witch's shadow in Hindi Horror Stories by Vedant Kana books and stories PDF | चुड़ैल का साया

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चुड़ैल का साया

पुराने काजरपुर गांव में सांझ ढलते ही घरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते थे। हवा में इतनी खामोशी होती थी कि किसी के कदमों की आहट तक सुनाई दे जाती।

लोग कहते थे कि जंगल वाले पुराने कुएं के पास एक औरत की परछाई घूमती है, जिसके बाल जमीन पर घसीटते हुए चलते हैं और जिसकी आंखें लाल अंगारों की तरह जलती हैं। उस पर कोई भरोसा नहीं करता था, जब तक कि वह डरावनी रात नहीं आई जब पहली बार किसी ने उसे सच में देखा।

गांव का जवान लड़का माधव अपने बैलों को ढूंढने निकला था। देर हो चुकी थी और रास्ते के किनारे की सूखी झाड़ियां हवा में कांप रही थीं। अचानक उसकी नजर उस कुएं पर पड़ी। उसे लगा कि कोई औरत वहां झुकी हुई है, जैसे पानी भर रही हो। वह जिज्ञासा से आगे बढ़ा, लेकिन जैसे ही वह कुछ कदम करीब पहुंचा, वह औरत धीरे से मुड़ी। माधव का सांस उसकी छाती में जम गया।

वह चेहरा इंसानी था लेकिन त्वचा फटी हुई, आंखें खून जैसी लाल और उसकी जुबान लंबी होकर बाहर लटक रही थी। वह बिना आवाज के मुस्कुरा रही थी। माधव ने देखा कि उसके पैर उल्टे थे और वह धीरे धीरे उसकी ओर रेंग रही थी। उसने भागने की कोशिश की, लेकिन उसके कदम जैसे जमीन में धंसते जा रहे थे। अचानक उसने देखा कि उसका हाथ किसी ठंडी चीज ने पकड़ लिया है। वह चिल्लाया, खुद को छुड़ाया और किसी तरह दौड़ते हुए गांव पहुंच गया।

माधव ने हांफते हुए सबको बताया कि उसने चूड़ैल को अपनी आंखों से देखा है। कुछ लोग डर के मारे कांप उठे, पर कुछ ने हंसकर उसे डरा हुआ कह दिया। उसे गहरा दुख हुआ, लेकिन उसकी बात पर उसी समय शक तब हुआ जब दूसरी रात उसके चचेरे भाई मोतीलाल की चीखें जंगल से सुनाई दीं। जवान और ताकतवर मोतीलाल सुबह खेतों के पास बेहाल हालत में मिला।उसके कपड़े फटे हुए थे, शरीर पर नाखूनों के निशान थे और वह कुछ बोल नहीं पा रहा था। उसकी आंखें लगातार उस कुएं की तरफ देखती रहीं। लोगों के मन में डर गहराने लगा।

तीसरी रात गांव के पांच आदमी मशालें लेकर जंगल में उतरे। सबके कदम कांप रहे थे लेकिन किसी को वापस लौटने की हिम्मत नहीं हुई। जैसे ही वे कुएं के पास पहुंचे, उन्हें लगा कि हवा अचानक भारी हो गई है। वहां गीली मिट्टी की तेज बदबू आ रही थी। कुएं के पास किसी के नाखूनों के ताजे निशान थे।

तभी एक घुटी हुई हंसी की आवाज आई। मशाल की रोशनी में एक लंबी छाया हिली। झाड़ियों के बीच से वही औरत निकली। उसके बाल जटाओं की तरह फैलकर जमीन पर लटक रहे थे और उसका मुंह खुला हुआ था जिसमें से काली धुआं जैसी सांसें निकल रही थीं। उसने अपनी गर्दन को ऐसे मरोड़ा जैसे उसकी हड्डियां टूटकर जुड़ रही हों। वह धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी और उसकी आंखों में भूख साफ दिख रही थी।

गांव के आदमी पीछे हटने लगे, लेकिन तभी वह अचानक हवा में उछली और एक आदमी पर टूट पड़ी। उसके शरीर से खून की महक फैल गई। बाकी लोग भाग गए लेकिन चूड़ैल का पीछा उन्हें हर रास्ते पर मिलता रहा। गांव लौटने पर उन्होंने देखा कि उस आदमी की लाश वहां तक पहुंचने से पहले ही गायब हो चुकी थी। सिर्फ जमीन पर घसीटने के निशान थे जो सीधे कुएं की तरफ जा रहे थे।

अगली सुबह गांव से एक बूढ़ी औरत निकली जो सबकी नजरों से सालों दूर रहती थी। उसने बताया कि बहुत साल पहले इसी कुएं में एक लड़की की लाश मिली थी, जिसे लोग पागल कहते थे। लोग कहते हैं उसकी मौत हादसा नहीं थी। किसी ने उसे धक्का दिया था। तब से वह आत्मा भटकती है और हर उस इंसान को ढूंढती है जिसने उसे मारा था। गांव वाले भयभीत हो गए, क्योंकि किसी को नहीं पता था कि सच्चाई क्या है या असल में उसका हत्यारा कौन था।

शाम होते होते गांव पर एक अजीब सन्नाटा उतर आया। आधी रात को फिर वही हंसी सुनाई दी। इस बार वह आवाज गांव के अंदर से आ रही थी। लोग अपनी खिड़कियों से झांकने लगे और देखा कि चूड़ैल इधर उधर घूमते हुए किसी को ढूंढ रही थी।

उसकी आंखें मानो हर चेहरे को परख रही थीं। फिर वह अचानक रुक गई, जैसे उसे कोई मिल गया हो। लेकिन लोग यह देख नहीं पाए कि वह किसकी तरफ बढ़ी। बस चीख सुनाई दी। दरवाजा खुला तो वहां कोई नहीं था, सिर्फ खून की एक पतली लकीर थी जो अंधेरे की तरफ जा रही थी।

कहानी यहीं खत्म नहीं होती। कहते हैं आज भी रात के समय काजरपुर के खाली घरों की दीवारों पर किसी के नाखूनों के ताजे निशान मिलते हैं। कोई नहीं जानता कि चूड़ैल को उसका असली शिकार मिला था या नहीं। और सबसे डरावनी बात यह है कि जो भी उस कुएं के पास जाता है, उसे लगता है कि पीछे से कोई धीमे कदमों से आ रहा है, जैसे कोई अपना बदला अभी पूरा नहीं कर पाई हो।