तभी साहिल देखता है कि सिमरन उसे ही देखे जा रही है तो बोलता है कि;
साहिल - लगता है कि आज रात यही गाड़ी में रहने का प्लान है तुम्हारा? साहिल की आवाज से सिमरन का ध्यान उस पर से हटता है और वो बोलती है कि;
सिमरन - मेरा या तुम्हारा? कबसे बैठकर हंसे जा रहे हो बस! सिमरन ने मुंह बनाते हुए कहा। साहिल को सिमरन ऐसे बहुत प्यारी लगती है तो वो उसे छेड़ने के लिए बोलता है कि;
साहिल - किसका? फिर से बोलना!
सिमरन - तुम्हारा, और जैसे ही मुंह बनाने वाली होती है, तो उसे आभास होता है कि साहिल उसका मजाक बना रहा है। साहिल, तुम भी ना! आजकल बहुत मजाक बनाने लगे हो। बताती हुं तुम्हे मै, रुको और जैसे ही सिमरन आगे बढ़कर साहिल को मजाक में मारने के लिए हाथ आगे बढ़ाती है तो साहिल गाड़ी से निकल जाता है और बोलता है कि;
साहिल - मुझसे बदला लेना इतना आसान नही है सिमरन, और उसे छेड़ने लगता है। तभी सिमरन भी गाड़ी से निकलती है और बोलती है कि;
सिमरन - आज तो तुम्हे छोडूंगी नही साहिल और खुद भी गाड़ी से निकल जाती है। यह देखकर साहिल घर के अंदर की तारक भागता है और सिमरन उसके पीछे! वो दोनो मस्ती में भूल ही जाते है कि उनके वर्कर्स उन्हे देख रहे है। और उनके वर्कर्स भी एंजॉय कर दे रहे थे इस मोमेंट को! साहिल और सिमरन हॉल में पहुंच जाते है, लेकिन सिमरन अभी भी साहिल के पीछे ही पड़ी थी और साहिल उसे भगाए जा रहा था। तभी साहिल सोफे पर चढ़ जाता है और सिमरन को बोलता है कि;
साहिल - सिमरन, हार मान लो! तुम नही पकड़ पाओगी मुझे!
सिमरन - अच्छा बच्चू, अभी रुको! और उसे सोफे पर रखे पिलो को उसकी तरफ फेंककर मारने लगती है। साहिल भी सामने से ऐसा ही करता है। ऐसे ही एक दूसरे को मारते हुए वो करीब आ जाते है। तभी सिमरन का पैर गलीचे पर हल्का सा फिसल जाता है और वो गिरने लगती है। साहिल जैसे ही देखता है, तो उसे संभालने के लिए उसे पकड़ता है। पर इसके चक्कर में दोनो सोफे पर गिर जाते है। सिमरन और साहिल एक दूसरे के बहुत करीब थे और सिमरन, साहिल के ऊपर गिरी हुई थी। उनके दिल की धडकनें तेज होने लगी। और वो दोनो एक दूसरे को देखे ही जा रहे थे। और उनके बैकग्राउंड में म्यूजिक बजने लगता है;
ये लम्हा, जो ठहरा है,
मेरा है, ये तेरा है।
ये लम्हा मैं जी लूं जरा!
तुझमें खोया रहूं मैं,
मुझमें खोई रहे तु,
खुद को ढूंढ लेंगे फिर कभी!
तुझसे मिलता रहूं मैं,
मुझसे मिलती रहे तु,
खुद से हम मिलेंगे फिर कभी, हां फिर कभी!
सिमरन का चेहरा साहिल के चेहरे के बहुत करीब था और दोनो एक दुसरे की आंखों में खोए हुए थे। उन्हे पता ही नही चलता है कि कब तानिया आ गई है और दोनो को ऐसे देखे जा रही है। पर तानिया मन में बहुत खुश हो रही थी कि साहिल और सिमरन एक दूसरे के इतना करीब और इतना खुश है। फिर वो बोलती है कि;
तानिया - लगता है कि हम किसी और घर में आ गए है। हमारा घर इतना बिखरा हुआ तो नही रहता है।
तानिया की आवाज से साहिल और सिमरन दोनो को होश आता है और सिमरन जल्दी से साहिल के ऊपर से उठती है, और बोलती है कि;
सिमरन - मैं अपने कपड़े बदलकर और फ्रेश होकर आती हूं। और हड़बड़ाहट में अपने कमरे की तरफ चली जाती है। तानिया उसे पीछे से देखकर हंसती है और बोलती है कि पागल लड़की!
तभी साहिल बोलता है कि;
साहिल - मैं भी कपड़े बदलकर आता हूं दीदी, और जैसे ही जाने वाला होता है तो तानिया उसे बुलाती है, और उसके पास जाकर बोलती है कि;
तानिया - साहिल, रुको! शर्माकर भाग रहे हो हमसे! तानिया हंसते हुए पूछती है।
साहिल - क्या दीदी, आप भी! मैं सच में कपड़े बदलने ही जाने वाला था।
तानिया - सिमरन से प्यार करने लगे हो ना? अब हमसे मत छुपाओ!
साहिल(शर्माते हुए)- मैं आपको बताने ही वाला था दीदी! मैं सिमरन से सच्ची में बहुत प्यार करने लगा हूं। उसके बाद साहिल, तानिया को बता देता है कि उसने अपनी फीलिंग्स सिमरन के सामने एक्सेप्ट कर ली है।
तानिया - वाह साहिल, तुम तो बड़े तेज निकले। लेकिन हम अगर सामने से नही पूछते तो तुम हमे नही बताते ना! उसने थोड़ा सा नारक्ज होते हुए कहा।
साहिल - कैसी बातें कर रही है दीदी आप, मैने आपसे कभी कुछ छुपाया है क्या आज तक? बस सिमरन भी जल्दी अपने दिल की बात सुन ले। पर मैं सिमरन पर किसी तरह का दवाब नही डालना चाहता हुं।
तानिया - तुम चिंता मत करो साहिल, सिमरन जल्दी ही अपने दिल की बात सुनेगी। हमे पता है कि वो भी तुम्हे लेकर कुछ फील करती है। और सबसे बड़ी बात कि वो तुम पर भरोसा करती है। और जहां भरोसा होता है, वहां प्यार अपने आप होता है, साहिल!
साहिल - हां दीदी, आपने सही कहा। मैं सिमरन का भरोसा कभी नही तोडूंगा।
तानिया - हां साहिल! चलो अब जाओ और जाकर कपड़े बदल लो। फिर साथ में सभी डिनर करते है।
साहिल - हां, मैं आता हुं और वहां से अपने कमरे की तरफ चला जाता है।
तभी तानिया मन में सोचती है कि चलो, किसी का प्यार तो मुकब्बल होगा! हम बहुत खुश है साहिल और सिमरन के लिए!
फिर वो भी अपने कमरे में चली जाती है।
इधर ईशान घर में आते ही अपने कमरे की तरफ जाने लगता है, तभी राजीव जी उसे बुलाते है।
राजीव जी - ईशान, इधर आओ!
ईशान उन्हे इग्नोर करके जाने वाला होता है तभी सुहाना जी, जो किचन में थी, बाहर आकर बोलती है कि;
सुहाना जी - ईशान, तुम्हारे पापा तुम्हे बुला रहे है और तुम उन्हे नजरंदाज करके जा रहे हो। यही सिखाया है क्या हमने तुम्हे?
ईशान सुहाना जी के बोलने से रुकता है और बोलता है कि;
ईशान - अच्छा हुआ, जो आपने मुझे कुछ सिखाया नही! वरना मैं भी आप जैसा ही बन जाता।
राजीव जी - ईशान, ये क्या तरीका है तुम्हारी मम्मी से बात करने का! उन्होंने तेज आवाज में कहा।
ईशान - मैने कुछ गलत कहा क्या पापा! आपसे क्या ही सीख जाता मैं? ईशान के इतना बोलते ही राजीव जी उसके पास आकर उसे थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाते है, तभी सुहाना जी उन्हे रोक देती है।
राजीव जी - ईशान, अपनी हद में रहो, जब से आए हो तब से पता नही क्या हो गया है तुम्हें? इतनी अजीब बिहेव कर रहे हो।
ईशान - आप से ही सीखा है मैने पापा! जब से मैं आया हूं, तब से यहां पर भी सब अजीब हो गया है ना!
राजीव जी -तुम कहना क्या चाहते हो?
ईशान - छोड़िए पापा, अब आपसे बात करने का कोई फायदा नही है। और अपने कमरे में चला जाता है।
सुहाना जी उसे पीछे से आवाज लगाती है लेकिन वो उसे अनसुना करके कमरे का दरवाजा बंद कर देता है।
क्रमश: