Three best forever - 48 in Hindi Comedy stories by Kaju books and stories PDF | थ्री बेस्ट फॉरेवर - 48

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थ्री बेस्ट फॉरेवर - 48

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( >💜💜💜 तो यारो और दिलदारो,
next ep मे पधारो।💜💜💜

ये हैं राह ढोढरे उम्र 49 मस्ती का सौतेला बाप जिसके आवाज से भी मस्ती को नफरत है बाप मानना तो छोड़ो ही ये एक no का दारू बाज बेवड़ा है। अपनी इज्जत प्यारी है इसे लेकिन दूसरे की इज्जत गालियों से करता है साला बेवड़ा मस्ती को इससे क्यू हद से ज्यादा नफरत है ये राज आगे स्टोरी में खुलेगा। अब आगे,,,,,,

सुनिता जी भड़कते हुए "तेरी हिम्मत भी कैसे हुई मेरे घर के दरवाज़े पर खड़े मेरे ही बच्चों पर हाथ उठाने की,,दिया किसने तुझे ये हक? नही किस हक से आया है अब मेरे दरवाजे पर?"

राहु लड़खड़ाते हुए उठ खड़े होकर बोला "देखो सुनिता हमारे बीच जो झगड़ा हुआ शायद हमें उसे सुलझा लेना चाहिए मैं तुम्हे मौका देने के लिए तैयार हु" 

"मौका सच में हा हा हा" सुनिता जी इतना बोल चिढ़ाने वाली हसीं हसने लगी।

राहु चिढ़ते हुए "इसमें हंसने वाली क्या बात है?" 

सुनिता जी कुटिल मुस्कान के साथ बोली "अरे हसी क्यू नही आयेगी मजाक इतना अच्छा जो कर लेते हो" 

राहु समझकर भी न समझने का ढोंग करते 
हुए बोला "ह,,क्या? मज़ाक? मैं कोई मजाक नही कर रहा मै,, सच्ची मै सच कह रहा हूं सुनिता मैं सब कुछ भुलाकर तुम्हे फिर मौका देने के लिए तैयार हु" 


सुनिता जी भड़कते हुए "दोगले आदमी मौका मै देती थीं और वो भी एक बार नही बार बार लगता है उम्र के साथ तुम्हारी याद्दास्त कमजोर हो गई है" 

मस्ती भी टोंट मारते हुए बोली "जाने दो मम्मी दारू थोड़ा दिमाग में भी घूस गया होगा" 

राहु हकलाते हुए सफाई देने लगा "ह क्य,, क्या वो ऐसा कुछ नहीं है,, और,, और मैंने पीना छोड़ दिया है" 

सुनिता जी बेयाकिनी नजरों से देख "सच में?" 

राहु झट से बोला "हा सच्ची तुम्हारे दूर होने का सदमा पहुंचा जिससे मां कसम मैने पीना ही छोड़ दिया " 

तभी रीयु बोली "छे छे छे झूठ बोलने की भी हद होती है" 

राहु हकलाते हुए "ए,, ए लड़की म,,मैं मैं कोई झू,, झूठ नहीं बोल रहा" 

मनीष आईब्रो उचकाकर बोला "झूठ नहीं बोल रहे तो हकला क्यू रहे महोदय?" 

"वो,,वो वो मैं,, मै,,," राहु को समझ ही न आया की क्या जवाब दे की 

मस्ती जो उसे और बर्दास्त नही कर पा रही थी उसे डपटते  हुए बोली "चुप,,,तुम्हारे बोलने से ही दारू की गंध आ रही और तुम कहते हो पीना छोड़ दिया है लानत है तुम पे झूठे मक्कार दोगले आदमी झूठी कसम खाकर कितनी बार अपनी मरी हुई मां को मारोगे" 

राहु अपने अकड़ दिखाते हुए बोला "सुनिता अपनी बेटी से कहो जुबान संभाले इतनी बत्तमिज हो गई है,, ह होगी भी क्यू ना मां ने जैसे संस्कार दिए वैसे ही तो होगी" 

मस्ती के सब्र का बांध टूट गया वो गरजते हुए बोली "अबे ए बेवड़े,,मेरे मम्मी के संस्कार पर उंगली उठाने वाला तू है कौन बे" 

राहु उसी अकड़ में मुस्कराते हुए बोला "वो तुम्हारी मम्मी अच्छे से जानती है लगता हैं अब तक तुम्हे बताया नहीं" 

उसकी बात का जवाब देते हुए मस्ती बोली "बताने की जरूरत नहीं उस समय मैं खुद मौजूद थी भले ही समझदारी नहीं थी लेकिन उस तीन साल की बच्ची ने अपनी आखों में वो हर एक दर्द नाक घटना और दर्द देने वाले हर शख्स को कैद किया हैं,, चाह कर भी नहीं भूल पाई हु और ना हीं कभी भूलूंगी" 

फ्लैश बैक
18/जनवरी/2007
बस्ती: डिप्टी सिंगल

डिप्टी सिंगल ये शहर टेढ़ी मेढ़ी गलियों के लिए जानी जाती है कही भी जानें का हर एक रास्ता गलियों से होकर गुजरता है।
साथ ही ये एरिया शराबी लोगो के लिए महशूर है।

वही एक गली में एक परिवार उजड़ रहा था जिसे देखने के लिए पूरे मोहल्ले का जमावड़ा लगा था। 

एक शराबी आदमी अपने दाए हाथ में पैर जितनी मोठ की लाठी पकड़े लड़खड़ाते हुए खड़ा था।
तो वही उसके पांच कदम की दूरी पर एक औरत खड़ी थी बाल साड़ी अस्त व्यस्त हो रखे थे और उसके आंखो से आसू बहने के लिए उतावले हो रहे थे लेकिन वो खुद को मजबूत बनाए गुस्से और नफरत भरी नज़रों से उस आदमी को घुर रही थी।
वो आदमी भी गुस्से भरे नजरों से उसे घुर रहा था।

ये थी सुनिता जी जिनकी उम्र उस समय मात्र 23 थी। इनकी शादी इनके बाउजी धामवीर जी ने 12 वर्ष में ही करा दी थी। जब ये 10 साल की थी तब इनकी मां सुमित्रा जी रोग से पीड़ित स्वर्ग सिधार गई। उस दिन से उनके पिता धामविर की भी तबियत दिन ब दिन खराब होती रहती थी उन्हे डर लगता की कही उन्हे कुछ हो गया तो उनकी बेटी अविवाहित न रह जाए इसलिए उन्होंने सुनिता जी की शादी वक्त से पहले ही कर दी और उस समय उम्र देखी ही कहा जाती थी। बस गुड्डा गुड्डी की खेल की तरह बिहा रचा दिया जाता था।

हाथ में लाठी पकड़े उनके पति वनुच महेंद्रवंश उम्र 26 शराब की लत में इतने अंधे हो गए है की अपनी पत्नी और बेटी का जरा भी ध्यान नहीं ।

दरसल 15 साल की होने तक सुनिता अपनी बुआ के पास रही फिर उसे ससुराल विदा कर दिया गया। 

ससुराल में उनके दिन बीतने लगे जैसे जैसे दिन बीतते उसकी सास और आस पड़ोस को लोगो के ताने सुनने को मिलते की "शादी को चार साल हो गए उनकी बहू को एक बच्चा तक नहीं न जाने कौन सी मनहूस को उठा लाए" 

उसकी सास भी उसे हद से ज्यादा खरी खोटी सुनाती और पति नशा कर मारता पीटता मानो उनका ऐसा करने से सुनिता गर्भवती हो जायेगी। अत्याचार हद पार कर गया था ये सब सुनिता जब सहन से बाहर हो गया तो उसने ठान लिया की अब वो खुद के दम पर जिएगी उसने नौकरी का पता चला तो वही बीस क़दम की दूरी पर एक रूम किराए पर लिए रहने लगी।

इसी दूरी में एक महीने बाद सुनिता गर्भवती हुई पर उस समय उसका ध्यान रखने वाला कोई नहीं था।

उसने बहुत कठिन संघर्ष किया जिस स्तिथि में वो थी उस स्थिति में भी कमाने जाति थी । 
क्या ही करती हालात के मारे ज्यादा टेंशन लेने और जॉब जाने के कारण डिलीवरी समय से पहले हो गया बच्चे को पेट चिर कर बाहर निकालना पड़ा था डॉक्टर को बहुत कष्ट सहा था सुनिता ने लेकिन सबसे खास बात तो ये थी की जिस हॉस्पिटल में उसकी डिलिवरी हुई वहा सभी गर्भवती महिलाओं ने लड़को को जन्म दिया था। 

सिर्फ एक लौती सुनिता थी जिसने प्यारी सी छोटी सी गुड़िया को जन्म दिया । 
बच्ची बहुत कमजोर थी इसलिए एक महीने एनआई.सी.यू और नर्सरी में रखा गया।

बच्चे के नॉर्मल होने तक सुनिता हॉस्पिटल में ही भर्ती रही उसकी बुआ ही थी एक जो उसकी हाल चाल खबर लेने आती थी। 
बाकी किसी रिश्तेदार को उससे मतलब न था।
फिर हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद सुनिता ने अपनी प्यारी प्यारी गुड़िया का छोटा सा नामकरण समारोह रखा जिसमे उस गुड़िया का नाम पड़ा "मस्तानी उर्फ मस्ती" 

मस्ती एक साल की हुई तो चलना सीखी और तब सुनीता का जॉब जाना स्टार्ट हो गया। वो मस्ती को उसकी दादी यानी अपनी सास के पास छोड़ जाती थी दरअसल मस्ती के आने के बाद उनके बीच मन मुटाव थोड़ी कम हो गई थी लेकिन अब भी सुनिता किराए पर अलग ही रहती थी।

मस्ती धीरे धीरे बड़ी होती गई और फिर भी सुनिता का अलग रहना ये बात दिन बीतते वनुच को खटने लगी और उसके मन में शक पैदा होने लगा की कही किसी और के साथ चक्कर तो नही चल रहा इसका 
इसलिए फिर क्या जब मस्ती तीन साल की हुई और कही दुसरे बच्चों के साथ खेलने में लगी हुई थी।

तब वनुच उस समय शराब के नशे में चूर अपने शक को भरे मोहल्ले में उजागर कर ढिढोंरा पिटना शुरु कर दिया और सुनीता पर लांछन लगाने लगा। 

और जिस आदमी को लेकर वो सुनिता पर इल्जाम लगाए जा रहा था वो भी वही आराम से खड़े होकर तमाशा देख रहा था। 

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( >💜💜💜 कौन? कौन? कौन था वो आदमी? जानने के लिए मिलते हैं जल्द ही next ep में 🥺💜💜💜 दुःख भरे ep के लिए क्षमा पर ये स्टोरी सच्ची घटना पर आधारित जरूर है पर मेरी स्वरचित है।💜💜💜