परियों का देश
लेखक: विजय शर्मा एरी
(यह एक काल्पनिक परी कथा है, जो परियों के रहस्यमयी संसार को केंद्र में रखकर लिखी गई है। शब्द संख्या लगभग 1500।)
अध्याय 1: जंगल की रहस्यमयी शुरुआत
एक बार की बात है, हिमालय की तलहटी में एक छोटा-सा गांव था, जिसका नाम था चंदनपुर। इस गांव में रहता था एक साहसी लड़का, जिसका नाम था आरव। आरव की उम्र मात्र बारह साल की थी, लेकिन उसकी आंखों में साहस की चमक ऐसी थी मानो सूरज की किरणें उसके भीतर समाई हों। उसके पिता एक किसान थे, जो सुबह से शाम तक खेतों में मेहनत करते, और मां घर संभालतीं। आरव का सपना था दुनिया घूमने का, लेकिन गांव की सीमाओं के बाहर कभी कदम न रखा था।
एक शाम, जब सूरज ढल रहा था और पहाड़ियां सुनहरी हो रही थीं, आरव जंगल की ओर निकला। उसके पास एक छोटा-सा टॉर्च और एक पुरानी किताब थी, जिसमें परियों की कहानियां लिखी थीं। "क्या परियां सचमुच होती हैं?" यह सवाल उसके मन में हमेशा कौंधता रहता। जंगल गहरा था, जहां पेड़ इतने ऊंचे थे कि आसमान छूते लगते। हवा में एक अजीब-सी खुशबू थी, जैसे कोई फूल खिल रहा हो जो कभी देखा न हो।
अचानक, आरव के पैर रुक गए। सामने एक चमकदार पत्थर था, जो चांदी की तरह चमक रहा था। जैसे ही उसने उसे छुआ, जमीन कांप उठी। धुंध उड़ी और एक चकाचौंध भरा द्वार खुल गया। द्वार के पार एक अलग दुनिया नजर आई – हरी-भरी घास, रंग-बिरंगे फूल, और हवा में तितलियों का नाच। आरव का दिल धड़क उठा। "यह क्या जादू है?" वह बुदबुदाया। बिना सोचे-समझे, वह द्वार के अंदर कूद पड़ा।
जैसे ही वह अंदर पहुंचा, द्वार गायब हो गया। चारों ओर चमकते तारे थे, लेकिन रात नहीं थी। हवा में मधुर संगीत बज रहा था, जैसे कोई वीणा बजा रही हो। तभी, एक छोटी-सी परी प्रकट हुई। उसकी पंख चांदी के थे, और बाल सुनहरे धागों जैसे। "स्वागत है तुम्हारा, मानव बालक," परी ने मीठी आवाज में कहा। "तुम पैरियो के देश में आ गए हो। मैं हूं लिली, इस देश की रक्षक। लेकिन सावधान, यह देश सुंदर तो है, पर खतरे से भरा।"
आरव हैरान था। "पैरियो का देश? यह कहां है? मैं कैसे लौटूं?" लिली मुस्कुराई। "यह जादुई द्वारों से जुड़ा है। लेकिन लौटने के लिए तुम्हें एक चुनौती पूरी करनी होगी। हमारे राजा बीमार हैं। एक काला जादूगर, डार्कन, ने उनके महल में काला कोहरा फैला दिया है। अगर तुम उनकी मदद कर सको, तो द्वार फिर खुलेगा।" आरव ने हामी भर ली। साहस उसके खून में था।
अध्याय 2: परियों का संसार
लिली ने आरव को पैरियो के देश की सैर कराई। यह देश किसी सपने जैसा था। नदियां शहद की बहतीं, पेड़ों पर फल चमकते जो खाने से उड़ान भरने की शक्ति देते। परियां हर तरफ उड़ रही थीं – कुछ नीली पंखों वाली, जो पानी की रक्षा करतीं; कुछ हरी, जो जंगल की रखवाली। बच्चे परी उड़ान सिखा रही थीं, और बुजुर्ग परियां जादुई कहानियां सुना रही थीं। लेकिन सबके चेहरे पर उदासी थी। राजा की बीमारी ने पूरे देश को प्रभावित किया था। फूल मुरझा रहे थे, और संगीत उदास हो गया था।
"डार्कन कौन है?" आरव ने पूछा। लिली ने बताया, "वह एक पूर्व परी था, जो लालच का शिकार हो गया। उसने काला जादू सीखा और राजा के खजाने पर कब्जा करना चाहता है। खजाने में जादुई रत्न हैं, जो देश की शक्ति हैं। डार्कन ने कोहरे में छिपकर राजा को जहर दिया।" आरव ने ठान लिया। वह मदद करेगा। लिली ने उसे एक जादुई ताबीज दिया, जो खतरे में चमकता। साथ ही, तीन परी सहेलियां – रोजा (लाल पंखों वाली, आग की शक्ति वाली), बेला (सफेद, बर्फ की), और फ्लोरा (पीली, फूलों की) – उसके साथ चलने को तैयार हो गईं।
वे चारों राजा के महल की ओर बढ़े। रास्ता आसान न था। पहली बाधा थी 'नींद का जंगल'। यहां पेड़ों की शाखाएं गीत गातीं, जो सुनने वाले को सुला देतीं। आरव की आंखें भारी हो गईं। "न सोना, आरव!" रोजा ने चिल्लाया। उसने अपनी आग की शक्ति से शाखाओं को जलाया। आरव ने ताबीज को पकड़ा और एक जोरदार झटका दिया। जंगल पार हो गया।
दूसरी बाधा थी 'भ्रम का पुल'। पुल पर छायाएं नाच रही थीं, जो असली दोस्तों जैसी दिखतीं। फ्लोरा ने फूल बिखेरे, जिनकी खुशबू से भ्रम टूटा। आरव ने अपनी किताब से एक मंत्र पढ़ा – "सत्य की ज्योति, अंधेरा मिटाओ!" – और पुल पार हो गया। तीसरी बाधा 'चेतावनी की नदी' थी, जहां पानी में डूबने वाले के सपने उभर आते। बेला ने बर्फ का पुल बनाया, और आरव ने अपने डर – घर न लौट पाने का – को सामना किया।
अध्याय 3: महल का रहस्य
अंत में, वे महल पहुंचे। महल सोने का बना था, लेकिन काले कोहरे ने उसे ढक लिया था। अंदर राजा बिस्तर पर लेटे थे, उनका चेहरा पीला पड़ गया था। "तुम कौन हो, बालक?" राजा ने कमजोर आवाज में पूछा। आरव ने सारी बात बताई। राजा मुस्कुराए। "डार्कन का जहर केवल 'प्रकाश के फूल' से बने अमृत से ठीक हो सकता है। वह फूल डार्कन के किले में है। लेकिन किले तक पहुंचना असंभव-सा है।"
आरव और उसकी सहेलियों ने योजना बनाई। रात के अंधेरे में वे डार्कन के किले की ओर चले। किला पहाड़ पर था, चारों ओर कांटेदार झाड़ियां। डार्कन की सेना – काली परियां, जिनकी पंख टूटे हुए थे – पहरा दे रही थीं। फ्लोरा ने जादुई फूल बिखेरे, जो पहरेदारों को सुला दिए। रोजा ने आग से कांटों को साफ किया। लेकिन अंदर एक जाल था – आईना का कमरा, जहां हर आईने में एक भयानक राक्षस दिखता। आरव डर गया, लेकिन बेला ने कहा, "अपने दिल को देखो।" आरव ने आईने में खुद को देखा – एक साहसी लड़का। जाल टूट गया।
अंत में, वे प्रकाश के फूल के पास पहुंचे। फूल चमक रहा था, लेकिन डार्कन वहां खड़ा था। "हा हा! तुम यहां कैसे?" उसकी हंसी गूंजी। डार्कन लंबा था, आंखें लाल, और हाथों में काला जादू की छड़ी। "यह फूल मेरा है!" उसने हमला किया। काला कोहरा उड़ा। रोजा ने आग से बचाव किया, बेला ने बर्फ की दीवार बनाई, फ्लोरा ने कांटे उगाए। आरव ने ताबीज चमकाया। "तुम लालच के कारण खो गए हो, डार्कन। वापस लौट आओ!"
डार्कन हंसा। "लालच ही शक्ति है!" लेकिन आरव ने फूल तोड़ा और अमृत बनाया। डार्कन ने आखिरी हमला किया, लेकिन लिली अचानक प्रकट हुई। "बस करो, भाई!" लिली ने कहा। "डार्कन मेरा भाई था।" सब हैरान। लिली ने बताया, "वह लालच में फंस गया, लेकिन अभी भी अच्छाई बाकी है।" डार्कन रो पड़ा। जादू टूटा, कोहरा छंटा।
अध्याय 4: विजय और विदाई
वे महल लौटे। आरव ने अमृत राजा को पिलाया। राजा ठीक हो गए। पूरा देश जश्न में डूब गया। परियां नाच रही थीं, फूल खिले, संगीत लौट आया। राजा ने आरव को धन्यवाद दिया। "तुमने न केवल मुझे बचाया, बल्कि मेरे भाई को भी लौटाया।" डार्कन ने माफी मांगी। "मैं गलत था। अब मैं देश की सेवा करूंगा।"
लिली ने द्वार खोला। "आरव, तुम लौट सकते हो। लेकिन याद रखना, पैरियो का देश हमेशा तुम्हारे साथ है।" आरव ने अलविदा कहा। "मैं कभी नहीं भूलूंगा। साहस और अच्छाई हर जगह जीतती है।" वह द्वार से लौटा। चंदनपुर में सुबह हो रही थी। सब कुछ वैसा ही था, लेकिन आरव बदल गया था। उसकी आंखों में अब परियों की चमक थी।
गांव वालों को उसने कहानी सुनाई। कोई हंसे, कोई यकीन न किया। लेकिन आरव जानता था – यह सच था। कभी-कभी, जब हवा में वह खुशबू आती, वह मुस्कुरा देता। पैरियो का देश अब उसके दिल में बस गया था।
समाप्त
(शब्द संख्या: 1498। यह कहानी साहस, माफी और अच्छाई की विजय पर आधारित है। विजय शर्मा एरी की कल्पना से रची गई।)