Tere Mere Darmiyaan - 20 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 20

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तेरे मेरे दरमियान - 20


मोनिका :- वाउ । ये बहोत अच्छा है । पता है जानवी ये मॉल बहोत एक्सपेंसिव है और यहां की कलेक्शन का क्या कहना । तुम यहां पर अपने लिए कपड़े खरीद सकती हो । तुम्हें यहां पर दैखकर मुझे कोई हैरानी नही हूई । बल्की मुझे अच्छा लगा के तुम अपने और इस आदित्य को भी यहां पर लेकर आई । वरना ये बेचारा यहां पर कैसे आ पाता । 



मोनिका की बात को सुनकर मॉल के स्टाफ सब हैरान और गुस्सा हो जाता है । पर आदित्य उन सब को सांत रहने का इशारा करता है । तभी जानवी कहती है ।


जानवी :- मैने तुम्हें पहले भी कहा है के आदित्य मेरा होने वाला पती है , और मैं अपने पती के बारे मे बुरा नही सुन सकती ।



मोनिका :- पर तुम इस भिखारी से शादी करके पछताओगी । मैं तो तुम्हें बस आगाह कर रही हूँ ।



जानवी :- कोई जरुरत नही है । मैं अपनी लाईफ कैसे और किसके साथ बिताउगी , ये मैं अच्छी तरह जानती हूँ । मगर मुझे लगता है के तुमने आदित्य को छोड़कर गलती की है और तुम्हें पछतावा हो रहा है । इसिलिए तुम बार बार हमारे पिछे चली आती हो । 



जानवी :- दैखो मोनिका । अगर तुम्हें अब भी आदित्य से प्यार है तो तुम इससे शादी कर सकती हो । मैं तुम दोनो के बिच नही आना चाहती । तुम्हें ये सब करने की कोई जरुरत नही है । वैसे भी हम दोनो एक दुसरे से प्यार नही करते ।


जानवी की बात पर मोनिका हैरान थी । आदित्य भी चुप था ।



मोनिका :- नही ऐसी कुछ नही है । पर जब तुम्हें प्यार नही है तो तुम इससे शादी क्यों कर रही हो । छोड़ दो इसे और अपनी लाईफ को बर्बाद होने से बचा लो । मुझे कोई पछतावा नही है । पर पछताओगी तो तुम । जब तुम्हें लगेगा के इससे शादी करके तुमने सबसे बड़ी गलती हो । दैख लेना । मेरी ये बात याद रखना तुम ।



मोनिका इतना बोलकर वहां से चली जाती है ।
आदित्य जानवी की पंसद की सारे कपड़े को बिलिंग करने के लिए भिजवा देता है । जानवी आदित्य की तरफ हैरानी से दैख रही थी । क्योंकी वे कपड़े सब बहोत ही मंहगे थे । और जानवी सौच रही थी के आदित्य इतना पैसा कैसे देगा । 




आदित्य बिलिंग कांउटर पर जाती है । और फिर अपनो जेब से सेंचुरियन कार्ड निकालता है । जिसे दैखकर जानवी हैरान थी । क्योकि सेंचुरियन कार्ड सबके पास नही होता है ये कार्ड केवल उन लोगो के पास होता है जो बहोत अमीर होता है । आदित्य अपनो सेंचुरियन कार्ड से बिल पे करता है ।



जानवी ये सब दैखकर बहोत ही हैरान थी । पर वो चुप थी । सॉपिगं के बाद जब आदित्य कार चला रहा था तो जानवी आदित्य की और हैरानी से दैख रही थी । तब आदित्य कहता है ।



आदित्य: - ऐसे क्या दैख रही हो तुम मुझे ? कुछ पुछना है क्या तुम्हें ?



जानवी :- वो मैं । वो कार्ड ! क्या वो सेंचुरियन कार्ड था ?


आदित्य: - कौन सा वो , हां वो कार्ड सेंचुरियन कार्ड ही था । क्यों तुम्हें चाहिए क्या ? और कुछ लेना है तुम्हें ।



जानवी :- नही मुझे कुछ नही चाहिए । आपसे एक बात पूछू ?



आदित्य: - यही ना के ये कार्ड मेरे पास कैसे ?



जानवी :- हां । ये कार्ड तो टॉप अमिर वालो के पास होता है । तो फिर ये आपके पास कैसे ?


आदित्य: - ये सब जानकर क्या करोगी । धिरे धिरे सब पता चल जाएगा ।




आदित्य को इतना बोलने पर जानवी और कुछ नही पूछती है । और फिर दौनो चुप चाप घर पहूँच जाते है । जानवी कार से कपड़ा उतारना चाहती थी पर आदित्य जानवी को कपज़े उठाने नही देता है और उसके सारे कपड़े खुद कार से उतारता है और उसे घरके अंदर पहूँचा देता है ।



जानवी आदित्य के इस तरह से केयर करने पर मन ही मन ही मन आदित्य की और दैखकर हैरान हो रही थी । आदित्य वहां से जाने ही वाला होता है के तभी आदित्य को अशोक रौकते हूए कहता है । 




अशोक :- अरे बेटा , जा रहे हो । कुछ दैर रुक जाओ । खाना खा के चले जाना । 



आदित्य: - नही अंकल , फिर किसी दिन । 


अशोक :- पर बेटा ।



आदित्य: - ये तो अब मेरा भी घर है ना । आप सब के साथ मुझे भी डिनर करने मे अच्छा लगेगा । पर आज एक काम है । फिर किसी दिन मैं खाकर जाउगां ।




आदित्य की बात को सुनकर जानवी मन ही मन आदित्य के बारे मे सौचने लगती है । और आदित्य के स्वभाव को पंसद करने लगती है 
। आदित्य वहां से चला जाता है ।




अशोक :- ये इतने सारे कपड़े , ये सब आदित्य ने तुम्हारे लिए खरीदा ?



जानवी :- हां पापा । वो पागल हो गया है । उसने ये सब दिखावा इसिलिए किया ताकी वो हमारा बराबरी कर सके । इस बेवकुफी के कारण उसने आज अपनी पुरी सेविंग लगा दिया होगा । मैने उसे मना किया । पर उसने माना ही नही ।




अशोक: - वो बेवकुफ नही है बेटा । वो अच्छी तरह जानता है के मैने तुम्हें कैसे पाला है । वो बस तुम्हें वही एहसास दिला रहा है के अब तुम मेरी जिम्मेदारी हो और मैं तुम्हें तुम्हारे पापा की तरह ही रखूगां । इस तरह लड़का मिलना मुश्किल है बेटा । इसे कभी खोना नही , संभाल कर रखना ।

अशोक की बात पर जानवी सोच मे पड़ जाती है ।
उधर विकाश जानवी के इग्नोर करने और उस दिन उसके बच जाने के कारण गुस्सा हो रहा था ।



विकास: - आ......। उस दिन वो आदित्य अगर बिच मे ना आया होता तो मैं उस अशोक को वही पर मार देता और उस जानवी के चेहरे को हमेशा के लिए बर्बाद कर देता । फिर उस बदसूरत लड़की से कोई शादी नही करता और उसके पास मेरे अलावा और कोई रास्ता ही नही बचता । फिर वो मेरे अहसान के तले हमेशा दबी रहती । फिर एक दिन मैं उसे भी मार देता और उसके सारे जायदाद अपने नाम कर लेता । मैं करोड़ो का मालिक बन जाता । पर उस आदित्य ने मेरे सारे सपने पर पानी फेर दिया । मैं उसे नही छोड़ूगां । नही छोड़ूगां मैं उसे ।



इधर आदित्य घर मे शादी की तैयारी मे सगा था तभी वहां पर कृतिका और रमेश आ जाता है । 



आदित्य :- वाह । अब दर्शन हो रहे है दोनो के , यहां पर मैं अकेले काम कर करके थक गया हूँ और आप दोनो का कुछ अता पता ही नही । शादी मे 16 दिन बाकी है । कहां से पधार रहे हो आप दोनो ?



कृतिका :- ( खुश होकर ) यार तुम्हें पता है रमेश ने क्या किया है ? 


आदित्य :- अब क्या कर दिया इसने !


कृतिका :- इसे प्यार हो गया है और ये भी जल्द शादी करने वाला है ।


आदित्य: - क्या ! साले छुपा रुस्तम, कब हूआ ये सब । बताया नही यार कभी । शादी मे बुलाओ यार हमे भी मिलाओ शादी मे ।



कृतिका :- उसे मैं यही पर लेकर आयी हूँ । बाहर ही है ।


आदित्य :- अरे बाहर क्यू है । अंदर लेकर आओ उसे ।



रमेश बाहर जाता है और रश्मि के अंदर लेकर आता है । रश्मी दैखने मे बहोत सुदंर थी । रश्मी को दैखकर आदित्य हैरान हो जाता है और कहता है ।



आदित्य: - वाह यार । भाभी तो बहोत सुदंर है । तुम्हें कहां मिल गयी ये ।


To be continue.....124