Nazar Se Dil Tak - 17 in Hindi Love Stories by Payal Author books and stories PDF | नज़र से दिल तक - 17

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नज़र से दिल तक - 17


अगले कुछ दिनों में Raj और Anaya फिर अपनी दिनचर्या में लौट आए — पर अब उनके बीच एक अनकहा जुड़ाव महसूस होने लगा था। वो पहले जैसी बातें नहीं करते थे, लेकिन नज़रों में एक सुकून था… जैसे दोनों किसी अनजाने एहसास की ओर बढ़ रहे हों, जिसे शब्दों की ज़रूरत नहीं।


Anaya rounds के बीच में Raj को देखकर मुस्कुरा देती, और Raj उस मुस्कान को यूँ छुपा लेता जैसे कोई राज़ हो।
कभी Raj किसी patient की file देते हुए कह देता —
“Be careful, you overwork.”
और Anaya हँसते हुए जवाब देती, “आपको चिंता करने की आदत है क्या?”
Raj बस इतना कहता — “कुछ चीज़ें आदत नहीं… एहसास होती हैं।”

Anaya के दिल ने पहली बार धड़कनें अलग सुनीं — जैसे किसी ने उसकी रूह को हल्के से छुआ हो।
वो उस रात की terrace वाली बातचीत को बार-बार सोचती रही।
Raj की वो line — “कभी-कभी खामोश रहना ज़रूरी होता है…” — अब उसके दिल में जगह बना चुकी थी।

एक शाम, hospital के auditorium में medical conference थी।
Raj और Anaya दोनों को case presentation देना था।
Raj confident था, पर जैसे ही उसने Anaya को stage पर देखा — वो पहली बार nervous हो गया।
Anaya बोल रही थी — calm, composed, graceful — और Raj को बस उसकी आँखें दिख रही थीं।
हर शब्द जैसे उसकी आत्मा में उतर रहा था।

Presentation खत्म हुआ, तालियाँ बजीं।
Raj ने धीरे से कहा, “You were amazing.”
Anaya मुस्कुरा दी — “आपकी guidance के बिना शायद इतना नहीं कर पाती।”
Raj ने पलटकर देखा, “अब शायद मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं कर पाऊँ।”
Anaya एक पल के लिए ठिठक गई — पर Raj के चेहरे की गंभीरता ने सब कुछ कह दिया।

उसी शाम cafeteria में हल्की रोशनी थी।
Anaya अकेली बैठी थी, सामने coffee का cup रखा था पर उसका ध्यान कहीं और था।
Raj आया, उसके सामने बैठ गया।
कुछ देर दोनों चुप रहे। फिर Raj ने कहा —
“Anaya, तुम्हारे साथ रहकर एक अजीब-सा सुकून मिलता है। जैसे हर थकान मिट जाती है।”
Anaya ने उसकी ओर देखा — “शायद इसलिए क्योंकि आप भी मेरे जैसे हैं… जो दूसरों के दर्द में जीते हैं।”
Raj मुस्कुरा पड़ा — “और शायद अब पहली बार खुद के लिए जीने का मन हो रहा है।”

Anaya के होंठ हल्के से कांपे, “Sir…”
Raj ने कहा, “Raj. बस Raj कहो।”
वो पल दोनों के बीच किसी वादे जैसा था — बिना बोले, लेकिन महसूस किया गया।

रात को जब Raj अपने केबिन में था, उसने terrace की ओर देखा — वही जगह, वही हवा, पर अब एक फर्क था।
पहले वो खामोशी से भागता था, अब उसी में Anaya की मौजूदगी सुनता था।

Anaya भी अपने quarters में बैठी diary लिख रही थी —

> “शायद मैं किसी की आदत बन रही हूँ… या कोई मेरी।”



दोनों की ज़िंदगी की रफ़्तार अब एक ही लय में चलने लगी थी।
Raj को अब उसका इंतज़ार अच्छा लगने लगा था, और Anaya को उसकी चुप्पी।

मगर ज़िंदगी हमेशा आसान नहीं होती।
कभी नज़दीकियाँ भी एक सवाल बन जाती हैं —
क्या ये जो महसूस हो रहा है… वही है जिसे प्यार कहते हैं?




To Be Continued…

(कभी-कभी नज़दीकियाँ जवाब नहीं देतीं, वो सिर्फ़ सवाल छोड़ जाती हैं — दिल के लिए, और वक़्त के लिए।)