Adakaar - 55 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 55

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अदाकारा - 55

*अदाकारा 55*

 
     शर्मिलाने अपने स्कूटर के पास पड़ी उस चीज़ की तरफ़ देखा।वह उर्मिला का पर्स था। उसकी छाती डर के कारण फड़फड़ा रही थी कि इस व्यक्ति ने उर्मिला के साथ क्या किया होगा?
 
और पाँच-दस सेकंड के लिए उसे लगा कि काले कपड़े वाला व्यक्ति पलटकर ये पर्स लेने लौट कर आ सकता है।लेकिन वह व्यक्ति नहीं आया।सामने वाली अँधेरी गली में वो गायब हो चुका था।शर्मिलाने वो पर्स उठाया।उसने पर्स खोला और देखा तो उसके अंदर उर्मिला के मेकअप का सामान था और उसके घर की चाबी अंदर थी।शर्मिला ने यू-टर्न लिया और स्कूटी दौड़ा दी।
 
     वर्सोवा लिंक रोड पहुँचकर शर्मिला सोचने लगी कि अब क्या करु?और कहाँ जाऊ? अगर किसी होटल में रुकती हुं तो वहाँ अपना पहचान पत्र दिखाना होगा।और अब कुछ ही मिनटों में यह खबर फैलने वाली है कि फिल्म अभिनेत्री शर्मिला की हत्या उसके अपार्टमेंट मे कर दी गई है। 
 
अब में करूं तो क्या करूं?
वह पूरी तरह से असमंजस में थी।
पहले उसने सोचा की वह पुलिस को बता दें के शर्मिला याने में अभी ज़िंदा हूं जिसकी हत्या हुई है वो तो मेरी ट्वींस थी उर्मिला। लेकिन फिर उसे खयाल आया कि अगर वह खुद को उजागर कर देगी तो हत्यारे को भी पता चल जाएगा कि जिस औरत को उसने मारा था वह शर्मिला नही कोई और औरत थी।ओर वो सही मानो मे मारना तो मुझे ही चाहता था।तो जैसे ही उसे पता चलेगा कि मै ज़िंदा हूं तो उसका अगला निशाना मै ही तो बनूगी?
 
   शर्मिला दुविधा में थी कि क्या करे और क्या न करे।शर्मिला की नज़र फिर एक बार उर्मिला के पर्स पर पड़ी।और उसकी आँखें चमक उठीं।सुनील कल शाम को आने वाला है।तो फ़िलहाल उर्मिला के ही घर जाकर क्यूं ना आज रात बिताई जाएं?कल की बात कल सोचेंगे। 
उसने स्कूटी स्टार्ट की और बीमानगर उर्मिला के घर पहुंच गई।उर्मिला के पर्स में घर की चाबी तो थी ही।इसलिए शर्मिला को किसी बात की चिंता नहीं थी।उसने चाबी दरवाज़े में डाली और दरवाज़ा खोला।वह घर में दाखिल हुई और गहरी सांस लेते हुए सोफ़े पर बैठ गई तभी उसके कानों में ये शब्द पड़े।
 
"मेरी गैरमौजूदगी में इतनी रात तक कहाँ भटक रही हो?"
 
 शर्मिलाने चौंककर आवाज़ की दिशा में देखा। सुनील हाथ में पानी की बोतल लिए वहाँ खड़ा था।सुनील को देखकर शर्मिला को पसीना आ गया।उर्मिला तो कह रही थी कि सुनील सोलह तारीख को आएगा।और आज तो पंद्रह तारीख है वो एक दिन पहले कैसे आ गया?लेकिन आख़िर वो थी तो एक अदाकारा ही ना?वो अंदर से तो सुनील को यहां देख कर घबरा ही गई थी।लेकिन उसने अपने चेहरे पर ज़रा भी घबराहट नहीं दिखने दी।
 
"तु तो कल आने वाला था ना?"
 
ये पूछते हुए उसने सुनील को ऊपर से नीचे तक बड़े ध्यान से देखा।उसने देखा कि सुनील के माथे पर पट्टी बंधी हुई थी।उस पट्टी को देख कर शर्मिलाने ऐसा जताया जैसे वो बहुत परेशान हो।
 
"हाय।हाय ये तुजे क्या हुआ?"
 
"कुछ नहीं बस थोड़ा सा लगा गया।"
 
"ये..ये क्या हुआ?कैसे लगा?अपना ध्यान ठीक से क्यों नहीं रखता तु?"
 
वो मानो बहुत ज्यादा परेशान हो गई हो उस तरह की एक्टिंग करते हुए बोली।
 
"ज्यादा दर्द हो रहा है?कितने टाँके लगे हैं?"
 
"नहीं भई।टाँके नहीं आए हैं।मेरा पांव होटल के वॉशरूम में फिसल गया था।तो नल यहां पर लग गया।लेकिन तुम कहाँ गए थी ये तो कहो?"
 
शर्मिलाने अपना हाथ अपनी छाती पर रखते हुए चैन की सांस ली।
 
और फिर सुनील को वह ड्रेस दिखाई जो उसने इनफिनिटी मॉल से खरीदी थी।
 
"मैं यह ड्रेस खरीदने गई थी।देखो तो कैसी है?"
 
सुनील ड्रेस देखकर हँसने लगा।
 
"तु?क्या तु यह ड्रेस पहनेगी?"
 
"नहीं।नहीं,तु पहनना तेरे लिए लाई हु।कैसी बात करता है"
 
शर्मिलाने सुनील को बड़ी बड़ी आँखो से घुरते हुवे पूछा।
 
"इस ड्रेस में क्या गड़बड़ है?"
 
ड्रेस देखकर सुनील की हँसी रुक ही नहीं रही थी।हँसते हुए वह बड़ी मुश्किल से बोल पाया।
 
"तु हमेशा सादे और सिंपल कपड़े पहनती हो।लगता है तुम्हें यह फैशन का संक्रमण अपनी बहन से लगा है।"
 
शर्मिला गुस्से से बोली।
 
"तुम उस बेचारी का नाम क्यों ले रही हो?क्या मैं खुद कभी फैशनेबल कपड़े नहीं पहन सकती?"
 
"लेकिन तुम इस ड्रेस में कैसी लगोगी?"
 
सुनील की हँसी और उर्मिला को चिढ़ाने का उसका मज़ाक रुक नहीं रहा था।
 
"कैसी लगोगी से क्या मतलब है तेरा? बिल्कुल हीरोइन जैसी लगूंगी समज़े?"
 
"मैंने तुजे ऐसी ड्रेस में कभी नहीं देखा है। चलो मुझे पहनकर दिखा ही दो।"
 
"जब मैं पहनूँगी तब देख लेना।ला मुझे भी थोड़ा पानी पिलाओ।"
 
सुनील ने पानी की बोतल शर्मिला को देते हुए फिर से कहा।
 
"लो पानी पी लो।ओर फिर मुझे ये ड्रेस पहनकर दिखाओ।"
 
" बहुत ही जिद्दी है रे तू” 
 
सुनील के दोबारा कहने पर शर्मिला बड़बड़ाते हुए उसे ड्रेस पहनकर दिखाने के लिए तैयार हो गईं।
 
"ठीक है तो चलो पहनकर दिखा ही देती हूं।"
 
यह कहते हुवे वह ड्रेस लेकर बेडरूम की ओर बढ़ी तो सुनील ने कहा।
 
"ड्रेस चेंज करने के लिए बेडरूम में जाने की क्या ज़रूरत है?"
 
"हम्म।तु सही कह रहा हे हम दोनों के अलावा यहाँ और है ही कौन?"
 
यह कहकर वह अपनी पहनी हुईं कुर्ती के बटन खोलने जा ही रही थी कि उसी पल दरवाजे पर दस्तक हुई।
 
(क्या सुनील को पता चल पाएगा कि यह उर्मिला नहीं शर्मिला है?अब इस वक्त कौन आया होगा?