गोपाल जी - तानिया, तुम होश में तो हो? यह क्या बोले जा रही हो?
साहिल - लेकिन पापा, आप इस तरह क्यों रिएक्ट कर रहे है, एक बार दीदी की पूरी बात सुन तो लीजिए।
गोपाल जी - मुझे कोई बात नही सुननी है, अब! तुम सभी बच्चे तो पागल हो गए हो! ईशान, तानिया से काफी छोटा है, यह रिश्ता नही जुड सकता है। तभी सिमरन बोलती है कि;
सिमरन - माफ कीजिएगा पापा, लेकिन क्या मैं एक बात बोलूं? इंसान की उम्र उसका कैरेक्टर नही तय करती है। आप इस रिश्ते के लिए सिर्फ इसलिए मना कर रहे है क्योंकि ईशान और तानिया दीदी की उम्र में फर्क है। पर क्या आपने इन दोनो को साथ में देखा है, दीदी जब भी ईशान के साथ होते है, तो कितना खुश होते है। बस एक बार इनकी खुशी के बारे में सोचिए!
वेदना जी - सिमरन बेटा, तुम समझने की कोशिश करो। ईशान बहुत अच्छा लड़का है, हमने देखा है उसे टीवी पर, जब वो तुम्हारे साथ डटकर खड़ा रहा! लेकिन ईशान और तानिया का एक होना बाद में इन्हे ही तकलीफ देगा, जब समाज के लोग इन पर उंगली उठाएंगे!
साहिल - लेकिन मम्मी, आप यह क्यों सोच रही है? आप सिर्फ तानिया दीदी की खुशी देखिए ना!
गोपाल जी - तानिया तुम खुद, बाद में इस फैसले पर पछताओगी!
तानिया - एक फैसले को लेकर तो हम पहले ही पछता रहे है ना पापा! जब जिंदगी ने दोबारा जीने का मौका दिया है, तो आप हमसे वो मत छीनीए प्लीज! तानिया की आंखों के आंसु थे और वो अब कहते कहते चुप हो गए थी! गोपाल जी तभी तानिया के पास आते है और उसे गले लगा लेते है।
गोपाल जी - मेरी बेटी की खुशी जिसमे है, मैं भी उसी में खुश हुं। पागल, इतनी सी बात के लिए कोई रोता है क्या? चलो अब खुश हो जाओ और सिमरन बेटा, जल्दी से ईशान को बुलाओ! हमे मिलना है उससे! उसके बाद सिमरन और साहिल भी बहुत खुश हो जाते है कि तानिया की जिंदगी में आखिर सब ठीक हो ही गया। सिमरन मन ही मन सोच रही थी कि अब बस ईशान भी पसंद आ जाए सभी को! उसके बाद सभी तानिया को हंसाने लगते है और सिमरन और साहिल भी ईशान के बारे में उन्हे बता रहे थे। तभी तानिया सभी को बाय बोलकर अपने कमरे में चली जाती है और ईशान को फोन लगाती है।
ईशान अभी नक्ष के घर ही होता है और थोड़ा टेंशन में बैठा होता है। क्योंकि वो जानता था कि आज तानिया के घर पर क्या बात होने वाली है, तो उसी का सोचकर वो बस टेंशन ले रहा था। नक्ष तो उसे समझाना छोड़ चुका था कि इतना ज्यादा मत सोच, सब अच्छा ही होगा! पर ईशान के दिल का हाल तो वही जानता था। इसलिए अब नक्ष भी बस उसे लाइट फील करवाने की कोशिश कर रहा था। तभी ईशान के फोन पर तानिया का फोन आता है। फोन ईशान, अपने हाथ में ही लेकर बैठा था, जैसे ही तानिया की एक रिंग आती है, तो ईशान फोन उठा लेता है। उसके बाद तानिया, ईशान को सब कुछ बता देती है कि साहिल और सिमरन ने हमारे पैरेंट्स को मना लिया है। तानिया - हमारे पैरेंट्स कल ही तुमसे मिलना चाहते है और उन्होंने सिमरन को बोला भी है कि तुम्हे बुला ले!
ईशान - यह तो बहुत अच्छी बात है तानिया! लेकिन मुझे अब और भी घबराहट हो रही है। मैं तुम्हारे पैरेंट्स को पसंद नही आया तो?
तानिया - तुम जरूर पसंद आओगे ईशान! तुमने तो पहले ही मम्मी पापा को इंप्रेस किया हुआ है। बस अब कल का इंतजार है।
ईशान - अच्छा जी, अब मैडम से इंतजार नही हो रहा है!
तानिया - अच्छा, तो ठीक है, हम कर लेते है इंतजार! फिर नीचे जाकर मम्मी पापा से कह देते है कि अभी ईशान तैयार नही है।
ईशान - पागल हो गई हो क्या तुम! इतनी मुश्किल से मिली हो मुझे, ऐसे नही जाने दूंगा! तुम कहो तो अभी आ जाऊं!
फिर ऐसे ही तानिया और ईशान मस्ती और प्यार भरी बातें करते रहते है।
इधर सिमरन और साहिल भी अपने कमरे में जाने वाले होते है, तभी साहिल बोलता है कि;
साहिल - सिमरन, तुम ऊपर जाओ, मैं थोड़ी देर में आता हुं। और जल्दी से बाहर चला जाता है। सिमरन कुछ समझ पाती इससे पहले तो साहिल जा चुका था।
सिमरन - अभी भी इसे जरूरी काम ही है, तभी उसके दिमाग में एक आइडिया आता है और वो खुद ही सोचकर मुस्कुरा देती है, और फिर अपने कमरे में जाकर दरवाजा अंदर से बंद कर लेती है। फिर थोड़ी देर में साहिल वापस घर आता है और सीधा अपने कमरे में जाता है, तो वो देखता है कि उसका कमरा अंदर से बंद है तो वो दरवाजा नॉक करता है। तभी सिमरन अंदर से बोलती है कि थोड़ी देर बहा रुको साहिल, आ रही हुं! साहिल को अजीब भी लगता है और वो एक्साइटेड भी होता है कि आखिर सिमरन अंदर ऐसा क्या कर रही है, लेकिन वो इंतजार करने के अलावा कर भी क्या सकता था! तभी थोड़ी देर में सिमरन की आवाज आती है कि;
सिमरन - साहिल, दरवाजा खुला हुआ है, आ जाओ अंदर! साहिल मन में सोचता है, बड़ी अजीब लड़की है! अभी बंद करके बैठी थी और अब कब आकर दरवाजा खोल गई,पता भी नही लगने दिया। यही सोचते हुए साहिल दरवाजा खोलता है, तो उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है।
क्रमश :