another lamp in Hindi Motivational Stories by Vijay Sharma Erry books and stories PDF | एक और चिराग

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एक और चिराग

एक और चिराग
लेखक: विजय शर्मा एरी
(यह एक आधुनिक कहानी है, जो शहरी जीवन, तकनीक और मानवीय संबंधों की जटिलताओं पर आधारित है। शब्द संख्या लगभग 1500।)
शहर की चकाचौंध भरी रातें हमेशा वैसी ही लगती थीं—नियॉन लाइट्स की झलक, ट्रैफिक का शोर, और स्क्रीन्स पर बिखरी हुई डिजिटल दुनिया। लेकिन आरव के लिए, ये रातें कुछ अलग थीं। वह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, जो मुंबई के एक हाई-राइज अपार्टमेंट में रहता था, जहां खिड़की से दिखने वाला सागर कभी-कभी शांत हो जाता था, लेकिन ज्यादातर समय लहरों का कोलाहल ही सुनाई देता। आरव की उम्र तीस साल के आसपास थी, लेकिन उसकी आंखों में थकान की लकीरें पचास की लगती थीं। नौकरी का दबाव, कोडिंग की अंतहीन लाइनें, और वो अकेलापन जो सोशल मीडिया पर लाइक्स से भरने की कोशिश में और गहरा होता जाता।
एक शाम, ऑफिस से लौटते हुए आरव का फोन बज उठा। स्क्रीन पर मां का नाम चमक रहा था। "बेटा, तू कब आ रहा है घर? पापा की तबीयत ठीक नहीं है।" मां की आवाज में वो चिंता थी जो सालों से दबी हुई थी। आरव ने सांस ली। "मां, अगले हफ्ते आ जाऊंगा। प्रोजेक्ट का डेडलाइन है।" लेकिन फोन कटते ही उसे एहसास हुआ कि ये बहाना कितना पुराना हो चुका है। घर—दिल्ली का वो पुराना बंगला, जहां बचपन की यादें अभी भी हवा में तैरती हैं। वहां पापा का वो पुराना चिराग, जो हर दीवाली पर जलाया जाता था। "चिराग जलाने से अंधेरा भाग जाता है," पापा कहते थे। लेकिन आजकल आरव का जीवन खुद ही अंधेरे में डूबा लगता था।
अगले दिन, आरव ने लैपटॉप पर एक नई ऐप खोली—'लाइट्स ऑफ होप'। ये एक स्टार्टअप ऐप थी, जो शहर के अकेले लोगों को कनेक्ट करती थी। यूजर्स अपनी कहानियां शेयर करते, और एआई मैचमेकर उन्हें ऐसे लोगों से जोड़ता जो समान दर्द महसूस करते। आरव ने हिचकिचाते हुए साइन अप किया। उसकी प्रोफाइल: "30M, सॉफ्टवेयर इंजीनियर। दोस्त कम, कोड ज्यादा। कुछ रोशनी ढूंढ रहा हूं।" सबमिट करने के बाद, नोटिफिकेशन आया: "मैच फाउंड—नीतू, 28F, ग्राफिक डिजाइनर।"
नीतू की प्रोफाइल फोटो में वो मुस्कुरा रही थी, बैकग्राउंड में मुंबई की बारिश। चैट शुरू हुई: "हाय, तुम्हारी प्रोफाइल पढ़ी। कोडिंग और अकेलापन—मेरा भी यही कॉम्बो है, बस पेंटिंग के साथ।" आरव ने जवाब दिया: "हाहा, तो हम दोनों ही डिजिटल चोर हैं। वर्चुअल दुनिया में खोए हुए।" बातें बढ़ीं। नीतू दिल्ली से थी, लेकिन मुंबई शिफ्ट हो गई थी जॉब के लिए। उसके पिता एक टीचर थे, जो हमेशा कहते, "जिंदगी एक कैनवास है, रंग भरने पड़ते हैं।" लेकिन नीतू के कैनवास पर ग्रे शेड्स ही ज्यादा थे—ब्रेकअप, फैमिली प्रेशर, और वो अनकहा डर कि क्या वो कभी किसी के लिए 'परफेक्ट' बनेगी।
कुछ दिनों बाद, उन्होंने पहली मीटिंग फिक्स की—जुहू बीच पर, सूर्यास्त के समय। आरव वहां पहुंचा तो नीतू पहले से खड़ी थी, हाथ में एक छोटा सा स्केचबुक। "ये देखो," उसने कहा, और पेज खोला। एक ड्रॉइंग थी—एक शहर की सिल्हूट, जिसमें एक चिराग जल रहा था। "ये मेरी स्टोरी है। अंधेरे में एक रोशनी। तुम्हारी क्या है?" आरव ने हंसते हुए कहा, "मेरी तो अभी ऐप ही है। लेकिन शायद ये चिराग बन जाए।" वो शाम घंटों चली। बातें दिल की गहराइयों तक गईं। नीतू ने बताया कैसे उसके एक्स ने उसे 'क्रिएटिव लेकिन अनस्टेबल' कहा था। आरव ने शेयर किया कैसे कॉलेज के बाद दोस्त बिखर गए, और अब सिर्फ मीटिंग्स में ही बातें होती हैं।
उनकी दोस्ती तेजी से बढ़ी। वीकेंड पर वो कॉफी शॉप्स में मिलते, जहां नीतू स्केच बनाती और आरव कोडिंग टिप्स देता। एक बार नीतू ने कहा, "तुम्हें पता है, मेरे घर में एक पुराना चिराग है। दादी का। वो कहती थीं कि हर चिराग एक कहानी जलाता है।" आरव ने सोचा, शायद ये हमारी कहानी का चिराग हो। लेकिन जिंदगी इतनी सीधी नहीं होती। आरव का प्रोजेक्ट क्रंच टाइम में आ गया। रात-रात भर जागना, मीटिंग्स, और बॉस का प्रेशर। नीतू के मैसेज अनरीड रहने लगे। "क्या हुआ? सब ठीक?" नीतू ने पूछा। "हां, बस बिजी," आरव ने टाइप किया, लेकिन दिल में कुछ और था।
फिर एक दिन, नीतू का मैसेज आया: "आरव, मुझे लगता है हम ये गलत कर रहे हैं। ये ऐप वाली कनेक्शन... असली नहीं लगती। मैं थक गई हूं।" आरव का दिल बैठ गया। वो फोन उठाकर कॉल करने वाला था, लेकिन स्क्रीन पर बॉस का वीडियो कॉल आ गया। "आरव, ये कोड फिक्स करो, कल डेमो है!" नीतू का मैसेज अनसेंट हो गया। आरव ने चैट डिलीट कर दिया। "शायद यही बेहतर है," उसने खुद से कहा। लेकिन रात को नींद नहीं आई। खिड़की से सागर की लहरें चीख रही थीं।
दिन बीतते गए। आरव की लाइफ वापस रूटीन में लौट आई—ऑफिस, लैपटॉप, सॉलिट्यूड। लेकिन नीतू की यादें स्केचबुक की तरह मन में बसी रहीं। एक शाम, फोन पर मां का कॉल आया। "बेटा, पापा... वो चिराग जलाने को कह रहे थे। आ जाओ ना।" आरव ने टिकट बुक किया। दिल्ली पहुंचा तो घर वैसा ही था—पुरानी दीवारें, दादी की तस्वीर। पापा बिस्तर पर लेटे थे, सांसें भारी। "बेटा, तू आ गया।" उन्होंने कमजोर आवाज में कहा। आरव ने हाथ पकड़ा। "पापा, वो चिराग... कहां है?" पापा ने मुस्कुराया। "अलमारी में। लेकिन चिराग जलाने से पहले, दिल का तेल भरना पड़ता है।"
रात को, आरव ने चिराग निकाला। ये एक पुराना मिट्टी का दीया था, जिस पर फूलों की जड़ें उकेरी गई थीं। तेल डाला, बाती जलाई। रोशनी कमरे में फैल गई। पापा ने कहा, "ये चिराग तेरी दादी का था। उन्होंने कहा था कि जिंदगी में अंधेरा आता है, लेकिन एक छोटी सी रोशनी सब बदल देती है। तू बता, तेरा अंधेरा क्या है?" आरव ने सिर झुका लिया। "पापा, मैंने एक लड़की को खो दिया। ऐप पर मिली थी। लगा था वो मेरा चिराग बनेगी, लेकिन..." पापा ने सुना, फिर कहा, "चिराग बुझने से नहीं जलता, बल्कि नया तेल डालने से। जा, उसे ढूंढ।"
दिल्ली से लौटते हुए आरव का मन हल्का था। लेकिन नीतू का नंबर ब्लॉक था। ऐप पर प्रोफाइल डिलीट। वो क्या करे? सोशल मीडिया पर सर्च किया—नीतू का इंस्टाग्राम मिला। लेटेस्ट पोस्ट: एक स्केच, जिसमें एक चिराग टूटा हुआ था, लेकिन उसके टुकड़ों से नई रोशनी निकल रही थी। कैप्शन: "टूटना ही तो नया बनने का रास्ता है। #NewBeginnings" आरव ने मैसेज किया: "नीतू, ये चिराग मेरा भी है। मिल सकते हैं?" जवाब आया: "कहां?"
जुहू बीच पर फिर वही जगह। नीतू आई, आंखों में सवाल। "क्यों लौटा?" आरव ने कहा, "क्योंकि मैंने सीखा—चिराग अकेला नहीं जलता। दो लोगों का तेल चाहिए। मेरा अंधेरा तुम्हारी रोशनी से भरा।" नीतू ने मुस्कुराया। "और मेरा?" आरव ने हाथ बढ़ाया। "हम साथ जलाएंगे। एक और चिराग।" सूर्यास्त में, वो हाथ थामे खड़े रहे। शहर की चकाचौंध अब बोझ नहीं, बल्कि उनकी कहानी का बैकग्राउंड लग रही थी।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। महीनों बाद, आरव और नीतू ने मिलकर एक नई ऐप बनाई—'चिराग कनेक्ट'। ये पुरानी ऐप से अलग थी। यहां सिर्फ मैचिंग नहीं, बल्कि स्टोरी-शेयरिंग थी। यूजर्स अपनी 'चिराग स्टोरी' शेयर करते—वो पल जब अंधेरा टूटा। लॉन्च पार्टी पर, आरव ने स्पीच दी: "जिंदगी डिजिटल है, लेकिन इमोशंस एनालॉग। एक चिराग जलाओ, और देखो कैसे चेन रिएक्शन होता है।" नीतू ने स्केच दिखाया—हजारों चिराग, एक शहर को रोशन करते हुए।
आज, आरव का अपार्टमेंट अब अकेला नहीं। नीतू के स्केच वॉल पर लगे हैं, और हर शाम वो साथ चाय पीते। पापा ठीक हो गए, और दिल्ली में वो चिराग अब फैमिली हेयरलूम है। लेकिन सबसे बड़ा चिराग? वो उनके दिलों में जल रहा है—एक और चिराग, जो आधुनिक दुनिया के अंधेरे को चुनौती देता है।
कभी-कभी, रात को आरव सोचता है—अगर वो ऐप न खोलता, तो? लेकिन फिर नीतू की सांसें सुनकर मुस्कुरा देता। क्योंकि चिराग जलाने का राज यही है—समय पर तेल डालना, और साथ में जलाना।
(शब्द संख्या: 1487। यह कहानी आधुनिक जीवन की चुनौतियों को चिराग के प्रतीक से जोड़ती है, जहां तकनीक संबंधों को जोड़ती और तोड़ती दोनों है।)