hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


Languages
Categories
Featured Books

महामाया - 8 By Sunil Chaturvedi

महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – आठ अनुराधा ने निर्मला माई के कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए थोड़े ऊँचे स्वर में कहा। ‘‘माई हम है अनुराधा’’ ‘‘अन्दर आ जाईये, अनुराधा जी’’ अनुराधा ने दरवा...

Read Free

देह की दहलीज पर - 16 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथा कड़ी 16 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक्षा से क...

Read Free

घुग्घू By PANKAJ SUBEER

घुग्घू (कहानी - पंकज सुबीर) ‘‘घुग्घू ...घुग्घू ...बाहर आ, घुग्घू ..घुग्घू ....बाहर आ’’ आज फ़िर छोटे बच्चे घुग्घू को निकालने का प्रयास कर रहे हैं। एक छोटा सा कीड़ा घुग्घू जो जब भी धू...

Read Free

होने से न होने तक - 23 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 23. आज इतवार है। यश को गए आज सात हफ्ते हो गए-एक महीना अठ्ठारह दिन। मैं तो यश के जाने के दूसरे दिन से ही दिन गिन रही हूं। गिनती दिन से चल कर माह तक पहुच चुकी है। क...

Read Free

किसी ने नहीं सुना - 16 By Pradeep Shrivastava

किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 16 तुम्हारे मामले ने जो इतना तूल पकड़ा वह इस लतखोरी के चलते ही हुआ। क्योंकि ऑफ़िस में सीनियारिटी को लेकर वो तुमसे खुन्नस खाए रहता है। दूसरे स...

Read Free

कुबेर - 38 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 38 डीपी के मार्ग दर्शन के चलते नई कंपनी आकार ले रही थी। हालांकि, ‘अपटिक’ ही कमीशन के आधार पर उनके निवेश सम्हालने वाला था पर डीपी के दिमाग़ में भविष्य के लिए लंबी...

Read Free

आधा आदमी - 1 By Rajesh Malik

आधा आदमी राजेश मलिक अध्‍याय-1 नंगी राजनीति: चिथड़ी सड़कें और बज़बज़ाती गलियां ज्ञानदीप ने दरवाजा खोला तो सामने लल्ला खड़ा था। ‘‘आइये ज़नाब, आज इधर का रास्ता कैसे भूल पड़े?‘‘ ‘‘क्या करुँ,...

Read Free

कान की ठेंठी By Deepak sharma

कान की ठेंठी “बेबी की बीमारी के आसार अच्छे नहीं,” उस रात क्वार्टर में क़दम रखते ही माँ ने मेरे कान की ठेंठी मेरे कान में लगाकर मुझे चेताया, “खसरा लगता है. तुम उधर मत जाना. कहीं तुम्...

Read Free

कुफ़्र By PANKAJ SUBEER

कुफ़्र (कहानी पंकज सुबीर) ज़फ़र आज भी घर नहीं लौटा है। ऐसा अक्सर ही होता है। दिन भर का थका हारा ज़फ़र देर रात घर लौटता है। घर लौट कर एक ही बात कहता है आज खाना नहीं खाऊँगा दोस्त नहीं मा...

Read Free

ये डूबना साहिलों पे By Husn Tabassum nihan

ये डूबना साहिलों पे ‘‘अम्मी...ओ अम्मी...जल्दी उठो...सुनो तो...नसीमा भाग गई’’ ‘‘हैं..कि...किसके साथ...?’’ अम्मी चद्दर फेंक के उठ बैठीं। और आंखें फाड़े, रजिया को देखने लगी। तब तक रजिय...

Read Free

नन्हें फ़रिश्ते की कब्र पर ---? By Madhu Sosi

नन्हे फ़रिश्ते की कब्र पर -----------------------...

Read Free

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 7 By Sarvesh Saxena

मंजेश आफताब पर बहुत गुस्सा करता है और कहता है, " आफताब.. अंधे मत बनो, हर मंदिर बंद है, मक्का मदीना बंद है, सारी ट्रेन फ्लाइट सब कुछ क्यों बंद है, अरे इतने पवित्र पवित्र स्थान सब बं...

Read Free

संस्मरण ! मेरे जीवन की अनमोल धरोहर By Annada patni

संस्मरण ! मेरे जीवन की अनमोल धरोहर अन्नदा पाटनी जीवन की लंबी यात्रा में विभिन्न पड़ावों की अहम् भूमिका रहती है ।हर पड़ाव पर घटनाओं का क्रम ऐसे ऐसे नज़ारे दिखाता है कि मानस पटल पर स...

Read Free

पसंद अपनी अपनी - 3 By Kishanlal Sharma

"मै देखती हूं"।विमला पलंग से उठते हुए बोली।माँ के उठते ही वह पलंग पर लेट गई।वह अपनी सहेली निशा के घर गई थी।धूप और गर्मी की वजह से परेशान हो गई थी।विमला कुछ देर बाद ही कमरे में लौट...

Read Free

सपनों की चादर By saba vakeel

एक साल पहले हिसाम अपने गांव में ही रहता था। दूसरे बच्चों की तरफ स्कूल जाता था। शाम को गिल्ली डंडा खेलता। दूसरे बच्चों को साइकिल चलाता देखता था तो उसका दिल भी करता था कि वह साइकिल च...

Read Free

चिरनिद्रा By Pranava Bharti

चिरनिद्रा ------------ डाकघर में बैठी वह अपनी निस्तेज आँखों को यूँ ही इधर उधर घुमाने लगी।युवा चेहरे कम थे, उसके जैसे भी कुछेक ही ,अधिक चेहरे बेचारगी से मुरझाए हुए से ! जैसे...

Read Free

प्रेम का बलिदान By Jyoti Prakash Rai

किसी चीज का त्याग कर देना कितना कठिन होता है यह अंदाजा लगा पाना बहुत ही मुश्किल होता है। यदि अपनी भाषा में कहू तो यह असंभव है और यदि त्याग अपने प्रेम का हो तो फिर हृदय हर पीड़ा को...

Read Free

अंत By डिम्पल गौड़

अंत संकरे रास्ते से होते हुए आखिर मैं पहुँच ही गया उस जगह जिसे आम भाषा में बदनाम बस्ती कहा जाता है।टूटी- फूटी बदरंगी दीवारों से भी बदरंग था वहाँ बसने वालों का जीवन।एक छोटे से मकान...

Read Free

पापा का वो आखिरी ख़त By Kalyan Singh

वह पापा का आखिरी ख़त था जिसमें प्रिय रवि , शुभार्शीवाद तुम्हारा पत्र मिला पढ़कर बहुत प्रसनन्ता हुई यह जानकर कि तुमने अपना घर ले लिया और...

Read Free

परीक्षायें By Chaya Agarwal

कहानी -परीक्षायें छम..छम..छम..करती बिरजू के रिक्शे की आवाज दूर से सुनाई दे जाती है, जैसे वो कोई रिक्शा न होकर बैलगाड़ी की बैल हो। सजी-संवरी, साफ-सुथरी, नकली फूलों की लड़ियों से महकती...

Read Free

भई यह दुनिया है दुनिया By Husn Tabassum nihan

भई यह दुनिया है दुनिया सुभान भाई के घर से अलस्सुबह सयास ही दहाड़ मारू रूदन का सोता फूट पड़ा तो मोहल्ले वाले जान छोड़ कर दौड़े- ‘‘...क्या हुआ...क्या हुआ....?‘‘ ‘‘...सुभान भाई निकल लिए।‘...

Read Free

ताई की बुनाई By Deepak sharma

ताई की बुनाई गेंद का पहला टप्पा मेरी कक्षा अध्यापिका ने खिलाया था| उस दिन मेरा जन्मदिन रहा| तेरहवां| कक्षा के बच्चों को मिठाई बांटने की आज्ञा लेने मैं अपनी अध्यापिका के पास गया तो...

Read Free

ईस्ट इंडिया कम्पनी By PANKAJ SUBEER

ईस्ट इंडिया कम्पनी (कहानी - पंकज सुबीर) वे कुल जमा नौ थे, इसमें अगर दो बच्चों को भी जोड़ दिया जाए तो कुल संख्या ग्यारह हो जाती है। हालांकि वैसे तो रेल का सामान्य श्रेणी का पूरा डब्...

Read Free

22 वां घर राजमहल By Neelima Sharrma Nivia

२२ वां घर / राजमहल नीलिमा शर्मा आप सबको मेरा प्रणाम | बहुत दिन से आप मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन की कहानियाँ पढ़ रहे हैं और मैं ख़ामोशी से इन सब कहानियों को घटित होते देख रहा हूँ | अगर आप...

Read Free

स्वीच ऑफ By विनीता परमार

कैंटीन से ठहाकों की गूँज सुनाई दे रही है । वैसे आमतौर पर यहाँ गहरी उदासी ही पसरी रहती है । यहाँ बिकनेवाली सारी चीजों को पता है कि बिकना है क्योंकि ये बेशर्म पेट मानता ही नहीं । अस्...

Read Free

कोपभवन By Renu Yadav

“चार दिन से घर में चूल्हा नाहीं जला, बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं । उ तो रामनयना क माई खाना दे जात है त बच्चे आपन परान जियावत हैं । जी कुफूत में पड़ा है कवन पकाये और कवन खाये... जै...

Read Free

आँसरिंग मशीन By PANKAJ SUBEER

आँसरिंग मशीन (कहानी - पंकज सुबीर) ‘‘घिन आती है मुझे इन सबसे’’ सुदीप का स्वर काफी हिकारत से भरा हुआ था। ‘‘क्यों ...? इसमें घिन की क्या बात है, आजकल कुल मिलाकर केवल एक ही दौड़ है, आइ...

Read Free

फिरोजी रेखाओं के नीड़ By Husn Tabassum nihan

फिरोजी रेखाओं के नीड़ प्रेम हमेशा स्थिर नहीं रहता। यह चंद्रमाओं की कलाओं की तरह घटता रहता है...बढ़ता रहता है। ‘‘ बादल, वो देखो दूर क्षितिज पर झुका जा रहा है पीला आसमां....धरती को आलि...

Read Free

मुमताज़ By मालिनी गौतम

मुमताज “सादिक”......मालिशवाली बाई मुमताज़ की बारीक और तीखी-सी आवाज़ ओटले के खुले हुए दरवाज़े पर गूँजी । उस आवाज़ को सुनते ही बगीचे की नर्म धूप में अपने पालने में लेटा पाँच महीने का सात...

Read Free

गुच्चू गरिया By Mahendra Bhishma

गुच्चू गरिया गुच्चू मेरे ननिहाल के पास के गाँव गरिया का रहने वाला था। बचपन के उन दिनों में जब मैं ग्रीष्म की लंबी छुट्टियों में या दशहरा दिवाली या मकर संक्रांति के अवकाश में अपने न...

Read Free

महामाया - 8 By Sunil Chaturvedi

महामाया सुनील चतुर्वेदी अध्याय – आठ अनुराधा ने निर्मला माई के कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए थोड़े ऊँचे स्वर में कहा। ‘‘माई हम है अनुराधा’’ ‘‘अन्दर आ जाईये, अनुराधा जी’’ अनुराधा ने दरवा...

Read Free

देह की दहलीज पर - 16 By Kavita Verma

साझा उपन्यास देह की दहलीज पर संपादक कविता वर्मा लेखिकाएँ कविता वर्मा वंदना वाजपेयी रीता गुप्ता वंदना गुप्ता मानसी वर्मा कथा कड़ी 16 अब तक आपने पढ़ा :- मुकुल की उपेक्षा से क...

Read Free

घुग्घू By PANKAJ SUBEER

घुग्घू (कहानी - पंकज सुबीर) ‘‘घुग्घू ...घुग्घू ...बाहर आ, घुग्घू ..घुग्घू ....बाहर आ’’ आज फ़िर छोटे बच्चे घुग्घू को निकालने का प्रयास कर रहे हैं। एक छोटा सा कीड़ा घुग्घू जो जब भी धू...

Read Free

होने से न होने तक - 23 By Sumati Saxena Lal

होने से न होने तक 23. आज इतवार है। यश को गए आज सात हफ्ते हो गए-एक महीना अठ्ठारह दिन। मैं तो यश के जाने के दूसरे दिन से ही दिन गिन रही हूं। गिनती दिन से चल कर माह तक पहुच चुकी है। क...

Read Free

किसी ने नहीं सुना - 16 By Pradeep Shrivastava

किसी ने नहीं सुना -प्रदीप श्रीवास्तव भाग 16 तुम्हारे मामले ने जो इतना तूल पकड़ा वह इस लतखोरी के चलते ही हुआ। क्योंकि ऑफ़िस में सीनियारिटी को लेकर वो तुमसे खुन्नस खाए रहता है। दूसरे स...

Read Free

कुबेर - 38 By Hansa Deep

कुबेर डॉ. हंसा दीप 38 डीपी के मार्ग दर्शन के चलते नई कंपनी आकार ले रही थी। हालांकि, ‘अपटिक’ ही कमीशन के आधार पर उनके निवेश सम्हालने वाला था पर डीपी के दिमाग़ में भविष्य के लिए लंबी...

Read Free

आधा आदमी - 1 By Rajesh Malik

आधा आदमी राजेश मलिक अध्‍याय-1 नंगी राजनीति: चिथड़ी सड़कें और बज़बज़ाती गलियां ज्ञानदीप ने दरवाजा खोला तो सामने लल्ला खड़ा था। ‘‘आइये ज़नाब, आज इधर का रास्ता कैसे भूल पड़े?‘‘ ‘‘क्या करुँ,...

Read Free

कान की ठेंठी By Deepak sharma

कान की ठेंठी “बेबी की बीमारी के आसार अच्छे नहीं,” उस रात क्वार्टर में क़दम रखते ही माँ ने मेरे कान की ठेंठी मेरे कान में लगाकर मुझे चेताया, “खसरा लगता है. तुम उधर मत जाना. कहीं तुम्...

Read Free

कुफ़्र By PANKAJ SUBEER

कुफ़्र (कहानी पंकज सुबीर) ज़फ़र आज भी घर नहीं लौटा है। ऐसा अक्सर ही होता है। दिन भर का थका हारा ज़फ़र देर रात घर लौटता है। घर लौट कर एक ही बात कहता है आज खाना नहीं खाऊँगा दोस्त नहीं मा...

Read Free

ये डूबना साहिलों पे By Husn Tabassum nihan

ये डूबना साहिलों पे ‘‘अम्मी...ओ अम्मी...जल्दी उठो...सुनो तो...नसीमा भाग गई’’ ‘‘हैं..कि...किसके साथ...?’’ अम्मी चद्दर फेंक के उठ बैठीं। और आंखें फाड़े, रजिया को देखने लगी। तब तक रजिय...

Read Free

नन्हें फ़रिश्ते की कब्र पर ---? By Madhu Sosi

नन्हे फ़रिश्ते की कब्र पर -----------------------...

Read Free

फिर मिलेंगे... कहानी - एक महामारी से लॉक डाउन तक - 7 By Sarvesh Saxena

मंजेश आफताब पर बहुत गुस्सा करता है और कहता है, " आफताब.. अंधे मत बनो, हर मंदिर बंद है, मक्का मदीना बंद है, सारी ट्रेन फ्लाइट सब कुछ क्यों बंद है, अरे इतने पवित्र पवित्र स्थान सब बं...

Read Free

संस्मरण ! मेरे जीवन की अनमोल धरोहर By Annada patni

संस्मरण ! मेरे जीवन की अनमोल धरोहर अन्नदा पाटनी जीवन की लंबी यात्रा में विभिन्न पड़ावों की अहम् भूमिका रहती है ।हर पड़ाव पर घटनाओं का क्रम ऐसे ऐसे नज़ारे दिखाता है कि मानस पटल पर स...

Read Free

पसंद अपनी अपनी - 3 By Kishanlal Sharma

"मै देखती हूं"।विमला पलंग से उठते हुए बोली।माँ के उठते ही वह पलंग पर लेट गई।वह अपनी सहेली निशा के घर गई थी।धूप और गर्मी की वजह से परेशान हो गई थी।विमला कुछ देर बाद ही कमरे में लौट...

Read Free

सपनों की चादर By saba vakeel

एक साल पहले हिसाम अपने गांव में ही रहता था। दूसरे बच्चों की तरफ स्कूल जाता था। शाम को गिल्ली डंडा खेलता। दूसरे बच्चों को साइकिल चलाता देखता था तो उसका दिल भी करता था कि वह साइकिल च...

Read Free

चिरनिद्रा By Pranava Bharti

चिरनिद्रा ------------ डाकघर में बैठी वह अपनी निस्तेज आँखों को यूँ ही इधर उधर घुमाने लगी।युवा चेहरे कम थे, उसके जैसे भी कुछेक ही ,अधिक चेहरे बेचारगी से मुरझाए हुए से ! जैसे...

Read Free

प्रेम का बलिदान By Jyoti Prakash Rai

किसी चीज का त्याग कर देना कितना कठिन होता है यह अंदाजा लगा पाना बहुत ही मुश्किल होता है। यदि अपनी भाषा में कहू तो यह असंभव है और यदि त्याग अपने प्रेम का हो तो फिर हृदय हर पीड़ा को...

Read Free

अंत By डिम्पल गौड़

अंत संकरे रास्ते से होते हुए आखिर मैं पहुँच ही गया उस जगह जिसे आम भाषा में बदनाम बस्ती कहा जाता है।टूटी- फूटी बदरंगी दीवारों से भी बदरंग था वहाँ बसने वालों का जीवन।एक छोटे से मकान...

Read Free

पापा का वो आखिरी ख़त By Kalyan Singh

वह पापा का आखिरी ख़त था जिसमें प्रिय रवि , शुभार्शीवाद तुम्हारा पत्र मिला पढ़कर बहुत प्रसनन्ता हुई यह जानकर कि तुमने अपना घर ले लिया और...

Read Free

परीक्षायें By Chaya Agarwal

कहानी -परीक्षायें छम..छम..छम..करती बिरजू के रिक्शे की आवाज दूर से सुनाई दे जाती है, जैसे वो कोई रिक्शा न होकर बैलगाड़ी की बैल हो। सजी-संवरी, साफ-सुथरी, नकली फूलों की लड़ियों से महकती...

Read Free

भई यह दुनिया है दुनिया By Husn Tabassum nihan

भई यह दुनिया है दुनिया सुभान भाई के घर से अलस्सुबह सयास ही दहाड़ मारू रूदन का सोता फूट पड़ा तो मोहल्ले वाले जान छोड़ कर दौड़े- ‘‘...क्या हुआ...क्या हुआ....?‘‘ ‘‘...सुभान भाई निकल लिए।‘...

Read Free

ताई की बुनाई By Deepak sharma

ताई की बुनाई गेंद का पहला टप्पा मेरी कक्षा अध्यापिका ने खिलाया था| उस दिन मेरा जन्मदिन रहा| तेरहवां| कक्षा के बच्चों को मिठाई बांटने की आज्ञा लेने मैं अपनी अध्यापिका के पास गया तो...

Read Free

ईस्ट इंडिया कम्पनी By PANKAJ SUBEER

ईस्ट इंडिया कम्पनी (कहानी - पंकज सुबीर) वे कुल जमा नौ थे, इसमें अगर दो बच्चों को भी जोड़ दिया जाए तो कुल संख्या ग्यारह हो जाती है। हालांकि वैसे तो रेल का सामान्य श्रेणी का पूरा डब्...

Read Free

22 वां घर राजमहल By Neelima Sharrma Nivia

२२ वां घर / राजमहल नीलिमा शर्मा आप सबको मेरा प्रणाम | बहुत दिन से आप मूड्स ऑफ़ लॉकडाउन की कहानियाँ पढ़ रहे हैं और मैं ख़ामोशी से इन सब कहानियों को घटित होते देख रहा हूँ | अगर आप...

Read Free

स्वीच ऑफ By विनीता परमार

कैंटीन से ठहाकों की गूँज सुनाई दे रही है । वैसे आमतौर पर यहाँ गहरी उदासी ही पसरी रहती है । यहाँ बिकनेवाली सारी चीजों को पता है कि बिकना है क्योंकि ये बेशर्म पेट मानता ही नहीं । अस्...

Read Free

कोपभवन By Renu Yadav

“चार दिन से घर में चूल्हा नाहीं जला, बच्चे भूख से बिलबिला रहे हैं । उ तो रामनयना क माई खाना दे जात है त बच्चे आपन परान जियावत हैं । जी कुफूत में पड़ा है कवन पकाये और कवन खाये... जै...

Read Free

आँसरिंग मशीन By PANKAJ SUBEER

आँसरिंग मशीन (कहानी - पंकज सुबीर) ‘‘घिन आती है मुझे इन सबसे’’ सुदीप का स्वर काफी हिकारत से भरा हुआ था। ‘‘क्यों ...? इसमें घिन की क्या बात है, आजकल कुल मिलाकर केवल एक ही दौड़ है, आइ...

Read Free

फिरोजी रेखाओं के नीड़ By Husn Tabassum nihan

फिरोजी रेखाओं के नीड़ प्रेम हमेशा स्थिर नहीं रहता। यह चंद्रमाओं की कलाओं की तरह घटता रहता है...बढ़ता रहता है। ‘‘ बादल, वो देखो दूर क्षितिज पर झुका जा रहा है पीला आसमां....धरती को आलि...

Read Free

मुमताज़ By मालिनी गौतम

मुमताज “सादिक”......मालिशवाली बाई मुमताज़ की बारीक और तीखी-सी आवाज़ ओटले के खुले हुए दरवाज़े पर गूँजी । उस आवाज़ को सुनते ही बगीचे की नर्म धूप में अपने पालने में लेटा पाँच महीने का सात...

Read Free

गुच्चू गरिया By Mahendra Bhishma

गुच्चू गरिया गुच्चू मेरे ननिहाल के पास के गाँव गरिया का रहने वाला था। बचपन के उन दिनों में जब मैं ग्रीष्म की लंबी छुट्टियों में या दशहरा दिवाली या मकर संक्रांति के अवकाश में अपने न...

Read Free