“तेरा नाम आख़िरी साँस तक” ❤️
🌦️बारिश की वो दोपहर
वो अक्टूबर की दोपहर थी। आसमान में बादल ऐसे घूम रहे थे जैसे किसी ने सारे दुख वहीं जमा कर दिए हों।😓 कॉलेज की घंटी बज चुकी थी, बच्चे अपने-अपने ग्रुप्स में हँसते-बोलते निकल रहे थे। लेकिन एक लड़का, आरव, चुपचाप अपने पुराने बैग को कंधे पर लटकाए, बालकनी के कोने में बैठा बारिश को देख रहा था।🙍♂️
🚶आरव गरीब था — बहुत गरीब। पिता खेतों में मजदूरी करते थे और माँ गाँव में बीमार पड़ी थी। वो शहर में किराये के कमरे में रहता था, खुद खाना बनाता था, और कॉलेज की फ़ीस बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर भरता था।📚 उसके पास न अच्छे कपड़े थे, न अच्छी लाइफ स्टाइल। लेकिन उसकी आँखों में कुछ था — बो थी सच्चाई। एक ऐसी सच्चाई जो हर झूठे चेहरे के पीछे की कहानी पढ़ लेती थी।
उसी दिन पहली बार वो देखता है आराध्या को ।🧕
बारिश में भीगी वो लड़की सफ़ेद कुर्ते में जैसे किसी दूसरी दुनिया से आई हो। उसकी हँसी में नमी थी, बाल हवा में उड़ रहे थे, और वो दोस्तों के साथ गीली ज़मीन पर कागज़ की नाव🚢 चला रही थी। आरव की नज़र वहीं अटक गई।
कुछ पल को उसे लगा, ज़िंदगी मानो जैसे रुक सी गई है।
📖अगले दिन लाइब्रेरी में फिर मुलाक़ात होती है। आरव लाइब्रेरी में अपनी किताबें लौटाने आया होता है, और आराध्य अपने प्रोजेक्ट के लिए “ rich forests and poor people ”📖 की किताब ढूँढ रही होती है। वो ऊँची शेल्फ़ पर रखी होती है, और जब वो हाथ बढ़ाती है, किताब फिसलकर नीचे ,सीधी आरव के सामने जा गिरती है।
आरव झुककर किताब उठाता है।
आराध्या को देता है ।
😀आराध्या मुस्कुराती है, बोलती है । “थैंक यू… तुम आरव हो ना? मैथ्स टॉपर?”
आरव थोड़ा झिझकता है, और बोलता है “हाँ… पर तुम मेरा नाम कैसे जानती हो?”
आराध्या हंस कर बोलती है , “कॉलेज में हर कोई जानता है कि जो सबसे कम बोलता है, वही सबसे ज़्यादा जानता है।”
उस दिन से ही दोनों की कहानी शुरू होती है।
पहले नोट्स का , फिर कॉफ़ी, फिर लाइब्रेरी के लंबे घंटे।
आरव आराध्या के लिए एक अजीब-सी शांति था — और आराध्या आरव के लिए ।
पहली बार आरव ने बिना वजह मुस्कुराया ।😊
कई महीने बीत गए। दोनों का रिश्ता गहराता गया।
लेकिन जैसे-जैसे प्यार बढ़ा, फासले भी सामने आने लगे।
आराध्या एक बहुत अमीर परिवार से थी। उसके पिता शहर के बड़े बिज़नेसमैन थे।💸
महंगी गाड़ियाँ, आलीशान बंगला, ऊँचे रिश्ते — उसके लिए सब कुछ आसान था।🏡🚙
पर आरव के लिए हर चीज़ संघर्ष थी।
एक दिन, कॉलेज कैंपस में दोनों पेड़ के नीचे बैठे थे।🌳
आराध्या बोली, “आरव, कभी सोचा है हमारा आगे क्या होगा?”
आरव ने उसकी आँखों में देखा, “मैंने तो बस इतना सोचा है कि अगर ज़िंदगी में एक चीज़ अपनी हो सकती है, तो वो तुम हो।”
आराध्या मुस्कुराई, मगर आँखें में नमी थी।
क्योंकि वो जानती थी — ये प्यार आसान नहीं है।
एक दिन आराध्या का ड्राइवर कॉलेज आया।
और बोला, “मैम, आपको बड़े साहब ने बुलाया है।”🚗
आराध्या को शक हुआ, पर बह घर गई । घर पहुँचते ही पिता उस पर चिल्ला पड़ते है ।
“ये क्या सुन रहा हूँ मैं? तुम किसी गरीब लड़के के साथ घूम रही हो?”🤬
आराध्या कुछ बोलती उसके पहले ही उसके उसके पिता उसे चुप करा देते है ।
तुम्हें उस लड़के की औकात नहीं पता!”
वो रात आराध्या ने कमरे में बंद होकर बिताई।🙍♀️
उधर आरव उसका इंतज़ार करता रहा — बारिश में, उसी पेड़ के नीचे जहाँ पहली बार उसने “आई लव यू” कहा था।❤️
अगले दिन से आराध्या का कॉलेज जाना बंद हो गया ,
फिर कई दिन गुजर गए।
आख़िरकार, एक हफ्ते बाद, आरव को एक चिट्ठी मिली
जिसमें लिखा था ।📩
"आरव, मुझे गलत मत समझना । पापा ने मेरा कॉलेज बंद करवा दिया है। मुझे लंदन भेजा जा रहा है।🌁 तुमसे दूर जा रही हूँ लेकिन तुम हमेशा मेरे दिल में रहोगे। कभी मुझे भूलने की कोशिश मत करना… क्योंकि मैं तुम्हे नहीं भूल पाऊँगी।"
वो शब्द आरव के लिए किसी ज़हर जैसे थे।
वो पेड़ के नीचे बैठा रहा, उसी जगह जहाँ आराध्या आख़िरी बार मुस्कुराई थी।🌳
बारिश फिर शुरू हो गई थी। पर इस बार, वो बारिश नहीं — उसकी आँखों से गिरते आँसू थे।
पाँच साल बीत गए।
आरव अब वही लड़का नहीं था जो कॉलेज की बालकनी से बारिश को देखा करता था।🌦️
उसने बहुत कुछ झेला, बहुत कुछ सीखा।
दिन में एक सरकारी स्कूल🏫 में बच्चों को पढ़ना और , रात में अकेले कमरे में बस एक दीवार पर आराध्या की पुरानी तस्वीर ताकते रहना — वही उसकी ज़िंदगी थी।
कभी-कभी वो अपनी पुरानी डायरी 📚 खोलता, जिसमें उसने आराध्या की हर मुस्कान, हर बात, हर वादा लिखा था।
हर पन्ने पर एक ही नाम था — आराध्या ”।
और हर पन्ने के नीचे एक ही तारीख़ — जिस दिन जब वो चली गई।”📝
लोग आरव को कहते , “भूल जा यार, वो अब किसी और की ज़िंदगी का हिस्सा है।”
लेकिन आरव जानता था — कुछ लोग यादों से नहीं, रूह से जुड़े होते हैं।💑
हर महीने, आरव एक चिट्ठी लिखता था —
आराध्या के नाम।📩
पर भेजता कभी नहीं था।
उसके पास एक लकड़ी का छोटा-सा डिब्बा था, जिसमें वो सारी चिट्ठियाँ रखता था।📦
पहली चिट्ठी जिसमें लिखा था —
" आराध्या आज भी मैं वही हूँ जो तुम्हारे बिना कुछ नहीं।"
आखरी चिट्ठी में लिखा था —📩
"कभी लौट आना, चाहे देर से ही सही। मैंने सब भुला दिया है।"📝
ऐसे ही उसके पास 100 से ज्यादा चिट्ठियां थी।
हर बार वो डिब्बा खोलता, चिट्ठी पढ़ता, और फिर आँसुओं से भीगता हुआ उसे वापस रख देता।
एक दिन, स्कूल में नया सेशन शुरू हुआ।🏫
आरव अपनी क्लास में बच्चों के नाम लिख रहा था कि किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी।👨💻
“Excuse me, can I come in?”
वो आवाज़… वही थी।
वो पल जैसे पाँच साल का वक़्त एक साँस में मिट गया।
आरव ने सिर उठाया — और देखा, दरवाजे पर आराध्या थी।🙍
वो पहले जैसी नहीं थी। चेहरे पर हल्की थकान, आँखों के नीचे काले घेरे। पर मुस्कान वही थी — जो सीधी दिल में उतरती थी।
“तुम…” आरव के शब्द अटक गए।
आराध्या बोली, “हाँ, मैं वापस आ गई हूँ… हमेशा के लिए।”
दोनों कैफे जाते है ।☕🏩
कॉफ़ी शॉप में बैठे दोनों चुप थे। बस कप से उठती भाप और पुरानी यादें थीं।
आरव बोला, “क्यों आई हो? जो बीत गया, उसे वापस लाना मुमकिन नहीं।”
आराध्या की आँखें भीग गईं।
“आरव, मैंने कोशिश की थी... तुम्हें ढूँढने की। लेकिन पापा ने मेरी ज़िंदगी कैद कर दी थी। फिर उनकी तबियत बिगड़ गई... वो इस दुनिया में नहीं रहे। और मैंने सब छोड़ दिया। 😓
आरव बस सुनता रहा।
आराध्या ने कहा, “मैं अब किसी की नहीं हूँ… अगर तुम चाहो तो…”
आरव ने धीरे से कहा, “आराध्या , ज़िंदगी ने मुझे तुम्हारे लिए इतना इंतज़ार कराया कि अब शायद खुदा भी कहेगा — अब बस कर।”
वो मुस्कुराई, ☺️मगर उसके चेहरे की मुस्कान में एक डर था। जिसमें कोई बड़ा राज छिपा था ।
एक हफ्ते बाद आराध्या फिर आरव के स्कूल आई।🏫
इस बार उसके हाथ में एक फाइल थी।📑
“आरव, मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूँ… पर वादा करो, तुम खुद को सम्भाल लोगे ।”
आरव ने सिर हिलाया।
आराध्या बोली, “मुझे कैंसर है — लास्ट स्टेज।”
वो मुस्कुरा रही थी, पर उसकी आँखें काँप रही थीं।
👨⚕️“डॉक्टर ने कहा है मेरे पास ज़्यादा वक्त नहीं। मैं बस तुम्हारे पास आख़िरी बार रहना चाहती थी।”
आरव के होंठ खुले पर आवाज़ नहीं निकली।
वो पल उसके लिए जैसे मौत से भी भारी था।
उसने आध्या का हाथ थामा, 🤝“तुम ठीक हो जाओगी…”
आराध्या बोली, “नहीं आरव, अब कुछ ठीक नहीं होगा। बस एक वादा करो — मेरे जाने के बाद भी तुम मेरे नाम से जीते रहोगे।”
दिन बीतते गए। आरव हर दिन उसे अस्पताल में मिलने जाता।🏥
वो उसे कहानियाँ सुनाता, वही कॉफ़ी 🍵लाता जो उसे पसंद थी।
आराध्या कहती, “काश वक़्त रुक जाए।”
आरव मुस्कुराता, और बोलता “रुक तो गया है आराध्या, बस अब हमारी साँसें चल रही हैं।”
एक दिन डॉक्टर👨⚕️ ने कहा, “शायद आज की रात आखरी…”🕥
आरव कमरे में आया, आराध्या शांत लेटी थी।
उसने धीमे से कहा, “आरव, याद है वो पेड़ 🌳जहाँ हम मिले थे?”
आरव “हाँ…”
आराध्या बोलती है “वहाँ एक आख़िरी बार चलेंगे?”
आरव उसे व्हीलचेयर 🧑🦼में लेकर उसी जगह पहुँचा।
बारिश हो रही थी — बिलकुल पहली मुलाक़ात जैसी।
आराध्या ने हाथ बढ़ाया, “अगर जनम होता है, तो मैं फिर उसी पेड़ के नीचे तुमसे मिलना चाहूंगी ।”
आरव ने उसके माथे को चूमा।👩❤️👨
वो मुस्कुराई… और उसकी आँखें धीरे-धीरे बंद हो गईं।
🌦️बारिश नहीं रुकी — जैसे खुद आसमान भी रो रहा था।
आराध्या की मौत के बाद, आरव की ज़िंदगी जैसे किसी ने रोक दी थी।
वो हर दिन उसी पेड़ 🌳के नीचे बैठता जहाँ उसने आख़िरी बार उसका हाथ पकड़ा था।
लोग कहते — “वो पागल हो गया है।”
पर आरव जानता था — वो पागल नहीं, सच्चा प्यार करने वाला इंसान था।🙍
हर सुबह स्कूल🏫 जाने से पहले वो फूल लेकर उसी जगह जाता,
आराध्या की तस्वीर रखता,🖼️ और धीरे से कहता,
“आज भी बारिश आई है, शायद तुम यहीं कहीं हो…”
वक़्त गुज़रता गया, पर आरव वहीं ठहरा सा रहा।
उसने हर किसी से बात करना बंद कर दिया।
न हँसी, न शिकायत — बस एक सन्नाटा जो अब उसका हिस्सा बन गया था।
एक रात, आरव अपनी पुरानी डायरी लेकर बैठा।📙
जिसमें उसने हर दर्द लिखा था, हर वादा, हर खामोशी।
उसने आख़िरी पन्ने पर लिखा —📄
“आराध्या , आज बारिश नहीं हुई। शायद आसमान भी थक गया है रोते-रोते।😭
तुमने कहा था जनम होता है तो उसी पेड़ के नीचे मिलना।
मैं वहीं रहूँगा, देखो में आज वही हूं उसी बारिश में, उसी मिट्टी के साथ…”🌳🌦️
उसने डायरी 📙बंद की, और आराध्या की पुरानी चुन्नी अपने सीने से लगा ली।🧣
वो उसी पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया —
बारिश शुरू हो चुकी थी।🌦️
अगली सुबह, लोगों ने देखा —
उस पेड़ के नीचे एक शरीर पड़ा था।
चेहरे पर मुस्कान थी, हाथ में एक फोटो — आराध्या की।
और गोद में वही लकड़ी का डिब्बा, जिसमें वो चिट्ठियाँ रखता था।📦
उसकी उंगलियों में आख़िरी चिट्ठी खुली थी,
जिस पर लिखा था —📝
“अब मैं आ रहा हूँ आराध्या… वहाँ जहाँ कोई जुदाई नहीं होगी।”
वो दिन था 5 अक्टूबर—
ठीक वही तारीख़, जब उन्होंने पहली बार एक-दूसरे को देखा था।🕥
कुछ साल बाद,👨🎓 कॉलेज में एक पेड़ के नीचे एक छोटी सी संगमरमर की पट्टी लगाई गई —
जिसमें लिखा था ।
“इस पेड़🌴 के नीचे दो रूहें मिली थीं — आरव और आराध्या ।
आज भी वो यहीं हैं, बारिश के हर कतरे में।”🌨️
कभी-कभी जब बारिश होती है,
तो लोग कहते हैं, “आज फिर उस पेड़ के पास से दो लोगों के हँसने की आवाज़ आई…”
शायद आरव और आराध्या वहीं हैं —
जहाँ किसी को कोई रोक नहीं सकता, कोई जुदा नहीं कर सकता।
वक़्त गुज़र गया, लोग भूल गए।
पर वो पेड़ अब भी खड़ा है —
हर साल 5 अक्टूबर को वहाँ पहली बारिश होती है।🌨️
कई लड़के-लड़कियाँ वहाँ बैठकर अपने वादे करते हैं,
अपने प्यार का नाम लिखते हैं —👩❤️👨
क्योंकि अब वो जगह "आराध्या-आरव ट्री" के नाम से जानी जाती है।🌴🌴
कहते हैं, अगर कोई वहाँ सच्चे दिल से किसी का नाम लिखे,
तो वो प्यार कभी अधूरा नहीं रहता।❤️
एक रात, किसी ने सपना देखा 💭 —
बारिश में वही पेड़ था।
नीचे आरव और आराध्या बैठे थे।
दोनों हँस रहे थे,😊
और आसमान में हल्की बिजली चमक रही थी।⚡
आरव ने उसका हाथ पकड़ा,
“अब कोई जुदाई नहीं, ना कोई आँसू…” आराध्या मुस्कुराई,😊
“अब हर बारिश में, 🌺हर हवा में, हर धड़कन में — हम ज़िंदा रहेंगे।”
❤️“प्यार मरता नहीं, वो बस रूप बदलता है।
कभी यादों में, कभी बारिश में, कभी किसी पेड़ के नीचे बैठी दो रूहों में…”👩❤️👨
आरव और आराध्या की कहानी ख़त्म नहीं हुई —
वो अब भी ज़िंदा है, हर उस दिल में जो सच्चे प्यार पर यक़ीन करता है।.....🤩🤩
कहानी आपको पसंद आईं हो तो कमेंट में जरूर बताए । 👍
story writer: - ...........
.......... Vikram kori !