Dhun ishq ki.... Par dard bhari - 47 in Hindi Love Stories by Arpita Bhatt books and stories PDF | धुन इश्क़ की... पर दर्द भरी - 47

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धुन इश्क़ की... पर दर्द भरी - 47

तानिया को इस तरह से खड़ा हुआ देखकर ईशान पूछता है कि:

ईशान - क्या हुआ तानिया जी, कुछ परेशान लग रही है आप! कोई बात परेशान कर रही है क्या आपको ?

तानिया - ईशान, क्या हम दोनो अभी ड्राइव पर चल सकते है, अगर तुम्हे कोई आपत्ति नही हो तो?

ईशान तो यह सुनकर मन में बहुत खुश होता है और बोलता है कि;

ईशान - आपके साथ तो मैं कही पर भी जा सकता हूं, मेरे मन को इससे कितनी खुशी मिलेगी, यह तो आप कभी नही समझ सकते है। 

तानिया - तो फिर चले! और उसके बाद ईशान और तानिया, उसकी गाड़ी में बैठकर ड्राइव पर निकल जाते है। 

इधर सिमरन और साहिल घर की तरफ जा रहे होते है, तभी साहिल गाड़ी चलाता हुआ बोलता है कि;

साहिल - आज तुमने कमाल कर दिया सिमरन, पर मुझे इससे कोई ताजुब्ब नही हुआ। क्योंकि मैं जानता था कि तुम सब कुछ संभाल ही लोगी! तुमने विपिन का चेहरा देखा था, कैसे तिलमिला उठा था। और किरण, उसके साथ तो बहुत अच्छा हुआ। साहिल बोले जा रहा था, तभी वो नोटिस करता है कि सिमरन कोई जवाब नही दे रही है, तो वो अपनी नजरें सामने से हटाकर, सिमरन की तरफ देखता है। सिमरन की आंखें नम थी और वो किसी और खयालों में ही खोई हुई थी। यह देखकर साहिल सबसे पहले एक साइड में गाड़ी रोक देता है। 

साहिल - सिमरन, क्या हुआ है तुम्हे, तुम अभी भी दुखी क्यों हो?

सिमरन, गाड़ी रुकने से अपने खयालों से बाहर आती है, और साहिल की बात सुनकर बोलती है कि;

सिमरन - कही मैने कुछ बुरा तो नही किया ना किरण के साथ?

साहिल - नही सिमरन, तुम ऐसा क्यों सोच रही हो? किरण की अभी जो हालत है, उसकी जिम्मेदार वो खुद है। उसने गलत आदमी पर भरोसा किया और उसके लिए खुद इतनी गिर गई कि अपनी ही बहन की दुश्मन बन गई! तुमने जो भी किया, बहुत सही किया! अब इस बारे में इतना मत सोचो!उसने सिमरन के गाल पर हाथ रखते हुए कहा। 

सिमरन - हां, तुम सही कह रहे हो साहिल! थैंक्यू मेरा साथ देने के लिए! 

साहिल - मैं तो तुम्हारा उम्र भर साथ देने को तैयार हूं, एक बार हाथ थामों तो सही मेरा! उसने सिमरन की आंखों में देखते हुए कहा। सिमरन यह सुनकर थोड़ा शरमा जाती है, फिर बात बदलने के लिए बोलती है कि;

सिमरन - वो तानिया दीदी थोड़ी देर में घर पर आएगी, वो ड्राइव पर गए हुए है। 

साहिल - अच्छा है, उनका भी माइंड थोड़ा रिलेक्स हो जायेगा! चलो, हम चले घर पर! फिर साहिल घर की और गाड़ी ले लेता है।

फिर साहिल और सिमरन जैसे ही अपने घर पहुंचते है, तो देखते है कि गोपाल जी और वेदना जी हॉल में बैठे हुए है और उन्ही का इंतजार कर रहे है। हॉल में टीवी भी चल रहा होता है, जिसमे वो सिमरन की न्यूज देख रहे होते है। जैसे ही गोपाल जी साहिल को आते हुए देखते है तो सबसे पहले यही सवाल पूछते है ;

गोपाल जी - यह सब क्या है बेटा? और यह हमारी बहु है ना, पर तुमने तो कहा था कि उसका कोई नही है दुनिया में! अब यह सब क्या है?

इससे पहले की साहिल कुछ बोले, पीछे से सिमरन आती है और गोपाल जी और वेदना जी के पैर छूकर आशीर्वाद लेती है। वो दोनो भी थोड़ी देर सब कुछ भूलकर सिमरन को अच्छे से मिलते है और आशीर्वाद देते है। फिर सिमरन उन्हे सब कुछ बता देती है कि कैसे उसके परिवार ने और विपिन ने मिलकर उसके साथ इतना बुरा किया और उसे मारने की कोशिश करी! 

सिमरन - अगर साहिल वक्त पर नही पहुंचता, तो शायद मैं आज जिंदा भी नही होती! तभी वेदना जी, सिमरन के पास आती है और प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरकर बोलती है कि;

वेदना जी - बेटा, अब तुम्हे उदास होने की जरूरत नही है, हम सभी है ना तुम्हारा परिवार! तुम मेरी बहु नही बल्कि बेटी हो! आज के बाद कभी भी तुम्हे अपना अतीत याद करने की जरूरत नही है। 

गोपाल जी - राजीव को तो मैं अच्छे से जानता था, मुझे नही पता था कि वो इतना गिरा हुआ इंसान निकलेगा! साहिल बेटा, हम दोनो को तुम पर बहुत गर्व है। और वो जाकर साहिल के गले मिल जाते है। 

फिर ऐसे ही थोड़ी देर बातें करके गोपाल जी और वेदना जी अपने कमरे में आराम करने चले जाते है, क्योंकि वो भी बहुत थक गए थे, तो उन्हे सुबह मिलने का बोलकर अपने कमरे में चले जाते है। 

तानिया गाड़ी ड्राइव किए जा रही थी और ईशान उसके पास वाली सीट पर बैठा हुआ बार बार तानिया को देख रहा था। 

तानिया - आज तुमने बहुत अच्छा किया ईशान, जो एक बार भी सिमरन का साथ नही छोड़ा!

ईशान - मैं अपने अपनों का साथ कभी नही छोड़ता हूं! चाहों तो आजमाकर देख लेना, आप भी!

तानिया थोड़ी देर कुछ नही बोलती है, फिर एक सुंदर सी झील के पास में गाड़ी रोकती है, और बोलती है कि;

तानिया - थोड़ी देर यहां पर रुके क्या? 

ईशान - हां बिल्कुल, कितनी प्यारी जगह है यह! ईशान ने गाड़ी से उतरते हुए कहा। 

उसके बाद तानिया और वो वही गाड़ी का सहारा लेकर खड़े हो जाते है। थोड़ी देर तक दोनो बिल्कुल शांत रहते है और उस जगह की खूबसूरती को अपनी आंखों में बसाते है। रात को चांदनी की रोशनी में वो झील बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, जहां चारों और शांति और सुकून का एहसास होता है।  तभी तानिया बोलती है कि;

तानिया - तुम्हे पता है ईशान, हम अक्सर यहां पर आते रहते है, जब भी हमारा मन अशांत हो!

ईशान - यहां पर आकर बिल्कुल शांत हो जाता होगा ना, आपका मन! एक मिनट, इसका मतलब अभी भी आपके मन में बहुत कुछ चल रहा है, मन अशांत है ना आपका? उसने घबराहट से पूछा। 

तानिया - तुम्हे क्या लगता है? उसने उल्टा ईशान से सवाल पूछा। 

ईशान - मुझे लगता है कि आप अपने मन में बहुत कुछ दबाकर बैठे हो, और किसी से शेयर नही करते हो!

तानिया थोड़ी देर कुछ नही बोलती है उसके बाद रुककर बोलती है कि;

तानिया - तुम्हे पता है ईशान, जब विपिन का सच सभी के सामने आ रहा था, और किरण जिस तरह से बिखर रही थी न, हम उस समय न चाहते हुए भी, खुद का अतीत याद कर रहे थे। उसके बाद तानिया, ईशान को आकाश (तानिया का ब्वॉयफ्रेंड) के बारे में सब कुछ बता देती है कि कैसे उसने तानिया को धोखा दिया। तानिया बोले जा रही थी और ईशान उसे सुने जा रहा था। उसे मन ही मन बहुत गुस्सा आ रहा होता है कि कोई कैसे इतनी प्यारी लड़की का दिल दुखा सकता है। तभी वो देखता है कि तानिया अपनी गाड़ी की खिड़की से हाथ अंदर डालकर ड्रॉअर से कुछ निकाल रही थी, और जैसे ही वो देखता है कि तानिया के हाथ में सिगरेट है, तो वो थोड़ा सा शॉक हो जाता है। तानिया सिगरेट को मुंह में पकड़ती है और जैसे ही उसे जलाने वाली होती है, ईशान उसके मुंह से सिगरेट ले लेता है, और फेंक देता है। 

ईशान - सेहत के लिए बहुत हानिकारक है यह! 

तानिया - अरे, यह क्या किया? हम वैसे भी लायक नही है कि कोई हमारी फिक्र करे!

ईशान - अब बिल्कुल चुप रहो तुम, समझी! आकाश लायक ही नही था तुम्हारे प्यार के, और तुमने उसके लिए, अपने इतने साल बर्बाद कर दिए! 

ईशान के इस तरह डाटने पर तानिया को बुरा नही लगा, क्योंकि उसकी आंखों में वो परवाह दिखाई दे रही थी, जिसे तानिया ने हमेशा मिस किया! और उसकी आंखों से आंसू आ जाते है। यह देखकर ईशान घबरा जाता है। उसे लगता है कि उसके इस तरह बोलने पर तानिया को बुरा लगा है, इसलिए वो रो रही है।

ईशान - Iam sorry. मेरा इंटेंशन आपको hurt करने का बिल्कुल भी नही था, पर अगर आप खुद को तकलीफ पहुचायेगी, तो यह मैं कैसे देख सकता हुं!

तानिया - हमारी वजह से पहले ही हमारे घरवालों को इतनी तकलीफ हुई है, इसलिए अब हम कोई भी ऐसा कदम नही उठाना चाहते है, जिससे कि उन्हें दुख पहुंचे, या शर्मिंदगी का सामना करना पड़े!

ईशान - पर आप ऐसा क्यों सोच रही है, आपके घरवाले सिर्फ आपकी खुशी चाहते है, और मैं भी....यह बोलते हुए ईशान रूक जाता है। तानिया तभी ईशान की तरफ देखती है और उसके गले लगकर रोने लगती है। तानिया शायद आज पहली बार इतना रोई होगी, उसके दिल में कबसे गुबार भरा पड़ा था, जो शायद आज निकल रहा था। आकाश के धोखे से उसने खुद को संभाल लिया था, दुखी रहती थी पर आंखों से आंसू नही निकलने दिए। पर आज वो जी भरकर रो लेना चाहती थी। ईशान उसकी तकलीफ समझ सकता था, इसलिए वो बस तानिया के सिर पर हाथ फेरता है, और उसे कंसोल करता है। तानिया काफी देर तक ईशान के गले लगकर रोई जा रही थी, फिर थोड़ी देर बाद ईशान उसका चेहरा उठाता है, और उसके गालों पर गिरे हुए आंसू पोंछकर उसे चुप करता है। तानिया, ईशान की आंखों में देखती है, जैसे उसे कुछ कहना चाह रही हो, लेकिन कह नही पा रही है। ईशान की नजरें तो तानिया की आंखों में ही थी, तभी दोनो अपने चेहरे एक दूसरे के नजदीक लाते है, और अपने होठ एक दूसरे से मिला लेते है। ईशान के दोनो हाथ जो तानिया के गालों में पर होते है, उनमें से एक वो तानिया की कमर पर रख देता है और उसे खुद के और नजदीक ले आता है। तानिया अपने दोनो हाथों से ईशान के चेहरे को पकड़ लेती है और गहराई से उसके प्यार का एहसास लेने लगती है। थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही एक दूसरे में खोए रहते है। 

क्रमश :