The Professor in Hindi Detective stories by bekhbar books and stories PDF | The Professor

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The Professor

अध्याय 1: मैकियावेली और एक ठंडी चाय

स्थान: दिल्ली यूनिवर्सिटी, नॉर्थ कैंपस
समय: सुबह के 10:00 बजे (दिसंबर की धुंध भरी सुबह)
लेक्चर हॉल खचाखच भरा था। खिड़कियों से छनकर आती हुई सर्दियों की धूप पुरानी लकड़ी की मेजों पर गिर रही थी, लेकिन छात्रों का ध्यान सिर्फ ब्लैकबोर्ड पर लिखे एक शब्द पर था—'POWER' (शक्ति)।
प्रोफेसर अहान कश्यप ने अपनी जैकेट की आस्तीन ऊपर चढ़ाई और क्लास की ओर घूमे। उनकी उम्र 35 के आसपास रही होगी, आंखों में एक ऐसी चमक जो या तो बहुत ज्यादा पढ़ने से आती है या बहुत ज्यादा न सोने से।
"निकोलस मैकियावेली ने कहा था," अहान की आवाज हॉल के कोने-कोने तक गूंज उठी, "कि अगर आपको प्रेम और भय में से किसी एक को चुनना हो, तो भय (Fear) को चुनना ज्यादा सुरक्षित है। प्रेम एक कच्चा धागा है जो स्वार्थ आते ही टूट जाता है, लेकिन भय... भय सजा के डर से बना रहता है, जो कभी विफल नहीं होता।"
पूरी क्लास शांत थी। अहान एक छात्र की मेज के पास जाकर रुके।
"मिस्टर रोहन, अगर आपको आज इस यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर बना दिया जाए, और आपके पास दो रास्ते हों—छात्रों की भलाई या अपनी कुर्सी बचाना... आप क्या चुनेंगे?"
रोहन सकपका गया। "सर... छात्रों की भलाई?"
अहान हल्का सा मुस्कुराए, एक ऐसी मुस्कान जो दयालु भी थी और व्यंग्यात्मक भी। "गलत जवाब। अगर कुर्सी ही नहीं रहेगी, तो भलाई किसकी करोगे? राजनीति विज्ञान का पहला नियम—Survival (अस्तित्व बचाना)।"
तभी अहान की जेब में रखा फोन वाइब्रेट हुआ। उन्होंने अनदेखा करना चाहा, लेकिन स्क्रीन पर नाम देखकर उनकी भौहें तन गईं—DCP राठौर। राठौर उन्हें क्लास के बीच में कभी फोन नहीं करते थे।
अहान ने क्लास की तरफ देखा। "आज का असाइनमेंट—पता लगाइए कि 1975 में लोकतंत्र 'मरा' था या सिर्फ 'बेहोश' हुआ था। क्लास डिसमिस्ड।"
आधे घंटे बाद, अहान पुरानी लाइब्रेरी की इमारत के बाहर खड़े थे। वहां पीली पुलिस टेप लगी थी। कोहरे के बीच नीली बत्तियां चमक रही थीं।
DCP राठौर, एक भारी-भरकम आदमी जो अपनी वर्दी से ज्यादा थके हुए लग रहे थे, अहान के पास आए।
"प्रोफेसर, मुझे खेद है। हमें तुम्हें यहाँ नहीं बुलाना चाहिए था, लेकिन..."
"प्रोफेसर शास्त्री?" अहान ने सीधे पूछा। आवाज सपाट थी, लेकिन मुट्ठियाँ कस गई थीं।
"हाँ। सुबह सफाई वाले ने उन्हें पाया। हार्ट अटैक लगता है। उम्र 68 थी, हो जाता है..." राठौर ने सिगरेट जलाते हुए कहा।
अहान ने पुलिस टेप को उठाया और नीचे से निकलकर अंदर चले गए। "शास्त्री सर का दिल 20 साल के लड़के से ज्यादा मजबूत था, राठौर। उन्हें हार्ट अटैक नहीं आ सकता।"
लाइब्रेरी के अंदर पुरानी किताबों और पाइप तंबाकू की महक थी—शास्त्री सर की पहचान। वे अपनी पसंदीदा कुर्सी पर लुढ़के हुए थे। मेज पर एक ठंडी हो चुकी चाय की प्याली रखी थी।
अहान ने लाश की तरफ नहीं देखा। उनकी नजर कमरे पर थी। एक जासूस की नजर।
"फोरेंसिक टीम ने कहा है कि शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं हैं," राठौर ने पीछे से कहा। "यह नेचुरल डेथ है अहान, इसे साज़िश बनाना बंद करो।"
अहान मेज के पास गए। वहां एक किताब खुली पड़ी थी।
"How Democracies Die" (लोकतंत्र कैसे मरते हैं)।
अहान ने अपनी जेब से रूमाल निकाला और किताब के पास झुके।
"राठौर, प्रोफेसर शास्त्री जब भी कोई किताब पढ़ते थे, तो पेज मार्क करने के लिए लाल रिबन का इस्तेमाल करते थे। वे कभी भी किताब को ऐसे ओंधे मुंह (face down) खुली नहीं छोड़ते थे। यह रीढ़ (spine) तोड़ देता है। वे किताबों से अपनी जान से ज्यादा प्यार करते थे।"
अहान ने चाय की प्याली को गौर से देखा। प्याली का हैंडल बाईं (Left) तरफ था।
"और सबसे बड़ी बात... शास्त्री सर 'Right-handed' (दाहिने हाथ वाले) थे। उन्होंने चाय का कप अपने बाएं हाथ की तरफ क्यों रखा होगा?"
कमरे में सन्नाटा छा गया। राठौर ने अपनी सिगरेट नीचे गिरा दी और उसे जूते से मसल दिया। "तुम्हारा मतलब है..."
अहान ने किताब को बहुत सावधानी से उठाया। जिस पन्ने पर वह खुली थी, वहां पेन से एक शब्द को अंडरलाइन (Underline) किया गया था, लेकिन स्याही इतनी हल्की थी कि नंगी आंखों से मुश्किल से दिख रही थी।
शब्द था—'COUP' (तख्तापलट)।
अहान ने राठौर की आंखों में देखा। उनकी प्रोफेसर वाली मुस्कान गायब हो चुकी थी।
"यह हार्ट अटैक नहीं है, राठौर। यह एक संदेश है। और यह क्लास... अभी शुरू हुई है।"


अध्याय 2: लेविथान की छाया (Shadow of the Leviathan)

स्थान: एम्स (AIIMS) का मुर्दाघर (Morgue)
समय: रात के 11:30 बजे
मुर्दाघर की हवा में फॉर्मेलिन और मौत की ठंडी गंध थी। स्टेनलेस स्टील की टेबल पर प्रोफेसर शास्त्री का शरीर एक सफेद चादर से ढका हुआ था।
फोरेंसिक एक्सपर्ट, डॉ. इरावत, ने अपने रबर के दस्ताने उतारते हुए DCP राठौर और अहान की ओर देखा।
"रिपोर्ट अभी टाइप हो रही है, लेकिन राठौर... तुम्हारा प्रोफेसर दोस्त सही था। यह नेचुरल डेथ नहीं है।"
राठौर की आंखें फैल गईं। "लेकिन तुम तो कह रहे थे कि हार्ट अटैक है?"
"यह हार्ट अटैक ही है," डॉ. इरावत ने कहा, "लेकिन प्राकृतिक नहीं, 'इन्ड्यूस्ड' (Induced)। यानी जबरदस्ती लाया गया हार्ट अटैक।"
अहान, जो अब तक दीवार से टेक लगाकर खड़ा था, आगे आया। "पोटैशियम क्लोराइड (Potassium Chloride)?" उसने धीमी आवाज़ में पूछा।
डॉ. इरावत ने अहान को हैरानी से देखा। "बिल्कुल सही। एक बहुत ही बारीक सुई का इस्तेमाल किया गया—सीधे पैरों की उंगलियों के बीच (between the toes)। वहां की त्वचा इतनी पतली होती है कि सुई का निशान नंगी आंखों से नहीं दिखता। यह जहर खून में मिलते ही दिल को रोक देता है और आधे घंटे के अंदर शरीर से गायब हो जाता है। अगर हम खास टॉक्सिकोलॉजी टेस्ट न करते, तो यह कभी पकड़ में नहीं आता।"
अहान ने एक गहरी सांस ली। "यह किसी सड़क छाप अपराधी का काम नहीं है, राठौर। पोटैशियम क्लोराइड का सही डोज़ देना... यह 'Statecraft' (राज्य-कला) है। यह एक प्रोफेशनल हिट है।"
राठौर ने गुस्से में दीवार पर मुक्का मारा। "लेकिन क्यों? एक 68 साल के बूढ़े प्रोफेसर को मारने के लिए कोई प्रोफेशनल हत्यारा क्यों भेजेगा?"
"क्योंकि," अहान ने शास्त्री सर के ठंडे पड़े चेहरे को देखते हुए कहा, "प्रोफेसर सिर्फ किताबें नहीं पढ़ते थे, वे पैटर्न (Patterns) पढ़ते थे।"
तभी अहान के दिमाग में एक फ्लैशबैक (Flashback) कौंध गया।
(फ्लैशबैक: 48 घंटे पहले - यूनिवर्सिटी गार्डन)
अहान और प्रोफेसर शास्त्री बेंच पर बैठे थे। शास्त्री सर के हाथ में मूंगफली का एक पैकेट था, लेकिन वे खा नहीं रहे थे। वे परेशान लग रहे थे।
"अहान," शास्त्री सर ने अचानक कहा था, "क्या तुमने कभी 'Deep State' (गहरा राज्य) के बारे में सोचा है?"
अहान हंसा था। "सर, यह सब तो अमेरिकी साज़िशों की बातें हैं। भारत में ब्यूरोक्रेसी सुस्त है, डीप स्टेट बनने के लिए बहुत ज्यादा एफिशिएंसी चाहिए।"
शास्त्री सर हंसे नहीं थे। उन्होंने अहान का हाथ पकड़ा था। उनकी पकड़ में एक डर था।
"तुम गलत हो, अहान। मैंने कुछ देखा है। यूनिवर्सिटी के फंड्स... स्टूडेंट यूनियन के इलेक्शन... और एक विदेशी थिंक-टैंक। यह सब जुड़ा हुआ है। वे लोग सरकार नहीं गिराना चाहते, वे 'भरोसा' (Trust) गिराना चाहते हैं। अगर जनता का सिस्टम से भरोसा उठ जाए, तो देश अपने आप गिर जाता है।"
"कौन लोग सर?" अहान ने गंभीरता से पूछा था।
"मैं अभी नाम नहीं ले सकता। मुझे एक डायरी मिली है। उसमें सबूत हैं। अगर मुझे कुछ हो जाए..." शास्त्री सर ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी थी और फिर विषय बदल दिया था।
(वर्तमान - वापस मुर्दाघर में)
"अहान! कहाँ खो गए?" राठौर की आवाज़ ने उसे वर्तमान में खींचा।
"राठौर, मुझे उनका सामान चाहिए। जो उनकी जेब से मिला था।"
राठौर ने एक प्लास्टिक बैग अहान को दिया। उसमें एक पुराना चश्मा, एक पेन, कुछ सिक्के और एक छोटी सी काले रंग की पॉकेट डायरी थी।
अहान ने डायरी निकाली। पन्ने खाली थे, सिवाय आखिरी पन्ने के। वहां कोई फोन नंबर या पता नहीं था, सिर्फ एक अजीब सी लाइन लिखी थी:
"Leviathan | XIII | 42 | The Wolf"
राठौर ने झांककर देखा। "यह क्या बकवास है? लेविथान? यह तो कोई कोड लगता है।"
अहान की आंखों में चमक आ गई। यह उसके लिए एक खेल के मैदान जैसा था।
"यह बकवास नहीं है, राठौर। 'Leviathan' (लेविथान) थॉमस हॉब्स (Thomas Hobbes) की लिखी एक प्रसिद्ध राजनीतिक किताब है। और शास्त्री सर जानते थे कि यह कोड सिर्फ उनका वही छात्र समझ पाएगा जिसने उनके लेक्चर्स ध्यान से सुने हों।"
अहान ने दिमाग दौड़ाना शुरू किया।
"XIII... मतलब चैप्टर 13। हॉब्स की किताब का 13वां चैप्टर सबसे मशहूर है—'नेचर ऑफ मैन' के बारे में। वहां लिखा है कि बिना सरकार के इंसान का जीवन 'कष्टदायक, पाशविक और छोटा' (Nasty, Brutish, and Short) होता है।"
"तो इसका इस केस से क्या लेना-देना?" राठौर ने झुंझलाते हुए पूछा।
"42..." अहान ने बड़बड़ाया। "किताब का पेज नंबर 42 नहीं... यूनिवर्सिटी लाइब्रेरी! हमारी यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में पॉलिटिकल साइंस का सेक्शन 'रैक नंबर 42' में है।"
"और 'The Wolf'?" राठौर ने पूछा।
अहान मुस्कुराया, लेकिन यह मुस्कान खतरनाक थी।
"हॉब्स ने अपनी किताब में एक लैटिन मुहावरा इस्तेमाल किया था—'Homo Homini Lupus' (Man is a Wolf to Man - इंसान ही इंसान का भेड़िया है)।"
अहान ने डायरी बंद की और जेब में रख ली।
"राठौर, कातिल ने सोचा कि उसने सबूत मिटा दिए हैं। लेकिन शास्त्री सर ने अपनी मौत से पहले हमें लाइब्रेरी के रैक नंबर 42 का पता दिया है। वहां कुछ है... कोई फाइल, या शायद वह डायरी जिसका जिक्र उन्होंने किया था।"
राठौर ने अपनी जीप की चाबी निकाली। "तो फिर चलो, लाइब्रेरी चलते हैं।"
"नहीं," अहान ने उसे रोका। "अभी नहीं। अगर वे लोग इतने प्रोफेशनल हैं कि पैरों की उंगलियों के बीच जहर दे सकते हैं, तो वे लाइब्रेरी पर नजर रख रहे होंगे। हमें वहां जाने के लिए पुलिस की वर्दी नहीं, छात्रों की मदद चाहिए होगी।"
"छात्र?"
"हाँ," अहान ने अपनी घड़ी देखी। रात के 12 बज रहे थे। "मेरी 'स्पेशल क्लास' का समय हो गया है।"


अध्याय 3: द शैडो कैबिनेट (The Shadow Cabinet)

स्थान: यूनिवर्सिटी का पुराना डिबेटिंग हॉल (Old Debating Hall)
समय: रात के 1:00 बजे
यह हॉल कभी यूनिवर्सिटी की शान हुआ करता था, लेकिन अब यह धूल और कबूतरों का अड्डा था। अहान ने जानबूझकर इस जगह को चुना था—क्योंकि यहाँ कोई CCTV कैमरा नहीं था।
हॉल के बीचों-बीच एक पुरानी मेज पर अहान बैठा था। उसके सामने तीन छात्र खड़े थे—उसकी अपनी 'किचन कैबिनेट' (Kitchen Cabinet)।
ज़ोया: स्टूडेंट यूनियन की प्रेसिडेंट। उग्र, निडर और भीड़ इकट्ठा करने (Mobilization) में माहिर।
कबीर: कंप्यूटर साइंस का छात्र, लेकिन राजनीति में गहरी रुचि। उसे 'Data Sovereignty' और हैकिंग का ज्ञान था।
विक्रम: इंटरनेशनल रिलेशंस का पीएचडी स्कॉलर। शांत, गंभीर और 'Realism' (यथार्थवाद) को मानने वाला।
"सर, इतनी रात को यहाँ? क्या हम कोई तख्तापलट (Coup) प्लान कर रहे हैं?" ज़ोया ने मज़ाक में पूछा, लेकिन माहौल की गंभीरता देखकर चुप हो गई।
अहान ने डायरी मेज पर रख दी। "तख्तापलट नहीं, ज़ोया। हम 'Counter-Intelligence' ऑपरेशन करने जा रहे हैं। प्रोफेसर शास्त्री की हत्या हुई है।"
सन्नाटा छा गया। अहान ने उन्हें लेविथान कोड और 'रैक 42' के बारे में बताया।
"तो हम पुलिस को क्यों नहीं बताते?" विक्रम ने पूछा, उसका यथार्थवादी दिमाग रिस्क कैलकुलेट कर रहा था।
"क्योंकि पुलिस राज्य (State) का हिस्सा है, विक्रम," अहान ने कहा। "और जब 'Deep State' शामिल हो, तो पुलिस पर भरोसा करना बेवकूफी है। हमें सबूत चाहिए। आज रात हमें लाइब्रेरी में घुसना है।"
"सर, लाइब्रेरी के बाहर 4 गार्ड्स हैं और अंदर CCTV का जाल है। वह जगह मिशेल फूको (Michel Foucault) के 'Panopticon' (ऐसी जेल जहाँ सब पर नज़र रखी जाती है) जैसी है," कबीर ने चश्मा ठीक करते हुए कहा।
अहान मुस्कुराया। "सही कहा कबीर। और पैनॉप्टिकॉन को तोड़ने का एक ही तरीका है—'The Gaze' (नज़र) को भटकाना।"
अहान ने अपनी योजना समझाई। यह 'Hard Power' (ताकत) नहीं, बल्कि 'Soft Power' (प्रभाव) का खेल था।
स्थान: लाइब्रेरी के बाहर का लॉन
समय: रात के 2:15 बजे
अचानक लाइब्रेरी के बाहर का सन्नाटा टूट गया।
ज़ोया और उसके हॉस्टल के 50 छात्र मशालें लेकर लॉन में आ गए। ज़ोया के हाथ में मेगाफोन था।
"हमें जवाब चाहिए! रात को लाइब्रेरी क्यों बंद है? 'Right to Information' हमारा अधिकार है!" ज़ोया ने नारा लगाया।
यह एक सुनियोजित 'विरोध प्रदर्शन' (Protest) था। लाइब्रेरी के चारों गार्ड्स घबराकर भीड़ को रोकने के लिए गेट की तरफ भागे। उनका ध्यान पूरी तरह से ज़ोया पर था।
उसी समय, लाइब्रेरी की पिछली दीवार के पास अंधेरे में, कबीर अपने लैपटॉप पर टाइपिंग कर रहा था।
"सर," कबीर ने इयरपीस में कहा, "मैंने कैमरा फीड लूप पर डाल दी है। आपके पास अंदर जाने के लिए ठीक 3 मिनट हैं। इसे 'Cyber Warfare' कहते हैं।"
अहान और विक्रम ने पिछले दरवाजे का ताला (जिसे कबीर ने इलेक्ट्रॉनिकली डिकोड किया था) खोला और अंदर फिसल गए।
स्थान: लाइब्रेरी के अंदर, रैक 42
समय: रात के 2:20 बजे
अंदर घुप्प अंधेरा था। अहान ने अपनी टॉर्च जलाई। रोशनी धूल के कणों को चीरती हुई अलमारियों पर पड़ी।
Political Science Section: H - Z
"रैक 42... रैक 42..." विक्रम बड़बड़ाया। "सर, यहाँ तो हज़ारों किताबें हैं। हम क्या ढूंढ रहे हैं?"
अहान की नज़रें किताबों की रीढ़ (Spines) पर दौड़ रही थीं। प्लेटो, अरस्तू, मार्क्स... सब अपनी जगह पर थे।
"शास्त्री सर ने 'The Wolf' (भेड़िया) लिखा था। हॉब्स का भेड़िया। हमें ऐसी किताब चाहिए जो वहां नहीं होनी चाहिए, या जो सबसे अलग हो।"
तभी अहान की नज़र एक मोटी, लाल जिल्द वाली किताब पर पड़ी। यह किसी महान विचारक की किताब नहीं थी। यह यूनिवर्सिटी की 1985 की 'Annual Report' (वार्षिक रिपोर्ट) थी।
"1985..." अहान ने सोचा। "इंदिरा गांधी की हत्या के एक साल बाद। एक अस्थिर समय।"
अहान ने रिपोर्ट निकाली। वह आश्चर्यजनक रूप से हल्की थी।
उसने किताब खोली। अंदर के पन्ने काटकर खोखले कर दिए गए थे (Hollowed-out book)। उस खाली जगह में कोई पेन-ड्राइव या डायरी नहीं थी।
वहाँ सिर्फ एक पुरानी ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर थी।
विक्रम ने टॉर्च की रोशनी तस्वीर पर डाली।
"सर, यह तो..." विक्रम की आवाज़ कांप गई।
तस्वीर में तीन नौजवान एक साथ खड़े थे, किसी छात्र आंदोलन के दौरान।
पहले थे प्रोफेसर शास्त्री (युवा अवस्था में)।
दूसरे थे एक विदेशी व्यक्ति, जिसके चेहरे पर एक अजीब सा लंबा निशान (Scar) था।
और तीसरा व्यक्ति... जो बीच में खड़ा था और विदेशी व्यक्ति से हाथ मिला रहा था।
अहान ने तस्वीर को पास से देखा। उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।
तीसरा व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि इस यूनिवर्सिटी के मौजूदा वाइस चांसलर (VC), डॉ. रमन महाजन थे।
"VC महाजन," अहान ने धीमी, खतरनाक आवाज़ में कहा। "जो आज कल 'राष्ट्रवाद' पर सबसे बड़े लेक्चर देते हैं... वो 1985 में विदेशी एजेंटों के साथ क्या कर रहे थे?"
अहान ने तस्वीर पलटी। पीछे घसीट वाली लिखावट में एक तारीख और एक शब्द लिखा था:
"Operation Brutus | 15 Aug 1985"
"ब्रूटस..." विक्रम ने फुसफुसाया। "जूलियस सीज़र का सबसे करीबी दोस्त जिसने उसे धोखा दिया था।"
अचानक, लाइब्रेरी की बत्तियाँ जल उठीं।
कबीर की आवाज़ इयरपीस में चीखी, "सर! बाहर निकलिए! उन्होंने मेरा हैक पकड़ लिया है! पुलिस आ रही है!"
लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। मुख्य दरवाजे पर भारी कदमों की आहट हुई।
सामने DCP राठौर नहीं खड़ा था।
वहाँ तीन आदमी खड़े थे, काले सूट में। उनके हाथों में साइलेंसर लगी बंदूके थीं। और उनके बीच में एक जाना-पहचाना चेहरा था—वही विदेशी व्यक्ति जो तस्वीर में था, बस अब बूढ़ा हो चुका था और उसके चेहरे का निशान और गहरा हो गया था।
विदेशी व्यक्ति मुस्कुराया। "प्रोफेसर अहान, आपकी 'Extra Class' का समय समाप्त हुआ। अब 'Realpolitik' (शक्ति की राजनीति) का समय है।"


अध्याय 4: डोमिनो थ्योरी (The Domino Theory)

स्थान: लाइब्रेरी के अंदर, रैक 42
समय: रात के 2:25 बजे
तीन बंदूकें अहान और विक्रम की तरफ तनी थीं। विदेशी एजेंट ('द वुल्फ') के चेहरे पर जीत की मुस्कान थी।
"तस्वीर मुझे दे दो, प्रोफेसर," वुल्फ ने अपना हाथ आगे बढ़ाया। "और शायद मैं तुम्हारी जान बख्श दूँ।"
विक्रम डर के मारे कांप रहा था, लेकिन अहान का दिमाग कंप्यूटर की तरह चल रहा था। उसने अपने चारों ओर देखा।
तंग गलियारा (Narrow Aisle)।
लकड़ी की भारी अलमारियां (Racks)।
बाहर खड़ी ज़ोया की उग्र भीड़।
अहान ने तस्वीर को अपनी मुट्ठी में भींचा और मुस्कुराया।
"मिस्टर वुल्फ, तुमने 'Sun Tzu' (सन त्ज़ु) को पढ़ा है? उन्होंने कहा था—All warfare is based on deception (सारा युद्ध धोखे पर आधारित है)।"
वुल्फ की भौहें तनीं। "मतलब?"
"मतलब यह," अहान ने इयरपीस में धीरे से कहा, "कबीर, अब!"
कबीर, जो बाहर छिपा था, अपने सिस्टम से लॉक हो चुका था, लेकिन उसके पास एक आखिरी 'कमांड' बची थी—Fire Alarm Override। उसने एंटर दबा दिया।
TRING! TRING! TRING!
अचानक पूरी लाइब्रेरी में कान फोड़ देने वाला फायर अलार्म बज उठा। साथ ही छत से लगे स्प्रिंकलर्स (Sprinklers) चल पड़े। पानी की बौछार शुरू हो गई।
जैसे ही वुल्फ और उसके आदमी ऊपर देखने के लिए विचलित (Distracted) हुए, अहान ने चिल्लाकर विक्रम से कहा, "डोमिनो थ्योरी (Domino Theory)!"
अहान ने पूरी ताकत लगाकर अपने पीछे वाली भारी अलमारी (Rack 43) को धक्का दिया।
1950 के दशक में अमेरिका मानता था कि अगर एक देश कम्युनिस्ट बना, तो बाकी भी गिर जाएंगे। यहाँ भी वही हुआ।
रैक 43 गिरा रैक 42 पर... 42 गिरा 41 पर...
DHADAM! DHADAM!
किताबों का सैलाब आ गया। भारी अलमारियां वुल्फ और उसके आदमियों के रास्ते में गिरने लगीं। वे दबने से बचने के लिए पीछे कूदे। रास्ता ब्लॉक हो गया।
"भागो विक्रम!" अहान ने विक्रम का कॉलर पकड़ा और उसे पीछे के रास्ते (Emergency Exit) की तरफ खींचा।
लेकिन एक शूटर ने संभलते हुए गोली चला दी।
THAYN!
गोली अहान के कान के पास से गुजरी और एक किताब—‘The Constitution of India’—में जा धंसी।
"वे हमें बाहर जाने नहीं देंगे!" विक्रम चिल्लाया।
"हमें बाहर नहीं जाना है," अहान ने कहा, "हमें 'जनता' को अंदर बुलाना है।"
अहान ने खिड़की के पास जाकर कांच पर एक भारी कुर्सी दे मारी। CHANAK! कांच टूट गया।
नीचे ज़ोया और उसकी 50 छात्रों की फौज खड़ी थी, जो अलार्म सुनकर पहले ही घबराए हुए थे।
अहान ने ऊपर से चिल्लाया, "ज़ोया! पुलिस छात्रों पर हमला कर रही है! लाइब्रेरी बचाओ!"
यह झूठ था, लेकिन यह 'Mass Mobilization' (जन लामबंदी) का सबसे पुराना तरीका था—एक साझा दुश्मन (Common Enemy) खड़ा करना।
ज़ोया ने इशारा समझ लिया। वह चिल्लाई, "साथियों! हमला! अंदर घुस जाओ!"
50 गुस्से से भरे छात्र मुख्य दरवाजे को तोड़ते हुए लाइब्रेरी में घुस गए।
अब अंदर का नज़ारा बदल चुका था।
Three Armed Men vs. A Mob of 50 Students.
वुल्फ जानता था कि अगर उसने एक भी छात्र को गोली मारी, तो यह नेशनल न्यूज़ बन जाएगी। उसका 'कवर' ब्लो हो जाएगा। वह फंस चुका था। यह 'Human Shield' की बेहतरीन रणनीति थी।
भीड़ की अफरातफरी (Chaos) का फायदा उठाते हुए, अहान और विक्रम छात्रों के बीच मिल गए। उन्होंने अपने सिर नीचे किए और 'Fog of War' (युद्ध के कोहरे) में गायब हो गए।
स्थान: कबीर की वैन (कैंपस के बाहर एक सुनसान जगह)
समय: रात के 3:00 बजे
सांसें फूल रही थीं। चारों—अहान, ज़ोया, कबीर, और विक्रम—वैन के अंदर थे। अहान का हाथ खून से सना था (कांच से कट गया था), लेकिन तस्वीर सुरक्षित थी।
ज़ोया ने पानी की बोतल अहान को दी। "सर, आपने तो लाइब्रेरी में गृहयुद्ध (Civil War) करवा दिया!"
अहान ने हंसते हुए तस्वीर को डैशबोर्ड पर रखा। "राजनीति में इसे 'Controlled Chaos' (नियंत्रित अराजकता) कहते हैं, ज़ोया।"
कबीर ने तस्वीर को स्कैन किया और अपने लैपटॉप पर डाला। "सर, मैंने इस विदेशी आदमी का चेहरा 'Deep Web' पर रन किया है।"
स्क्रीन पर एक प्रोफाइल खुली।
Name: Ivan Petrov (Code: The Wolf)
Affiliation: Ex-KGB, now a mercenary for 'Autocracy Inc.'
Status: Wanted in 12 countries for destabilizing governments.
"तो यह केजीबी का पूर्व एजेंट है," विक्रम ने हैरानी से कहा। "लेकिन यह हमारे VC के साथ क्या कर रहा था?"
अहान ने तस्वीर में छिपे संकेत को डिकोड करना शुरू किया।
"1985... ऑपरेशन ब्रूटस... इवान पेत्रोव।" अहान की आँखों में समझ की एक चमक आई।
"VC महाजन का असली नाम 'रमन' नहीं है," अहान ने धीरे से कहा। "1985 में, सोवियत संघ टूटने की कगार पर था। उन्होंने अपने 'Sleeper Cells' (सोए हुए जासूस) कई देशों में प्लांट किए थे। ताकि भविष्य में उनका इस्तेमाल किया जा सके।"
"मतलब?" ज़ोया ने पूछा।
"मतलब हमारे वाइस चांसलर एक भारतीय शिक्षाविद् नहीं हैं," अहान ने खिड़की से बाहर अंधेरे में देखा। "वे एक विदेशी जासूस हैं जो पिछले 40 साल से अपनी पहचान बदलकर यहाँ रह रहे हैं। और अब... उन्हें 'एक्टिवेट' कर दिया गया है।"
कबीर का चेहरा सफेद पड़ गया। "सर, अगर यह सच है, तो हम सिर्फ एक खूनी से नहीं लड़ रहे। हम एक 'Puppet Government' (कठपुतली सरकार) बनाने वाली साज़िश से लड़ रहे हैं।"
अहान ने अपनी गीली शर्ट की बाहें मोड़ीं।
"सही कहा। और अब हमारे पास दो रास्ते हैं: या तो हम छिप जाएं, या फिर हम वह करें जो चाणक्य ने चंद्रगुप्त को सिखाया था।"
"क्या?" तीनों छात्रों ने एक साथ पूछा।
"हम राजा को नहीं मारेंगे," अहान ने वैन स्टार्ट करने का इशारा किया। "हम उसका सिंहासन (Throne) चुरा लेंगे।"


अध्याय 5: गेम थ्योरी (The Game Theory)
स्थान: पुरानी ऑब्जर्वेटरी (वेधशाला) का बेसमेंट (अहान का 'सेफ हाउस')
समय: सुबह के 5:00 बजे
सूरज निकलने वाला था, लेकिन बेसमेंट में तनाव गहरा था। अहान एक व्हाइटबोर्ड के सामने खड़ा था, जिस पर उसने मार्कर से एक शब्द लिखा था: 'Checkmate' (शह और मात)।
"सर, पुलिस स्टेशन क्यों नहीं?" विक्रम ने फिर पूछा, हालांकि उसे जवाब पता था।
"क्योंकि," अहान ने मार्कर का ढक्कन लगाया, "राजनीति विज्ञान में 'Iron Triangle' का सिद्धांत है—नेताओं, नौकरशाहों और अपराधियों का गठजोड़। VC महाजन इस त्रिभुज के शीर्ष पर हैं। अगर हम पुलिस के पास गए, तो सबूत गायब हो जाएंगे और हम किसी 'एनकाउंटर' में मारे जाएंगे।"
ज़ोया ने गुस्से में मेज पर मुक्का मारा। "तो हम क्या करें? हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाएं?"
"नहीं," अहान की आंखों में एक ठंडी चमक थी। "हम 'Game Theory' का इस्तेमाल करेंगे। विशेष रूप से 'Chicken Game' का।"
"चिकन गेम?" कबीर ने पूछा।
"दो गाड़ियां एक-दूसरे की तरफ पूरी रफ्तार से आ रही हैं," अहान ने समझाया। "जो पहले मुड़ेगा, वह हार जाएगा (Chicken)। और अगर कोई नहीं मुड़ा, तो दोनों मरेंगे। हमें VC महाजन को यह यकीन दिलाना होगा कि हम मरने के लिए तैयार हैं, ताकि वे पहले मुड़ जाएं।"
अहान ने अपनी योजना (The Plan) समझाई:
कबीर (Tech): VC का डिजिटल कवच तोड़ेगा।
ज़ोया (Crowd): 'जनमत' (Public Opinion) का माहौल बनाएगी।
अहान (Diplomacy): सीधे शेर की मांद में जाएगा।
"आज दोपहर यूनिवर्सिटी में 'National Security Summit' है," अहान ने मुस्कुराते हुए कहा। "जिसमें गृह मंत्री (Home Minister) मुख्य अतिथि हैं और VC महाजन 'देशभक्ति' पर भाषण देने वाले हैं। इससे बेहतर मंच और क्या होगा?"
स्थान: वाइस चांसलर का आलीशान केबिन
समय: दोपहर के 12:00 बजे (समिट से 1 घंटा पहले)
VC रमन महाजन अपने भाषण का रिहर्सल कर रहे थे। तभी उनके सेक्रेटरी ने दरवाजा खटखटाया।
"सर, प्रोफेसर अहान कश्यप आपसे मिलना चाहते हैं। कहते हैं कि उनके पास लाइब्रेरी के रिनोवेशन का कोई जरूरी पेपर है।"
महाजन का हाथ रुक गया। वुल्फ (इवान) ने उन्हें बताया था कि अहान कल रात बच निकला है। महाजन ने सोचा कि अहान डरकर माफी मांगने आया होगा।
"उसे अंदर भेजो। लेकिन गार्ड्स को तैयार रखो।"
अहान अंदर आया। उसके चेहरे पर न डर था, न घबराहट। वह अपनी प्रोफेसर वाली जैकेट पहने हुए था और हाथ में एक नीली फाइल थी।
"बैठिए प्रोफेसर," महाजन ने कृत्रिम मुस्कान के साथ कहा। "सुना है कल रात लाइब्रेरी में कुछ हंगामा हुआ था?"
अहान कुर्सी पर नहीं बैठा। वह कमरे में लगी महाजन की बड़ी तस्वीर को देखता रहा।
"हंगामा नहीं सर, 'Revolution' (क्रांति) की रिहर्सल थी। वैसे, सर... आपकी 1985 की तस्वीरें बहुत अच्छी आती थीं। खासकर वो, जो मास्को (Moscow) में ली गई थीं।"
महाजन की मुस्कान गायब हो गई। कमरे का तापमान अचानक गिर गया।
"तुम क्या बकवास कर रहे हो?"
अहान ने नीली फाइल मेज पर फेंक दी।
"पॉलिटिकल साइंस में हम 'Deterrence' (निवारण) पढ़ाते हैं, सर। जिसका मतलब है—दुश्मन को यह पता होना चाहिए कि अगर उसने हमला किया, तो उसका विनाश निश्चित है।"
अहान ने महाजन की आँखों में देखा।
"इस फाइल में उस फोटो की कॉपी नहीं है। असली फोटो और सबूत एक 'Dead Man's Switch' से जुड़े हैं। अगर अगले 1 घंटे में मैं इस ऑफिस से सुरक्षित बाहर नहीं निकला, या मुझे कुछ भी हुआ... तो वह फोटो देश के हर न्यूज़ चैनल, गृह मंत्री के निजी ईमेल और सोशल मीडिया पर अपने आप अपलोड हो जाएगी।"
महाजन के माथे पर पसीना चमकने लगा। यह 'Information Asymmetry' का क्लासिक उदाहरण था। महाजन को नहीं पता था कि अहान के पास और क्या-क्या सबूत हैं।
"तुम क्या चाहते हो? पैसा? पावर?" महाजन ने फुसफुसाया।
"मैं एक शिक्षक हूँ, मिस्टर पेत्रोव... माफ़ कीजिये, मिस्टर महाजन," अहान ने व्यंग्य किया। "मुझे सिर्फ सच चाहिए। आज स्टेज पर आप जो भाषण देंगे, वह वही होगा जो मैं चाहूंगा।"
अहान ने अपनी जेब से एक पेन-ड्राइव निकाली और मेज पर रख दी।
"यह आपका नया भाषण है। इसे पढ़िए। और अगर आपने एक शब्द भी बदला... तो 'ऑपरेशन ब्रूटस' का अंत आज ही हो जाएगा।"
अहान मुड़ा और दरवाजे की तरफ बढ़ा। "और हाँ, सर। मैकियावेली ने कहा था—एक राजा को लोमड़ी और शेर दोनों होना चाहिए। आप सिर्फ भेड़िया निकले।"
स्थान: यूनिवर्सिटी ऑडिटोरियम
समय: दोपहर के 1:00 बजे
ऑडिटोरियम खचाखच भरा था। पहली पंक्ति में गृह मंत्री और पुलिस कमिश्नर बैठे थे। मंच पर VC महाजन पोडियम पर आए। उनका चेहरा पीला पड़ चुका था।
बैकस्टेज (Backstage) में, कबीर अपने लैपटॉप पर उंगलियां नचा रहा था।
"सर, टेलीप्रॉम्प्टर हैक हो चुका है। टेक्स्ट लोड हो रहा है।"
हॉल के एक कोने में, अहान खड़ा था, अपनी घड़ी देखते हुए। वुल्फ (इवान) उसे भीड़ में कहीं से घूर रहा था, लेकिन वह अहान को गोली नहीं मार सकता था क्योंकि 'Dead Man's Switch' सक्रिय था। अहान ने वुल्फ को देखकर एक छोटी सी 'सैल्यूट' की।
VC महाजन ने माइक संभाला।
"देवियों और सज्जनों... आज मैं यहाँ राष्ट्रीय सुरक्षा पर बोलने आया हूँ। लेकिन सुरक्षा सिर्फ सीमाओं पर नहीं होती..."
महाजन की नज़र टेलीप्रॉम्प्टर पर पड़ी। वहां अहान का लिखा हुआ टेक्स्ट चल रहा था। महाजन का गला सूख गया। अगर वे इसे नहीं पढ़ते, तो उनकी असलियत अभी लीक हो जाएगी। और अगर वे इसे पढ़ते हैं, तो उनका करियर खत्म।
यह 'Prisoner's Dilemma' था। और महाजन ने वही चुना जो एक स्वार्थी जासूस चुनता है—खुद को बचाना (भले ही कुछ देर के लिए)।
महाजन ने कांपती आवाज़ में पढ़ना शुरू किया:
"...सुरक्षा का सबसे बड़ा खतरा विदेशी दुश्मन नहीं, बल्कि हमारे अपने संस्थानों में छिपा भ्रष्टाचार है। और आज... मैं एक कबूलनामा (Confession) करना चाहता हूँ..."
पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया। गृह मंत्री चौंककर सीधे हो बैठे।
तभी, माइक अचानक चीं-चीं करके बंद हो गया। पूरे हॉल की लाइट चली गई।
अंधेरे में वुल्फ की आवाज़ अहान के इयरपीस (जो उसने एक गार्ड से चुराया था) पर गूंजी:
"अच्छा खेल खेले, प्रोफेसर। लेकिन शतरंज में 'वज़ीर' (Queen) को गिराना राजा को हराना नहीं होता।"
DHAYN!
अंधेरे में एक गोली चली।
जब इमरजेंसी लाइट जली, तो पोडियम खाली था। VC महाजन गायब थे। और जहाँ अहान खड़ा था, वहां अब कोई नहीं था।
अहान ने पहले ही अनुमान लगा लिया था (Predictive Analysis)। वह जानता था कि महाजन 'प्लान बी' का इस्तेमाल करेंगे।
स्थान: यूनिवर्सिटी का पार्किंग लॉट
समय: दोपहर के 1:15 बजे
एक काली SUV तेज़ी से गेट की तरफ भाग रही थी। अंदर महाजन और वुल्फ थे।
"हवाई अड्डे चलो! तुरंत!" महाजन चिल्लाया। "मेरा कवर ब्लो हो चुका है!"
लेकिन अचानक SUV के सामने एक बैरिकेड आ गया। यह पुलिस का बैरिकेड नहीं था।
यह छात्रों की मानव श्रृंखला (Human Chain) थी।
हजारों छात्र, जिन्हें ज़ोया ने पिछले एक घंटे में इकट्ठा किया था, हाथों में तख्तियां लिए खड़े थे। और सबसे आगे अहान खड़ा था, हाथ में मेगाफोन लिए।
अहान ने मुस्कुराते हुए कहा, "मिस्टर वाइस चांसलर, आपने अरस्तू (Aristotle) को नहीं पढ़ा? 'Man is a political animal'. और आप इस जंगल से इतनी आसानी से नहीं भाग सकते।"


अध्याय 6: राज्य का एकाधिकार (Monopoly on Violence)

स्थान: यूनिवर्सिटी पार्किंग लॉट
समय: दोपहर के 1:20 बजे
माहौल में तनाव इतना था कि माचिस की तीली से आग लग जाए। एक तरफ निहत्थे छात्र, दूसरी तरफ SUV में बैठा एक ट्रेंड हत्यारा (वुल्फ) और देशद्रोही VC।
SUV का दरवाजा हल्का सा खुला। वुल्फ ने अपनी बंदूक की नली बाहर निकाली। वह भीड़ पर गोली चलाने ही वाला था कि तभी...
HOOTER SOUNDS!
पुलिस सायरन की गूंज ने पूरे कैंपस को हिला दिया। काली गाड़ियों का एक काफिला (Convoy) चीरते हुए भीड़ के पीछे आकर रुका।
यह लोकल पुलिस नहीं थी। यह NSG (National Security Guard) के ब्लैक कैट कमांडो थे। उनके पीछे से एक सफेद एंबेसडर कार आई, और उसमें से देश के गृह मंत्री (Home Minister - HM) बाहर निकले। उनके चेहरे पर गुस्सा था।
"यह क्या तमाशा है?" गृह मंत्री की भारी आवाज़ गूंजी। "प्रोफेसर अहान! आपने मेरे सुरक्षा प्रोटोकॉल को तोड़ा, बिजली काटी और अब दंगा भड़का रहे हैं?"
अहान ने अपने हाथ ऊपर किए (सरेंडर के मुद्रा में नहीं, बल्कि शांत करने के लिए) और धीरे-धीरे गृह मंत्री की ओर बढ़ा। कमांडो ने अहान पर बंदूकें तान दीं।
"सर," अहान ने ऊंची आवाज़ में कहा, ताकि सबको सुनाई दे। "मैकियावेली ने कहा था—साध्य ही साधन का औचित्य है (The ends justify the means)। मैंने नियम तोड़े, ताकि मैं 'संप्रभुता' (Sovereignty) बचा सकूं।"
अहान ने अपनी जेब से वह नीली फाइल निकाली और गृह मंत्री के सुरक्षा घेरे की तरफ बढ़ाई।
"सर, यह वो भाषण है जो VC महाजन पढ़ने वाले थे। लेकिन इसके आखिरी पन्ने पर एक खुफिया रिपोर्ट है। ऑपरेशन ब्रूटस।"
गृह मंत्री ने इशारा किया। उनके पी.ए. ने फाइल लेकर उन्हें दी।
गृह मंत्री ने फाइल खोली। उन्होंने 1985 की वह तस्वीर देखी, इवान पेत्रोव (वुल्फ) का डोज़ियर देखा, और महाजन के विदेशी बैंक खातों की डिटेल देखी (जिसे कबीर ने हैक किया था)।
SUV के अंदर, महाजन पसीने से तर-बतर थे। "इवान, कुछ करो! गोली चलाओ!"
लेकिन इवान (वुल्फ) शांत था। वह एक अनुभवी जासूस था। वह जानता था कि अब 'Game Over' हो चुका है। मैक्स वेबर (Max Weber) का सिद्धांत कहता है—राज्य के पास हिंसा का एकाधिकार (Monopoly on Violence) होता है। एक जासूस पूरी सेना से नहीं लड़ सकता।
गृह मंत्री ने फाइल बंद की। उन्होंने एक पल के लिए महाजन की गाड़ी को देखा, फिर अहान को। एक राजनेता के तौर पर, उन्होंने तुरंत 'Cost-Benefit Analysis' कर लिया। महाजन को बचाने में अब कोई फायदा नहीं था, उल्टा सरकार गिरने का खतरा था।
गृह मंत्री ने अपने कमांडो हेड की ओर देखा और सिर्फ एक शब्द कहा: "Neutralize." (तटस्थ करो/पकड़ो)।
कमांडो बिजली की गति से आगे बढ़े।
"गाड़ी से बाहर निकलो! हाथ ऊपर!"
इवान ने एक पल के लिए अपनी बंदूक को देखा, फिर उसे सीट पर छोड़ दिया। उसने सरेंडर कर दिया। महाजन को कॉलर पकड़कर बाहर घसीटा गया। वह चिल्ला रहे थे, "यह झूठ है! यह प्रोफेसर पागल है! मैं वाइस चांसलर हूँ!"
अहान उनके पास गया और धीमे से कहा, "अब नहीं, सर। अब आप सिर्फ एक 'Case Study' हैं।"
भीड़ ने तालियां बजानी शुरू कर दीं। ज़ोया और कबीर ने एक-दूसरे को गले लगा लिया। विक्रम, जो हमेशा यथार्थवादी (Sceptic) था, आज मुस्कुरा रहा था।
गृह मंत्री अहान के पास आए।
"प्रोफेसर, आपने आज देश बचा लिया। लेकिन आपने कानून तोड़ा है।"
अहान ने मुस्कुराते हुए कहा, "सर, अरस्तू ने कहा था—कानून व्यवस्था के लिए है, लेकिन न्याय कानून से ऊपर है। अगर आप चाहें तो मुझे गिरफ्तार कर सकते हैं।"
गृह मंत्री हंसे। "गिरफ्तार? चुनाव पास आ रहे हैं। मुझे आप जैसे रणनीतिकारों की जरूरत है। क्या आप मेरे सलाहकार (Advisor) बनना चाहेंगे?"
अहान ने अपनी प्रोफेसर वाली जैकेट ठीक की। "प्रस्ताव के लिए शुक्रिया सर। लेकिन मुझे एक क्लास लेनी है। मेरे छात्र इंतजार कर रहे हैं।"
उपसंहार (Epilogue): द फिलॉसफर किंग
स्थान: लेक्चर हॉल 101
समय: अगली सुबह, 10:00 बजे
क्लास खचाखच भरी थी। कल की घटना के बाद, हर छात्र अहान को एक हीरो की तरह देख रहा था।
अहान ने अपनी अटेंडेंस रजिस्टर खोली। उसके हाथ पर पट्टी बंधी थी (जहाँ कांच लगा था)।
"कल हमने देखा," अहान ने पढ़ाना शुरू किया, "कि कैसे एक मजबूत दिखने वाला तंत्र (System) अंदर से खोखला हो सकता है। हमने देखा कि 'Power' (शक्ति) बंदूकों में नहीं, बल्कि सूचना (Information) और एकजुटता (Unity) में होती है।"
उसने ब्लैकबोर्ड पर एक नया शब्द लिखा: DHARMA (धर्म/कर्तव्य)।
"कौटिल्य ने कहा था कि राजा का धर्म प्रजा की रक्षा है। और प्रजा का धर्म? प्रजा का धर्म है—जागते रहना। क्योंकि जब आप सोना शुरू करते हैं, तो लोकतंत्र मरना शुरू हो जाता है।"
अहान ने खिड़की से बाहर देखा। पुलिस की गाड़ियां जा चुकी थीं। कैंपस फिर से शांत था। पक्षी चहचहा रहे थे।
"आज का असाइनमेंट," अहान ने क्लास की ओर मुड़कर कहा। "Eternal Vigilance is the price of Liberty (सतत जागरूकता ही स्वतंत्रता की कीमत है)। इस पर 500 शब्द लिखकर लाएं। क्लास डिसमिस्ड।"
अहान ने अपना चश्मा उतारा और मेज पर रखी चाय की चुस्की ली।
इस बार, चाय गर्म थी।

season 2 comming soon....