Ashvdhaama: Ek yug purush - 4 in Hindi Science-Fiction by bhagwat singh naruka books and stories PDF | Ashvdhaama: एक युग पुरुष - 4

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Ashvdhaama: एक युग पुरुष - 4



. दिल्ली के ऊपर हल्की बारिश की बूंदें गिर रही थीं. सडकों पर पीली रोशनी फैल रही थी. लेकिन ISAR के वैज्ञानिक ब्लॉक की एक खिडकी अभी भी चमक रही थी—वहीं खिडकी जहाँ से भारत का सबसे अनोखा वैज्ञानिकरात- दिन पुराणों और विज्ञान की टकराहट में उलझा रहता था. डॉ. योगेश्वर अग्निवंश, एक ऐसा नाम जो कई लोगों के लिए सिर्फ ‘पागल वैज्ञानिक’ था, लेकिन उसके नाम कई महत्वपूर्ण कार्य थे जिनकी सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता था. परंतु इतिहास के हर पन्ने में चिंगारी ढूँढने वाला आदमी. अचानक से इस तरह बदल गया इसके पीछे का कारण कोई नहीं समझ सकाआज उसकी आँखों में पहले से कुछ अलग चमक थी. वह अपनी गुप्त लेब में बैठा, हिमालय से मिले“ अननोन एनर्जी सिग्नेचर” को बडे स्क्रीन पर देख रहा था. कंप्यूटर ने फिर धीमी आवाज में कहा—(काल्पनिक कोड)Signal Reappeared. Location locked. Intensity rising. योगेश्वर की साँसें तेज हो गईं. इतनी स्थिर ऊर्जा. मानव शरीर तो क्या, आधुनिक मशीनें भी ऐसी स्थिरता पैदा नहीं कर सकती. मुझे बार बार ये क्यों आभास हो रहा है कि ये वही है जो वर्षों की मेरी खोज है, लेकिन जब तक सच्चाई से सामना नहीं होगा तब तक कहना मुश्किल है. उसने एक पुरानी पांडुलिपि उठाई—शांति पर्व – महाभारत. वह उस पन्ने पर रुका जहाँ कृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया था. वहीं एक लाइन उसने लाल मार्कर से घेर रखी थी—‘वह पृथ्वी पर अमरत्व का बोझ उठाएगा. परंतु उसका घाव युगों तक ऊर्जा छोडता रहेगा. ’ उसका उत्थान मात्र कल्कि अवतार से होगा, जो शायद साधारण सा दिखने वाला पुरुष ही क्यों ना हो, उसकी आँखें फैल गईं. घाव ऊर्जा छोडता है. और यदि वही ऊर्जा हिमालय में सक्रिय हुई है. तो इसका मतलब—अश्वत्थामा कहीं पास है. वह जीवित है. उसकी उंगलियाँ काँपती रहीं. लेकिन सवाल ये भी है कि कल्कि अवतार जो आयेगा वो कैसा होगा, कैसे पहचान की जाए उसकी, क्योंकि us तक कल्कि अवतार से ही पहुंचना संभव है. पहले मुझे कल्कि अवतार को जानना जरूरी हो जाता है. दूसरी ओर – हिमालय का घना जंगलघने बादलों से ढका आसमान. ऊँचे- ऊँचे देवदार, चीड के पेड. तारों से रहित रात. चारों ओर सिर्फ हवाओं का शोर. एक बूढा, विशालकाय शरीरजंगल में धीरे- धीरे चलता हुआ आगे बढ रहा था. वह था—युग पुरुष, उसकी पीठ पर बंधा पुराना शस्त्र, कंधों पर हजारों वर्षों का बोझ, और आँखों में अनंत काल का अंधेरा. लंबी लंबी जटाएं लंबे बाल ओर एक मजबूत शरीर जिसकी लंबाई बारह से पंद्रह फिट. जैसे ही वह एक चट्टान पर चढा, उसके माथे का घाव एकदम चमक उठा. ऐसा प्रतीत हुआ जैसे किसी ने उसका नाम लिया हो. किसने मुझे छुआ. उसने आकाश की ओर देखा. हवा थम गई. जंगल शांत हो गया. उसने धीरे से कहा—कोई है. जो मुझे ढूँढ रहा है. फिर से वही सवाल खुद से दोहराता हुआ ओर आसमान की तरफ देखता रहा. उसके अंदर गहरा तनाव उठा. वह कोई साधारण इंसान नहीं था, वह हजारों वर्षों की यातना से कठोर हो चुका था. उसने हाथ बढाकर एक पत्थर पर अंगुली घुमाई. पत्थर पिघल- सा गया. यही थी उसकी शक्ति—चक्र का संतुलन बिगाडने वाली शक्ति. जिसने मुझे छूने की कोशिश की है, वह या तो बहुत साहसी है. या मूर्ख. उसकी आवाज में करुणा नहीं, केवल थकान थी. योगेश्वर अग्निवंश की जिन्दगीअगली सुबह. सूरज की रोशनी खिडकी से घुसकरछोटे से घर में फैल रही थी. ओजस अपने बैग की चेन लगा रहा था. पत्नी आयुषी रसोई में नाश्ता रख रही थी. योगेश, तुम पूरी रात जागे हो ना? उसने चिंता से पूछा. योगेश्वर ने कप उठाया—नींद बाद में. एक बडा रहस्य खुलने वाला है, आयुषी. इतिहास. खुद को दोहराने वाला है. मेरी नींद मायने नहीं रखती है आयुषी मायने रखता है कि इतिहास जिसको लोग सदियों तक याद रखेंगे. आयुषी ने आह भरी. इतिहास से पहले अपना खुद का घर संभालो. ओजस का स्कूल शुरू होने वाला है. ओजस उत्सुक होकर बोला—पापा! क्या आज आप अपनी गुप्त रिसर्च दिखाएँगे? जिसमें कोई बहुत पुराना योद्धा है? योगेश्वर मुस्कुरा दिया. जल्दी ही दिखाऊँगा, बेटा. लेकिन याद रखना—जिसे मैं ढूँढ रहा हूँ, वह दुनिया का सबसे अद्भुत इंसान है. और सबसे खतरनाक भी. बस इंतजार है उस समय का, अभी तुम पढाई पर ध्यान दो. ओजस की आँखें चमक उठीं. जैसे सुपरहीरो? योगेश्वर ने सिर हिलाया—नहीं बेटे. वह सुपरहीरो नहीं. वह इतिहास का सबसे अकेला आदमी है. युग पुरुष हैआयुषी ने चुपचाप पति को देखा—उसे डर था कि कहीं यह खोज उन्हें किसी खतरे में न डाल दे. आयुषी: अपनी तरह अपने बच्चे को भी उसी काल्पनिक दुनिया के सपने मत दिखाओ योग, अभी उसकी पढाई की उम्र है इन चीजों में उसका दिमाग डिस्टर्ब होता है. ओर ये घर है कभी कभी लगता है ये घर नहीं कोई लेब है जिस में हमे बनाया गया है. प्लीज घर पर इन बातों को मत किया करो, दोपहर होते- होते ISAR की लैब में अफरा- तफरी मच चुकी थी. सर! यह देखिए! हेमंत दौडता हुआ आया. स्क्रीन पर एक ग्राफ दिखाई दिया—एक असामान्य ऊर्जा वेव जो लगातार तेज हो रही थी. यह पृथ्वी की किसी मशीन का सिग्नल नहीं, हेमंत ने कहा, इसका पैटर्न बिल्कुल जैविक है. लेकिन इतना शक्तिशाली कोई जीव कैसे हो सकता है? योगेश्वर के चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान फैल गई. आखिरकार. तुम भी समझने लगे. मै ना कहता था कि ये वही है जिसकी मुझे तलाश थी, खैर तुम इसी तरह मेरा साथ दोगे तो तुम्हे अवश्य मिला दूंगा, दुनिया दिखेगी हमारे नए रिसर्च को. हेमंत ने घबराकर पूछा—सर, क्या आप यह कहना चाहते हैं कि. यह वही व्यक्ति है जिसकी आप दस वर्षों से रिसर्च कर रहे हैं? योगेश्वर ने हाँ में सिर हिलाया. अश्वत्थामा. महाभारत काल का योद्धा जिसके चर्च चाहे महाभारत के युद्ध से पहले कम रहे थे लेकिन युद्ध के मैदान में उसने युद्ध के नियम ही बदल दिए. सब सन्न. एक महिला वैज्ञानिक बोली—सर, यह सिर्फ पौराणिक कथाएँ हैं. इतना शक्तिशाली जीव—हम कैसे मान लें कि वह जीवित हो सकता है? ओर कैसे? योगेश्वर ने धीरे- धीरे जवाब दिया—क्योंकि मेरे पास सबूत हैं. रक्त का नमूना. ऊर्जा पैटर्न. महाभारत के संदर्भ. इतिहास के गहरे रहस्य. सब एक ही दिशा में इशारा करते हैं. महिला वैज्ञानिक बोली_ आपकी बात सही, मान लेते है लेकिन ऐसा भी तो हो सकता है आप जो महसूस कर रहे है वो आपके दिमाग का भ्रम हो, क्योंकि कई बार ऐसा भी होता है कि हमारा दिमाग जिस चीज के बारे में जायदा सोचता है तो उसके दिमाग में वहीं विचार वही सोच छवि बना लेती है जैसा कि आपको को लग रहा है, वह जोर से बोला—अश्वत्थामा जीवित है. और वह कहीं हिमालय में है. मेरी रिसर्च कभी गलत नहीं हो सकती है, तुमने तो हमारे भारत के पुराणों पर उंगली उठा दी है, अगर तुम गीता महाभारत या पुराण पढती तो तुम्हे पता होता कि, इतिहास क्या है क्या है भारत, आज हमारा भारत का विज्ञान की नींव भी हमारे पुराणों पर रखी गई है जिसका लोहा सारे देशों के वैज्ञानिक मानते है, ये सौरमंड ये तारे ऊपर जितने ग्रह है वो सब का जिक्र हमारे पुराणों में है वरना हमें ओर तुम्हे कैसे पता होता कि ऊपर भी चन्द्र के अलावा कोई ओर ग्रह है. लैब में सन्नाटा छा गया. पर पहली बार कुछ चेहरों पर विश्वास की हल्की चिंगारी जली. जगह: घररात होते ही योगेश्वर फिर अपनी गुप्त भूमिगत लेब में था. स्क्रीन पर ऊर्जा लहरों का नक्शा धीरे- धीरे बढ रहा था. इतनी तेज गतिविधि. उसने खुद से कहा, यह सामान्य नहीं. यह मानो किसी जगे हुए दैत्य की साँसें हों. फिर उसने पुराणों की पुस्तक खोली और पढा—‘कलियुग के अंत मेंअश्वत्थामा पुनः सक्रिय होगाऔर उसका घाव जगमगाएगा. ’यही उसकी पहचान होगी उसके माथे से बहता हुआ रक्त उसकी असली पहचान है. उसके चेहरे पर पसीना छलक आया. तो. कल्कि का युग भी निकट है? या उसका जन्म हो चुका ये तभी संभव है जब कल्कि अवतार हो चुका हो वरना इतने सालों से क्यों ऐसा नहीं हुआ. वह कुर्सी पर बैठ गया. हाथ काँप रहे थे. दिल तेज धडक रहा था. क्या मैं. इतिहास बदलने वाला हूँ? अगर ऐसा है तो फिर कोई दूसरी ताकत जरूर होगी जो इस दिन का इंतजार कर रहा होगा, क्योंकि सत्य जहां होता है वहां पर बुराई जरूर होगी इस लिए उससे पहले बुरी ताकते उस तक पहुंचे मुझे उसे ढूंढ निकालना है. अचानक स्क्रीन पर एक नई चेतावनी आई—(काल्पनिक कोड)Energy SpikeHimalayan Point# सातProximity Alertयोगेश्वर खडे होते ही लडखडा गया. उसने स्क्रीन पर डेटा देखा और डर गया—मानो कोई. इंसान नहीं. बल्कि कोई युग जाग रहा था. वहीं दूसरी तरह_ अश्वत्थामा एक पहाडी झरने के पास खडा था. उसके माथे का घाव जलने लगा. चमक बढती गई. उसने जमीन पर हाथ रखा—धरती काँपने लगी. घास जलने लगी, दो तीन दिन से उसको ये अचानक से होने वाली घटना परेशान किए जा रही थी उसको भी इंतजार था उस सच्चाई को जानना की आखिर ऐसी कौन सी शक्ति है जो उसे बुला रही है. उसने आँखें बंद कीं—और दूर कहीं. मानो उसे किसी की पुकार सुनाई दी. एक आवाज. रहस्यमयी. गंभीर. बिल्कुल उसके रक्त से संबंधी हो, उसे खींच रही थी, Ashvathama. I know you exist. अश्वत्थामा चौंक गया. उसने आकाश की ओर देखा. कौन है. जो मुझे खोज रहा है? बार बार क्यों परेशान कर रहा है मुझे क्यों, वह गुर्राया—विज्ञान ने पुराण को छू लिया है. कही यही तो नहीं वो जिससे मेरा उद्धार होगा, लेकिन तुम कहा हो, मुझे अपना स्थान बताओ, उसने हवा में हाथ घुमाया—ऊर्जा की हल्की तरंग उठी. अगर विज्ञान ने मेरी दुनिया में कदम रखा. तो अब युद्ध टल नहीं सकता. बुरी ताकते भी उसके पीछे जरूर आएगी. दिल्ली में स्क्रीन चमकी—Unknown Entity DetectedDirectly looking backEnergy Lock On YOUयोगेश्वर काँप गया. यह. यह असंभव है. क्या वह. मुझे देख रहा है? मुझे अपनी जगह स्थान बताओ, और हजारों किलोमीटर दूरअश्वत्थामा की आँखें लाल चमक उठीं—मैं आ रहा हूँ. जिसने मुझे जगाया है, उससे मिलना जरूरी है. यही मेरे लिए ओर मेरे बुरे कार्यों के परिणाम के लिए सही होगा. ।
” दिल्ली की रात शांत थी, पर ISAR के स्पेशल सर्वेलेंस Room में तेज अलार्म बज उठा. एक लाल रोशनी टिमटिमा रही थी. डिजिटल मैप पर हिमालय का एक बिंदु लगातार चमक रहा था. Unidentified Entity Tracking Back. ऑपरेटर घबरा गया. सर. जो भी वहाँ है. वह हमारे सिस्टम को स्कैन कर रहा है! कमरे में senior officer रथौड घुसा—क्या मतलब है? कोई इंसान हमारे सिस्टम को हेक कर रहा है? ऑपरेटर बोला—नहीं सर. यह न तो हैकिंग है, न कोई सिग्नलिंग. यह कुछ अलग ही है. जैसे कोई ऊर्जा तरंग हमें देख रही हो. रथौड चिल्लाया—ऐसी बकवास मुझे मत सुनाओ. किसी को बुलाओ जो ये समझ सके. हमारा सिस्टम में कोई छेद मारना चाहता है ओर तुम योगेश्वर अग्निवंश की तरह बहकी बहकी बाते कर रहे हो. जाओ यहां सेसब एक- दूसरे का चेहरा देखने लगे. और तभी दरवाजा खुला—अंदर आया वह व्यक्तिजिसे सभी ‘पागल’ कहते थे. डॉ. योगेश्वर अग्निवंश. वह हमें देख रहा है. ये वही है वही हैयोगेश्वर ने स्क्रीन पर नजर डाली. सिर्फ चार सेकंड में उसने स्थिति समझ ली. उसने धीरे से कहा—वह. हमारी ओर देख रहा है. कमरे में सन्नाटा छा गया. किसी को समझ नहीं आया कि ‘वह’ कौन है! रथौड भडक गया—डॉक्टर साहब, आप फिर वही पौराणिक बातें मत शुरू कर देना! तुम यहां से जा सकते हो हमको पता कैसे इससे निपटना है. अगर सारा डेटा चोरी हो गया तो कल इसका जवाब आपको नहीं मुझे देना पडेगा, प्लेज अभी अब जाइए, योगेश्वर ने बिना उसकी ओर देखे जवाब दिया—पौराणिक नहीं. वास्तविक. ये वो सच्चाई है जिसको तुम देख नहीं सकते क्योंकि तुम्हारे अंदर वो तीसरी आंख नहीं है. लेकिन मै जो देख पा रहा हु वो एक भयंकर युद्ध की चेतावनी है, जो आने वाला है. उससे यही हमे बचा सकता है क्योंकि जिस तरह से ये दुनिया जिस दिशा में जा रही है उससे एक भयंकर युद्ध होने की उम्मीद है. Himalayan Point# सात पर जो ऊर्जा दर्ज हुई है, वह किसी मानव की नहीं हो सकती. वह पैटर्न. वही है जिसे मैं बीते दस सालों से खोज रहा हूँ. और कौन- सा पैटर्न? ओर कैसा पैटन हमे तो आज तक तुम्हारी रिसर्च समझ नहीं आई. रथौड ने ताना मारा. योगेश्वर ने स्क्रीन पर एक पुरानी फाइल खोल दी—जिसमें रक्त नमूने का उच्च ऊर्जा ग्राफ दिखाई दे रहा था. यह—अश्वत्थामा के घाव से उत्सर्जित ऊर्जा का पैटर्न. ऑपरेटर ने अविश्वास से पूछा—आप कहना क्या चाहते हैं. कि वह. जीवित है? ओर है भी तो क्यों, ओर इतनी सदी तक कहा था वो. योगेश्वर धीरे से बोला—सिर्फ जीवित नहीं. जागा हुआ है. बस इंतजार में था इस दिन के वो जब कोई दिव्य शक्ति इस धरती पर जन्म लेगी ओर वो उसका साथ देगी जो आने वाला संकट है. लेकिन एक बात अभी भी मेरी समझ से परे है, अगर कल्कि अवतार जन्म ले चुका है तो क्या वो हमारे बीच है हम में से कोईऔर उसने हमें नोटिस कर लिया है. लेकिन कौन है वो दिव्य शक्तिरथौड का चेहरा पीला पड गया. उसको ये पहेली अजीब लग रही थी उसकी बाते उसके sir से ऊपर जा रही थी, एक भी बात उसको समझ नहीं आ रही थी कि वो बोल क्या रहा है ओर कहना क्या चाहता है. दूसरी ओर – हिमालय का रहस्यपहाडों की कडकडाती ठंड मेंअश्वत्थामा एक ऊँची चोटी पर खडानीचे घाटियों को देख रहा था. हवा उसके चेहरे से टकरा रही थी. लेकिन उसकी आँखें किसी दूर की चीज पर टिकी थीं. वह बुदबुदाया—जिसने मुझे ढूँढा है. उसे शक्ति की भूख नहीं. ज्ञान की प्यास है. वो हम में से एक है उसका जन्म इस इंसार के घर हुआ है. उसने जमीन पर हाथ रखा. धरती हल्का सा कांप उठी. ओर उसकी आंखों के सामने वो दृश्य दिखाई देने लगा जो हल्का धुंधला सा था, वो लेब ओर साइंटिस्ट ओर उसका परिवार उसका बच्चा. वह मुझे देख नहीं सकता, बस वो मिलना चाहता है उसको भी मेरी तलाश हैऔर मैं उसे महसूस कर सकता हु, उसके घाव से हल्की रोशनी उठी. उसने आँखें बंद कीं और फिर से ध्यान लगाकर कहा—तुम वही हो. मानव? जिसकी मुझे भी वर्षों से तलाश थीतुम मुझे छूने की कोशिश कर रहे हो? लेकिन उससे कही जायदा इंतजार मुझे है तुम से मिलने का. जैसे ही उसकी ऊर्जा बाहर निकली, हिमालय की बर्फ पर हल्की तरंगें दौड गईं. पेड- पौधे कांपने लगे. सूरज की किरणें अचानक फीकी पड गईं. एक अदृश्य शक्ति वातावरण में फैलने लगी. फिर अचानक से काले बदल आसमान में छाने लगे, उसको असुरी शक्ति भी महसूस होने लगी, कही दूर कोई ओर भी है जो असुरी शक्ति से उस तक पहुंचना चाहता है. ये अच्छा संकेत नहीं है, अच्छा नहीं है इस देव भूमि का भविष्य खतरे में है मै साफ देख सकता हु कि इतनी सदियों में कितना रक्त बहा है इस देव भूमि पर ओर बह रहा है. लेकिन अब नहीं, बिल्कुल नहीं मै आ रहा हु, सरकार की गुप्त एजेंसी – S- इक्यानवेISAR में अफरा- तफरी मच चुकी थी. रथौड ने तुरंत एक कोड उच्चरित किया—Activate S- इक्यानवे, Priority Black! कुछ ही मिनटों में काले कपडों में पाँच लोग कमरे में आ गए. ये थे S- इक्यानवे यूनिट, भारत की सबसे गुप्त और खतरनाक एजेंसी—जो उन चीजों पर काम करती थीजिन्हें आम आदमी समझ भी नहीं सकता. अंदर आते ही आगे चल रहे एक आदमी ने सभी को उंगली से बाहर जाने का आदेश दिया सभी बाहर चले गए. उनके लीडर, ऑफिसर समित चौहान ने पूछा—इश्यू क्या है? रथौड ने स्क्रीन की ओर इशारा किया—कोई. या कुछ. हमारे सिस्टम को एनर्जी वेव से स्कैन कर रहा है. समित ने योगेश्वर की ओर देखा—डॉ. अग्निवंश, आपकी थ्योरी सच लग रही है. क्या यह वही है जिसे आप ढूँढ रहे थे? योगेश्वर ने शांत स्वर में कहा—हाँ समित. यही है वो. अश्वत्थामा. वही महाभारत का योद्धासमित चौहान ओर योगेश्वर अग्निवंश दिनों इसी पर काम कर रहे थे, दोनों समय मिलने पर एक दूसरे से बाते शेयर करते थे, समित चौहान मानता था कि महाभारत युद्ध खत्म होने के बाद ऐसा कुछ हुआ था उसने गीत ओर महाभारत काल पढा था. समित ने हल्की मुस्कान दी—तो खेल शुरू हो चुका है. हमने जो सोचा था वही हो रहा है अगर ये जिंदा है ओर लौट आया है तो वो भी जरूर आ चुके है. राठौड: तुम क्या बाते कर रहे हो मेरी तो कुछ में नहीं आ रहा है. महाभारत काल रामायण ये पौराणिक कहानियां, चल क्या रहा है. (अपनी चिंता व्यक्त करता हुआ बोला )समित चौहान: सही समय आने पर तुम्हे बता दिया जाएगा क्योंकि अभी तुम सोचने समझने की स्थिति में नहीं हो. योगेश्वर तुम आज रात यही रुकोगे सिर्फ अकेले ओर कोई यहां नहीं आना चाहिए ये मेरा आदेश है. ओर तुम राठौड, तुम जल्दी जाओ और जल्दी आना जो काम कल दिया उसको पूरा करो हम सुबह यही मिलेगे. (अचानक सिगनल गायब होने लगे सभी की नजर उस पर गई )ये तो होना ही था, खैर अभी भी टाइम है हमारे पासnight शिप्ट में योगेश्वर जो भी तुम्हे जानकारी मिले मुझे तुरंत बताना, Night shift, योगेश्वर का पहला संकेतरात होते ही योगेश्वर एक अलग कमरे में गया. S- इक्यानवे वालों ने उससे कहा था कि वह अकेला रहे. क्योंकि सिस्टम लगातार असामान्य प्रतिक्रिया दे रहा था. वह एक कुर्सी पर बैठा और धीमे स्वर में बोला—अगर तुम सच में हो. तो यह मेरी आवाज जरूर सुन पाओगे. उसने माइक्रोफोन चालू कियाजो सीधे ऊर्जा लहरों में संदेश भेजता था. मैं हूँ—डॉ. योगेश्वर अग्निवंश. मैं तुम्हें खोज रहा हूँ. पूरा कमरा शांत. एक मिनट. दो मिनट. तीन मिनट. अचानक स्क्रीन झिलमिलाई. लाइटें कांपने लगीं. ऊर्जा लहरों में एक हल्की सी आवाज उभरी—. मानव. योगेश्वर उठकर खडा हो गया. उसका दिल धडक रहा था. डर और उत्साह दोनों टकरा रहे थे. फिर आवाज दूसरी बार उभरी—. क्यों. ढूँढ रहे हो. मुझे? योगेश्वर की आँखों में आँसू भर आए. उसने कंपकंपाती आवाज में कहा—क्योंकि. तुम इतिहास हो. तुम सत्य हो. और मैं. सत्य खोजने वाला. ऊर्जा फिर से कांपी. आवाज और स्पष्ट हुई—. सत्य नहीं. शाप हूँ मैं. युगों का भार हूँ मैं. योगेश्वर की साँस रुक गई. दूसरी ओर – अश्वत्थामा की प्रतिक्रियाअश्वत्थामा वहीं बैठा थाएक विशाल चट्टान के ऊपर. हवा तेज चल रही थी. उसने आँखें खोलीं—ओ मानव. तुम्हारी आवाज युगों बाद किसी तक पहुँची है. तुम निडर हो. योद्धा हो जरूर तुम्हारे पास मेरी वो वस्तु है जिसका इंतजार में युगों से कर रहा हु. फिर अचानक वह गुस्से में गुर्राया—लेकिन सावधान रहना. मेरे पास मत आना. मैं न दोस्त हूँ. न दुश्मन. मैं सिर्फ. श्राप हूँ. उसके घाव से तीखी रोशनी निकली. आकाश में बिजली कडकी. जंगल हिलने लगा. योगेश्वर और अश्वत्थामा का पहला सीधा संपर्कISAR में कंप्यूटर अचानक बंद हो गया. सभी स्क्रीन काली. सभी उपकरण बंद. पूरा सिस्टम एकदम मौन. फिर. एक ही स्क्रीन पर सिर्फ एक लाइन चमकी—तुम कौन हो, मानव? सही से परिचय दो जिससे मेरे उभरे घाव में राहत मिले, या फिर मेरे सवालों के सही जवाब दो, अगर ऐसा करते हो तो तुम यकीनन वही हो. इस लाइन के नीचेएक हाथ का बना हुआ प्रतीक उभरा—महाभारत के युग का पुराना निशान. पूरे कमरे में सन्नाटा. कोई कुछ बोल नहीं पा रहा था. योगेश्वर आगे बढा और स्क्रीन को छू लिया—मैं. वही हूँ जो तुम्हें समझना चाहता है. तुम्हारा दर्द. तुम्हारा श्राप. तुम्हारी कहानी. और तभी स्क्रीन हिल गई. एक नई लाइन उभरी—कहानी नहीं. चेतावनी हूँ मैं. मेरे पास आने की कोशिश मत करना. अभी भी मेरा सवाल है,

(योगेश्वर अग्निवंश ने उससे सवाल रखने को बोले दोनों के बीच महाभारत काल के संबंधिक सवाल जवाब हुए )