Khubsurat Takraav - 3 in Hindi Love Stories by Amreen Khan books and stories PDF | खूबसूरत टकराव - 3

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खूबसूरत टकराव - 3

कबीर की योजना स्पष्ट थी — दोनों परिवारों को एक जगह इकट्ठा करना, दिलों को जीतना, और नैना की सच्चाई को सामने लाना। लेकिन उसे पता नहीं था कि इस बीच, अंधेरों में कोई उसकी चाल को पहले ही पढ़ चुका था।

रात को, कबीर अपने कमरे में बैठा अपने नोटबुक में योजना लिख रहा था।
राहुल ने मैसेज किया — “चैरिटी ड्राइव का सेटअप पूरा। शालिनी आंटी को कल शाम बुला लिया।”
कबीर ने मुस्कुराते हुए फोन बंद किया, लेकिन तभी खिड़की पर हल्की परछाई दिखाई दी।

“कबीर…” एक आवाज़ में हल्की ठंडी हँसी थी।
वो तेजी से खड़ा हुआ, लेकिन कोई नहीं था। केवल हवाओं में पेड़ों की सरसराहट।
“नैना?” उसने फुसफुसाया।
लेकिन उसके दिल में डर की एक हल्की सनसनाहट थी। यह खेल केवल परिवार का नहीं था। कोई और भी पीछे से उन्हें देख रहा था।


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अगली सुबह, कबीर और नैना ने चैरिटी ड्राइव की तैयारी के लिए घर की पिछवाड़े वाली गार्डन में मुलाकात की।

“कबीर, ये सच में तुम्हारी योजना है कि दोनों परिवारों को इकट्ठा किया जाए?” नैना ने आश्चर्य में पूछा।
“हाँ,” कबीर ने कहा, “लेकिन इस बार सिर्फ़ प्यार ही नहीं, सावधानी और समझदारी भी हमारी हथियार हैं।”

नैना ने मुस्कुराते हुए कहा, “तो ये सिर्फ़ रोमांस नहीं… अब यह मिशन भी बन गया है।”
कबीर ने उसका हाथ थामा, “हमारा मिशन — प्यार और जीत।”

लेकिन जैसे ही दोनों की नजरें मिलीं, दूर से किसी की परछाई ने उन्हें चुपके से देखा।
वो मुस्करा रहा था — वही आर्यन की परछाई, जिसकी चाल कभी खत्म नहीं हुई।


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चैरिटी ड्राइव का दिन

दिन आया। गार्डन सज चुका था।
नैना ने इंटीरियर प्लानिंग की थी — फूल, लाइट्स, और छोटे-छोटे बुटीक स्टॉल्स।
कबीर ने परिवारों को गाइड किया कि कैसे छोटे छोटे इवेंट में शामिल हों और सहज माहौल बने।

शालिनी और अरविंद मुलाकात के लिए थोड़े संकोच में थे।
सलीम शाह और शबनम शाह भी वहां थे, लेकिन अभी भी समाज की नजरें उनके ऊपर थीं।

कबीर ने धीरे से कहा, “आज बस देखिए, प्यार और भरोसा काम करता है या नहीं।”
नैना ने मुस्कराते हुए कहा, “और थोड़ी नज़दीकियाँ भी।”


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लेकिन तभी, अचानक, गार्डन के एक कोने में एक अजीब हलचल हुई।
राहुल ने तुरंत आदित्य को इशारा किया।
आदित्य ने अपने कैमरे की स्क्रीन पर देखा — वहाँ कोई बिना पहचान के व्यक्ति ड्राइव के पास खड़ा था, उसकी निगाहें सिर्फ़ नैना और कबीर पर थीं।

“ये कौन है?” आदित्य ने फुसफुसाया।
कबीर की दिल की धड़कन तेज़ हो गई।
“आर्यन… वही खेल शुरू करने वाला है।”

नैना की आँखें डर से बड़ी हो गईं, लेकिन कबीर ने उसका हाथ कसकर थामा।
“डर मत, मैं हूं। अब तक जो भी खेल हुआ, अब उसे खत्म करने का समय है।”


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पहला ड्रामा – अप्रत्याशित धमाका

जैसे ही चैरिटी ड्राइव की शुरुआत हुई, अचानक बिजली चली गई।
स्टॉल्स अंधेरे में डूब गए। लोग चिल्लाने लगे।
कबीर ने नैना को अपनी बाँहों में थामा, और आदित्य ने सुरक्षित जगह पर उन्हें खड़ा किया।

अचानक, एक धमाके की आवाज़ गार्डन में गूंज उठी।
कुछ लोग डर से भागे, लेकिन कबीर ने देखा — आर्यन की परछाई स्टेज पर खड़ी थी।
वो मुस्करा रहा था, और हाथ में एक लिफ़ाफ़ा था।

कबीर ने उसे फुसफुसाया, “अब खेल खत्म होगा, आर्यन।”
आर्यन की परछाई ने हल्की ठंडी हँसी की, और गायब हो गई, जैसे हवा में घुल गई हो।

नैना कांप रही थी, लेकिन कबीर ने उसे गले से लगा लिया।
“डर मत, मैं तुम्हें कभी अकेला नहीं छोड़ूँगा।”


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दूसरा ड्रामा – परिवार की प्रतिक्रिया

इस बीच, दोनों परिवारों की निगाहें कबीर और नैना पर थीं।
शालिनी ने धीमे स्वर में कहा, “बेटा, ये तुम्हारी ज़िंदगी है… पर सावधानी रखो।”
सलीम शाह ने गंभीर स्वर में कहा, “कबीर, अगर ये सब खेल तुम्हारे प्यार के लिए है, तो तुम्हें समझदारी से काम लेना होगा। मेरी बेटी का जीवन जोखिम में मत डालो।”

कबीर ने सिर हिलाया, “अंकल, मैं केवल उसे खुश रखना चाहता हूँ। और ये खतरा खत्म कर दूँगा।”


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तीसरा ड्रामा – आर्यन की वापसी

जैसे ही ड्राइव खत्म होने लगी, आर्यन की परछाई फिर से दिखाई दी।
इस बार उसने स्टेज के पीछे से एक पैकेट फेंका।
कबीर ने तेजी से उसे पकड़ा — और देखा कि पैकेट में एक नोट और कुछ पुराने फोटो थे।

नोट पर लिखा था —
“अगर तुमने नैना को अपने परिवार के सामने लाया, तो केवल प्यार ही नहीं, तुम्हारी दुनिया भी खतरे में होगी। खेल अभी खत्म नहीं हुआ।”

कबीर की आँखों में गुस्सा और चिंता दोनों थे।
नैना ने फुसफुसाया, “कबीर… अब ये केवल प्यार का खेल नहीं है, अब यह जीवन और मौत का खेल बन गया है।”

कबीर ने ठंडी आवाज़ में कहा, “तो खेल खेलेंगे… लेकिन अब मेरे नियम से। कोई मुझे या नैना को डराने वाला नहीं।”


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राहुल, रुही और आदित्य उसके साथ थे।
कबीर ने कहा, “अब हमें आर्यन को सिर्फ़ प्यार और इज़्ज़त के साथ नहीं, बल्कि अपनी समझदारी और साहस से हराना होगा।”

नैना ने उसकी आँखों में देखा, “कबीर… चाहे जो भी हो, मैं तुम्हारे साथ हूँ।”

कबीर मुस्करा कर बोला, “और यही हमारी ताक़त है। अब ड्रामा, सस्पेंस, और एडवेंचर शुरू होता है।”

कबीर की आँखों में आज कुछ अलग चमक थी। वो घर के लॉबी में खड़ा था, हाथ में नोटबुक और प्लानिंग की लिस्ट लिए। आज का दिन खास था — सिर्फ़ नैना और उसके परिवार को प्रभावित करने का नहीं, बल्कि अपनी माँ और पिता को मनाने का भी।
“आज या कभी नहीं,” उसने खुद से कहा।

राहुल और आदित्य पहले से ही बाहर इंतज़ार कर रहे थे। रुही नैना के घर में थी — सबको कम्युनिकेशन में रखने और किसी अप्रत्याशित घटना से निपटने के लिए।

कबीर ने गहरी साँस ली और अपनी माँ शालिनी की तरफ़ देखा। शालिनी का चेहरा शांत और कठोर था, पर उसकी आँखों में हमेशा की तरह सतर्कता और जाँच की चमक थी।

“माँ… मुझे बस एक मौका दें। एक ही मौका,” कबीर ने धीरे और गंभीर स्वर में कहा।

शालिनी ने ठंडी निगाहों से उसे देखा।
“कबीर, मौका… ये शब्द तुम कई बार कह चुके हो। लेकिन प्यार सिर्फ़ शब्दों से नहीं निभाया जाता। आज तुम अपने शब्दों से दिखाओ कि तुम्हारी मोहब्बत कितनी सच्ची है।”

कबीर ने सिर हिलाया और बाहर की ओर कदम बढ़ाया।
राहुल ने उसकी पीठ थपथपाई, “तैयार हो, यार। ये ड्रामा सिर्फ़ शुरू हुआ है।”
आदित्य ने मोबाइल पर सुरक्षा व्यवस्था फाइनल की, “मैं हर एंगल कवर करूँगा। कोई भी अप्रत्याशित कोशिश नहीं बच पाएगी।”


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योजना का पहला सस्पेंस

नैना ने भी घर में तैयारियाँ शुरू कर दी थीं। वो अपने डिज़ाइन वाले नोटबुक को संभालते हुए सोच रही थी, “क्या ये दोनों परिवार सच में एक साथ आएँगे? क्या कबीर की योजना काम करेगी?”
रुही ने मुस्कुराते हुए कहा, “चिंता मत करो, नैना। कबीर ने हर छोटी बात सोची है। बस हमें शांत रहना है और हर इशारा समझना है।”

नैना ने गहरी साँस ली।
“ठीक है, पर मुझे डर है। पिता अब भी संकोच कर रहे हैं, और आरहान…” उसकी नज़र भाई की तरफ़ गई, जो चुपचाप उन्हें देख रहा था।
“आरहान भी अब कुछ ज्यादा कठोर हो सकता है,” रुही ने कहा। “लेकिन याद रखो, नैना… कबीर तुम्हारे लिए सब सह जाएगा। तुम्हें सिर्फ़ भरोसा करना है।”


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ड्रामा की शुरुआत

ड्राइव के दिन, कबीर ने सबको इकट्ठा होने के लिए गार्डन में बुलाया। वो जगह “नज़दीकियाँ” नाम के प्रोजेक्ट के लिए सजाई गई थी।
दोनों परिवार धीरे-धीरे पहुँचने लगे।
कबीर ने अंदर आते हुए मुस्कराया, “सब लोग आ गए। अब बस दिलों को जोड़ना है।”

राहुल ने उसे इशारा किया, “ध्यान रखो, माँ की निगाहें सबसे ज्यादा तेज़ हैं।”

शालिनी, जो बाहर से देखने आई थी, थोड़ी झिझकी, लेकिन अंदर कदम रखा।
नैना की माँ शबनम ने भी हाथ जोड़कर स्वागत किया। सलीम शाह थोड़े गंभीर, लेकिन अंदर से शांत।

कबीर ने धीरे से कहा, “हम सबको आज सिर्फ़ एक चीज़ दिखानी है — कि प्यार सच्चा हो तो हर बाधा छोटी लगती है।”


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पहली चुनौती

जैसे ही मीटिंग शुरू हुई, आरहान ने अपनी कड़ी नजरें डाली।
“कबीर, मुझे साफ़-साफ़ बताओ — तुम हमारी नैना के लिए क्या करने वाले हो? क्या तुम्हें हमारी पारिवारिक रीति-रिवाजों का आदर है?”
कबीर ने हँसते हुए कहा, “आरहान, मैं सिर्फ़ उसे खुश रखना चाहता हूँ। और यही खुशी हमारी सभी परंपराओं में है।”

आरहान ने कड़ा स्वर लिया, “तुम्हारे वादे सिर्फ़ शब्द हैं। मैं देखता रहूँगा।”
कबीर ने मुस्कान के साथ सिर हिलाया।
“मैं जानता हूँ। और हर दिन तुम्हारा विश्वास जीतने की कोशिश करूँगा।”


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अप्रत्याशित ट्विस्ट — खतरे का अहसास

जैसे ही ड्रामा शुरू हुआ, आदित्य ने अपने कान में कान लगाया।
“कबीर, बाहर कुछ अजीब लोग खड़े हैं। लगता है कोई इस मुलाकात को रोकना चाहता है।”

कबीर ने तुरंत देखा — गार्डन के बाहर दो शख़्स संदिग्ध नजर आ रहे थे।
“राहुल, रुही — बाहर जाँच करो। किसी भी तरह की समस्या पहले ही रोकनी होगी।”
रुही तुरंत बाहर गई, और आदित्य ने सुरक्षा सुनिश्चित की।

नैना के हाथ हल्के काँपने लगे।
“कबीर… क्या ये लोग खतरे में हैं?”
कबीर ने उसका हाथ थामा, “डर मत। मैं यहाँ हूँ। कोई भी तुम्हें छू नहीं पाएगा।”

लेकिन गार्डन में हल्की खटखट सुनाई दी।
कबीर ने ध्यान से देखा — परछाई धीरे-धीरे पीछे की ओर बढ़ रही थी।
“किसी ने हमारी योजना को भेदने की कोशिश की है। रुकी रहो,” उसने फुसफुसाया।


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रोमांस और ड्रामा का संगम

इस बीच, नैना ने अपनी आँखें कबीर की ओर उठाई।
“कबीर… तुम्हारे साथ होना, चाहे खतरा हो या डर, मुझे डरता नहीं। पर ये सब अचानक क्यों?”
कबीर ने मुस्कुराया, “मोहब्बत में हर पल रोमांच है। और तुम्हारे साथ हर रोमांच आसान लगता है।”

दोनों ने हाथ थामे, और खामोशी में सिर्फ़ अपने दिल की धड़कनें सुनाई दी।
कबीर ने धीरे कहा, “हमारा प्यार सिर्फ़ हमारी कहानी नहीं… ये सबको दिखाना है कि सच्चा प्यार हर चुनौती से जीतता है।”


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पहली सच्चाई का सामना

कबीर ने धीरे से अपनी माँ की ओर देखा।
“माँ, मैं जानता हूँ कि आपने मुझे हमेशा सही राह दिखाई। पर इस बार मुझे खुद अपनी राह चुननी है।”

शालिनी ने कठोरता भरी निगाह से उसे देखा।
“कबीर… तुम्हारी राह पर मैं हमेशा तुम्हारे लिए खड़ी हूँ। पर क्या तुम्हारे कदम सही होंगे?”
कबीर ने झुककर कहा, “सही कदम वही है, जहाँ नैना खुश हो और उसका भरोसा हमेशा मेरे साथ रहे।”


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सस्पेंस बढ़ता है

जैसे ही मुलाकात आगे बढ़ी, गार्डन में अचानक बिजली चली गई।
लोग हल्का डर गए, और अंधेरे में परछाइयाँ और तेज़ नजर आने लगीं।
कबीर ने तुरंत सभी को सुरक्षा की ओर इशारा किया।
“डरें मत… मैं हर चीज़ संभाल लूँगा।”

नैना के दिल की धड़कन तेज़ हो गई।
“कबीर… ये सब अचानक क्यों?”
कबीर ने उसका हाथ कसकर पकड़ा।
“क्योंकि प्यार में रोमांच कभी चेतावनी नहीं देता। और जो सही है, वही सामना करना पड़ता है।”


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ड्रामा, थ्रिल और रोमांस का मिश्रण

लोग धीरे-धीरे अंधेरे में अपने-अपने स्थान पर गए।
कबीर और नैना खड़े थे, हाथ में हाथ लिए।
कबीर ने धीरे कहा, “हमारा प्यार अब सिर्फ़ हमारे लिए नहीं… अब ये परिवारों की कहानी भी है। और मैं इसे हर हाल में पूरा करूँगा।”

नैना ने मुस्कुराकर कहा, “अगर हम साथ हैं, तो हर अंधेरा भी रोशनी लगने लगता है।”

आदित्य ने चुपचाप सभी सुरक्षा उपाय सुनिश्चित किए।
राहुल और रुही ने गार्डन के बाहर संभावित खतरे को ट्रैक किया।

लेकिन गार्डन के एक कोने में, एक अनजान शख़्स की परछाई अभी भी हर हलचल पर नजर रख रही थी।


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सस्पेंस का क्लिफ़हैंगर

जैसे ही बिजली वापस आई, सब कुछ सामान्य लगने लगा।
लेकिन कबीर ने महसूस किया — कोई अभी भी योजना को विफल करने की कोशिश कर रहा है।
उसने नैना को धीरे से अपनी बाँह में लिया।
“हमारे प्यार की ताक़त आज दिखी। पर सच अभी सामने आना बाकी है।”

नैना ने उसकी आँखों में झाँका।
“कबीर… हमें संभल कर चलना होगा। ये सिर्फ़ शुरूआत है।”

कबीर ने सिर हिलाया।
“और चाहे जो भी आए… मैं तुम्हारे लिए लड़ूँगा। चाहे दुनिया के हर नियम, हर डर और हर परिवार के विरोध में भी।”


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और इस तरह, गार्डन की मुलाकात पूरी हुई —
पर खतरे की परछाई अभी भी गुप्त थी।
नैना और कबीर के प्यार ने परिवारों के बीच पुल बना दिए थे, लेकिन सस्पेंस और रोमांच अभी खत्म नहीं हुए थे।

अगले अध्याय में:

कबीर और नैना को परिवारों के भीतर अप्रत्याशित विरोध का सामना करना होगा।

एक नया रहस्यमय पात्र सामने आएगा, जो इस प्यार की जंग में बाधा बन सकता है।

रोमांस और थ्रिलर का संगम और भी गहरा और खतरनाक होगा।

गार्डन की मुलाकात खत्म होने के बाद, हवा में एक अजीब-सा तनाव फैल गया था।
कबीर और नैना अभी भी हाथ में हाथ लिए खड़े थे। उनके बीच की दूरी जैसे अब और बढ़ना नामुमकिन थी। परन्तु, गार्डन के कोने में जो परछाई थी, उसने अब उनकी कहानी को और जटिल बना दिया था।

“कबीर… मुझे डर लग रहा है,” नैना ने धीरे से कहा।
कबीर ने उसे पास खींचते हुए कहा, “डर छोड़ो, नैना। हम साथ हैं। और कोई भी हमें अलग नहीं कर सकता।”

लेकिन तभी आदित्य की निगाहें अचानक गार्डन के पीछे के बड़े बगीचे की ओर गईं।
“कबीर, वहाँ कुछ है। कोई छिपा हुआ है।”
कबीर ने तुरंत आँखें तेज़ कर दीं।
“तैयार रहो। ये कोई मामूली घटना नहीं है।”


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रहस्यमय आगंतुक

बगीचे के अंधेरे में धीरे-धीरे एक आकृति उभर रही थी। उसका चेहरा अंधेरे में अस्पष्ट था, पर कदमों की आवाज़ें साफ़ सुनाई दे रही थीं।
नैना ने डरते हुए कबीर की बाँह मजबूत पकड़ ली।
“कबीर… ये कौन हो सकता है?”

कबीर ने सख्ती से कहा, “जैसे ही ये कदम करीब आएंगे, मुझे पता चल जाएगा। और याद रखना, तुम बस मेरे पीछे रहो।”

आकृति बगीचे के सामने आई। बिजली की रोशनी में उसका चेहरा दिखा — एक आदमी था, जिसकी आँखों में ठंडा और योजनाबद्ध डर था।
“तुम लोग बहुत आगे बढ़ रहे हो… लेकिन हर प्यार की कहानी की एक कीमत होती है,” उसने धीरे और गंभीर स्वर में कहा।

कबीर ने पाँव जमाते हुए जवाब दिया, “अगर तुम रोकने आए हो, तो जान लो — मैं कभी पीछे नहीं हटूँगा। और ये लड़ाई सिर्फ़ मेरी नैना के लिए नहीं, बल्कि हमारे प्यार के लिए है।”


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पारिवारिक मतभेद

वहीं घर में, नैना के पिता सलीम शाह ने अपनी आँखें तान ली थीं।
“नैना… क्या ये सब सही है? कबीर सच में भरोसेमंद है?”
नैना ने शांत स्वर में कहा, “पिता, मैं जानती हूँ कि आप मेरे लिए सोच रहे हैं। लेकिन कबीर… उसका प्यार और इरादा सच्चा है। मुझे उस पर भरोसा है।”

सलीम ने माथा टिकाया, परन्तु आँखों में चिंता साफ़ झलक रही थी।
“अगर तुम गलत साबित हुई, तो इसका जिम्मेदार कोई नहीं होगा… बस तुम।”
नैना ने सिर झुकाया।
“पिता, मैं अपनी राह खुद चुनूँगी। और मुझे यकीन है कि कबीर मेरे साथ है।”


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पहले टकराव की घड़ी

कबीर ने उस रहस्यमय शख़्स की ओर कदम बढ़ाया।
“तुम कौन हो और हमारी मुलाकात को क्यों परेशान कर रहे हो?”
शख़्स ने हल्की मुस्कान दी, “मैं सिर्फ़ सच दिखाने आया हूँ। प्यार आसान नहीं होता, कबीर। और तुम्हारी राह में कई झूठ और रहस्य हैं।”

कबीर ने कड़ा स्वर लिया, “झूठ और रहस्य… मैं किसी से डरता नहीं। और अगर तुम्हारा इरादा खराब है, तो मैं तुम्हें रोक दूँगा।”

रुही और आदित्य तुरंत पास आए।
“कबीर, हम तुम्हारे साथ हैं। कोई भी खतरा आए, हम उसे संभाल लेंगे।”

नैना ने भी धीरे कहा, “हमेशा की तरह, मैं भी तुम्हारे साथ हूँ। डरने की जरूरत नहीं।”

लेकिन रहस्यमय शख़्स ने धीरे फुसफुसाया, “सिर्फ़ तुम ही नहीं… सबका खेल बदलने वाला है।”


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योजना का खुलासा

कबीर ने अपने मोबाइल पर नोटबुक खोली और जल्दी-जल्दी रणनीति बनाई।
“रुही, आदित्य… बाहर से सुरक्षा सुनिश्चित करो। किसी को भी पास नहीं आने देना।
नैना, तुम मेरे साथ रहो। और जो भी सामने आए, उसकी हर चाल का जवाब मुझे देना है।”

शख़्स ने आगे बढ़ने की कोशिश की, परन्तु कबीर ने तुरंत कदम रखा।
“कदम मत बढ़ाओ। ये जगह अब हमारी है।”

उसने पीछे देखा — नैना की आँखों में विश्वास और डर दोनों झलक रहे थे।
“डर नहीं, नैना। अब हम सब मिलकर हर चुनौती का सामना करेंगे।”


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रोमांस और थ्रिल का मिश्रण

बिजली की हल्की चमक में, कबीर और नैना के हाथ एक दूसरे से जुड़े रहे।
कबीर ने धीरे से कहा, “जब दुनिया हमारे खिलाफ हो, तब प्यार ही हमारी ताक़त है। और मैं तुम्हारे लिए हर चीज़ सह जाऊँगा।”

नैना ने मुस्कुराकर कहा, “अगर हम साथ हैं, तो कोई भी अंधेरा रोशनी में बदल सकता है।”

रुही ने आदित्य की ओर इशारा किया, “देखो, खतरा अब भी पास है। उसे नजरअंदाज मत करो।”

और इसी बीच, रहस्यमय शख़्स ने अचानक पीछे से हमला करने की कोशिश की।

कबीर ने तेज़ी से कदम बढ़ाए और शख़्स को रोका।
“यहाँ से दूर रहो। अगर तुमने हमारी मुलाकात में दखल दी, तो इसका परिणाम तुम्हारे लिए भारी होगा।”


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पहली जीत और अगले सस्पेंस की तैयारी

रुही और आदित्य ने मिलकर शख़्स को गार्डन से बाहर भगाया।
नैना ने राहत की साँस ली।
“कबीर… तुमने हम सबको बचा लिया।”

कबीर ने मुस्कराया, “हमेशा की तरह, हमारी टीम मजबूत है। लेकिन सच कहूँ, डर अभी खत्म नहीं हुआ। ये सिर्फ़ शुरूआत है।”

नैना ने सिर हिलाया।
“तो फिर हम तैयार हैं। जो भी आए, हम उसका सामना करेंगे। साथ में।”


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खतरनाक क्लिफ़हैंगर

बगीचे के किनारे, रहस्यमय शख़्स की परछाई अभी भी गुप्त थी।
वो दूर से सबको देख रहा था, और उसकी आँखों में कोई डर नहीं था — सिर्फ़ योजना और इंतजार की चमक थी।

कबीर ने नैना का हाथ कसकर पकड़ा।
“हमारा प्यार जितना मजबूत है, उतना ही सावधान भी होना होगा। क्योंकि हर जीत के पीछे, एक नया खतरा छिपा होता है।”

नैना ने धीरे से कहा, “और हम हर खतरे का सामना करेंगे… साथ में।”

और इस तरह, रात का अंधेरा गहरी सस्पेंस और रोमांस में बदल गया।

अगले अध्याय में:

कबीर और नैना को परिवारों की तरफ़ से अप्रत्याशित विरोध का सामना करना होगा।

रहस्यमय शख़्स अपनी असली मंशा दिखाएगा, और कहानी में नया ट्विस्ट आएगा।

रोमांस, थ्रिल और ड्रामा का संगम और भी तेज़ होगा।


कबीर ने गहरी साँस ली। उसकी आँखों में आग और इरादे की चमक दोनों थी।
रात का शहर उसके चारों ओर सो रहा था, लेकिन उसके दिल में तूफ़ान उठ रहा था। “आज या कभी नहीं,” उसने खुद से कहा। नैना का हाथ उसके हाथ में था, उसकी नर्मी उसे ताक़त दे रही थी।

राहुल, रुही और आदित्य पहले से तैयार थे। गार्डन में छुपकर उन्होंने सभी इंतज़ाम किए थे।
राहुल ने दूर से हँसते हुए कहा, “भाई, बस अब नज़दीकियाँ इवेंट शुरू होगी। दोनो परिवार आएँगे, और सच्चाई सामने आ जाएगी।”

कबीर ने सिर हिलाया, लेकिन उसकी आँखें किसी अनजान खतरे को तलाश रही थीं।
“सिर्फ़ सच्चाई सामने लाने से काम नहीं चलेगा,” उसने सोचा, “मुझे इसे इतना मजबूती से पेश करना होगा कि कोई पल में बहाना न बना सके।”


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दूसरी ओर, शालिनी और अरविंद अपने कमरे में बैठे थे।
शालिनी ने अरविंद को धीरे कहा, “पापा, मुझे डर है कि कबीर इस बार बहुत ज़िद करेगा। और अगर ये सब पब्लिक हो गया…”
अरविंद ने उसका हाथ थामते हुए कहा, “हमेशा की तरह, हम देखेंगे। पर बेटा अब बड़ा हो चुका है। ज़िद और प्यार में फर्क समझना अब उसकी जिम्मेदारी है। हमें बस संतुलन बनाना होगा।”

लेकिन शालिनी के दिल में झिलमिलाती चिंता थी। उसने सोचा, “क्या ये नैना सच में उतनी सही है? क्या वो मेरे बेटे की दुनिया में इतनी मजबूती से टिक पाएगी?”


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नैना की तैयारी
नैना ने गार्डन में जाने से पहले अपने कमरे में खिड़की के पास खड़े होकर देखा।
“कबीर… आज सबकुछ सामने आएगा। माँ-बाप, परिवार, समाज — सब देखेंगे। लेकिन मैं डरने वाली नहीं।”
उसकी आँखों में दृढ़ता थी, लेकिन हल्की सी चिंता भी।

उसने अपने बालों को पीछे किया और दीपक की रोशनी में देखा कि कबीर का मुस्कान उसका इंतजार कर रही थी।
वो अंदर से खुद से वादा कर रही थी: “मैं अपनी मोहब्बत के लिए हर बाधा पार करूँगी। चाहे कितनी भी मुश्किल आए।”


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गार्डन में मुलाकात
नज़दीकियाँ प्रोजेक्ट का गार्डन सज चुका था।
फूलों की खुशबू और हल्की रोशनी ने माहौल को एक तरह का जादू बना दिया था।
कबीर ने नैना का हाथ थामते हुए कहा, “बस अब किसी को बहाना नहीं मिलेगा। आज सब देखेंगे कि हमारा प्यार केवल झूठा नहीं, बल्कि सच्चा और समझदारी से भरा है।”

राहुल ने चुपके से कहा, “भाई, ये वाला मोमेंट देखो, दोनों परिवार कैसे रिएक्ट करेंगे।”

नैना की माँ शबनम और पिता सलीम शाह पहले ही पहुंचे थे।
नैना ने गहरी साँस ली और धीरे-धीरे कहा, “पापा, माँ… ये वही दिन है जिसका मैं इंतज़ार कर रही थी। अब बस सच्चाई सामने आए। और कबीर, मेरे साथ है।”

कबीर ने सिर हिलाया और दोनों की आँखें एक-दूसरे में मिलीं।


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शालिनी और अरविंद की एंट्री
शालिनी अपने पति के साथ आईं। उनका चेहरा सख्त, लेकिन आंखों में थोड़ी नरमी थी।
अरविंद ने कहा, “हम बस देखना चाहते हैं कि सब कुछ सही और सम्मानजनक तरीके से हो।”
कबीर ने नर्म मुस्कान दी, “आप बस देखिए। मैं नैना के लिए हर कठिनाई सह लूँगा।”

शालिनी की आँखों में झिझक थी, पर कुछ कह नहीं सकीं।


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मुलाकात शुरू
कबीर और नैना ने धीरे से कदम बढ़ाए।
सभी परिवारिक सदस्य अपने-अपने स्थान पर खड़े थे।
कबीर ने शालिनी की ओर देखा, “माँ, मैं आज सिर्फ़ अपने प्यार की सच्चाई दिखाने आया हूँ। कृपया इसे सिर्फ़ देखिए।”

नैना ने सलीम शाह की ओर देखा, “पापा, मैं आपसे डर नहीं रही हूँ। मैं सिर्फ़ अपने प्यार और भरोसे के लिए खड़ी हूँ।”

कठिन मोड़:
लेकिन तभी, किसी ने हल्की हँसी की आवाज़ गार्डन में फैलते देखा।
सभी ने चारों ओर देखा, पर वहाँ कोई दिखाई नहीं दिया।
कबीर की नज़रें सतर्क हो गईं।
“ये… कोई और है?” उसने अंदर से सोचा।

रुही ने धीरे कहा, “भाई… ये शायद वही पुरानी साज़िश की परछाई हो सकती है। याद है, वही लिफ़ाफ़ा और खून की बूंद?”

कबीर ने चुपचाप सिर हिलाया।
“आज सब सामने आएगा, चाहे कोई भी खेल खेल रहा हो।”


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ड्रामा का पहला झटका
सलीम शाह ने थोड़ी झिझक के साथ कहा, “कबीर… मैं देख रहा हूँ कि तुम सच्चे हो। पर परिवार और समाज की बातें?”
कबीर ने ठंडी आवाज़ में कहा, “पापा, समाज की बातें तब मायने नहीं रखती, जब दिल और विश्वास की कीमत हो।”

शालिनी ने कांपते स्वर में कहा, “बेटा, ये केवल तुम्हारी जिंदगी का नहीं… हमारी इज्ज़त का भी सवाल है।”
कबीर ने फटकर कहा, “माँ, इज्ज़त तब तक मायने नहीं रखती जब नैना का दिल टूटे। और मैं कभी उसके दिल को नहीं तोड़ने दूँगा!”

नैना ने हल्का हाथ पकड़कर कहा, “कबीर… शांत रहो। सही और समझदारी से सब संभालेगा।”


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सस्पेंस का ट्विस्ट
अचानक, गार्डन की पीछे वाली झाड़ी में हलचल हुई।
सबकी नज़रें वहाँ गईं।
एक अज्ञात छाया बाहर आई, चेहरा अस्पष्ट था, पर आँखों में एक चमक थी — जैसे वह किसी पुरानी कहानी का हिस्सा हो।
कबीर ने सटीक अंदाज़ा लगाया — ये वही व्यक्ति हो सकता है जिसने पहले नैना और उसके परिवार को धमकाया था।

कबीर ने धीरे से कहा, “नैना… संभलकर।”
रुही ने फुसफुसाया, “मैं आदित्य को बुलाती हूँ।”

आदित्य तुरंत झाड़ी की ओर गया।
छाया धीमे कदमों से गार्डन में आई, और चौंकाने वाली आवाज़ में बोली,
“तो ये है वह लड़की और लड़का… जो मेरी चाल को मात देने की कोशिश कर रहे हैं।”

कबीर ने कदम बढ़ाया, “बताओ… तुम कौन हो? और अब तक क्यों हमारे बीच खलल डालते रहे?”

छाया ने मुस्कुराते हुए कहा,
“मैं वो हूँ जो खेल शुरू किया था। लेकिन अब, खेल की असली चुनौती शुरू होती है। और ये केवल प्यार और परिवार की लड़ाई नहीं — अब ये जीवन और मौत की लड़ाई भी है।”


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नैना की प्रतिक्रिया
नैना ने कबीर का हाथ कसकर पकड़ा।
“कबीर… ये वही है। जो हमें डराता रहा।”
कबीर ने शांति से कहा, “चुप रहो। अब सबका सच सामने आएगा। हम इसे अपने प्यार और हिम्मत से संभालेंगे।”

और तभी, गार्डन की रोशनी अचानक बुझ गई।
सबको अंधेरे में कुछ सेकंड के लिए डर लगा।
छाया धीरे-धीरे नज़र आई — और वह मुस्कराया।

कबीर ने गहरी साँस ली, “अब खेल का असली मोड़ शुरू होता है। किसी को मौका नहीं मिलेगा। और मैं अपनी मोहब्बत को बचाकर रहूँगा, चाहे जो भी हो।”


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इस तरह, कबीर और नैना की कहानी ने नया मोड़ लिया —
जहाँ सिर्फ़ प्यार और समझदारी ही नहीं, बल्कि सस्पेंस, रहस्य और जंग भी सामने आने वाली थी।
दोनों परिवार अब आंखों के सामने सच्चाई देखेंगे, और कबीर का हौसला — नैना के लिए — किसी भी खतरे से डरने वाला नहीं था।


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रात की चादर गार्डन पर फैली हुई थी। हल्की रोशनी में फूलों की खुशबू और दीपकों की रोशनी ने माहौल को जादुई बना रखा था। पर इस जादू के बीच, अंधेरी झाड़ियों से निकली वह छाया सबका ध्यान अपनी ओर खींच रही थी।

कबीर और नैना, हाथों में हाथ डाले, उस अज्ञात व्यक्ति की ओर बढ़ रहे थे।
नैना ने धीरे से कहा, “कबीर… मुझे डर लग रहा है। ये वही है जिसने हमें परेशान किया।”
कबीर ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “डर नहीं, नैना। अब मैं तुम्हें किसी भी खतरे से नहीं हटने दूँगा। चाहे कोई भी हो, आज सब सामने आएगा।”

रुही और आदित्य भी पास आ गए। आदित्य ने धीरे फुसफुसाया, “भाई, ये वही है जो पहले लिफ़ाफ़ों और धमकियों के पीछे छुपा था। अब हमें सच सामने लाना होगा।”


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छाया का सामना

अज्ञात छाया धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही थी। उसकी हर चाल में एक रहस्य और खतरे की झलक थी।
कबीर ने साफ़ आवाज़ में कहा, “बताओ, तुम कौन हो? अब तक हमारे रास्ते में क्यों अड़चन डाली?”

छाया ने धीमे स्वर में कहा, “मैं वही हूँ, जो पहले खेल रहा था। अब ये खेल सिर्फ़ प्यार का नहीं, जीवन और मौत की लड़ाई बन चुका है।”

नैना ने कबीर का हाथ कसकर पकड़ा।
“कबीर… संभलकर,” उसने फुसफुसाया।
कबीर ने सिर हिलाया, “चुप रहो। अब हम इसे अपने हौसले और बुद्धिमत्ता से संभालेंगे।”


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पहली चुनौती

छाया ने हँसते हुए कहा, “अगर तुम सच में इतने बहादुर हो, तो इसे साबित करो। गार्डन के उस कोने में जो दरवाज़ा है, उसे खोलो। वहाँ तुम्हें वो मिलेगा, जो तुम्हारी जिंदगी बदल सकता है।”

कबीर ने झाड़ी की ओर देखा। दरवाज़ा अजीब सा और पुराना था।
रुही ने कहा, “भाई… ये तो तहखाने का दरवाज़ा लगता है। अंदर बहुत खतरा हो सकता है।”
कबीर ने ठंडी आवाज़ में कहा, “हमारे डर से ही तो वो खेल खेल रहा है। चलो, देखते हैं सच क्या है।”

नैना ने गहरी साँस ली। उसके चेहरे पर डर और हिम्मत का मिश्रण था।
“कबीर… मुझे साथ ले चलो। मैं तुम्हारे बिना नहीं जाऊँगी।”
कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम मेरे साथ हमेशा हो, नैना। चलो।”


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तहखाने की रहस्य भरी गली

दोनों ने हाथ में हाथ लिए तहखाने की सीढ़ियाँ उतरनी शुरू कीं। ठंडी और गंदी हवा उनके चेहरे को छू रही थी।
हर कदम पर echo की आवाज़ें गूँज रही थीं।
नैना ने कहा, “कबीर… लगता है यहाँ बहुत समय से कोई नहीं आया। ये जगह खौफ़नाक है।”
कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा, “खौफ़नाक तो है, पर डरने वाला नहीं। अब तक हम सबका सामना कर चुके हैं। ये भी पार करेंगे।”

नीचे उतरते ही एक पुराना कमरा दिखाई दिया। कमरे में धूल जमी हुई थी। दीवारों पर अजीब निशान थे।
रुही ने धीरे से कहा, “भाई, ये निशान… कहीं ये संकेत तो नहीं हैं कि हमें कुछ मिलेगा?”
कबीर ने देखा। निशान देखकर उसके होश उड़ गए। ये वही निशान थे जो पहले लिफ़ाफ़ों में देखे गए थे।


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पहला रहस्य खुलता है

कबीर ने निशान का अनुसरण किया। उसने देखा कि एक लकड़ी का डिब्बा छिपा हुआ था।
जब उसने उसे खोला, तो अंदर पुराने दस्तावेज़ और एक छोटी डायरी मिली।
कबीर ने दस्तावेज़ खोले और पढ़ना शुरू किया।

डायरी में लिखा था:
"जो खेल शुरू हुआ था, उसका अंत केवल तभी होगा जब सच्चाई सामने आएगी। प्यार और परिवार की ताकत से ही इसे खत्म किया जा सकता है।"

कबीर ने सोचा, “तो यही छाया का असली इरादा है। इसे सिर्फ डर और धमकी नहीं, बल्कि हमें सच दिखाना है।”


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असली छाया का खुलासा

जैसे ही कबीर दस्तावेज़ पढ़ रहा था, छाया सामने आई। अब उसका चेहरा साफ़ दिखाई दिया।
यह कोई अजनबी नहीं, बल्कि कबीर के बचपन का मित्र और अब दुश्मन बना हुआ अर्जुन था।

अर्जुन ने ठंडी मुस्कान के साथ कहा, “कबीर… याद है बचपन में जो वादे किए थे? अब वही समय है कि तुम साबित करो कि तुम वही कबीर हो जो मैं जानता था। या फिर सब कुछ खो जाओगे।”

नैना ने डरते हुए कहा, “कबीर… ये वही अर्जुन है, जो हमेशा हमारे रास्ते में रुकावट डालता रहा।”
कबीर ने ठंडी आवाज़ में कहा, “अब खेल खत्म होता है। तुम जो भी करोगे, मैं नैना और अपने परिवार के लिए हर चुनौती का सामना करूँगा।”


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थ्रिल और रोमांस का ट्विस्ट

अर्जुन ने दस्तावेज़ उठाया और कहा, “ये सब सिर्फ़ शुरुआत है। असली चुनौती अभी बाकी है। और तुम्हारी हिम्मत, कबीर, अभी असली परीक्षा देने वाली है।”

नैना ने धीरे से कबीर की ओर देखा।
“कबीर… हम इसे पार करेंगे, है ना?”
कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा, “हम हमेशा पार करेंगे, नैना। चाहे जितनी भी अंधेरी छाया आए।”

और तभी, तहखाने की एक दीवार अचानक धंस गई। एक नई गली खुली, जो और भी रहस्यमय थी।

कबीर ने गहरी साँस ली और कहा, “तो चलो, आगे बढ़ते हैं। जो भी सामने आए, अब कोई डर नहीं।”
नैना ने मुस्कुराते हुए कहा, “कबीर… मैं तुम्हारे साथ हूँ, हमेशा।”

कबीर और नैना ने नई खुली गली में कदम रखा। वहाँ अजीब सी आवाज़ें थीं—जैसे कोई उनके हर कदम पर निगरानी रख रहा हो। अर्जुन की हँसी अब भी कानों में गूँज रही थी।

“कबीर… ये गली कहीं तो खतरे से भरी है,” नैना ने कहा।
“डर मत, नैना। मैं तुम्हें किसी भी कीमत पर सुरक्षित रखूँगा,” कबीर ने उसकी हाथों को कसकर पकड़ते हुए कहा।

जैसे ही वे गहराई में गए, अचानक एक बड़ी लाइट चमकी और गली का दरवाज़ा पीछे से बंद हो गया। अर्जुन की आवाज़ गूँजी, “अब तुम फँस गए, कबीर। क्या तुम अपनी हिम्मत और प्यार से मुझे हराने में सफल हो पाओगे?”
क्या उनका प्यार और भरोसा इस खतरनाक खेल में जीत पाएगा?
अर्जुन का असली इरादा क्या है?
ये सारे सवाल अगले अध्याय में खुलेंगे।
जानने के लिए ख़ूबसूरत टकराव का अगला अध्याय पढ़ना बिल्कुल न भूलें!


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