Adakaar - 56 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 56

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अदाकारा - 56

*अदाकारा 56

 
    संभव अपार्टमेंट के आसपास भारी भीड़ जमा हो गई थी।फिल्म अभिनेत्री शर्मिला के फ्लैट में कुछ तो घटना जरूर हुई थी लेकिन क्या यह जानने को भीड़ उत्सुक थी।
तभी पुलिस वैन सायरन बजाती हुई वहाँ पहुँची।
बृजेश भीड़ को चीरता हुआ अपनी पुलिस टीम के साथ शर्मिला के फ्लैट के अंदर पहुँचा। फ्लैट का दरवाज़ा अंदर से बंद था।पुलिस टीम का एक पहलवान जैसा दिखने वाला सिपाही राघव आगे आया और उसने बृजेश से पूछा।
"सर।दार तोडून टाकू का?"
बृजेश ने व्यंग्यात्मक लहजे में उसकी ओर देखते हुए कहा।
 
“सीआईडी शायद कुछ ज्यादा ही देखते हो मिस्टर दया?उस सीरियल में दरवाज़े तोड़ते हुए दिखाते हैं।क्योंकि वह थर्मोकोल से बने दरवाज़े होते हैं।असल ज़िंदगी में ये मज़बूत लकड़ी के दरवाज़े होते हैं।लात मारोगे तो पैर टूट जाएगा समझे?और हम पुलिस टीम के पास हर समस्या का हल तैयार होता है।”
 
फिर उसने जयसूर्या को संबोधित करते हुए कहा।
 
“जयसूर्या भाई।लगाइए तो दरवाज़े मे मास्टर की।”
 
जयसूर्या ने मास्टर की डोर के की हॉल मे लगाई अंदर डाली और कुछ देर माथापच्ची करने के बाद फ्लैट का दरवाज़ा खुल गया। फ्लैट में दाखिल होते ही सबकी नज़र सोफ़े पर उर्मिला के अर्धनग्न शरीर पर पड़ी।
 
“हे भगवान।”
 
बृजेश के मुँह से एक धीमी सी चीख निकली। जयसूर्या भी उर्मिला का शरीर देखकर चौंक गया।उसकी गर्दन पर पड़े हुवे साफ साफ़ निशान देखकर उसने कहा।
 
"सर लगता है मैडम के किसी आशिकने मैडम के साथ बलात्कार करने की कोशिश की होगी।मैडम शर्मिलाने ज़रूर उसका विरोध किया होगा और इसी वजह से उस प्रेमीने हताश होकर उनका गला घोंटकर उनकी हत्या कर दी होगी।"
 
   जयसूर्या की बात सुनकर बृजेश के दिल से एक आह निकल गई।उसकी आँखें नम हो गईं।अपनी तीस साल की उम्र में अगर उसे किसी से सच्चा प्यार हुआ था तो वो शर्मिला ही थीं।उसे शर्मिला के जन्मदिन की वो रात याद आ गई।उसकी नज़र के सामने इस वक्त बेजान और ठंडा शर्मिला का जो कोमल शरीर पड़ा था वो उसे याद आ गया।जो उस रात गर्म जिंदा उसकी बांहों में मचल रहा था।उस पल की याद आने से वह थोड़ा सा उदास ओर रूआंसा हो गया। 
 शर्मिला का इस तरह अचानक और दुखद अंत देखकर वह अंदर से पूरी तरह हिल गया था।उसने दाँत पीस लिए।वह जल्द से जल्द हत्यारे को पकड़कर उसे उसके अंजाम तक पहुँचाना चाहता था।उसका दिल बदले की आग में मानो सुलगने लगा।
 
    उसने फोरेंसिक टीम को कॉल किया और उन्हें तुरंत वहाँ पहुँचने को कहा।और वह खुद भी हाथो मे दस्ताने पहनकर शर्मिला के फ्लैट की बारीकी से जाँच करने लगा।उसने अपने साथ आई पुलिस टीम को भी दस्ताने पहनने का आदेश दिया ओर कहा।
“ध्यान रहे कोई भी चीज़ छूटने ना पाए।जो भी ओर जितने भी सबूत मिले इकठ्ठे करे।
 
   सबसे पहले उसने शव की बारीकी से जाँच की।शव की नाक पर ज़ख्म था।इससे बृजेश ने अंदाज़ा लगाया कि शर्मिलाने हत्यारे के हाथों से भागने की कोशिश की होगी।और भागने की कोशिश में वह गिर गई होगी और गिरने की वजह से उसकी नाक पर चोट लग गई होगी।इसके अलावा शरीर पर कहीं और कोई भी ज़ख्म नहीं थे।जब उसने शर्मिला की गर्दन पर नज़र डाली तो उसे गर्दन पर लाल निशान दिखाई दिए जिससे पुष्टि हो रही थी कि शर्मिला का गला घोंटकर उसे मारा गया था।शव की जाँच कर रहे जयसूर्या की नज़र सोफ़े के पास पड़े फूलदान पर पड़ी।
 
"साहब देखिए इस फूलदान पर खून के धब्बे हैं।"
 
ब्रजेश ने फूलदान हाथ में लिया और उसे गौर से देखते हुए कहा।
 
"जयसूर्या भाई।मुझे लगता है कि जब हत्यारा शर्मिला पर ज़बरदस्ती कर रहा था तब शर्मिला ने उसके सिर पर इसी फूलदान से वार किया होगा।इसलिए हत्यारा भी घायल हुआ होगा।"
 
"आपकी बात सौ प्रतिशत सही लग रही है सर।इस पर हत्यारे के उंगलियों के और खून के निशान भी मौजूद होंगे।अगर फोरेंसिक की टीम इसकी ठीक से जाँच कर ले तो हत्यारे का पता लगाना और आसान हो जाएगा।"
 
जयसूर्याने बृजेश की बात से सहमति जताते हुए कहा।और तभी बृजेश को अचानक तीन महीने पहले नटराज रेस्टोरेंट में शर्मिला से हुई अपनी आखिरी मुलाकात याद आ गई।
 
शर्मिला ने बताया था कि उसके जीजाने उसे जान से मारने की धमकी दी थी।वह जल्दी से अपने स्थान से उठ खड़ा हुआ और बोला।
 
"जयसूर्या भाई।मुझे पता है कि हत्यारा कौन हो सकता है।जब फोरेंसिक टीम यहाँ आए तो तुम उनके साथ सहयोग करना।और मैं जाकर हत्यारे का पता लगाता हु।"
 
बृजेश एक कांस्टेबल को अपने साथ लेकर बीमानगर तरफ निकला और उसने सुनील के घर का दरवाज़ा खटखटाया।
 
(क्या सुनील ही असली कातिल था?क्या सुनीलने ही उर्मिला को शर्मिला समझकर मार डाला था?जानने के लिए पढ़े अगला एपिसोड)