Love Online or Offline in Hindi Moral Stories by Vijay Sharma Erry books and stories PDF | प्यार ऑनलाइन की ऑफलाइन

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प्यार ऑनलाइन की ऑफलाइन

प्यार ऑनलाइन या ऑफलाइन
कहानी एक छोटे से शहर, मधुपुर, में शुरू होती है, जहां की हवाएं अभी भी पुराने जमाने की खुशबू लिए होती हैं, लेकिन युवाओं के दिल में आधुनिकता की लहरें हिलोरें मार रही थीं। रिया, एक 24 साल की लड़की, जो अपने कॉलेज के बाद मधुपुर वापस लौट आई थी, एक छोटी सी लाइब्रेरी में काम करती थी। उसका जीवन किताबों, चाय की चुस्कियों और अपने दोस्तों के साथ गपशप तक सीमित था। दूसरी तरफ, दिल्ली में रहने वाला अर्जुन, एक 26 साल का सॉफ्टवेयर इंजीनियर, अपनी व्यस्त जिंदगी में कुछ खालीपन महसूस कर रहा था। दोनों की जिंदगी अलग-अलग थी, लेकिन एक चीज जो उन्हें जोड़ने वाली थी, वो थी प्यार की तलाश—चाहे वो ऑनलाइन हो या ऑफलाइन।
रिया की दुनिया
रिया को किताबों से प्यार था। उसकी लाइब्रेरी में हर तरह की किताबें थीं—रोमांस से लेकर रहस्यमयी कहानियां तक। लेकिन उसका दिल हमेशा रोमांटिक उपन्यासों की ओर खींचा जाता। वह सोचती, “क्या जिंदगी में भी ऐसा प्यार होता है, जैसा इन किताबों में लिखा होता है?” उसकी सहेली, काव्या, हमेशा उसे चिढ़ाती, “रिया, तू किताबों से बाहर निकल और असल जिंदगी में प्यार ढूंढ!” काव्या ने उसे एक डेटिंग ऐप डाउनलोड करने की सलाह दी, लेकिन रिया को ऑनलाइन प्यार पर भरोसा नहीं था। उसे लगता था कि सच्चा प्यार तो वही है, जो आंखों में आंखें डालकर, दिल से दिल तक जाता है।
एक दिन, लाइब्रेरी में एक नया चेहरा आया। वह था नील, एक स्थानीय पत्रकार, जो मधुपुर में अपने अगले लेख के लिए रिसर्च करने आया था। नील की हंसी और उसकी बातों का अंदाज रिया को भा गया। वह अक्सर लाइब्रेरी आता, किताबें उधार लेता और रिया से लंबी बातें करता। रिया को लगने लगा कि शायद यही वो प्यार है, जिसका उसने किताबों में सपना देखा था। नील का साथ उसे सुकून देता था। वे एक साथ कॉफी पीने जाते, मधुपुर की सड़कों पर लंबी सैर करते, और छोटी-छोटी बातों पर हंसते। रिया का दिल धीरे-धीरे नील के लिए धड़कने लगा।
अर्जुन का संसार
दूसरी ओर, दिल्ली की चकाचौंध में अर्जुन अपनी जिंदगी से थक चुका था। उसकी जिंदगी लैपटॉप की स्क्रीन, कॉन्फ्रेंस कॉल्स और ऑफिस की डेडलाइन तक सिमटी हुई थी। एक रात, ऑफिस से देर से लौटने के बाद, उसने अपने दोस्त के कहने पर एक डेटिंग ऐप जॉइन कर लिया। “क्या पता, शायद कोई खास मिल जाए,” उसने सोचा। ऐप पर उसकी मुलाकात रिया से हुई। रिया ने काव्या के दबाव में आकर अनमने मन से प्रोफाइल बनाई थी, लेकिन उसने ज्यादा उम्मीद नहीं की थी।
अर्जुन और रिया की बातें शुरू हुईं। पहले तो औपचारिक बातें—पसंदीदा किताबें, फिल्में, और सपने। लेकिन धीरे-धीरे उनकी बातें गहरी होने लगीं। रिया ने बताया कि उसे किताबों में खो जाना पसंद है, और अर्जुन ने अपनी जिंदगी के खालीपन को साझा किया। दोनों को एक-दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा। अर्जुन की मजाकिया बातें रिया को हंसाती थीं, और रिया की सादगी अर्जुन को सुकून देती थी। रात-रात भर चैट करने के बाद, दोनों को ऐसा लगने लगा कि वे एक-दूसरे को सालों से जानते हैं।
ऑनलाइन और ऑफलाइन का टकराव
रिया अब दोराहे पर थी। एक तरफ नील था, जो उसकी असल जिंदगी में था। उसकी मुस्कान, उसकी आवाज, और उसका साथ रिया को हर पल खुशी देता था। दूसरी तरफ अर्जुन था, जिसे उसने कभी देखा नहीं था, लेकिन जिसके साथ वह अपने दिल की हर बात साझा कर सकती थी। रिया को समझ नहीं आ रहा था कि वह अपने दिल की सुने या दिमाग की।
एक दिन, नील ने रिया को अपने साथ एक स्थानीय मेला देखने के लिए आमंत्रित किया। मेला रंग-बिरंगा था, और नील की मौजूदगी ने रिया के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी। लेकिन मेले में भी रिया का फोन बार-बार बज रहा था—अर्जुन के मैसेज थे। नील ने मजाक में कहा, “कौन है ये, जो तुम्हें इतना व्यस्त रखता है?” रिया ने हंसकर बात टाल दी, लेकिन अंदर ही अंदर वह परेशान थी। उसे डर था कि अगर उसने नील को अर्जुन के बारे में बताया, तो शायद नील उससे दूर हो जाए।
उधर, अर्जुन ने रिया से मिलने की इच्छा जताई। “क्यों न हम मधुपुर में मिलें? मैं वहां आ सकता हूं,” उसने लिखा। रिया घबरा गई। वह अर्जुन को पसंद करती थी, लेकिन उसे डर था कि ऑनलाइन की दोस्ती असल जिंदगी में उतनी खूबसूरत न हो। फिर भी, उसने हिम्मत जुटाई और हां कह दिया।
मुलाकात का दिन
अर्जुन मधुपुर पहुंचा। रिया ने उसे अपनी लाइब्रेरी में मिलने के लिए बुलाया। जब अर्जुन वहां पहुंचा, रिया उसे देखकर हैरान रह गई। वह वैसा ही था, जैसा उसने सोचा था—सादा, लेकिन आकर्षक। उसकी आंखों में वही गर्मजोशी थी, जो रिया ने उसकी बातों में महसूस की थी। दोनों ने लाइब्रेरी में घंटों बातें कीं, हंसे, और एक-दूसरे को समझने की कोशिश की। रिया को अर्जुन का साथ उतना ही अच्छा लगा, जितना नील का। लेकिन अब उसका दिल और उलझ गया।
उसी शाम, नील अचानक लाइब्रेरी पहुंच गया। वह रिया को सरप्राइज देने आया था, लेकिन जब उसने रिया को अर्जुन के साथ हंसते-बात करते देखा, तो उसका चेहरा उतर गया। “ये कौन है, रिया?” नील ने पूछा। रिया ने हड़बड़ाहट में अर्जुन का परिचय दिया, लेकिन नील को कुछ समझ नहीं आया। वह चुपचाप वहां से चला गया।
दिल का फैसला
रिया अब पूरी तरह उलझन में थी। उसने काव्या से अपनी परेशानी साझा की। काव्या ने कहा, “रिया, प्यार ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, उसे दिल से समझना पड़ता है। तू अपने दिल की सुन।” रिया ने कई रातें सोचते हुए बिताईं। उसे नील का साथ अच्छा लगता था, लेकिन अर्जुन के साथ उसकी आत्मीयता कुछ और ही थी।
आखिरकार, रिया ने फैसला किया। उसने नील से मिलकर खुलकर बात की। “नील, तुम बहुत अच्छे हो, लेकिन मुझे लगता है कि मेरा दिल किसी और के लिए धड़कता है।” नील को दुख हुआ, लेकिन उसने रिया की ईमानदारी की तारीफ की। “मैं चाहता हूं कि तुम खुश रहो, रिया,” उसने कहा और चुपचाप विदा ले लिया।
रिया ने अर्जुन को अपने दिल की बात बताई। अर्जुन ने उसकी बातें ध्यान से सुनीं और कहा, “रिया, मुझे नहीं पता कि हमारा भविष्य क्या होगा, लेकिन मैं तुम्हारे साथ हर कदम चलना चाहता हूं।” दोनों ने एक-दूसरे का हाथ थामा और एक नई शुरुआत की।
प्यार का सबक
रिया और अर्जुन की कहानी ने मधुपुर में एक नई मिसाल कायम की। लोग कहने लगे कि प्यार ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, उसका आधार विश्वास और समझ होता है। रिया ने सीखा कि प्यार को परखने के लिए उसे किसी किताब या स्क्रीन की जरूरत नहीं, बल्कि अपने दिल की सच्चाई को सुनने की जरूरत है।
अर्जुन और रिया ने एक-दूसरे के साथ समय बिताना शुरू किया। कभी मधुपुर की गलियों में, तो कभी दिल्ली की चहल-पहल में। उनकी कहानी ऑनलाइन शुरू हुई थी, लेकिन उसे ऑफलाइन की गर्मजोशी ने पूरा किया।
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Vijay Sharma Erry