निशा दूसरे दिन सन्नू के साथ जो सुनील दत्त ने उसे कार्ड दिया था उस कार्ड पर लिखे पते पर गई, उस पते पर जाकर निशा ने देखा कि वहां एक बहुत ही बड़ी आलीशान ऑफिस की बिल्डिंग थी,,,,
निशा सन्नो के साथ अंदर गई और गेट पर खड़े बॉडीगार्ड को अपना परिचय दिया वह बॉडीगार्ड उसके हाथ से उसके नाम और पते की चिट्ठी ले कर अंदर गया और कुछ देर बाद आया और बोला कि आपको सर अंदर बुला रहे हैं,,,,,
बॉडीगार्ड की बात सुनकर निशा और शन्नो बॉडीगार्ड के साथ चल दी,,,,
बॉडीगार्ड ने उसे एक ऑफिस के आगे ले जाकर छोड़ दिया और अंदर जाने का इशारा किया, निशा सन्नो के साथ ऑफिस में अंदर चली गई,,,,
जहां सुनील दत्त बैठे अपने काम में लगे हुए थे निशा और सन्नो को देख कर मुस्कुराते हुए बोले आइए आइए बैठिए,,,,
यह सुनकर निशा और शन्नो पास पड़ी कुर्सियों पर बैठ गई, तब सुनील दत्त ने उसे अपनी कंपनी के बारे में बताया अपने काम के बारे में बताया और उसे कितना महीने की सैलरी मिलेगी यह भी बताया अगर उनका काम अच्छा हुआ तो आगे आगे उन्हें कंपनी की तरफ से और भी अन्य सुविधाएं मिल सकती है,,,,,
यह कहकर सुनील दत्त ने अपना टेलीफोन उठाकर किसी को मिलाया और बोला कि कामनी अंदर आओ,,,,
यह कहकर उसने अपना फोन वापस रख दिया कुछ ही देर में एक जींस टॉप पहने लड़की अंदर आई और उसने अंदर आकर सुनील दत्त से कहा जी सर आपने बुलाया,,,,,
यह सुनकर सुनील दत्त ने कहा हां कामनी यह निशा और यह इसकी सिस्टर सन्नो है ,मैंने तुम्हें बताया था ना इनकी डिजाइनिंग के बारे में,,,,,
यह सुनकर कामनी बोली हां सर तब सुनील दत्त खड़े होते हुए बोले तुम इन्हें यहां का काम अच्छे से समझा देना और इन्हें काम पर भी लगा देना ,अगर इन्हें किसी चीज की जरूरत हो तो तुम उसका ध्यान रखना, मुझे कुछ इंपॉर्टेंट मीटिंग के लिए बाहर जाना है,,,,,
यह कहकर फिर सुनील दत्त निशा और शन्नो की तरफ देखते हुए बोले यह कामनी है मेरी सेक्रेटरी,,,,,
तब कामनी ने निशा और सन्नू की तरफ मुस्कुराते हुए हेलो कहां,,,
तब सुनील दत्त बोले मैं चलता हूं यह कहकर सुनील दत्त ने अपना बैग उठाया और बोला निशा और सन्नो मैं चलता हूं तुम कामिनी से अपना काम समझ लेना,,,,,
यह सुनकर निशा बोली जी सर,,,,,
सुनील दत्त मुस्कुराते हुए वहां से चले गए निशा और सन्नो कामनी के पीछे पीछे उसके साथ आ गई,,,,
कामनी उसे अंदर एक कमरे में लेकर आई और उसे सारा काम समझा दिया, कामनी के बताए अनुसार निशा और सन्नू काम में लग गई,,,,
पहले दिन उन्हें थोड़ी घबराहट हो रही थी लेकिन धीरे-धीरे दोनों सबसे अच्छे से घुलमिल गई यहां तक कि उनका काम भी सब को बहुत पसंद आता, यहां तक कि सुनील दत्त भी उनके काम की काफी तारीफ करते,,,,
धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे इसी तरह 2 साल गुजर गए अब सन्नो और निशा की जिंदगी में काफी कुछ बदलाव आ गया था,,,,,
कंपनी की तरफ से उन्हें एक अच्छी सोसायटी में फ्लैट रहने के लिए और ऑफिस आने जाने के लिए एक पर्सनल कार भी मिल गई थी,,,,
दोनों के पास अच्छा बैग बैलेंस था सन्नो का नाम अब बदल कर संगीता हो गया था,सन्नो उप संगीता ने अपने चौकीदार पिता से चौकीदार की नौकरी छोड़ कर अपने साथ रहने के लिए कहा,,,,
सन्नू का पिता और शन्नो झुग्गी झोपड़ी छोड़ कर उस सोसाइटी के आलीशान फ्लैट में रहने को तो आ गई, लेकिन सन्नो के पिता ने नौकरी छोड़ने से यह कहकर मना कर दिया कि मैंने मालिक का इतने साल तक नमक खाया है और जब तक मेरे हाथ पैर सही सलामत है मैं उनकी ही सेवा करना चाहता हूं, यह कह कर उसने निशा की बड़ी बुआ के बंगले के बॉडीगार्ड की नौकरी नहीं छोड़ी,,,,,
निशा और संगीता की मदद से ही उन दोनों की मदद से ही सुनील दत्त ने अपने कारोबार में काफी बढ़ोतरी की थी,,,,
निशा अब सुनील दत्त के मैंन सेक्रेटरी थी अपने काम के सिलसिले में भी अधिकतर निशा से ही सलाह मशविरा करता और काम का भार अधिकतर निशा पर ही रहता, सुनील दत्त की अनुपस्थिति में निशा ही सारा कारोबार का काम देखती थी,,,,,
निशा और संगीता के द्वारा डिजाइन की गई ड्रेस को अपने देश के साथ-साथ विदेशों में भी काफी पसंद किया गया यहां तक कि कहीं बार तो नेशनल लेवल पर आयोजित फैंसी ड्रेस कंपटीशन के लिए भी उनकी बनाई ड्रेस ओं के आर्डर आते थे,,,,
निशा और संगीता की वजह से सुनील दत्त को काफी मुनाफा हो रहा था, उसका कारोबार अब पहले से कहीं गुना ज्यादा बढ़ गया था,,,,
उधर विजय भी अपने ससुर के कारोबार को बढ़ाने में लगा हुआ था, रोमी अब विजय के साथ अपने पिता के घर ही रहती थी जिससे विजय उसके पिता का कारोबार संभाल सके,,,,
विजय की मां ने कहीं बार रोमी से उनके साथ चलने की बात कही लेकिन रोमी ने यह कहकर मना कर दिया मम्मी जी आप वहां क्या करोगी आप यही अपने घर पर रहो आपको हर महीने हम खर्चे के लिए रुपए डाल दिया करेंगे,,,,
रोमी नहीं चाहती थी कि उसकी सास उसके साथ आकर रहे जिससे उसकी आजादी में कोई रुकावट पैदा हो रोमी पहले की ही तरह अपनी जिंदगी जीती थी,,,