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Kirti kashyap

Kirti kashyap

@kirtimaheshkashyap939064


"यादें और तन्हाई"

याद उसकी आती रही रात भर,
दिल मेरा दुखाती रही रात भर!

हर-सू चांदनी, ये बारिश की बूँदे
रह-रह कर सताती रही रात भर!

उसके और मेरे प्यार भरे गीत, नग्मे,
मै तन्हा गुनगुनाती रही रात भर!

वो काज़िब, उसकी बेवफाई के किस्से,
इस चाँद को सुनाती रही रात भर!

खलिश, बेचैनी, टूटे ख्वाब, तड़प,
मै दर्द मे कराहती रही रात भर!

बेदर्द का नाम वरक-ए-दिल पर मै,
लिख-लिख के मिटाती रही रात भर!

क्या सोचा था, क्या हुआ, सोचकर,
चश्म तकिया भिगोती रही रात भर!

"कीर्ति" अकेली नही थी इस दर्द मे,
ये तन्हाई साथ रोती रही रात भर!

Kirti Kashyap_"एक शायरा"✍️

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वो मुद्दतों से मुन्तज़िर थे एक पयाम-ए-शाद के,
इसलिए मैंने अपनी पयाम-ए-रिहलत भेज दी।

Kirti Kashyap "एक शायरा"✍️


पयाम-ए-शाद = अच्छी खबर
पयाम-ए-रिहलत = मौत की खबर
- Kirti kashyap

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तुम पर नज़्म, गीत, कविता, बताओ क्या लिखूँ?
तुम्हे खुदा की रहमत से मिला "ख़िताब" लिखूँ ?

तुम्हारे आने से रोशन हुए है दिन-रात मेरे,
तुम्हे मश'अल-ए-महताब लिखूँ या "आफताब" लिखूँ?

कभी-कभी तसव्वुर से लगते हो तुम मुझे,
तुम्हे हकीकत लिखूँ या फिर एक "ख्वाब" लिखूँ?

सफर-ए-जिंदगी मे तुम्हारा यूँ शामिल होना,
इसे साज़िश लिखूँ या महज़ "इत्तेफाक" लिखूँ?

तुम आए तो बहारो ने लुटाई है खुशबू,
तुम्हे गुलिस्तां मे खिला हुआ "गुलाब" लिखूँ?

मालूम है इश्क़ रुहानी और इरादे पाक है तुम्हारे,
तुम्हारी अश्रन्-ए-सोज-ए-मोहब्बत "बेहिसाब" लिखूँ?

जो ढूंढ रहे हो मालूम है मुझे उलझन तुम्हारी,
तुम्हारे लबों पर सजे हर सवालों के "जवाब" लिखूँ?

चश्म-ए-नम मुस्कुराती है याद मे भी तुम्हारी,
चलो जनाब अब तुम पर इक "इताब" लिखूँ?

तुम्हारा चेहरा खुद मे ही एक मुक़म्मल ग़ज़ल है,
"कीर्ति" सोच रही है तुम पर कोई "किताब" लिखूँ।

Kirti Kashyap "एक शायरा"✍️


मश'अल-ए-महताब = चाँद की रोशनी
आफताब = सूर्य, प्रकाश,
तसव्वुर = कल्पना
अश्रन्-ए-सोज-ए-मोहब्बत = "मोहब्बत के दर्द से निकले आँसू", "प्रेम की जलन/दर्द में बहते आँसू"
चश्म = आँखे
इताब = नाराजगी, गुस्सा

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ये कहकशाँ, ये टिमटिमाते सितारे, और ये मश'अल-ए-महताब,
रात भर अपलक जागती आँखें और उनमे कुछ अधूरे से ख्वाब।

रंज-ओ-गम सब दफ़न कर लिए इस दिल के तहखाने में मैंने,
मीठी सी मुस्कुराहट है लबों पर, बेशक है ये चश्म-ए-पुर-आब।

- Kirti Kashyap "एक शायरा"✍️

मश'अल-ए-महताब = चाँद की चांदनी
रंज-ओ-गम = दुख और दर्द
चश्म-ए-पुर-आब = आँसू से भरी आँखें

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"उन गज़ल सी आँखों मे पढ़ी मैने वो तहरीर कैसे लिखूँ,
अपनी दिलकश सी तख़्य्यूल की ताबीर कैसे लिखूँ"।


- Kirti kashyap "एक शायरा"_✍️

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"मै ही काश हूँ"

मै मोहब्बत, मै ही आस हूँ।
किसी की धड़कन, किसी की साँस हूँ।

मै जन्म-ओ-जन्म की प्यास हूँ।
मगर चलती-फिरती इक लाश हूँ।

मै अदना, मै ही ख़ास हूँ।
है कई खफ़ा, किसी को रास हूँ।

मै गमों का ज़िन्दा एहसास हूँ।
मै तन्हाइयों का सुर्ख लिबास हूँ।

मै मंज़िल-ए-राही, मै ही तलाश हूँ।
किसी की रंज, किसी की अरदास हूँ।

मै हासिल नही मगर सबके पास हूँ।
किसी की खुशी, किसी के लबों की मिठास हूँ।

मै मशहूर "कीर्ति" ख्यालों का उल्लास हूँ।
मै आह, उफ्फ, मै ही काश हूँ।


"मोहब्बत, तन्हाई, तलाश और खुद से एक सवाल।
ये ग़ज़ल सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं, मेरी पहचान की परछाईं है।

उम्मीद है मेरी ये ग़ज़ल आपके दिल से गुज़रेगी...

Kirti Kashyap "एक शायरा"✍️

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