. आर्या राठौर की नींद टूटी
दरभंगा की वही हवेली…
जहाँ अब कोई नहीं आता।
रात के तीन बजे —
हवेली के पुराने कमरे की खिड़की अपने आप खुली।
और हवा के साथ एक किताब अंदर आ गिरी।
आर्या राठौर नींद में चौंक उठी।
“कौन है वहाँ?”
उसकी आवाज़ सन्नाटे में गुम हो गई।
टेबल पर रखी मोमबत्ती अपने आप जल उठी।
और सामने वही किताब थी —
> “The Soul Script”
By: Ruhaani Sen (In Spirit)
आर्या के दिल की धड़कन तेज़ हो गई।
किताब के कवर पर कुछ हिल रहा था —
नीली स्याही की एक रेखा… जो धीरे-धीरे उसका नाम लिख रही थी —
> ARYA RATHORE
वो पीछे हटी, पर पन्ने खुद-ब-खुद खुल गए।
पहला पन्ना बोला —
> “अब कहानी तुमसे पूरी होगी…”
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2. स्याही की आवाज़
आर्या काँपती हुई किताब के पास बैठी।
उसके कानों में कोई हल्की आवाज़ फुसफुसा रही थी —
> “तुम्हारे भीतर अधूरी रूह जाग चुकी है…”
वो डर से बोली —
“कौन है तुम? मैं कोई लेखक नहीं हूँ!”
नीली स्याही टेबल पर बहने लगी।
उससे शब्द बने —
> “हर कोई लेखक नहीं होता…
लेकिन हर किसी की रूह कुछ कहना चाहती है।”
आर्या की आँखें फैल गईं।
किताब के अंदर से हल्की नीली रोशनी निकली।
और उसके हाथों में स्याही समा गई।
अब उसकी उंगलियाँ काँप रही थीं —
जैसे वो किसी अदृश्य शक्ति के आदेश में हों।
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3. हवेली की धुन
हवेली के हर कमरे में अजीब सी धुन गूंजने लगी —
“टिक... टिक... टिक...”
आर्या ने देखा —
वही टाइपराइटर अब उसके कमरे में रखा था,
जो रूहानी के कमरे से गायब था।
वो खुद-ब-खुद चलने लगा —
> “Chapter 1: The Return of the Ink”
आर्या का चेहरा पीला पड़ गया।
“नहीं… ये असंभव है…”
टाइपराइटर से आवाज़ आई —
> “रूहानी ने जहाँ छोड़ा…
वहीं से तुम्हें शुरू करना होगा।”
हवा में अब नीली स्याही के बारीक कतरे उड़ रहे थे,
जो आर्या के चारों ओर घूमकर एक घेरा बना रहे थे।
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4. अतीत की झलक
अचानक उसकी आँखों के सामने धुंध छा गई।
वो अब हवेली में नहीं थी —
बल्कि किसी पुराने पुस्तकालय में खड़ी थी,
जहाँ दीवारों पर नाम उकेरे थे —
> “Kavya Sen”
“Ruhaani Sen”
“Raghav Mishra”
“Anvi Rathore”
हर नाम के आगे एक तिथि थी —
और हर तिथि के नीचे लिखा था “Incomplete.”
वो डर गई — “मैं यहाँ क्यों हूँ?”
एक आवाज़ गूंजी —
> “क्योंकि तुम उनकी कहानी का आख़िरी अध्याय हो…”
उसने पीछे देखा —
काव्या सेन की रूह खड़ी थी,
चेहरे पर वही नीली स्याही की लकीरें।
काव्या मुस्कराई —
> “रूहानी ने अधूरी कहानी को छुआ था…
तुम उसे खत्म करोगी या फिर खुद स्याही बन जाओगी।”
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5. रूह की वापसी
हवेली में अचानक सारे दीए बुझ गए।
आर्या की आँखें फिर खुलीं —
वो वापस अपने कमरे में थी।
लेकिन अब किताब खुली थी,
और उस पर लिखा था —
> “The Writer of Souls: Arya Rathore”
वो चिल्लाना चाहती थी, पर उसकी आवाज़ रुक गई।
उसकी उंगलियाँ टाइपराइटर पर खुद चलने लगीं।
> “मैं आर्या हूँ…
और ये कहानी अब मेरी रूह लिख रही है…”
हर अक्षर के साथ उसकी आँखों का रंग बदल रहा था —
नीले से गहरा बैंगनी।
उसका शरीर स्थिर, पर उसकी रूह चल रही थी।
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6. हवेली के बाहर
बिजली गिरी —
और हवेली के बाहर लोगों ने नीली लौ उठते देखी।
सुबह अख़बारों में खबर थी —
> “दरभंगा की हवेली में रहस्यमय नीली रोशनी देखी गई —
आर्या राठौर गायब।”
टेबल पर किताब पड़ी थी —
अब उसका कवर फिर बदल चुका था।
> “The Soul Script — Rebirth Edition”
By: Arya Rathore (Possessed)
और नीचे एक हल्की पंक्ति चमक रही थी —
> “कहानी फिर से जन्म ले चुकी है…”
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7. अंतिम दृश्य
रात में कोई हवेली के पास से गुज़रा।
खिड़की से उसने देखा —
एक लड़की टाइपराइटर पर बैठी लिख रही थी,
पर उसके पीछे कई परछाइयाँ खड़ी थीं —
काव्या, रूहानी, राघव… सब।
टाइपराइटर से निकल रही हर आवाज़
हवा में गूंज रही थी —
> “टिक... टिक... टिक...”
“हर जन्म में कहानी लौटती है…”
फिर नीली लौ बुझी —
और खिड़की पर लिखा हुआ दिखा —
> “Next Chapter — Written in Blood.”
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🕯️ एपिसोड 32 समाप्त
(अब कहानी आर्या के भीतर उतर चुकी है —
और “रूह की स्याही” उसे एक नए जन्म, एक नए डर और एक नए सच की ओर ले जाएगी।)
👉 एपिसोड 33 — “खून से लिखी किताब”
में पहली बार दिखेगा —
क्या आर्या अब इंसान है या खुद “कहानी” बन चुकी है।