एक छोटे से गाँव में राहुल नाम का एक लड़का रहता था। वह बहुत ही शरारती और जिद्दी था। उसे पेड़-पौधों से कोई लगाव नहीं था। वह अक्सर अपने दोस्तों के साथ मिलकर पेड़ों की डालियाँ तोड़ देता, फूलों को रौंद देता और पौधों को उखाड़कर फेंक देता। उसके माता-पिता उसे समझाते कि पेड़-पौधे हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन राहुल कभी उनकी बात नहीं मानता।
एक दिन गाँव में एक बूढ़े साधु महाराज आए। वे प्रकृति की महिमा के बारे में लोगों को ज्ञान देते थे। राहुल के पिता ने उसे साधु महाराज के पास ले जाकर उनसे कुछ सीखने को कहा। राहुल मन ही मन बहुत नाराज हुआ, लेकिन पिता के डर से वह साधु महाराज के पास चला गया। साधु महाराज ने राहुल को देखकर प्यार से पूछा, "बेटा, तुम्हें पेड़-पौधे पसंद नहीं हैं?" राहुल ने उदास स्वर में कहा, "नहीं, ये तो बस जगह घेरते हैं और इनसे कोई फायदा भी नहीं है।"
साधु महाराज मुस्कुराए और बोले, "चलो, आज मैं तुम्हें एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ।" उन्होंने कहानी शुरू की, "बहुत समय पहले की बात है, एक राज्य में भयंकर सूखा पड़ा। नदियाँ सूख गईं, खेत बंजर हो गए और लोग भूखे मरने लगे। राजा ने सभी विद्वानों को बुलाया और पूछा कि इस समस्या का हल क्या है। एक बूढ़े ऋषि ने कहा कि यह सब हुआ है क्योंकि लोगों ने पेड़ों को काट दिया है। पेड़ ही बारिश लाते हैं, हवा को शुद्ध करते हैं और धरती को उपजाऊ बनाते हैं। राजा ने तुरंत आदेश दिया कि हर व्यक्ति पेड़ लगाए और उनकी देखभाल करे। कुछ ही समय में वह राज्य हरा-भरा हो गया और फिर से खुशहाली लौट आई।"
राहुल ने पूछा, "लेकिन साधु महाराज, क्या सच में पेड़ इतने महत्वपूर्ण हैं?" साधु महाराज ने कहा, "हाँ बेटा, पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं, जिससे हम साँस ले पाते हैं। वे फल देते हैं, जिनसे हमारा पेट भरता है। वे धूप से छाया देते हैं और मिट्टी को बहने से बचाते हैं। अगर पेड़ नहीं होंगे, तो धरती पर जीवन भी नहीं होगा।"
राहुल को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने साधु महाराज से वादा किया कि अब वह पेड़-पौधों को नुकसान नहीं पहुँचाएगा और उनकी देखभाल करेगा। घर लौटकर उसने अपने पिता से कहा कि वह गाँव के बाहर एक पेड़ लगाना चाहता है। पिता खुश हो गए और उसकी मदद की। राहुल ने नियमित रूप से पेड़ को पानी दिया और उसकी देखभाल की। धीरे-धीरे वह पेड़ बड़ा हो गया और उस पर फल आने लगे। राहुल ने अपने दोस्तों को भी समझाया कि पेड़ों का महत्व क्या है और सभी ने मिलकर गाँव में कई पेड़ लगाए।
कुछ सालों बाद वह गाँव हरा-भरा हो गया। वहाँ का वातावरण शुद्ध हो गया, नदी में पानी लबालब भर गया और खेतों में अच्छी फसल होने लगी। सभी लोग खुश थे और राहुल को धन्यवाद देते थे। राहुल ने समझ लिया था कि प्रकृति के बिना मनुष्य का जीवन असंभव है। उसने अपने जीवन का एक नियम बना लिया कि वह हर साल कम से कम पाँच पेड़ जरूर लगाएगा और दूसरों को भी प्रेरित करेगा।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि पेड़-पौधे हमारे सच्चे मित्र हैं। वे हमें बिना कुछ माँगे बहुत कुछ देते हैं। हमें भी उनकी रक्षा करनी चाहिए और अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए, ताकि हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहे और आने वाली पीढ़ियों को भी स्वच्छ हवा और हरियाली मिल सके।
— **विजय शर्मा "एरी"**