Tere Mere Darmiyaan - 12 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 12

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तेरे मेरे दरमियान - 12

विकास के बातो पर जानवी गुस्सा होकर कहती है ---



जानवी :- तुम्हारी हिम्मत कैसै हूई ऐसा कहने की । मेरे पापा कभी भी मेरे से इस तरह का मजाक नही कर सकता है ।



जानवी ये सब विकाश से कह रही थी और अशोक ये सब सुन रहा था ।



जानवी :- वो मेरे पापा है और मेरे लिए जो कुछ भी सैचेगें मेरे लिए वो अच्छा ही होगा ।



विकास: - अरे वाह । आज अचानक से तुम्हें अपने पापा पर बड़ा प्यार आ रहा है । उस बुड्ढे ने ऐसा पाठ पड़ा दिया तुम्हें । आज नही कल तो वो बुड्ढा मर ही जाएगा । पर मैं तुम्हें हमेशा खुश रख सकता हूँ । उस बुड्ढे के लिए तुम मुझे छोड़ रही हो ।




जानवी :- मेरे पापा ठिक ही कहते है , के तुम एक नम्बर आवारा और बदतमीज इंसान हो । तुम मेरे पापा के बारे मे ऐसे कैसे बोल सकते हो । आज के बाद मैं तुम्हारी शक्ल भी नही दैखुगीं । 




विकास: - तो फिर ठिक है , एक बात याद रखना अगर तुम मेरी नही हूई तो मैं तुम्हें किसी और की भी नही होने दूगा, ।




जानवी :- Go to hell .




जानवी इतना बोलकर फोन को काट देती है । तभी वहां पर अशोक जानवी के पास जाता है । जानवी अपने पापा के गले जाती है ।




जानवी :- पापा , I am sorry papa . मैने आपको बहोत तकलीफ दी है । मेरे वजह से आपके बहोत कुछ सहना पड़ा और आपकी ये हालत की जिम्मेदार भी मैं हूँ । sorry papa. 




इतना बोलकर जानवी अपने पापा के सिने से लग कर रोने लगी ।




अशोक: - कुछ नही हूआ । तुम क्यों ऐसा सोचती हो ? अब सब ठिक हो जाएगा । 
जानवी :- आप आदित्य से मेरी शादी कराना चाहते है ना । मैं तैयार हूँ पापा । मैं आदित्य से शादी करुगीं । जहां आप बोलो वही करुगीं । आप आदित्य के पास गए थे ना ? 





अशोक :- हां बेटी , मैं उसके पास गया तो था पर ..? 




जानवी :- पर क्या पापा ?





अशोक :- वो शादी करने मना कर दिया पर जब उसके दोस्तो ने उससे कहा तब उसने कहा के उसे थोड़ा वक्त चाहिए ।




अशोक से इतना सुनकर जानवी गुस्सा हो जाती है । के एक मामूली सा लड़का अशोक मुखर्जी के बेटी की रिश्ता ठुकरा दिया ।




उधर विकास जानवी के फोन काट देने से बहोत गुस्सा हो जाता है । 





विकास: - नही नही नही । ये नही हो सकता । इतने सालो की मेहनत मैं बर्बाद हो ने नही दे सकता । जानवी को मुझसे शादी करनी ही होगी । उसके करोड़ो जायदाद की मालिक बनना है मुझे । मुझे कुछ करना होगा , उस बुड्ढे की वजह से जानवी ने मुझे ना कहा है । और अगर वो बुड्ढा ही ना रहा तो ? तब तो जानवी को रोकने वाला और कोई नही होगा । अशोक सर , अब आपकी जिवन का अंतिम समय आ गया है ।






उधर अनय और विद्युत एक जगह बैठे हूए थे । तभी अनय अपने पापा विद्युत से कहता है ।




अनय :- पापा वो कल आदित्य आया था ।
आदित्य का नाम सुनकर विद्युत हैरान हो गया था ।





विद्युत: - क्या हूआ । नौकरी छुट गई तो अब घर की याद आ गई । कोई बात नही उससे बोल बहोत हो गया अब घर आ जाए । अपना ऑफिस का काम दैखे । बोलो उसे के उसके पापा ने कहा है । उसके लिए अब भी वो कुर्सी खाली है ।





अनय :- पापा वो इसिलिए यहां पर नही आया के उसकी नौकरी चली गई । वो तो ये कार्ड देने आया था
। आज उसकी मॉल की ओपनिंग है और आपके हाथो से ओपनिंग कराना चाहता है ।




अनय की बात को सुनकर विद्युत हैरान था और खुश भी था । के उसके बेटे ने तरक्की करना सुरु कर दिया ।



विद्युत: - कितने बजे जाना है ।



अनय :- एक घंटा बाद ।




उसी दिन आदित्य अपने दोस्तों को अपने मॉल मे लेकर जाता है और वो दोनो इस बात से बहोत खुश थे । अब वो सब मॉल मे जाता है ।



मॉल मे सभी वर्कर और गार्ड आदित्य को दैखकर सेल्यूट करता है । ये सब कृतिका और रमेश दैखकर बहोत खुश होता है । तभी वहां पर विद्युत और अनय जाता है । उन दोनो को दैखकर आदित्य और उसको दोस्त बहोत खुश होता है । सभी विद्युत के पास जाता है और उन्हें पैर छुकर आशीर्वाद लेता है ।




विद्युत और अनय आदित्य को पास जाता है और कहता है ।




विद्युत: - आखिर तुमने कर दिखाया । जो तु चाहता था वो कर लिया । बेटा मैं तुझसे बहोत खुश हूँ । and i am sorry beta . मेरी वजह से तुझे इतना दुख सहना पड़ा ।




आदित्य: - सॉरी क्यों पापा । बल्की आपने तो मुझे अपने आपको प्रुफ करने का मोका दिया । आपने कभी भी मुझे किसी काम के लिए फोर्स नही किया । Thanks पापा । मुझे समझने के लिए ।





विद्युत एक हल्की मुस्कान देता है और आदित्य को गले से लगा लेता है । फिर अनय भी आदित्य को गले लगता है और कहता है ।




अनय :- Congrats भाई ।




आदित्य: - थेंक्यू ।




विद्युत: - तुम दोनो ने आदित्य का बहोत साथ दिया है । ऐसे ही साथ रहना औक किसी भी चिज की जरुरत हो तो मुझे जरुर बताना बेटा ।



कृतिका और रमेश एक साथ कहता है ।




दोनो साथ मे :- जी सर ।




विद्युत: - सर नही । अंकल । 




दोनो साथ मे :- जी अंकल ।





विद्युत: - तुम दोनो भी तो मेरे बेटे हो ।





इतना बोलने के बाद विद्युत मॉल का उद्धघाटन करता है । अपने पापा के हाथ से उद्धघाटन होने से आदित्य बहोत खुश था । वो अपने पापा और बड़े भाई से कहता है ।





आदित्य: - यहां पर आने के लिए बहोत बहोत धन्यवाद पापा और भैया । मुझे नही लगा था के आपलोग यहां पर आओगे ।




विद्युत: - क्यो भाई तुम्हें ऐसा क्यो लगा । और कितने मॉल खोलने का सौचा है ?





आदित्य: - पापा आज चार मॉल का उदघाटन हूआ है । आपने यहां उदघाटन किया तो बाकी जगहों पर भी ये लाईव था और ऐसे मे आपके हाथो से चारो मॉल का उदघाटन आपके हाथ से ही हो गया ।
आदित्य के ऐसा कहने से विद्युत बहोत खुश हो जाता है ।





आदित्य: - भैया , पापा आईए ना । कुछ कपड़े मैं पंसद कर देता हूँ ।





अनय :- हां चल ना , मुझे कुछ सर्ट लेने थे ।





विद्युत: - नही बेटा आज नही । आज मुझे कही जाना है तो मैं फिर कभी आकर दैखूगां । 




आदित्य: - पापा मुझे आपसे एक जरुरी बात करनी थी ।




विद्युत: - सब बात यही करेगा क्या ? तु घर आ तेरे इस मॉल की खुशी मे मैं एक पार्टी दूगां वहां पर बात करते है ।



आदित्य: - पार्टी !




विद्युत: - अब तो तु अपना काम कर लिया ना । तो अब लोगो को बताने मे क्या जाता है ।



To be continue. .....