थी वह लड़कियां... ( खुश होते हुए ) ।


अविनाश: ( शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पाता । उसके कान लाल से हो गए थे !) चलो चले !!। और तुम हर लड़की में अपनी फ्यूचर वाइफ को देखना बंद करो हाहाहाहाहा।


विशी: ( शरमाते हुए ) अब में क्या करू वह क्यूट थी तो थी । उसमे मेरी गलती नही है ।


अविनाश: इससे पहले तुम दुल्हन बन जाओ चलो अब ।


दूसरी ओर पारुल का भी यहीं हाल था । वह अविनाश को देखकर मानो चौंक सी गई थी । खुशी,आश्चर्य,गुस्सा, पता नही वह क्या महसूस कर रहीं थी । साथ में सवाल भी खड़े हो रहे थे उसके मन में । क्योंकि वह नही आने वाला था । जहां तक उससे पता है उसने साफ साफ सेम को मना कर दिया था । फिर अब क्यो!!! ? । और वह ऐसे क्यों तैयार हुआ है । जैसे वह खुद की शादी में जा रहा हो। क्या सच में वह सारा अतीत भुला कर आगे बढ़ चुका है । आज मानो मुझसे ज्यादा तो वह खुश था जैसे उसके लिए बहुत बड़ा दिन हो। जैसे वह खुश हैं। क्या वह कुछ गलत इरादे से आया है या वह सच में खुश है । उस दिन फिर उसने अस्पताल में तो कहां था की वह .... । पारुल यह सोचते सोचते सिर को ना में हिलाती है की तभी चूड़ी उसके हाथ में चुभ जाती है । तो सिसकारी उसके मुंह से निकल जाती है । तभी पारुल कहती है संभाल कर प्लीज !! । तो ड्रेसर उससे सॉरी कहते हुए माफी मांगती है। पारुल एक बार आईने में खुद को देखती है तो खुद को पहचान ही नही पाती । क्या इस वजह से वह पलके जपकाना .. । आह!! मुझे उसके बारे में नही सोचना चाहिए मेरी सेम के साथ आज सगाई है मुझे फर्क नही पड़ना चाहिए की वह क्या सोचता है मेरे बारे में और में उससे नफरत करती हूं .. हां नफरत सिर्फ नफरत । पारुल बस ऐसे ही खुद को समझा रही थी की तभी कोई कहता की सभी लोग उसका इंतजार कर रहे है । जिससे वह अपने मन में उठ रहे सवालों को वही पर रोकते हुए फक्शन हॉल की ओर आगे बढ़ती है । पारुल आगे बढ़ ही रही थी की तभी दरवाजे पर सेम उसका इंतजार कर रहा था । वह काफी हेंडसम दिख रहा था । उसके चहेरे पर एक बड़ी मुस्कुराहट थी । वह पारुल की ऑर देखे जा रहा था ।


पारुल: ( मुस्कुराते हुए ईशारा करते हुए ) क्या!?? ।


सेम: ( सिर को ना में हिलाते हुए ) नथिंग.. बस आज तुम कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही हो । मानो ... ।


पारुल: मानो.. ?।


सेम: मानो कोई स्वर्ग से कोई अप्सरा आई हो । मेरे पास शब्द नहीं है की में तुम्हारी तारीफ कैसे करूं।


पारुल: मक्खन लगाना शुरू ! ? ।


सेम: पारो!! आई स्वेर .. सच में ।


पारुल: मुझे पता है की मै खूबसूरत लग रही हूं पर अप्सरा सीरियसली...!? ।


सेम: अरे यार सच !! में तुम्हे मेरी बात पर यकीन नहीं हो रहा !! रुको तुम!! । ( इधर उधर हॉल के गेट में से चुपके से देखता है और किसी को यहां आने के लिए संकेत करता है । )


पारुल: ( धीरे से कान मे कहते हुए ) ये क्या कर रहे हो लोग हमे देखेगे तो पागल समझेंगे ।


सेम: ( पारुल की ऑर देखते हुए ) वैसे... तुम थोड़ी दूर जाओगी प्लीज... क्यो.. की अगर थोड़ी देर ओर करीब रही तो.. मै खुद को संभाल नहीं पाऊंगा।


पारुल: ( पलके जपकते हुए सेम से दूर जाते हुए ) सॉरी... ( तभी किसी के खांसने की आवाज आती है तो सेम और पारुल आवाज की दिशा में देखते है । पारुल की धड़कन तेज हो गई थी । )


सेम: भाई थैंक गॉड आप मेरी बात समझ गए । अब मुझे आपसे कुछ सवाल पूछने है तो सच सच जवाब देना प्लीज ।


अविनाश: ( पारुल की ऑर देखते हुए ) ओके!!।


सेम: भाई ये बताओ पारुल कितनी सुंदर लग रही है !!? ।


पारुल: ( आश्चर्य में सेम की ओर देखते हुए फिर अविनाश की ओर देखती है तो वह पारुल की ऑर ही देख रहा था । ) सेम!!? ( आंखो से उससे चुप रहने को कहती है ।


सेम: अरे! यार वैट भाई लड़कियों की तारीफ करने में माहिर है । और वो भी बात खूबसूरती की हो तो वह झूठ नही बोलते ।


पारुल: ( अविनाश की ओर शंका भरी नजरो से देख रही थी । की वह ऐसा इंसान बन गया है अब । )


अविनाश: ( पारुल से नजरे हटाते हुए ) सेम!! आई.. कांट से.. ये सही नही होगा !! ( यह कहते हुए वह पारुल की ऑर आखिरी बार सिर से पांव तक देखता है और वहां से चला जाता है )।


सेम: अरे!! भाई बात ..


पारुल: ( सेम का हाथ पकड़ते हुए उससे और कुछ बोलने से रोकती है। ) बस मान ली मैने तुम्हारी बात अब खुश ।


सेम: अरे! यार पारो मै सच में कह रहा हूं तुम बहुत बहुत खूबसूरत लग रही हो । मै ऐसे ही नही कह रहा था ।


पारुल: ( शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पाती । )


सेम: ( पारुल के सिर पर किस करते हुए ) लेट्स गो सब इंतजार कर रहे है हमारा ।


पारुल: ( बिना कुछ बोले सिर को हां में हिलाती है । )।


सेम पारुल का हाथ पकड़ते हुए हॉल में दाखिल होता है । जहा सभी लोग तालियों से दोनो का स्वागत करते है । पारुल और सेम के ऊपर गुलाब के फूल बरस रहे थे । सांग बज रहे थे । दोनो स्टेज की ओर आगे बढ़ते है की तभी हार्ट शेप ब्लून ऊपर से गिर रहे थे । पारुल के चेहरे पे एक मुस्कान सी थी। सभी की नजरे इन दोनो पर ही थी । तभी सेम पारुल को स्टेज पर ले जाके चेयर पर बिठाता है । और खुद भी उसके बगल में बैठ जाता है । और फिर नाच गाना और सारी रश्म आगे बढ़ती है ।