Kayamat Ki Raat in Hindi Horror Stories by Vedant Kana books and stories PDF | कयामत की रात

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कयामत की रात

गुलाबगंज से लगभग 25km लंबी पगदंडी के पर बस हुआ है एक कुख्यात गांव “अंबाबाड़ी ” और वहां की पहाड़ी के पार एक पुराना मंदिर जो खंडहर बन चुका है आज अमावस की रात को बड़ा भयानक दिख रहा था।

गाँव के लोग उस दिशा में नजर भी नहीं डालते थे. कहते थे, उस पहाड़ी के उस पार “कयामत की रात” हर अमावस की रात में लौटती है, जब आसमान से कोई तारा नहीं टिमटिमाता और धरती पर हर साया जाग उठता है. उस रात की बात है जब ठाकुर हरनाम सिंह ने अपनी हठ में गांव वाले सरपंच के सामने उस जगह जाने की कसम खा ली थी कि आज मंदिर के अंदर के खजाने का पता लगा कि आयेंगे।

वो पुराने ज़माने का समय था जब लालटेन की रौशनी ही इंसानों की आँखें थी. ठाकुर के साथ उसके दो नौकर थे, रामू और हरिया. तीनों ने उस सूनी पहाड़ी की तरफ कदम बढ़ाए। 

रास्ते में सूखी पत्तियो की आवाज उनके कानों मैं पड़ रही थीं, जैसे कोई अदृश्य कदम उनके पीछे-पीछे चल रहा हो. दूर से मंदिर की टूटी घंटी, हवा के साथ टकरा रही थी, उसकी आवाज़ में एक अजीब सा खिंचाव था. ठाकुर ने लालटेन ऊँची की तो दीवारों पर पुराने खून के धब्बे झिलमिला उठे. हवा में उस खून की महक थी। वहां की दीवारों मैं अजीब सी बेचैनी और हवा काफी ठंडी थी। 

मंदिरके गर्भगृह में तीनों दाखिल हुए. वहाँ मिट्टी के बीच एक टूटी मूर्ति थी जिसकी आँखें आधी घिसी थीं, पर ऐसा लगता था जैसे वो उन्हें देख रही हों। 

रामूने कांपती आवाज़ में कहा, “मालिक, यहाँ से चलिए... कुछ ठीक नहीं लग रहा!”

ठाकुरने हँसते हुए जवाब दिया, “डरपोकों के लिए ये जगह नहीं याद रखो अगर खजाना हमारे हाथ लग गया तो हम आज रात ही पीछे की नदी से गांव छोड़ देंगे मैने राजनाथ को कह दिया है वो नाव लेके खड़ा ही होगा।”

हरिया ने रामू के कान मैं फुसफुसाया,“ अगर यह कोई विचित्र शक्ति है तो भी मारना तय है और अगर खजाना मिला तो तो ठाकुर हमे मर देगा कुछ भी करो आज हमारी मौत तय है।”

तभी मूर्ति के पास रखे दीपक खुद ब खुद बुझ गए. चारों ओर अंधेरा था, फिर बाहर से आ रही लालटेन की रोशनी की चमक में दीवारों पर कुछ परछाइयाँ उभर ने लगी मानो किसी का भयानक चेहरा....

अचानक हरिया जो सबसे पीछे चल रहा था उसने ने चीख मारी “आआआ...”“

क्या हुआ रामू, क्या हुआ कौन चिल्लाया?”

रामू डरते डरते बोला, मालिक, मालिक हरिया चिल्लाया!”

“क्या हुआ उसको....”

हरिया का चेहरा देख के रामू का दिमाग घूम गया था उसके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे।

“क्या हुआ रामू? कुछ बोलो...क्या हुआ!”

“ मालिक, मालिक... उसकी गर्दन उसके धड़ से निकली हुई है, उसकी आँखें उलट गईं है और एकदम सफेद हो गई और वो ज़मीन पर गिरा पड़ा है और...और उसके मुँह से खून की धारा निकलने लगीं है!!!”

ठाकुर ने डरते डरते उसका सिर उठाया तो देखा उसकी गर्दन पर किसी के नाखून के निशान उभर आए थे. उसी पल मंदिर के फर्श के नीचे से फुसफुसाहटें सुनाई दीं.

आवाज़ें औरतों की थीं, जो एक साथ कह रही थीं, “कयामत लौट आई है.

”रामू भागने लगा, मगर मंदिर के द्वार खुद ही बंद हो गए. और किसी ने रामू को पीछे से खींच लिया और उससे मंदिर के एक अंधेरे कमरे मैं फेक दिया जहा से सिर्फ उसके चीख ने की आवाज आ रही थी। और कुछ देर बाद सब शांत हो गया। 

दीवारोंपर उभरे चेहरे मुस्कुराने लगे. ठाकुर ने तलवार निकाली पर वो हाथ से फिसल गई. उसके सामने जो आकृति उभरी वो किसी और की नहीं, बल्कि उसी की थी, वैसी ही कपड़े, वैसा ही चेहरा, पर आंखें पर काली और खाली जिनमें से खून टपक रहा था।

वह भयानक आकृति बोली, “हर अमावस की रात में जो इस मंदिर में कदम रखता है, वही हमारा शिकार बनता है !!!”

ठाकुर कुछ कहने ही वाला था कि उसकी जुबान कट कर जमीन पर गिर गई.

सुबह जब गाँव वाले मंदिर पहुँचे तो दरवाज़ा खुला मिला. अंदर सिर्फ एक टूटी मूर्ति थी और ज़मीन पर खून के धब्बे। कोई ठाकुर, रामू या हरिया का नामोनिशान नहीं था. लोगों ने उसे फिर कभी नहीं देखा.

कहते हैं, जब भी वही रात लौटती है, मंदिर की घंटी बिना हवा के बजती है और दीवारों पर एक नया चेहरा उभर आता है. कोई नहीं जानता अगली कयामत की रात मैं कौन शिकार होगा, बस इतना पता है कि हर बार वो किसी को अपना बना लेती है, और इस बार शायद वो किसी और के इंतज़ार में है.