hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • सदगति - 2

    गीतिका उससे खुशी का कारण पूछना चाहती थी।लेकिन वह कंही नाराज न हो जाये,इस डर से...

  • महामाया - 11

    महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – ग्यारह प्रवचन हॉल में एक प्रौढ़ वय का व्यक्ति गे...

  • यह कहानी नहीं है

    यह कहानी नहीं है (कहानी - पंकज सुबीर) वैसे तो इस कहानी .... क्षमा करें मैं तो पू...

सदगति - 2 By Kishanlal Sharma

गीतिका उससे खुशी का कारण पूछना चाहती थी।लेकिन वह कंही नाराज न हो जाये,इस डर से उसने नही पूछा था देवेन के कहने पर वह तैयार हो गसी।देवेन उसे अपने साथ एक शानदार कोठी में ले गया था।"...

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दलित एक सोच - 2 By ADARSH PRATAP SINGH

जिससे राजा जी संदेह मे पड गए कि एक दलित के बेटे को कैसे मैं सम्मान दे सकता हु ,इस बात से राजा जी काफी देर तक विचार करते रहे उस दौरान राजा जी ने अपने एक चालाक मंत्री को बुलाया, और उ...

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आधा आदमी - 5 By Rajesh Malik

आधा आदमी अध्‍याय-5 ज्ञानदीप उसे इस हालत में देख कर पीठ घुमाकर खड़ा हो गया। साहिबा को आभास हुआ कि कोई बरामदे में है। उसने पलटकर देखा, तो उसकी शंका सही थी। वह तेजी से कमरे की तरफ़ भागी...

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महामाया - 11 By Sunil Chaturvedi

महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – ग्यारह प्रवचन हॉल में एक प्रौढ़ वय का व्यक्ति गेरूआ चैगा पहने पाँच-सात भक्तों से घिरा बैठा था। पीछे की तरफ एक व्यक्ति लोगों को बता रहा था ‘यह अंजन स...

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देह की दहलीज पर - 19 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 19 कथाकड़ी 19 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक...

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यह कहानी नहीं है By PANKAJ SUBEER

यह कहानी नहीं है (कहानी - पंकज सुबीर) वैसे तो इस कहानी .... क्षमा करें मैं तो पूर्व में ही लिख चुका हूँ कि ये कहानी नहीं है, तो फिर इसे कहा क्या जाए ...? चलिये, इसे एक घटना कह लेते...

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होने से न होने तक - 26 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 26. मन में उलझन बनी रही थी। दूसरे दिन कालेज जाने पर मैं बहुत देर तक नीता से उस विषय में बात करती रही थी। तभी मीनाक्षी और केतकी भी वहॉ आ गये थे। ‘‘यश क्या चाहते है...

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किसी ने नहीं सुना - 19 By Pradeep Shrivastava

किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 19 मेरा सस्पेंशन और उसका कंफर्मेंशन रुकना अपने आप में इस ऑफ़िस की पहली घटना थी। और उससे भी ज़्यादा यह कि मेरा सस्पेंशन चौथे दिन न सिर्फ़ खत्...

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1942 की एक अलिखित कहानी। By Ranjeev Kumar Jha

सन् उन्नीस सौ ब्यालिस । अगस्त का महीना । शाम के चार बजे । स्कूल की छुट्टी होने के बाद हम अपने चार - पांच साथियों के साथ पैदल घर के तरफ जा रहे थे । आकाश में काले - काले बाद...

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कुबेर - 41 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 41 आने वाले अच्छे समय का एक इशारा अनजानी ख़ुशी दे गया डीपी को जिसमें उसे उन शिशुओं की याद आयी जो पिछले दिनों उसकी दुनिया में आए थे। जब ये सारे ग्यारह शिशु एक साथ...

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सुशांत सिंह तुम नहीं जा सकते By Mahendra Sharma

यहां सफलता ही कलाकार की एकमात्र पहचान है, ईसके अतिरिक्त कलाकार के जीवन का कोई मूल्य नहीं।फ़िल्म उद्योग के इस मंत्र ने कई संवेदनशील कलाकारों की हत्या की है। सुशांत सिंह आज इसी घटिया...

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मोबाइल फ़ोन By Rajni Gosain

सावन की ऋतु ने जैसे सारे वृक्षों और पौधों को नहला दिया हो! हरे रंग की आभा लिए पेड़ पौधों की पत्तियाँ चमक उठी थी! जीवानंद बाबू तथा उनके तीन सहयोगी दफ़्तर के दौरे पर दिल्ली से हरिद्वार...

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विलुप्त होता मुहावरा By ramgopal bhavuk

विलुप्त होता मुहावरा रामगोपाल भावुक हमारे गाँव के भोले बाबा बड़े किस्सा गोई हैं। वे गाँव से जुड़े किस्से अक्सर सुनाते रहतें हैं। पीपल के पेड़ के नीचे रोज...

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आंख-मिचौनी By Deepak sharma

आंख-मिचौनी पाँच मंज़िली उस इमारत की तीसरी मंज़िल पर स्थित पुस्तकालय की ओर से कपड़े की एक बड़ी ध्वजा उसी दिन, सतरह मार्च को, आयोजित एक गोष्ठी की सूचना वहीँ प्रांगण के प्रवेश द्वार पर दे...

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तमाशा. By PANKAJ SUBEER

तमाशा (कहानी - पंकज सुबीर) नमस्कार, कोई सम्बोधन इसलिये नहीं दे रहीं हूँ क्योंकि आपके लिये मेरे पास कोई सम्बोधन है ही नहीं। जब अपने चारों तरफ नज़र दौड़ाती हूं तो पाती हूं कि वे सभी ज...

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रेल में रेगिस्तान By Husn Tabassum nihan

रेल में रेगिस्तान रात एक बजे का समय। बंगलौर की ओर प्रस्थान करने वाली कर्नाटक एक्सप्रेस जलगांव के समीप कुछ आगे जा कर ब्रेक हो गई। ड्राईवर ने देखा सामने एक जानवर नुमा मनुष्यों के झुण...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 8 By Sarvesh Saxena

कुछ दिन बाद बैंक में ....“अरे आप लोग प्लीज ऐसे भीड़ ना लगाएं, सबका काम होगा” मोहित ने बैंक में जमा भीड़ से कहा | भीड़ में से एक शख्स गुस्से में बोला, “साहब जी.. आपको क्या है? आप तो...

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छुटकी By Poonam Singh

" छुटकी " "अरे ओ.. छुटकी इधर आ जल्दी, से कहाँ है..?" ठकुराइन ने जोर से आवाज देते हुए बुलाया। छुटकी दौड़ती हुई ठकुराइन के पास आई और स्नेहिल नैनों से टुकुर टुकुर उनकी तर...

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शुभ By Githika Vedicka

शुभ कहाँ से शुरू है ये कहानी? कह नहीं सकती! क्योंकि मेरे लिए तो तुमसे लगन और बिछुड़न जैसे जन्मजन्मांतर की बात थी। या तब से कहूँ जब तुम शहर से गाँव में आये थे तब? जैसे वो फिलिम में क...

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हरिया By इंदर भोले नाथ

"हरिया"एक बूढ़ी दादी दरवाजे से बाहर आई, और रोते हुए मंगरू से बोली, बेटा तुम्हे लड़का हुआ है । पर बेटा तोहार मेहरारू बसमतिया इस दुनिया से चल बसी, अब इस अभागे का जो है सो तुम्ही हो ।...

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छोटा नटवरलाल By PANKAJ SUBEER

छोटा नटवरलाल (कहानी - पंकज सुबीर) ‘पर इस पर हम कितना खेल पाएंगे ?’ उधर से चैनल के क्राइम हेड नासिर ख़ान ने कुछ उलझन भरे स्वर में पूछा। ‘ये आपको देखना है नासिर जी, मैं अभी सबसे पहले...

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ये बेवफाइयां By Husn Tabassum nihan

ये बेवफाइयां मेरे दोनों शौहर आपस में भिड़े पड़े थे और मैं तकिए के गिलाफ में बूटें काढ़ती हुई मजे ले रही थी। दोनों का झगड़ा कई-कई जावियों पर चल रहा था। मुँह जबानी भी, हाथापाई भी और अदाल...

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गांव का आवेदन By Jyoti Prakash Rai

सारा संसार कोरोना नामक संक्रमण से त्रस्त और पस्त हो चुका है सरकार अपने देश के नागरिकों को सावधानियां और नियमों के पालन करने का संदेश दे रही हैं। ऐसे में कई देश चीन पर आरोप लगा रहे...

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दिया और बाती By Sushma Tiwari

उमा आज सालों बाद अपने घर वापस आई थी। उसने सोचा भी नहीं था जिस आवाज से पीछा छुड़ाने के लिए उसने घर छोड़ दिया वो इतने सालो बाद भी उसका पीछा नहीं छोड़ रही है। कई सालों बाद जब उसकी आवा...

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केस नंबर २०२० - भाग १ By Ratna Raidani

भाग १ - दरबार २०२० की आपातकालीन बैठक अबकी बार अचानक बुलाई गयी। मुख्य न्यायाधीश बीच में तथा चार दायीं ओर एवं चार बायीं ओर विराजित थे। बाहर करोड़ों की तादाद में धरती से आये हुए सितारे...

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सदा सुहागिन रहो ! By कल्पना मनोरमा

बेटी की शादी के बाद कुलदेवी की पूजा करवाने संजना भारत आई थी । अपने लोगों से चारों ओर खुद को घिरा पाकर उसका मन लाल ऊँन के गोले-सा लुढ़का जा रहा था । चाबियों का गुच्छा निकाल उसने जल्द...

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जन्म दिन By Rajesh Bhatnagar

कहानी- “जन्म दिन”...

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कलाकार By Shobhana Shyam

अरे! ये लड़का तो बिलकुल निशांत जैसा लग रहा है, बल्कि निशांत ही तो नहीं ... हाँ हाँ पक्का निशांत ही है.. । मगर ये यहाँ ...इस तरह.? दिल जैसे यकीन नहीं करना चाह रहा था। उसने आँखों से...

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तर्पण By Kumar Gourav

रमेसर के बुढ़ौती में जाके औलाद हुआ वो भी बेटी । वरना तो मेहरारू मन में मान चुकी थी कि बेऔलाद ही मरेगी लेकिन अब जाकर देव सहाय हुए और उसके महीने के चौदह व्रतों के फल स्वरूप उसकी गोद म...

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हम्मिंग बर्ड्ज़ By Deepak sharma

हम्मिंग बर्ड्ज़ “आज की भी सुन लीजिए,” मेरे दफ्तर से लौटते ही पत्नी ने मुझे घेर लिया, “माँजी ने आज एक नया फरमान जारी किया है, जीजी की चिड़ियाँ हमें यहाँ लौटा लानी चाहिए|” बहन की मृत्य...

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बहती रहना माँ गंगा By शिखा श्रीवास्तव

अपना अंतिम पर्चा खत्म करके जैसे ही नैना परीक्षा-भवन से निकली उसकी सहेलियों ने उसे घेर लिया। "अरे सुन नैना, हम सबने छुट्टियों में गोवा जाने की योजना बनायी है। तू भी हमारे साथ चल रही...

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जिंदगी की कहानियां - मेरी मां By Rama Sharma Manavi

हर जिंदगी में सुख-दुःख, प्रेम घृणा, द्वेष-दया इत्यादि समस्त भावों से परिपूर्ण अनगिनत कहानियां सन्निहित होती हैं, जो वृहद ग्रन्थ का रूप ले सकती हैं।आसपास के जीवन की कहानियों को श...

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कर्ण By Amar Gaur

सुबह की सुहानी धूप में बैठ पंकज चाय की चुस्कियों का आनंद ले ही रहा था की तभी उसकी मां भागी भागी आई और बोली कि बहू की हालत खराब हो गई है, इसी वक़्त हस्पताल ले जाना पड़ेगा । पंकज बेत...

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घुग्घू By PANKAJ SUBEER

घुग्घू (कहानी - पंकज सुबीर) ‘‘घुग्घू ...घुग्घू ...बाहर आ, घुग्घू ..घुग्घू ....बाहर आ’’ आज फ़िर छोटे बच्चे घुग्घू को निकालने का प्रयास कर रहे हैं। एक छोटा सा कीड़ा घुग्घू जो जब भी धू...

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सदगति - 2 By Kishanlal Sharma

गीतिका उससे खुशी का कारण पूछना चाहती थी।लेकिन वह कंही नाराज न हो जाये,इस डर से उसने नही पूछा था देवेन के कहने पर वह तैयार हो गसी।देवेन उसे अपने साथ एक शानदार कोठी में ले गया था।"...

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दलित एक सोच - 2 By ADARSH PRATAP SINGH

जिससे राजा जी संदेह मे पड गए कि एक दलित के बेटे को कैसे मैं सम्मान दे सकता हु ,इस बात से राजा जी काफी देर तक विचार करते रहे उस दौरान राजा जी ने अपने एक चालाक मंत्री को बुलाया, और उ...

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आधा आदमी - 5 By Rajesh Malik

आधा आदमी अध्‍याय-5 ज्ञानदीप उसे इस हालत में देख कर पीठ घुमाकर खड़ा हो गया। साहिबा को आभास हुआ कि कोई बरामदे में है। उसने पलटकर देखा, तो उसकी शंका सही थी। वह तेजी से कमरे की तरफ़ भागी...

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महामाया - 11 By Sunil Chaturvedi

महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – ग्यारह प्रवचन हॉल में एक प्रौढ़ वय का व्यक्ति गेरूआ चैगा पहने पाँच-सात भक्तों से घिरा बैठा था। पीछे की तरफ एक व्यक्ति लोगों को बता रहा था ‘यह अंजन स...

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देह की दहलीज पर - 19 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथाकड़ी 19 कथाकड़ी 19 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक...

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यह कहानी नहीं है By PANKAJ SUBEER

यह कहानी नहीं है (कहानी - पंकज सुबीर) वैसे तो इस कहानी .... क्षमा करें मैं तो पूर्व में ही लिख चुका हूँ कि ये कहानी नहीं है, तो फिर इसे कहा क्या जाए ...? चलिये, इसे एक घटना कह लेते...

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होने से न होने तक - 26 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 26. मन में उलझन बनी रही थी। दूसरे दिन कालेज जाने पर मैं बहुत देर तक नीता से उस विषय में बात करती रही थी। तभी मीनाक्षी और केतकी भी वहॉ आ गये थे। ‘‘यश क्या चाहते है...

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किसी ने नहीं सुना - 19 By Pradeep Shrivastava

किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 19 मेरा सस्पेंशन और उसका कंफर्मेंशन रुकना अपने आप में इस ऑफ़िस की पहली घटना थी। और उससे भी ज़्यादा यह कि मेरा सस्पेंशन चौथे दिन न सिर्फ़ खत्...

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1942 की एक अलिखित कहानी। By Ranjeev Kumar Jha

सन् उन्नीस सौ ब्यालिस । अगस्त का महीना । शाम के चार बजे । स्कूल की छुट्टी होने के बाद हम अपने चार - पांच साथियों के साथ पैदल घर के तरफ जा रहे थे । आकाश में काले - काले बाद...

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कुबेर - 41 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 41 आने वाले अच्छे समय का एक इशारा अनजानी ख़ुशी दे गया डीपी को जिसमें उसे उन शिशुओं की याद आयी जो पिछले दिनों उसकी दुनिया में आए थे। जब ये सारे ग्यारह शिशु एक साथ...

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सुशांत सिंह तुम नहीं जा सकते By Mahendra Sharma

यहां सफलता ही कलाकार की एकमात्र पहचान है, ईसके अतिरिक्त कलाकार के जीवन का कोई मूल्य नहीं।फ़िल्म उद्योग के इस मंत्र ने कई संवेदनशील कलाकारों की हत्या की है। सुशांत सिंह आज इसी घटिया...

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मोबाइल फ़ोन By Rajni Gosain

सावन की ऋतु ने जैसे सारे वृक्षों और पौधों को नहला दिया हो! हरे रंग की आभा लिए पेड़ पौधों की पत्तियाँ चमक उठी थी! जीवानंद बाबू तथा उनके तीन सहयोगी दफ़्तर के दौरे पर दिल्ली से हरिद्वार...

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विलुप्त होता मुहावरा By ramgopal bhavuk

विलुप्त होता मुहावरा रामगोपाल भावुक हमारे गाँव के भोले बाबा बड़े किस्सा गोई हैं। वे गाँव से जुड़े किस्से अक्सर सुनाते रहतें हैं। पीपल के पेड़ के नीचे रोज...

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आंख-मिचौनी By Deepak sharma

आंख-मिचौनी पाँच मंज़िली उस इमारत की तीसरी मंज़िल पर स्थित पुस्तकालय की ओर से कपड़े की एक बड़ी ध्वजा उसी दिन, सतरह मार्च को, आयोजित एक गोष्ठी की सूचना वहीँ प्रांगण के प्रवेश द्वार पर दे...

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तमाशा. By PANKAJ SUBEER

तमाशा (कहानी - पंकज सुबीर) नमस्कार, कोई सम्बोधन इसलिये नहीं दे रहीं हूँ क्योंकि आपके लिये मेरे पास कोई सम्बोधन है ही नहीं। जब अपने चारों तरफ नज़र दौड़ाती हूं तो पाती हूं कि वे सभी ज...

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रेल में रेगिस्तान By Husn Tabassum nihan

रेल में रेगिस्तान रात एक बजे का समय। बंगलौर की ओर प्रस्थान करने वाली कर्नाटक एक्सप्रेस जलगांव के समीप कुछ आगे जा कर ब्रेक हो गई। ड्राईवर ने देखा सामने एक जानवर नुमा मनुष्यों के झुण...

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फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 8 By Sarvesh Saxena

कुछ दिन बाद बैंक में ....“अरे आप लोग प्लीज ऐसे भीड़ ना लगाएं, सबका काम होगा” मोहित ने बैंक में जमा भीड़ से कहा | भीड़ में से एक शख्स गुस्से में बोला, “साहब जी.. आपको क्या है? आप तो...

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छुटकी By Poonam Singh

" छुटकी " "अरे ओ.. छुटकी इधर आ जल्दी, से कहाँ है..?" ठकुराइन ने जोर से आवाज देते हुए बुलाया। छुटकी दौड़ती हुई ठकुराइन के पास आई और स्नेहिल नैनों से टुकुर टुकुर उनकी तर...

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शुभ By Githika Vedicka

शुभ कहाँ से शुरू है ये कहानी? कह नहीं सकती! क्योंकि मेरे लिए तो तुमसे लगन और बिछुड़न जैसे जन्मजन्मांतर की बात थी। या तब से कहूँ जब तुम शहर से गाँव में आये थे तब? जैसे वो फिलिम में क...

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हरिया By इंदर भोले नाथ

"हरिया"एक बूढ़ी दादी दरवाजे से बाहर आई, और रोते हुए मंगरू से बोली, बेटा तुम्हे लड़का हुआ है । पर बेटा तोहार मेहरारू बसमतिया इस दुनिया से चल बसी, अब इस अभागे का जो है सो तुम्ही हो ।...

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छोटा नटवरलाल By PANKAJ SUBEER

छोटा नटवरलाल (कहानी - पंकज सुबीर) ‘पर इस पर हम कितना खेल पाएंगे ?’ उधर से चैनल के क्राइम हेड नासिर ख़ान ने कुछ उलझन भरे स्वर में पूछा। ‘ये आपको देखना है नासिर जी, मैं अभी सबसे पहले...

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ये बेवफाइयां By Husn Tabassum nihan

ये बेवफाइयां मेरे दोनों शौहर आपस में भिड़े पड़े थे और मैं तकिए के गिलाफ में बूटें काढ़ती हुई मजे ले रही थी। दोनों का झगड़ा कई-कई जावियों पर चल रहा था। मुँह जबानी भी, हाथापाई भी और अदाल...

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गांव का आवेदन By Jyoti Prakash Rai

सारा संसार कोरोना नामक संक्रमण से त्रस्त और पस्त हो चुका है सरकार अपने देश के नागरिकों को सावधानियां और नियमों के पालन करने का संदेश दे रही हैं। ऐसे में कई देश चीन पर आरोप लगा रहे...

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दिया और बाती By Sushma Tiwari

उमा आज सालों बाद अपने घर वापस आई थी। उसने सोचा भी नहीं था जिस आवाज से पीछा छुड़ाने के लिए उसने घर छोड़ दिया वो इतने सालो बाद भी उसका पीछा नहीं छोड़ रही है। कई सालों बाद जब उसकी आवा...

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केस नंबर २०२० - भाग १ By Ratna Raidani

भाग १ - दरबार २०२० की आपातकालीन बैठक अबकी बार अचानक बुलाई गयी। मुख्य न्यायाधीश बीच में तथा चार दायीं ओर एवं चार बायीं ओर विराजित थे। बाहर करोड़ों की तादाद में धरती से आये हुए सितारे...

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सदा सुहागिन रहो ! By कल्पना मनोरमा

बेटी की शादी के बाद कुलदेवी की पूजा करवाने संजना भारत आई थी । अपने लोगों से चारों ओर खुद को घिरा पाकर उसका मन लाल ऊँन के गोले-सा लुढ़का जा रहा था । चाबियों का गुच्छा निकाल उसने जल्द...

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जन्म दिन By Rajesh Bhatnagar

कहानी- “जन्म दिन”...

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कलाकार By Shobhana Shyam

अरे! ये लड़का तो बिलकुल निशांत जैसा लग रहा है, बल्कि निशांत ही तो नहीं ... हाँ हाँ पक्का निशांत ही है.. । मगर ये यहाँ ...इस तरह.? दिल जैसे यकीन नहीं करना चाह रहा था। उसने आँखों से...

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तर्पण By Kumar Gourav

रमेसर के बुढ़ौती में जाके औलाद हुआ वो भी बेटी । वरना तो मेहरारू मन में मान चुकी थी कि बेऔलाद ही मरेगी लेकिन अब जाकर देव सहाय हुए और उसके महीने के चौदह व्रतों के फल स्वरूप उसकी गोद म...

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हम्मिंग बर्ड्ज़ By Deepak sharma

हम्मिंग बर्ड्ज़ “आज की भी सुन लीजिए,” मेरे दफ्तर से लौटते ही पत्नी ने मुझे घेर लिया, “माँजी ने आज एक नया फरमान जारी किया है, जीजी की चिड़ियाँ हमें यहाँ लौटा लानी चाहिए|” बहन की मृत्य...

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बहती रहना माँ गंगा By शिखा श्रीवास्तव

अपना अंतिम पर्चा खत्म करके जैसे ही नैना परीक्षा-भवन से निकली उसकी सहेलियों ने उसे घेर लिया। "अरे सुन नैना, हम सबने छुट्टियों में गोवा जाने की योजना बनायी है। तू भी हमारे साथ चल रही...

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जिंदगी की कहानियां - मेरी मां By Rama Sharma Manavi

हर जिंदगी में सुख-दुःख, प्रेम घृणा, द्वेष-दया इत्यादि समस्त भावों से परिपूर्ण अनगिनत कहानियां सन्निहित होती हैं, जो वृहद ग्रन्थ का रूप ले सकती हैं।आसपास के जीवन की कहानियों को श...

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कर्ण By Amar Gaur

सुबह की सुहानी धूप में बैठ पंकज चाय की चुस्कियों का आनंद ले ही रहा था की तभी उसकी मां भागी भागी आई और बोली कि बहू की हालत खराब हो गई है, इसी वक़्त हस्पताल ले जाना पड़ेगा । पंकज बेत...

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घुग्घू By PANKAJ SUBEER

घुग्घू (कहानी - पंकज सुबीर) ‘‘घुग्घू ...घुग्घू ...बाहर आ, घुग्घू ..घुग्घू ....बाहर आ’’ आज फ़िर छोटे बच्चे घुग्घू को निकालने का प्रयास कर रहे हैं। एक छोटा सा कीड़ा घुग्घू जो जब भी धू...

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