बेखौफ इश्क – एपिसोड 12तेज़ बारिश, नए रास्ते और दिल की पुकारअयाना की ज़िंदगी में उस वक्त एक नया तूफ़ान आया। नाटक की कई तारीफ़ों और अपने सपनों को ऑन मंच देखने के बीच, अंदर की दुनिया कहीं उलझन और अटपटे सवालों से भरी हुई थी। संस्कार से दूरी, नए रिश्ते की शुरुआत, और अपने सपनों की दौड़ ने उसे कई बार थका दिया, मगर बदलाव की चाह उसे अब भी जिंदा रखती थी।अपनापन और अजनबीपन के बीचशहर में उस दिन तेज़ बारिश हो रही थी। आयाना भीगती हुई थिएटर स्टूडियो पहुंची। उसके मन में एक घुमड़ता सवाल था—क्या संस्कार अब भी उससे जुड़ा है? वीडियो कॉल के बीच की चुप्पियां बढ़ती जा रही थीं, और वह अपने दिल की बेचैनी को समझ नहीं पा रही थी।राघव, जिसका साथ आयाना को अब एक साथ काम करने का ठोस अनुभव हो चुका था, धीरे-धीरे उसके करीब आता गया। एक दिन उसने कहा,
“तुम्हारे साथ काम करना संतोष देता है, मगर समझना चाहता हूँ तुम्हारे सफर को।”आयाना ने मुस्कुराते हुए कहा,
“सफर अकेला नहीं होता, जब पाँव साथ हों।”संस्कार का व्यक्तिगत संघर्षसंस्कार अपने घर और पढ़ाई के बीच फंस चुका था। मां की तबीयत में उतार-चढ़ाव, पिता की चिंताएं, और खुद की पढ़ाई का दबाव उसे उलझनों में डाल रहे थे। उसकी मां के साथ कई अस्पताल के दौरे और कर्तव्य निभाते हुए वह खुद को कहीं खोता हुआ महसूस करता।एक दिन उसने संस्कार को फोन किया और बोला,
“संस्कार, जिन्दगी तुम्हें कहीं रोकती नहीं, बस संभालती है। लड़ो, हारो, फिर उठो।”संस्कार ने जवाब दिया,
“जीवन का मतलब ही लड़ना है, आयाना को खुश देखकर जाना कि कहीं मेरा भी योगदान है।”परिवार का धन्यवादघर पर माँ ने आयाना को एक पत्र दिया जिसमें उन्होंने लिखा था—
“मेरी बेटियों की हिम्मत और मेहनत ने मुझे जीना सिखाया। तुम्हारा संघर्ष ही हमारी ताकत है।”यह पत्र आयाना के दिल को छू गया। उसने रूही को कहा,
“हम परिवार नहीं होते, तो ये सब अधूरा रहता।”रूही ने गले लगाते हुए कहा,
“हम साथ हैं, इसीलिए जीत हमारी है।”नए सपनों की रचनाथिएटर के साथ आयाना ने अपना एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया—एक महिला अधिकारों पर आधारित नाटक। उसने अपनी प्रतिभा का पूरा इस्तेमाल किया। अनिरुद्ध, जो अब उसके सबसे भरोसेमंद मित्र बन चुके थे, ने यह प्रोजेक्ट लिखने में मदद की।रिहर्सल के दौरान आयाना की आँखों में वह जूनून था, जो केवल सच्चे बदलाव के लिए होता है। उसकी आवाज़ से हर दर्शक जुड़ता।संस्कार की वापसीअचानक संस्कार की विदेश यात्रा की योजना बनी। वह अवसर उसे अपने परिवार के लिए बेहतर जीवन देने का मौका दे सकती थी, लेकिन इसके साथ दूरी भी बढ़ती।संस्कार ने आयाना से बात की और कहा,
“मेरा दिल तुम्हारे साथ है, पर मेरा कर्तव्य मुझे कहीं और ले जा रहा है।”आयाना ने हिम्मत से कहा,
“अपनी उड़ान के लिए मत डरना, संस्कार। मेरा प्यार तुम्हारे साथ उड़ता रहेगा।”प्यार की नयी शुरुआतनाटक के प्रमुख मंच पर आयाना ने अपनी भूमिका बेहद पेशेवर तरीके से निभाई। दर्शकों ने तालियां बजाईं, पत्रकारों ने उसकी तारीफ़ की, और परिवार बहुत गर्वित था। संस्कार ने दूर से अपने दोस्त से फोन कर कहा,
“मैंने जैसी प्रेरणा कभी नहीं देखी, वो आयाना में है।”पछतावा और उम्मीदफिर एक रात आयाना ने महसूस किया कि प्यार सिर्फ साथ होने का नाम नहीं, बल्कि एक-दूसरे की खुशी में खुश रहने का भी नाम है। वह खुद को और संस्कार को नए नजरिए से देख रही थी। स्वतंत्रता के इस सफर में अब वह ज्यादा मजबूत थी।