बेखौफ इश्क – एपिसोड 18“खुद से किया वादा”रात गहरी थी, लेकिन आयाना की आँखों में नींद नहीं थी। कमरे की हल्की पीली लाइट में उसकी डायरी खुली हुई थी, जिस पर आधे लिखे शब्द ठहर गए थे – “मैं अब किसी भी रिश्ते के लिए खुद को खोऊँगी नहीं…”। �
वह पेन रोककर खिड़की के पास आ खड़ी हुई। शहर की रोशनी, दूर से आती गाड़ियों की आवाज़, और कहीं-कहीं किसी अकेले कुत्ते का भौंकना — सब उसे याद दिला रहे थे कि यह शहर अब उसका अपना है, और यहाँ वो सिर्फ किसी की प्रेमिका नहीं, बल्कि एक पूरी शख्सियत है।उसने अपने आप से धीरे से कहा, “अब जो भी होगा, मेरे फैसलों से होगा। अगर मैं गिरूँगी भी, तो अपने ही पैरों से उठना सीखूँगी।” उसके होंठों पर हल्की मुस्कान थी, लेकिन आँखों में दृढ़ता साफ दिख रही थी।शूटिंग सेट पर नया इम्तिहानअगले दिन वेब सीरीज़ का सबसे कठिन इमोशनल सीन शूट होना था। सीन में उसकी किरदार को अपने प्यार से दूर जाना था, सिर्फ खुद की पहचान बचाने के लिए। जैसे ही डायरेक्टर ने “एक्शन” कहा, आयाना के सामने अचानक संस्कार की सूरत उभर आई — वो स्टेशन वाला दिन, जब उसने नौकरी के लिए शहर छोड़ा था, और आयाना ने मजबूरी में मुस्कुराकर उसे विदा किया था।उसने अपने को-एक्टर की आँखों में देखते हुए डायलॉग बोले, “अगर मुझे तुम्हें पाने के लिए खुद को खोना पड़े, तो माफ़ करना… मैं ये सौदा कभी नहीं करूँगी।”
डायलॉग खत्म होते ही सेट पर सन्नाटा छा गया। कुछ सेकंड बाद तालियाँ गूँज उठीं। डायरेक्टर ने कहा, “परफेक्ट टेक! आयाना, तुमने सीन में जान डाल दी।”आयाना ने गहरी साँस ली, जैसे अपने ही अतीत से एक परत और पीछे हट आई हो। उसे लगा, यह सिर्फ एक सीन नहीं था, यह उसकी जिंदगी का सच था, जिसे उसने पहली बार स्वीकार किया था।रूही की जुदाई और घर की खामोशीशाम को घर लौटते ही माहौल बदला हुआ लगा। आज रूही को हॉस्टल के लिए निकलना था। सामान बंधा हुआ, माँ की आँखों में नम मुस्कान, और पापा की थकी लेकिन संतोष से भरी नज़र। �रूही ने आयाना का हाथ थामकर कहा, “दी, तुमने हमेशा मुझे उड़ना सिखाया है, लेकिन डर हटाने का हौसला तुमसे ही सीखा।”
आयाना ने उसके माथे को चूमते हुए कहा, “जहाँ भी जाओगी, दिल से जाओगी, तो रास्ते खुद-ब-खुद आसान हो जाएँगे।”बस के चलने से पहले रूही पीछे मुड़ी, हाथ हिलाकर बोली, “और हाँ, अपनी कहानी मत छोड़ना, तुम सिर्फ हमारी नहीं, दुनिया की आयाना हो।”
बस के जाते ही घर के बरामदे की चहल-पहल कम हो गई, और हवा में एक हल्की खालीपन घुल गया। पर इस खालीपन ने ही आयाना को परिवार के लिए और मजबूत बनने की जिम्मेदारी दे दी थी।राघव की दबी हुई असुरक्षाकुछ दिन बाद रात को शूट से लौटते वक्त राघव ने उसे अपनी कार में ड्रॉप करने की ज़िद की। रास्ते भर हल्की बातें होती रहीं, लेकिन राघव के चेहरे पर कुछ अनकहा सा दबा हुआ था। घर के बाहर कार रोककर वह अचानक गंभीर हो गया।“आयाना, एक बात पूछूँ?”
“हम्म, पूछो।”
“अगर कल तुम्हारे सामने फिर से संस्कार और मेरे बीच चुनने की स्थिति आए… तो?”आयाना कुछ पल के लिए चुप हो गई। उसने शीशे से बाहर झाँककर गहरी साँस ली, फिर उसकी तरफ मुड़ते हुए कहा,
“मैं अब किसी इंसान को नहीं चुनूँगी, राघव… मैं अपने सच को चुनूँगी। जो भी मेरे इस सच के साथ चल सकेगा, वही मेरे सफर में रहेगा।”राघव ने उसकी आँखों में सच्चाई देखी। उसे थोड़ी चुभन तो हुई, लेकिन उसने महसूस किया कि यही आयाना की खूबसूरती है — वह रिश्ता चाहती है, पर खुद खोकर नहीं।“ठीक है,” राघव हल्का मुस्कुराया, “तो मुझे भी तुम्हारे सच के साथ चलना सीखना होगा।”संस्कार की वापसी – अनकहे सवालअगले ही दिन संस्कार का मैसेज आया – “शहर में हूँ, मिल सकते हो?”
दिल की धड़कन तेज हो गयी, लेकिन इस बार घबराहट से ज़्यादा स्पष्टता थी। उसने जवाब दिया – “हाँ, पार्क में, आज शाम।”वही पुरानी बेंच, वही पेड़, वही हवा… पर दोनों पहले जैसे नहीं रहे थे। संस्कार पहले से अधिक परिपक्व और जिम्मेदार दिख रहा था। उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
“तुम बदल गई हो, आयाना। पहले जो आँखें सवाल करती थीं, अब जवाब लगती हैं।”आयाना ने भी बिना झिझक कहा,
“तुम भी बदल गए हो, अब भागते नहीं, बात करने आए हो।”कुछ देर वे चुप रहे। फिर संस्कार बोला,
“कभी-कभी सोचता हूँ, अगर उस समय नौकरी के बजाय तुम्हें चुनता तो… शायद कहानी दूसरी होती।”आयाना ने धीरे से सिर हिलाया,
“हो सकता है। लेकिन तब शायद मैं खुद को कभी नहीं समझ पाती। तुमने जो चुना, उसने मुझे खुद से मिलवाया। इसलिए अब अफसोस नहीं, सिर्फ समझ है।”संस्कार ने उसकी तरफ देखकर कहा,
“आज अगर मैं तुमसे कहूँ कि मैं अभी भी तुम्हें… बहुत गहराई से महसूस करता हूँ, तो?”आयाना का दिल एक पल को ठहर गया, पर उसने साफ-साफ कहा,
“संस्कार, तुम मेरे दिल की खास जगह हो, ये सच है। लेकिन अब मेरा दिल सिर्फ प्यार से नहीं भरा, उसमें मेरे सपने, मेरी मेहनत, मेरी पहचान भी है। अगर हमारा कोई रिश्ता होगा, तो वह इन सबकी इज़्ज़त के साथ होगा। आधा-अधूरा नहीं।”संस्कार ने पहली बार खुलकर मुस्कुराया, जैसे उसे उसके इस जवाब में भी एक उम्मीद नज़र आ गई हो।सेट पर अफवाहों का तूफ़ानउधर, वेब सीरीज़ के सेट पर आयाना और राघव के बारे में अफवाहें फैलने लगीं। किसी ने इंस्टाग्राम पर उनके डिनर की धुंधली फोटो डाल दी, और कैप्शन लिखा – “लीड एक्टर्स या कुछ ज़्यादा?” �अगले दिन मेकअप रूम में दो जूनियर आर्टिस्ट फुसफुसा रहे थे,
“देख ना, सामने से तो बड़ी स्ट्रॉन्ग और इंडिपेंडेंट बनती है, पर बाहर अपने ही डायरेक्टर के साथ घूमती है।”ये बातें आयाना के कानों तक पहुँचीं, पर उसने पहली बार चुप्पी तोड़ी नहीं, बल्कि दरवाज़ा खोलकर अंदर आ गई।
“अगर मेरी पर्सनल लाइफ पर बात खत्म हो गई हो, तो अब अपने डायलॉग याद कर लो। शूट पर काम से पहचान होती है, अफवाहों से नहीं।”दोनों लड़कियाँ झेंप गईं। डायरेक्टर ने बाहर से ये सब देखा और बाद में आयाना से कहा,
“तुमने बहुत मैच्योर हैंडल किया। यह इंडस्ट्री वही है, जो तुम्हें खुद के लिए बोलना सिखा देगी।”आयाना ने मन ही मन सोचा – “पहले मैं चुप रहकर रोती थी, अब बोलकर आगे बढ़ती हूँ। यही तो मेरा बेखौफ इश्क है… खुद से, अपने काम से।”माँ का डर, बेटी की ढालरात को घर लौटी तो माँ लिविंग रूम में TV बंद करके बैठी थी। चेहरे पर हल्की चिंता थी।
“आयाना, पड़ोस वाली शर्मा आंटी ने कुछ बातें कहीं… टीवी वालों ने तुम्हारे शूट और पर्सनल लाइफ पर कोई गॉसिप दिखाया था।”आयाना के लिए यह नया नहीं था, पर माँ के लिए था।
वो माँ के पास बैठ गई, उनका हाथ पकड़कर बोली,
“माँ, लोगों का काम बोलना है, हमारा काम जीना। मैं कोई गलत काम नहीं कर रही। मैं अपने दम पर काम कर रही हूँ, अपने दम पर प्यार महसूस कर रही हूँ। अगर गलती करूँगी भी, तो सीखूँगी भी। पर डरकर रुकूँगी नहीं।”माँ की आँखें भर आईं,
“बस इतना याद रखना, बेटा, तू जहाँ भी रहे, अपने ज़मीर से कभी धोखा मत करना।”आयाना ने हँसते हुए माँ के कंधे पर सिर रख दिया,
“वादा, खुद से भी नहीं, और आपसे भी नहीं।”राघव, संस्कार और एक मुश्किल फैसलाकुछ हफ्ते बाद वेब सीरीज़ के अगले सीज़न का ऑफर आया। प्रोड्यूसर्स चाहते थे कि प्रमोशन के लिए “ऑनस्क्रीन कपल” को ऑफस्क्रीन जोड़ी बनाकर ब्रांड की तरह प्रोजेक्ट किया जाए। मतलब – राघव और आयाना की “नकली प्रेम कहानी” को सोशल मीडिया पर असली जैसा दिखाना। �मीटिंग में राघव ने कहा,
“यह सब सिर्फ प्रमोशन होगा, ऑडियंस को पसंद आएगा, हमारी वैल्यू भी बढ़ेगी।”लेकिन आयाना का चेहरा सख्त हो गया।
“मतलब मुझे अपने दिल के सच से अलग एक नकली कहानी जीनी होगी, सिर्फ नाम और शोहरत के लिए?”प्रोड्यूसर ने कहा,
“यह सिर्फ इमेज मैनेजमेंट है, सब करते हैं।”आयाना ने बिना झिझक जवाब दिया,
“सब करते हैं, इसका मतलब यह नहीं कि मुझे भी करना चाहिए। मेरा चेहरा सिर्फ मेरी एक्टिंग के लिए चले, मेरे झूठे ड्रामे के लिए नहीं।”राघव ने मीटिंग के बाद अकेले में उसे रोककर कहा,
“कभी-कभी करियर के लिए थोड़ा समझौता करना पड़ता है।”आयाना ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा,
“मैंने पहले ही देखा है कि समझौतों के नाम पर कितना कुछ खो जाता है, राघव। अगर मुझे यहाँ आगे बढ़ना है, तो सच के साथ ही बढ़ूँगी। अगर तुम्हें लगता है कि मैं गलत हूँ, तो… शायद हमारी राहें यहाँ अलग हो जाएँ।”राघव कुछ पल चुप रहा, फिर धीमे से बोला,
“नहीं, तुम गलत नहीं हो… शायद मैं उतना साहसी नहीं जितनी तुम हो। लेकिन मैं कोशिश करूँगा।”भीतर की सच्चाई – बेखौफ इश्क की पहली शर्तरात को वह छत पर चली गई। हवा तेज थी, पर उसे अच्छा लग रहा था। उसने ऊपर आसमान की तरफ देखा और अपने दिल से सवाल किया –
“क्या मैं सच में प्यार करने से डरती हूँ, या खुद को खोने से?”जवाब भीतर से साफ आया —
“तुम डरती नहीं, अब सिर्फ शर्तों पर प्यार नहीं कर सकती। तुम बेखौफ इश्क चाहती हो – जिसमें तुम खुद भी ज़िंदा रहो।”उसने आँखें बंद करके संस्कार और राघव दोनों की शक्लें याद कीं। दोनों अलग थे, दोनों जरूरी थे, लेकिन इस वक्त सबसे ज़रूरी वह खुद थी।उसने अपने हाथों को सीने पर रखकर धीमे से फुसफुसाया,
“आज से मेरा पहला रिश्ता खुद से होगा। जो इस रिश्ते का सम्मान करेगा, वो मेरे दिल में जगह पाएगा। कोई भी हो।”हवा ने जैसे उसके फैसले पर मुहर लगा दी।एपिसोड 18 का अंत – एक और मुड़ाव की आहटअगले दिन उसे एक और बड़ी खबर मिली — एक नामी निर्देशक ने उसकी वेब सीरीज़ देखी थी और उसे अपनी अगली फीचर फिल्म के लिए ऑडिशन पर बुलाया था। �
मेल पढ़ते ही उसका दिल ज़ोर से धड़का। यह सिर्फ कामयाबी का मौका नहीं था, यह उसके बेखौफ सफर की अगली सीढ़ी थी।स्क्रीन पर नज़र गड़ाए उसने धीरे से मुस्कुराकर कहा,
“ठीक है ज़िंदगी… अगर तू मुझे परखेगी, तो मैं भी बिना डरे तेरे हर टेस्ट में उतरूँगी। बेखौफ इश्क सिर्फ किसी शख्स से नहीं, पूरी जिंदगी से होगा।”इसी मुस्कान के साथ एपिसोड 18 खत्म होता है — जहाँ आयाना अपना पहला और सबसे बड़ा फैसला कर चुकी है:
अब उसकी मोहब्बत का केंद्र सिर्फ कोई चेहरा नहीं, उसका खुद का अस्तित्व होगा, और जो भी उसके साथ चलेगा, उसे भी यही सच्चाई स्वीकार करनी होगी। �