Khubsurat Takraav - 5 in Hindi Love Stories by Amreen Khan books and stories PDF | खूबसूरत टकराव - 5

Featured Books
Categories
Share

खूबसूरत टकराव - 5

कबीर ने धीरे कहा, “अंकल… अब कुछ मत कहिए। अब आपकी नहीं — उनकी बारी है।”

सलीम के होंठ काँपे, “नैना… उसे बचा लेना, बेटा। जो मैंने खोया, वो तुम मत खो देना।”

नैना ने हाथ कसकर थाम लिया, “पापा, आप मुझसे कुछ नहीं छिपाएँगे अब। सच चाहे कितना भी गहरा हो, मैं अब पीछे नहीं हटूँगी।”

बाहर हवा और तेज़ हो चुकी थी। टूटे शीशों से आती ठंडी हवा सबके चेहरों को छू रही थी, जैसे आने वाले तूफ़ान का संकेत दे रही हो। रहमान अब पुलिस के घेरे में था, लेकिन उसकी मुस्कान अब भी वहीं थी — न डर, न पछतावा।

“कबीर…” रहमान ने फुसफुसाया, “तुम सोचते हो तुम जीत गए? खेल अभी खत्म नहीं हुआ। वो फाइलें… वो चिप… सिर्फ़ झलक थी। असली डेटा तो वहीं है जहाँ तुम्हारी दुनिया टिकी है — तुम्हारी अपनी कंपनी में।”

कबीर ने भौहें चढ़ाईं, “क्या मतलब?”

रहमान ने धीरे कहा, “तुम्हारे किसी बहुत करीब ने… तुम्हारे ही सिस्टम में वो वायरस डाला था जिससे सब कुछ लीक हुआ।”

कबीर का चेहरा सख्त हो गया। “कौन?”

रहमान ने ठंडी हँसी के साथ कहा, “नाम जानना चाहते हो? रुही।”

सबके चेहरे ठिठक गए।

रुही की आँखें चौड़ी हो गईं, “क्या बकवास है ये?!”

रहमान ने सिर झुकाकर कहा, “बकवास? देख लो अपने सिस्टम में। वो कोड ‘R-19’ के नाम से सेव है — R यानी रुही। जब मैंने तुम्हारी फाइलें चुराईं, मुझे पता चला कि किसी अंदरूनी यूज़र ने पहले ही ‘रहमान प्रोटोकॉल’ को एक्टिव किया था।”

कबीर ने लैपटॉप की ओर दौड़कर चेक किया — स्क्रीन पर वही कोड चमक रहा था। ‘Access: R-19’

रुही की आँखों में आँसू भर आए, “नहीं, मैं नहीं थी! रहमान झूठ बोल रहा है!”

आदित्य ने गुस्से में कहा, “रुही, ये क्या है फिर?!”

रुही ने काँपती आवाज़ में कहा, “मुझे नहीं पता… किसी ने मेरा सिस्टम हैक किया था… या शायद किसी ने मेरी ID से लॉगिन—”

रहमान ने बीच में कहा, “बचने की कोशिश मत करो। मैं ही वो था जिसने तुम्हारी ID का इस्तेमाल किया, रुही। पर अब कोई मानेगा नहीं।”

कबीर ने रहमान की ओर बढ़ते हुए कहा, “झूठ बोल रहे हो तुम! अब तुम्हारे शब्द किसी को नहीं हिलाएँगे!”

रहमान मुस्कराया, “तो देख लेना, कबीर। तुम्हारी ‘अपनों’ में से ही कोई तुम्हारा पतन लाएगा। मेरा काम बस आग लगाना था।”

तभी बाहर से एक पुलिसवाला भागता हुआ अंदर आया, “सर, रहमान के आदमी पूरे शहर में बिखर गए हैं! और कंपनी के सर्वर रूम में आग लगी है!”

कबीर का चेहरा एकदम सफेद पड़ गया। “सर्वर रूम…?”

आर्यन ने कहा, “वहीं असली डेटा है — वही सबूत जो उसे गिरा सकता था!”

नैना ने साँस खींचते हुए कहा, “तो रहमान अब आख़िरी चाल चल चुका है।”

कबीर ने मुट्ठी भींची, “नहीं, जब तक मैं साँस ले रहा हूँ — वो चाल नहीं चलेगा।”

वो दौड़ पड़ा — बाहर, कार की ओर। आर्यन उसके पीछे भागा, “कबीर! अकेले मत जा!”

कबीर पलटा, “ये लड़ाई मैंने शुरू नहीं की थी, लेकिन इसे खत्म मैं ही करूँगा।”

नैना चिल्लाई, “कबीर! रुको!”

पर वो जा चुका था।

रुही ने काँपते हुए कहा, “आदित्य… हमें भी जाना होगा। अगर सच में सर्वर रूम जल गया तो सब खत्म।”

आदित्य ने सिर हिलाया, “हाँ, चलो!”

सब कारों में बैठ गए। शहर की सड़कों पर सायरन बज रहे थे। दूर से धुआँ उठ रहा था — वही दिशा जहाँ कबीर की कंपनी थी।


---

🔥 सर्वर रूम – आधी रात

दरवाज़े की दीवारें आग से लाल थीं। कबीर ने भीतरी गेट तोड़ा और अंदर घुसा — आँखों में आँसू, साँसें भारी, पर कदम ठहरने को तैयार नहीं।

वो काँच के सर्वर पैनल तक पहुँचा — मॉनिटर पर कोड तेजी से चल रहा था: Deleting... 87% completed.

कबीर ने बिजली के तार खींचे — कुछ पल के लिए स्क्रीन ब्लिंक हुई।

“नहीं… रुक जाओ!”

आर्यन अंदर घुसा — चेहरा धुएँ से भरा, पर दृढ़। “कबीर, सुनो! मैं सिस्टम को बाईपास कर सकता हूँ! मुझे पासवर्ड दो!”

कबीर ने झिझकते हुए कहा, “पासवर्ड बदल चुका है! अब सिर्फ़ रहमान के पास है!”

आर्यन ने चुपचाप जेब से एक पुरानी पेन ड्राइव निकाली। “यही तो असली चाबी है।”

कबीर ने हैरान होकर कहा, “ये तुम्हारे पास कैसे?”

आर्यन मुस्कराया, “क्योंकि कभी ये कंपनी मेरी भी थी।”

वो झुका, कोड डालना शुरू किया। कबीर उसके साथ झुक गया। दोनों की साँसें मशीनों की आवाज़ के साथ धड़कने लगीं।

95%... 96%... 97%...

कबीर ने चिल्लाकर कहा, “जल्दी करो, आर्यन!”

98%...

आर्यन ने आख़िरी लाइन टाइप की — और स्क्रीन पर लिखा आया: “Data Backup Successful.”

दोनों ने एक साथ राहत की साँस ली।

पर उसी वक्त, ऊपर की दीवारें टूटने लगीं। छत का लोहे का टुकड़ा गिरा — सीधा आर्यन के कंधे पर।

“आर्यन!!” कबीर ने उसे थामा।

आर्यन ने दर्द में कहा, “डेटा… सेफ़ है… अब जा, कबीर।”

“नहीं, मैं तुम्हें छोड़कर नहीं जाऊँगा!”

आर्यन ने मुस्कराते हुए कहा, “तुमने जो खोया था, अब बचा लो — नैना को, अपने लोगों को… मुझे जाने दो।”

कबीर की आँखों में आँसू आ गए, “तू दुश्मन नहीं था, है ना?”

आर्यन ने हल्की हँसी के साथ कहा, “नहीं… मैं वो दोस्त था जो गलत समझा गया।”

छत का बड़ा हिस्सा गिरा — और कबीर पीछे धकेला गया। धुएँ में आर्यन की परछाई गुम हो गई।

कबीर ने चीखकर कहा, “आर्यन!!!”

पर जवाब में बस आग की आवाज़ थी।


---

🌫️ सुबह

धुआँ थम चुका था। फायर ब्रिगेड की गाड़ियाँ खड़ी थीं। पुलिस रिपोर्ट बना रही थी।

नैना दौड़ती हुई आई — चेहरा आँसुओं से भरा। “कबीर!!”

वो राख के ढेर में बैठा था, हाथ में वही पेन ड्राइव पकड़े। “डेटा… सेफ़ है,” उसने धीमे से कहा।

नैना ने उसे गले लगाया, “आर्यन…?”

कबीर ने दूर की ओर देखा — जहाँ राख के बीच सिर्फ़ एक टूटी घड़ी पड़ी थी।

“वो चला गया… लेकिन वो झूठ नहीं था, नैना। उसने जो कहा — सब सच था।”

नैना रोते हुए बोली, “तो अब क्या करेंगे?”

कबीर ने उसकी ओर देखा — “अब सच दुनिया के सामने लाएँगे। आर्यन की कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी।”

उसने ड्राइव पुलिस को दी। रुही और आदित्य पास खड़े थे — चुप, पर गर्व भरी निगाहों से।

राजवीर आगे आए। “कबीर, आज अगर मेरी बेटी जिंदा है तो तेरी वजह से।”

कबीर ने शांत स्वर में कहा, “नहीं, अंकल… आर्यन की वजह से।”


---

🌒 रात – एक नया सवेरा

समाचार चैनलों पर हेडलाइन चमक रही थी — “रहमान शाह गिरफ़्तार, नज़दीकियाँ प्रोजेक्ट का सच उजागर।”

लाखों लोगों का डेटा सुरक्षित था। सलीम शाह का नाम साफ़ हुआ। और आर्यन सिंह… एक गुमनाम नायक बन गया।

नैना छत पर खड़ी थी, हवा में चाँदनी खेल रही थी। उसने आसमान की ओर देखा और फुसफुसाई — “तुमने जो कहा था, वो सच था… प्यार कभी नहीं मरता।”

कबीर पीछे आया। “वो कहीं गया नहीं, नैना। वो हमारे बीच ही है — हमारे सच में।”

नैना मुस्कुराई, आँसू पोंछे, और आसमान की ओर देखा — जहाँ एक टूटता तारा चमका।

“शायद वो ही था…” उसने धीरे कहा।


---

✨ एपिलॉग (आख़िरी लाइन)

राख के ढेर में, एक जली हुई घड़ी के नीचे, एक छोटी सी पेन ड्राइव अब भी चमक रही थी।

उसमें नया फ़ोल्डर खुला: “Game Not Over.”

और स्क्रीन काली हो गई —
कहानी यहाँ थमी, पर खेल… अब भी जारी था।
रूहों का मिलन

मौसम में एक अलग-सी मिठास घुल चुकी थी। मुंबई की सर्दियों में ठंडी हवाएँ समुद्र से आतीं और चाँदी जैसी चमक लिए हवा में झूलतीं। कबीर के घर — “शाह रेसिडेंस” — में हफ़्तों बाद इतनी रौनक थी।

दरवाज़े पर झालरें लटकी थीं, सोने-चाँदी के रंग की लाइटें दीवारों पर चमक रही थीं।
लॉन में मोगरे और गुलाब की खुशबू तैर रही थी।
और आँगन में, एक हल्की-सी आवाज़ बार-बार गूँज रही थी —

“कबीर की शादी है… कबीर की शादी है…”

कबीर की माँ, शामली शाह, जिनका चेहरा पिछले कुछ महीनों से चिंता में डूबा रहता था, आज पहली बार मुस्कुरा रही थीं।
वो हाथ में पूजा की थाली लिए नैना के नाम का कंगन देख रही थीं — वह वही कंगन था जो उन्होंने अपने लिए तब बनवाया था जब उनके सलीम ने उन्हें पहली बार शादी का तोहफ़ा दिया था।

“अब ये मेरी बहू का होगा,” उन्होंने धीरे से कहा, और आँसू पोंछ लिए।


---

🎀 नैना का घर – हल्दी की सुबह

नैना के घर में तो जैसे रंगों का सैलाब उतर आया था।
पीली चुनरी, हल्दी की महक और लड़कियों की खिलखिलाहट पूरे मोहल्ले में गूँज रही थी।

सहेलियाँ बार-बार चिढ़ा रही थीं —
“अरे नैना! अब तो ‘मिस नैना’ से ‘मिसेज़ कबीर’ बनने वाली हो!”

नैना शर्मा रही थी। उसके हाथों में लगी हल्दी से सारा चेहरा सुनहरा हो गया था।
बगल में उसकी माँ, माया, खुश होकर बोलीं,
“मेरी बेटी तो सच में परी लग रही है।”

नैना ने मुस्कराकर कहा, “माँ, मैं तो अब डर रही हूँ… पता नहीं मैं उस बड़े घर में एडजस्ट कर पाऊँगी या नहीं।”

माया ने उसके बालों पर हाथ फेरा,
“जहाँ प्यार हो, वहाँ सब एडजस्ट हो जाता है, बेटी।”

हल्दी की रस्म के बाद जब सब हँसी-मज़ाक में मग्न थे, तभी दरवाज़े पर कबीर की छोटी बहन रिया आई, जो रंग-बिरंगे उपहार लेकर आई थी।
“भाभी के लिए शाह परिवार का पहला गिफ़्ट!”

उसने जैसे ही बॉक्स खोला, अंदर से एक नाजुक सुनहरे जाल का लहंगा निकला, जिस पर मोती और जरी का काम था।

सारी सहेलियाँ एक साथ चिल्लाईं, “वाह!!”

नैना की आँखें चमक उठीं। उसने वो लहंगा अपनी गोद में लिया — जैसे कोई सपना थाम लिया हो।


---

💍 शादी की तैयारियाँ शुरू

अगले ही दिन से तैयारियों का शोर हर गली में गूँजने लगा।
शाह हवेली में मेहंदी, संगीत, बारात — सबकी अलग-अलग कमेटियाँ बन गईं।
शामली माँ खुद सारी डेकोरेशन देख रहीं थीं।
“मोगरे की माला हर खिड़की पर लगाओ… और दरवाज़े पर गुलाबी गुलाब की आर्च बनाओ,” उन्होंने आदेश दिए।

किचन से महक रही थी इलायची, केसर और घी की खुशबू।
हलवाई बड़े-बड़े कढ़ावों में गाजर का हलवा और शाही टुकड़ा बना रहे थे।
कबीर बार-बार चखने के बहाने किचन में झाँक रहा था।

“भाई साहब! अभी से मिठाई खा लोगे तो शादी के दिन सूट फिट नहीं आएगा!”
रिया ने हँसते हुए कहा।

कबीर ने मुस्कराकर जवाब दिया, “अरे, शादी मेरी है, मिठाई तो मेरी ही होगी।”


---

🌹 नैना की शॉपिंग

नैना अब रोज़ नई जगहों पर जा रही थी — ज्वेलरी, लहंगे, मेकअप आर्टिस्ट…
हर चीज़ में उसकी सादगी झलकती थी।

“भाभी,” रिया बोली, “थोड़ा ब्राइडल लुक तो लीजिए, इतनी सिंपल ड्रेस तो कॉलेज फेयरवेल में पहनती हैं लड़कियाँ।”

नैना ने मुस्कराते हुए कहा,
“मुझे तो बस ऐसा लहंगा चाहिए जो कबीर को देखकर मुस्कुरा दे — बस।”

सोनार की दुकान में जब उसने एक सेट चुना — पन्ना और सोने का — तो शामली माँ बोलीं,
“यही सही रहेगा। इसमें वही शांति है जो तुम्हारे चेहरे में है।”

माँ-बेटे की आँखों में हल्की नमी थी।
शामली को अब सलीम की याद आ रही थी —
काश वो आज होते तो अपने बेटे की ये ख़ुशी देख पाते।


---

🎶 संगीत की रात

संगीत की शाम जैसे किसी फ़िल्म का सेट लग रही थी।
लाल और सुनहरे पर्दों से सजा स्टेज, जगमग लाइटें और पृष्ठभूमि में ‘तुम ही हो बंधु’ की धुन।

कबीर काले शेरवानी में खड़ा था, बालों पर हल्का जेल, चेहरे पर वही आत्मविश्वास।
और जब नैना मंच पर आई — गहरे मरून रंग के लहंगे में, मोती की झिलमिल में लिपटी — सबकी साँसें थम गईं।

कबीर की नज़र बस उसी पर टिक गई।
पृष्ठभूमि में म्यूज़िक बदला —
धीमी, रूहानी धुन बजने लगी।

रिया और बाकी दोस्तों ने डांस परफॉर्म किया — “गल्लां गुड़ियां…”
फिर नैना और कबीर की बारी आई।
दोनों की आँखें मिलीं — और सब कुछ जैसे थम गया।

“तू ही है प्यार मेरा…”
कबीर ने धीरे से उसका हाथ थामा।
नैना मुस्कराई — और पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा।


---

💫 शादी से एक दिन पहले – भावनाओं की रात

शामली माँ अपने कमरे में अकेली बैठी थीं। उनके सामने सलीम की तस्वीर रखी थी।
“देखो सलीम… तुम्हारा बेटा अब बड़ा हो गया है। उसकी ज़िंदगी में वही आई है जो तुम जैसे सच्चे दिलवाले की हक़दार थी।”

वो तस्वीर से बोलते हुए मुस्कुराईं, “अब सब कुछ पूरा लग रहा है।”

उसी वक्त कबीर अंदर आया और उनकी गोद में सिर रख दिया।
“माँ, आप खुश हैं न?”

शामली ने उसके बालों को सहलाते हुए कहा,
“बहुत… बस तू हमेशा यूँ ही अपनी नैना की रक्षा करता रहना।”

कबीर ने कहा, “वो मेरी जान है माँ।”


---

🪞 शादी की सुबह

सुबह सूरज की किरणें हवेली के हर कोने में बिखर गई थीं।
ढोल-नगाड़े की आवाज़, शहनाई की धुन और फूलों की खुशबू एक साथ हवा में घुली थी।

नैना के कमरे में मेकअप आर्टिस्ट तैयार कर रही थी।
उसका चेहरा जैसे किसी परी का था — सिंदूरी दुपट्टा सिर पर, माथे पर झूमर, और होंठों पर हल्की मुस्कान।

बाहर सहेलियाँ गा रही थीं —
“आज न सईयाँ सेर ले आएँ…”

माँ ने आँचल से नैना की नज़र उतारी।
“भगवान करे, तेरी ज़िंदगी हमेशा ऐसी ही खुशियों से भरी रहे।”


---

🎉 बारात का स्वागत

सड़क पर बारात निकल चुकी थी।
घोड़ी पर कबीर शेरवानी में सवार था, सिर पर लाल साफ़ा, आँखों में चमक।
दोस्त नाच रहे थे, डीजे बज रहा था, रिया रंग-बिरंगे नोट लहरा रही थी।

जब बारात नैना के घर पहुँची, तो पूरी गली में फूलों की बारिश होने लगी।
दरवाज़े पर नैना खड़ी थी — लाल लहंगे में, हाथों में मेहंदी, आँखों में आँसू और मुस्कान दोनों साथ।

कबीर ने उसे देखा — और पलभर के लिए शोर सब थम गया।
बस उनके बीच नज़रें बोलीं —
“अब कोई जुदाई नहीं।”


---

🔔 फेरे – सात वचन

मंदिरनुमा मंडप फूलों से सजा था।
पंडित जी ने मंत्र पढ़ना शुरू किया।
अग्नि के चारों ओर बैठे कबीर और नैना ने एक-दूसरे का हाथ थामा।

पहला फेरा: “साथ निभाने का…”
दूसरा: “सम्मान का…”
तीसरा: “विश्वास का…”
चौथा: “सुख-दुख में साथ का…”
पाँचवाँ: “अपनों की सेवा का…”
छठा: “हमेशा सच्चे प्रेम का…”
सातवाँ: “हर जन्म साथ निभाने का…”

हर वचन के साथ नैना की आँखें नम होती गईं, और कबीर का चेहरा और दृढ़।

जब उसने सिंदूर लगाया —
सारी हवेली में “हर हर शंकर” की आवाज़ गूँज उठी।

शामली माँ ने आँसुओं में भी मुस्कराया —
“मेरे सलीम, तेरे बेटे की नई ज़िंदगी शुरू हो गई।”


---

🕯️ रात का समापन – एक नई शुरुआत

रात में जब सब मेहमान चले गए, कबीर और नैना छत पर आए।
समुद्र से आती हवा उनके चेहरे छू रही थी।
कबीर ने धीरे से कहा,
“तुम्हें पता है, नैना… जब पहली बार तुम्हें देखा था, लगा था जैसे कोई कहानी पूरी हो गई।”

नैना मुस्कराई,
“और अब वो कहानी शुरू हुई है, कबीर।”

कबीर ने उसकी आँखों में देखा,
“अब कोई रहस्य नहीं, कोई डर नहीं… सिर्फ़ हम।”

नैना ने सिर उसकी छाती पर रख दिया।
दूर आसमान में आतिशबाज़ी फूटी —
चमकते हुए अक्षर बने —
“कबीर ❤️ नैना”


---

🌙 

समुद्र की लहरें नीचे टकरा रहीं थीं।
और कमरे में कोने की टेबल पर वो पुरानी पेन ड्राइव अब भी पड़ी थी —
जिस पर नया नोट लिखा था:
“The End of War, Beginning of Love.”

कहानी अब शांति में थी…
पर हवा में अब भी वही वादा तैर रहा था —
“कबीर और नैना – दो रूहें, एक कहानी।”


---

शादी के बाद की नई शुरुआत

शाह हवेली की सुबह कुछ अलग ही थी।
सूरज की पहली किरणों ने महल की हर झिलमिलाती खिड़की को सोने में डुबो दिया था।
कबीर और नैना की शादी को अभी एक ही रात बीती थी, लेकिन हवेली में ऐसा लग रहा था जैसे खुशियों की बारिश हर कोने में फैल गई हो।

कबीर, शेरवानी की जगह हल्के नीले शर्ट और क्रिम पैंट में नज़र आया। वह बालकनी में खड़ा चाय की चुस्की ले रहा था।
नैना, लाल और सुनहरे रंग के लहंगे के बजाय हल्के गुलाबी सूट में, हल्की मुस्कान लिए उसके पास आई।

“तुम सच में इतनी जल्दी तैयार हो गई?” कबीर ने हँसते हुए पूछा।
नैना ने सिर हिलाया, “शादी के बाद की पहली सुबह है, क्यों न तुम्हें चाय बनाकर खुश करूँ?”


---

🍲 घर का पहला नाश्ता

रसोई में महक कुछ और ही थी।
शामली माँ, माया और नैना की बहनें मिलकर घर का पहला नाश्ता तैयार कर रही थीं।
ताज़े पराठे, हल्का सा आलू का भरता, और आम का अचार — हर चीज़ में प्यार की खुशबू घुली थी।

कबीर ने जब पहला पराठा हाथ में लिया, तो उसकी आँखों में चमक थी।
“नैना, तुम्हारे हाथ की यह खुशबू… मैं भूल नहीं सकता।”
नैना मुस्कराई और बोली,
“अब तो हर सुबह इसी खुशबू के साथ शुरू होगी।”

शामली माँ दोनों को देखकर सोच रही थीं —
“सलीम, तेरी सीख ने अपने बेटे को एक अद्भुत जीवन दिया।”


---

🛍️ घर में नई जिम्मेदारियाँ

शादी के बाद का जीवन हल्के तनाव और नई जिम्मेदारियों से भरा था।
कबीर ने अपने ऑफिस का काम संभाला, लेकिन घर के कामों में नैना को हर समय मदद करते देखा।
नैना भी धीरे-धीरे इस नए परिवार में अपनी जगह बना रही थी।

रोगी-मोहल्ले की मदद, घर के छोटे-बड़े फैसले, और छोटी-छोटी खुशियाँ — यह सब नई आदतें बन गई थीं।

कभी-कभी दोनों छत पर बैठकर पुरानी बातें याद करते।
“याद है, पहली बार जब हम मिले थे?” नैना ने हँसते हुए पूछा।
“हाँ… और तुम्हारी आँखों में जो झलक थी, वही मुझे आज तक खींचती रही।”
दोनों हँस पड़े।


---

🎁 पुराने रहस्य की झलक

लेकिन इस सुखद माहौल में भी एक हल्की चिंता थी।
अमनी — विराज की दुश्मन, अलविना की माँ — अब भी चुपके-चुपके अपने प्लान्स बना रही थी।
कबीर की शादी की खुशियों के बीच, उसकी निगाहें हमेशा किसी नए चालाक़ी की तैयारी में थीं।

कभी-कभी नैना के सामने भी कुछ चीज़ें अस्पष्ट लगतीं।
एक दिन, नैना ने देखा कि उसके कमरे के बाहर एक संदूक रखा है, जिस पर अलविना का नाम लिखा हुआ था।
उसने दरवाज़ा खोला, लेकिन संदूक खाली था।
“कबीर, ये क्या है?” उसने पूछा।
कबीर ने मुस्कराकर कहा,
“शायद कोई पुरानी यादें… कभी खुलेंगी, कभी नहीं।”

लेकिन नैना ने महसूस किया — कुछ रहस्य अभी भी हवेली में घूम रहे हैं।


---

🌺 परिवार की पहली छोटी पार्टी

शादी के बाद पहली बार पूरे परिवार ने छोटी पार्टी का आयोजन किया।
मेहमानों में पुराने दोस्त, रिश्तेदार और पड़ोसी थे।
हँसी, बातें और मिठाइयों की खुशबू — सब कुछ माहौल को जीवंत बना रहा था।

कबीर और नैना ने मिलकर पहला डांस किया।
संगीत हल्का था, लेकिन दिलों की धड़कन तेज़।
दोनों के बीच अब कोई डर नहीं था — सिर्फ़ प्यार और भरोसा।

शामली माँ और माया दोनों भावुक थीं।
“अब ये बच्चा-परिवार, हर ख़ुशी में साथ रहेगा,” माया ने कहा।


---

🌙 रात का समापन

रात जब सब चले गए, हवेली फिर से शांति में थी।
कबीर और नैना छत पर बैठे थे।
तारे उनके ऊपर चमक रहे थे।

कबीर ने धीरे से कहा,
“नैना… ये नई शुरुआत है। हमारी खुशियाँ अब पूरी तरह हमारी हैं, लेकिन जीवन में हमेशा कुछ न कुछ रहस्य बने रहेंगे।”
नैना ने सिर झुकाया, “हां, लेकिन अब हम साथ हैं, हर रहस्य का सामना करेंगे।”

दोनों ने हाथ में हाथ थाम लिया और चाँद की रोशनी में अपने नए जीवन की शुरआत का वादा किया।


---
शालिनी का डबल गेम

हवेली की सुबह हमेशा की तरह सुनहरी धूप में नहाई हुई थी।
नैना ने रसोई में हल्के पराठे और चाय बनाई, और शालिनी माँ के सामने मुस्कुराते हुए उसे परोस दिया।

“नैना, तुम सच में इस घर की रौनक हो। तुम्हारा हाथ में जादू है,” शालिनी ने प्यार से कहा।

नैना ने सिर झुकाकर कहा, “आप की दुआओं से सब अच्छा लगता है।”
कबीर, जो कि ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था, मुस्कुराया और बोला,
“माँ, आपने भी नैना की तारीफ कर दी।”
शलिनी ने धीरे से कबीर की ओर देखा, उसकी आँखों में मोहब्बत और गर्व था।
“हाँ बेटा, वो सच में हमारी बेटी जैसी है। तुम्हारी बहुत खुशकिस्मती है।”

कबीर का दिन ऑफिस में व्यस्त था, लेकिन घर में शालिनी का असली खेल शुरू हो गया।


---

🔥 नैना पर पहला zulm

कबीर के ऑफिस जाने के बाद, शालिनी की असली शक्ल सामने आई।
नैना अपनी आदत के मुताबिक चाय बना रही थी।

“माँ, चाय?” नैना ने पूछा।
“हाँ, जल्दी ला दो,” शालिनी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा।

लेकिन जैसे ही नैना चाय टेबल पर रखती, शालिनी ने अचानक उसके हाथ पर चाय गिरा दी।
नैना की चीख निकल गई, लेकिन उसने खुद को संभाला और बोली,
“ओह, कोई बात नहीं। मैं ठीक हूँ।”

यह नैना के लिए पहला झटका था।
उसने महसूस किया कि शालिनी केवल दिखावा कर रही है। सबके सामने प्यार, और अकेले में zulm।


---

🪑 छोटे-छोटे ताने

दिन भर शालिनी ने नैना को छोटे-छोटे तरीके से परेशान किया:

कभी वह कुर्सी हटा देती और नैना को पीछे से धक्का दे देती।

कभी वह रसोई में कोई चीज़ गिरा देती, और नैना को फर्श साफ करना पड़ता।

कभी हाथ में झूठी मिठाई थमा देती और अचानक गरम पानी का छींटा गिरा देती।


नैना चुप रहती, क्योंकि वह जानती थी कि अगर कबीर को पता चला तो उसकी नजरों में उसकी माँ का मान गिर जाएगा।
हर दर्द और जलन को सहते हुए नैना ने खुद को मजबूत रखा।


---

🏰 घर में प्यार और डर का मिश्रण

कबीर जब घर लौटता, तो शालिनी हमेशा नैना के प्रति पूरी तरह प्यार और आदर दिखाती।
“नैना, तुम्हारी दुआ से खाना हमेशा स्वादिष्ट लगता है,” वह कहती।
नैना मुस्कुराकर जवाब देती, “आप की दुआओं से ही सब अच्छा लगता है।”

लेकिन जैसे ही कबीर ऑफिस या बैठक से बाहर निकलता, शालिनी का असली चेहरा सामने आता।
नैना के लिए यह हर दिन का डर और चुनौती बन गया।


---

🌙 नैना की चुप्पी और दर्द

रात के समय, नैना अपने कमरे में अकेली थी।
उसने अपने हाथों पर बने दाग़ देखे और दिल में कहा,
"कबीर को कुछ पता नहीं चलेगा… मैं सब सह लूंगी।"

हर zulm के बाद, नैना की आँखों में आँसू और दर्द था, लेकिन कबीर के सामने उसकी हिम्मत और प्यार का चेहरा कभी नहीं गिरता।
शलिनी की चालाक़ी अब और तेज़ हो रही थी, और नैना की सहनशीलता भी चरम सीमा पर।


---

💔 एक अंदरूनी युद्ध

कहानी अब इस मोड़ पर थी,

जहाँ कबीर का भरोसा और प्यार नैना के लिए सबसे महत्वपूर्ण था।

वहीं शलिनी का डबल गेम और zulm हर दिन बढ़ रहा था।


नैना जानती थी कि इसे सहना ही उसके लिए सबसे सुरक्षित रास्ता है।
लेकिन हर zulm के साथ, उसका दर्द धीरे-धीरे उसके भीतर एक आग की तरह फैल रहा था, जो भविष्य में किसी बड़ी घटना का कारण बन सकती थी।


---
सूरज की सुनहरी किरणें धीरे-धीरे कमरे में फैल रही थीं। हल्की हवा में फूलों की खुशबू घुली हुई थी। Naina, शादी की हल्दी और सिन्दूर से अभी भी हल्की सुगंध लिए, अपना काम कर रही थी। Kabir ने सुबह जल्दी ऑफिस जाने की तैयारी की थी। वह बाहर निकल गया और दरवाज़ा बंद होते ही घर का माहौल अचानक बदल गया।

Shalini ने अपने चेहरे पर वही मीठी मुस्कान रखी जो Kabir के सामने हमेशा रहती थी। वह धीरे-धीरे Naina के पास आई और उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए बोली, “Naina, मेरी बेटी, तुम्हारे बिना घर सूना लगता है। क्या ख्याल है, आज मैं तुम्हारे लिए कुछ खास बनाऊँ?”

Naina ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया, “जी Ma, आप हमेशा मेरी परवाह करती हैं।”

शालिनी ने अपनी आँखों में चमक लिए कहा, “तुम सच में बहुत अच्छी बहू हो, मुझे हमेशा गर्व रहा है कि Kabir ने तुम्हें चुना।”

लेकिन जैसे ही Kabir का कदम घर से बाहर पड़ गया, वही मीठी मुस्कान एक ठंडी और तीखी नजर में बदल गई। Shalini ने धीरे से कहा, “आज तुम्हें थोड़ा सबक सिखाना पड़ेगा।”

Naina अभी भी समझ नहीं पाई थी कि उसकी माँ-सी दिखने वाली इस महिला के भीतर कितना खेल छुपा हुआ है। पहले तो Shalini ने Naina को रसोई में बुलाया और कहते हुए बोली, “आज तुम मुझे हाथ में चाय बनाकर दो।”

Naina ने चाय बनाई और कप Shalini के हाथ में थमा दिया। Shalini ने जैसे ही चाय उठाई, अचानक उसकी उँगली से कप गिर गया और चाय Naina के हाथ पर गिर गई। Naina ने दर्द से चीखते हुए हाथ खड़ा किया, और Shalini बस धीरे से मुस्कुराई। “ओह मेरी गलती! ध्यान से हाथ रखना चाहिए था ना?” Kabir के सामने ये सब बिल्कुल innocuous लगेगा, लेकिन असल में यह सिर्फ शुरुआत थी।

कुछ ही समय बाद Shalini ने Naina के सामने पुराने झूमर को उठाया और अचानक उसे झटके से गिरा दिया। Naina की तरफ़ देखकर बोली, “अरे बेटा, सावधान रहना चाहिए था। गिर गया तो चोट लग सकती थी।” Kabir के सामने यह सब बस मुँह से हँसते हुए और सज्जनता दिखाने वाली बात होगी, लेकिन Kabir के बाहर होते ही Shalini की चालें और भी तेज़ हो गईं।

Naina चुपचाप अपने कमरे में बैठ गई। उसने अपने आप से कहा, “Kabir को कभी नहीं बताऊँगी… मुझे इसका असर उसकी आँखों में नहीं दिखने देना। मुझे सब कुछ सहना होगा।”

दिन बीतता गया, Shalini का zulm दिन-ब-दिन बढ़ता गया। कभी Naina के सामने बर्तन गिरा देती, कभी उसे छोटे-छोटे कामों में परेशान करती, और कभी बिना कारण चिल्ला देती। लेकिन Kabir के सामने Shalini ने हमेशा वही प्यारी माँ वाली भूमिका निभाई। Naina के लिए यह मानसिक और शारीरिक दबाव बनने लगा।

एक दिन सुबह Naina ने सोचा कि कपड़े धो ले, तभी Shalini ने झरने की तरह चुपचाप कमरे में कदम रखा। “तुम सोचती हो मैं नहीं देख रही कि तुम्हारे कपड़े गंदे हैं?” Shalini ने मुस्कराते हुए कहा, लेकिन जैसे ही Naina झुककर कपड़े उठाने लगी, Shalini ने अचानक उसे धक्का दे दिया। Naina गिर गई और घबराई, “Ma! ये क्या कर रही हैं आप?” Shalini ने बस धीरे से कहा, “तुम्हें हमेशा सावधान रहना चाहिए।”

Naina ने दिल में खुद को संभाला। Kabir को कभी यह नहीं दिखना चाहिए कि उसकी माँ के हाथ से उसे चोट लगी है। वह धीरे-धीरे उठी और काम पूरा किया।

रात को, घर की रौशनी में Naina खाना बना रही थी। Shalini ने पास आकर उसके बालों में हाथ फेरा और Kabir के आने का इंतजार किया। जैसे ही Kabir ने दरवाज़ा खोला, Shalini ने अपनी सारी नरमी और प्यार दिखाया। उसने Kabir को गले लगाया और कहा, “Kabir beta, आज तुम्हारी बहू ने खाना बनाया है। सच में उसकी मेहनत देखो।” Kabir ने मुस्कुराते हुए कहा, “Ma, Naina हमेशा मेरी दुनिया को रोशन करती है।”

लेकिन Kabir के जाने के बाद Shalini ने Naina को फर्श पर खींचा और धीरे से उसे डाँटने लगी। “तुम सोचती हो मैं सब देख नहीं रही?” उसने कहा, “आज तुमसे चाय गिर गई, कल क्या होगा देखना।”

Naina अब जान गई थी कि उसे अब और अपने मन को मजबूत करना होगा। वह Kabir को कभी नहीं बताएगी कि उसकी माँ उसके साथ zulm कर रही है। उसकी आँखों में दर्द था, पर Kabir के लिए उसने सब कुछ सह लिया।

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए। Shalini ने Naina के सामने खाना पकाते समय उसे अचानक धक्का दिया, चम्मच गिरा दी, और Naina को घबराया हुआ देखा। उसने बस धीरे से कहा, “ओह मेरी गलती, ध्यान रखना चाहिए था।” Naina ने चुपचाप मुस्कुराया, लेकिन भीतर से टूट रही थी।

शादी के बाद घर में कई समारोह भी हुए। Mehfil में Naina को Kabir के सामने हमेशा आदर और प्यार दिखाना पड़ा। Shalini ने अपने हर शब्द और हर हाव-भाव से Kabir को यह दिखाया कि वह अपनी बहू से बहुत प्यार करती हैं। Naina के लिए यह सब सहना मुश्किल था, लेकिन उसने Kabir की आँखों में अपने माता-पिता की इज्ज़त गिरने नहीं दी।

एक दिन Shalini ने अचानक Naina को कमरे में बुलाया। “तुम्हें नया साड़ी पहनना चाहिए।” उसने Kabir के जाने के बाद, Naina को एकदम tight-spot में रखा और साड़ी पहनते समय उसे गिरा दिया। Naina ने दर्द से हाथ पकड़ लिया। Shalini ने बस मुस्कुराया। “सावधान रहना चाहिए।”
हर दिन Naina की समझ बढ़ती गई, कि वह कैसे Kabir को सच नहीं दिखाएगी, कैसे अपने आप को और अपनी भावना को नियंत्रित करेगी। कभी-कभी जब Kabir घर आता, Shalini उसके सामने Naina के लिए इतना प्यार दिखाती कि Kabir खुश हो जाता। Naina के लिए यह एक जाल था—जो उसे बाहर से सुरक्षित और अंदर से परेशान कर रहा था।

रात को, जब घर में सब सो रहे होते, Shalini धीरे से Naina के कमरे में आती। वह हर रोज़ नए तरीके से Naina को मानसिक और शारीरिक परीक्षा देती—कभी चाय, कभी बर्तन, कभी झटके। Naina ने अपने आप से कहा, “मुझे यह सब सहना है, Kabir के लिए, क्योंकि मैं नहीं चाहती कि उसकी माँ की छवि धूमिल हो।”

दिन-ब-दिन Naina की सहनशीलता बढ़ती गई। वह खुद को मजबूत कर रही थी। Shalini के zulm के बावजूद, Naina Kabir के लिए हमेशा वही प्यारी बहू बनी रही। Kabir को कभी पता नहीं चला कि उसकी माँ की आँखों में नफरत और प्यार दोनों कैसे coexist करते थे।

Shalini ने कभी Kabir के सामने न दिखने वाला zulm बढ़ाया, कभी छोटी-छोटी चालें खेलीं, लेकिन Kabir के सामने हमेशा वही प्यार और आदर दिखाया। Naina ने खुद को सिखा लिया था कि कैसे इस double mind game को झेलना है।

और इस तरह, शादी के बाद घर में एक छिपा हुआ drama चलता रहा—Kabir और Naina का प्यार मजबूत होता गया, लेकिन Shalini के zulm और छल ने घर को एक रहस्यमय और suspense भरे माहौल में रखा।

हर दिन Naina की ताकत बढ़ रही थी, हर दिन Kabir का प्यार उसके लिए मजबूत आधार बन रहा था। Shalini का खेल चाहे जितना भी चालाकी से बढ़े, Naina का धैर्य और Kabir के प्यार ने उसे हमेशा सुरक्षित रखा।


---

पहले हल्की चाय बनवाकर Naina के हाथ पर गिरी—Naina झुकी, दर्द सहती रही। फिर बर्तन गिराए, झूमर गिरा दिया और बस धीमे से मुस्कुराई, “सावधान रहना चाहिए।” Naina ने चुपचाप सब सहा, Kabir को कभी नहीं बताने का संकल्प लिया।

रात में Kabir घर लौट आया। Shalini ने उसे गले लगाया, “देखो, मेरी बहू ने कितना अच्छा खाना बनाया।” Kabir मुस्कुराया, unaware कि अभी तक Naina उसके सामने zulm सह रही थी।

घर में फूलों की खुशबू और मिठास के बीच, Naina की आँखों में दर्द छुपा था। Shalini का खेल हर दिन नया मोड़ ले रहा था। Kabir के सामने प्यार, Kabir के बाहर zulm—Naina अब सीख रही थी कि कैसे सब सहकर Kabir की दुनिया को सुरक्षित रखे।
Wait for next chapter.. Padhte rahiye ख़ूबसूरत टकराव