Tere Mere Darmiyaan - 13 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 13

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तेरे मेरे दरमियान - 13


विद्युत: -  घर आ तेरे इस मॉल की खुशी मे मैं एक पार्टी दूगां वहां पर बात करते है ।




आदित्य: - पार्टी !



विद्युत: - अब तो तु अपना काम कर लिया ना । तो अब लोगो को बताने मे क्या जाता है । 




आदित्य: - नही पापा । अभी वो वक्त नही आया है । आप शायद भूल गए के मेरे और आपके बिच क्या डिल हूआ था । के मैं पाँच साल तक अपनी पहचान छुपा कर रखूगां और अभी ये चार साल हो रहा है ।




विद्युत: - पर तुमने तो अपना काम कर दिया ना । 
आदित्य: - नही पापा , अभी कुछ और काम बाकी है ।




विद्युत: - दैखो कल पार्टी तो मैं दे रहा हूँ क्योकी मेरे बेटे की कामयाबी का जश्न मैं जरुर मानाउगां । पर तु टेंशन मत ले मैं तुझे इंट्रोड्यूज नही करुगां ।




आदित्य: - थेक्सं पापा ।




विद्युत: - बेटा कृतिका और रमेश तुम सब भी आना । और हां बेटा आदित्य, कल बात करते है जो तुम्हें कहना है कल कह देना ।





आदित्य: - तो फिर एक काम करना पापा । आप कल के पार्टी मे अशोक मुखर्जी और उनकी बेटी जानवी को जरुर इंनवाईट करना ।





विद्युत: - ठीक है । जैसा तुम्हें ठिक लगे ।





इतना बोलकर अनय और विद्युत वहां से चला जाता है पर जाते समय अनय आदित्य के कान मे कहता है ।




अनय :- मेरे लिए कल कुछ कपड़े लेकर आना । पार्टी मे पहनुगां । वैसे कलेक्शन सब बहोत मस्त है । चलता हूँ , भुलना नहीं, कल लेकर आना ।





इतना बोलतर अनय चला जाता है । आदित्य हल्की मुस्कान देता है ।




तभी वहां पर मोनिका और उसके बॉयफ्रेंड विकी भी वहां पर था । मोनिका आदित्य को मॉल मे दैखकर उसका बेज्जती करने के लिए उसके पास जाती है ।





मोनिका :- अरे आदित्य तुम यहां पर क्या कर रहे हो ? 




आदित्य: - वो मैं सब ऐसे ही घुमने आया था ।





मोनिका :- वही तो मैं भी सौच । के इतने बड़े मॉल मे तुम जैसे फटीचर और गरीब क्या लेने आए हो । कही तुम फिर से मेरा पिछा तो नही कर रहे हो ?





मोनिका के इतना कहने पर कृतिका और रमेश गुस्सा हो जाता है तभी आदित्य उन दोनो को सांत कराता है ।





मोनिका :- अब सबके सामने सच्चाई बोल दिया इसिलिए गुस्सा आ रहा है । मैं क्या करु बोलो । फटीचर को तो करोड़पति नही कह सकती ना । हां पर तुम्हें अगर कोई कपड़ा पंसद आ जाए तो मुझे बता देना मेरा बॉयफ्रेंड तुम्हें गिफ्ट कर देगा । शर्माना मत ठिक है । मुझे पता है तुम लोगो की नौकरी चली गई है और तुम सब सड़क पर आ गए हो । और हां ऐसे हम दोनो के पिछे आने की कोई जरुरत नही है । 




कृतिका :- Oh really, तुम्हें लगता है के हमे तुमसे कपड़े मांगने पड़ेगें । वैसे तुम इस मंहगे मॉल मे कपड़े कैसे लोगी । तुम भी उस विकी से मांगकर ही लोगी । ओकात तो तुम्हारी भी नही है यहां पर आने की ।





कृतिका की बात को सुनकर मोनिका गुस्से से आग बबुला हो जाती है ।





मोनिका :- तुम्हारी इतनी हिम्मत के तुमने मुझे भिखारी कहा । रुको तुम लोगो यहां ये बाहर ना फेंकवा दिया तो कहना ।




इतना बोलकर मोनिका विकी को आवाज देने लगी । तभी विकी वहां पर पहूँच जाता है ।




विकी :- क्या हूआ डार्लिंग ? Any problem. 





मोनिका :- विकी मुझे ये लोग इस मॉल से बाहर चाहिए । 



कृतिका हंसते हूए कहती है ।




कृतिका :- तुम्हें लगता है के ये ऐसा कर पाएगा ।





मोनिका :- बिल्कुल कर पाएगा । क्योकी तुम शायद जानते नही के मॉल विद्युत तिवारी के छोटे बेटे का है और विकी विद्युत तिवारी के कंपनी मे काम करता है । तो अगर ये चाहे तो तुम जैसे फटिचरों को यहां से बाहर फेंकवा सकता है ।





कृतिका :- तुम शायद ये नही जानती के ...!




कृतिका इतना कहता ही है के आदित्य उसे रोक देता है और कहता है ।




आदित्य: - चलो छोड़ो । हम ही यहां से चले जाते है । 




मोनिका :- यही तुम्हारे लिए ठिक रहेगा । और फिर कभी ऐसी जगह जाने के बारे मे सोचना भी नही ।




कृतिका :- मोनिका तुम इतना बदल कैसे सकती हो ।
कल तक तो आदित्य तुम्हारे लिए सबकुछ था और फिर अचानक से इससे इतनी नफरत क्यों ?





मोनिका :- ये मेरे लिए कभी परफेक्ट था ही नही । इसने कभी भी मेरे लिए कुछ नही किया । हमेशा से मेरी बात को टालता रहा । जब भी मैं इसे कही ले जाने या कुछ खरीदने को बोलता तो ये हमेशा पैसा नही है करके बात को टाल देता । 





कृतिका :- और प्यार ! इसके प्यार का कोई वेल्यू नही है तुम्हारे पास ?




मोनिका :- सिर्फ प्यार से इंसान खुश नही रह सकता । प्यार तो विकी भी मुझसे बहोत करता है । ये मेरे लिए मंहगे मंहगे गिफ्ट लाता है । जो आदित्य मुझे कभी नही दे सकता । अब तुम ही बताओ कृतिका मुझे किसके साथ रहना चाहिए ?




आदित्य :- छोड़ो ना कृतिका क्यो लड़ाई कर रही हो । मोनिका विकी के साथ खुश है तो उसके लिए मैं भी
खुश हूँ । 





रमेश :- आदित्य कल के पार्टी के कुछ कपड़े ले लेते है । चल ना ।





मोनिका :- क्या कपड़े ! तुम लोग यहां से कपड़े लेने वाले हो । हा हा हा । जाओ जाओ दैख लो कोशिश करके । पहले किमत दैख लेना वरना बिलिंग के वक्त पता चले के तुमने तुम्हारे ओकात से बाहर ले लिए । 




आदित्य और उसके दोस्त मोनिका के बातो पर ध्यान ना देते हूए वहां से जाने लगता है । तभी मोनिका फिर कहती है ।





मोनिका :- अगर पैसा कम पड़ जाए तो मैं यही हूँ मुझसे मांग लेना शर्माना मत ।





आदित्य और उसके दोस्त मोनिका की बातो पर गौर नही करता है और वहां से दुसरी और चला जाता है । और सभी कपड़े चुज करने लगते है ।




कृतिका कपड़े को दैखकर बहोत खुश होती है और प्राईस दैखती है । तो आदित्य कहता है ।





आदित्य: - क्या दैख रही हो कृतिका ?




कृतिका :- आदित्य ये कितना अच्छा है ना । क्या
कलेक्शन है आदित्य एकदम जबरदस्त ।




आदित्य: - हां और ये तुम पर बहोत अच्छा लगेगा । क्या च्वाइस है तुम्हारी । 




कृतिका :- वो सब तो ठिक है पर ये तो एक लाख की है । 


आदित्य: - तुम्हें पंसद है तो लो ना । ये सब क्यों सौच रही हो ?




कृतिका :- नही आदित्य, मैं इतना मंहगा कपड़ा नही ले सकती और फिर तुम्हारा इतना नुकसान ना हो जाए कही ।





आदित्य: - अरे क्या किमत दैख रही हो । जो पंसद है ले लो । इतना सोचो मत । 



तभी वहां पर फिरसे मोनिका आ जाती है और कृतिका के कपड़े को दैखकर कहती है ।




मोनिका :- अरे वाह । कपड़े तो तुमने बहोत अच्छा च्वाइस किया है । पर ये तो एक लाख की है । तुमने प्राइस नही दैखा क्या ?




 To be continue......