Tere Mere Darmiyaan - 11 in Hindi Love Stories by CHIRANJIT TEWARY books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियान - 11

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तेरे मेरे दरमियान - 11

आदित्य: - बोलिए सर , मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ ?




अशोक :- बेटा मुझे तुमसे एक मदद चाहिए । मैं कुछ चाहता हूँ और मुझे आशा है के तुम मुझे निराश नही करोगे ।




अशोक की बात को सुनकर आदित्य और उसके दोस्त सोच मे पड़ गए थे । के इतना बड़े आदमी को आदित्य से क्या चाहिए । तब आदित्य हल्की मुस्कान लिए कहता है ।



आदित्य: - जि सर कहिए , मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ ।



अशोक कुछ सौचता है फिर कहता है ।



अशोक :- अ... बेटा समझ मे नही आ रहा है के मैं तुमसे कैसे कहूँ । पर बेटा इसके अलावा मेरे पास और ऑप्शन भी नही है । बेटा मुझे गलत मत समझना पर
ये मेरे और मेरी बेटी जानवी के फ्युचर को समझते हूए मैं तुमसे ये कहना चाहता हूँ ।




आदित्य: - क्या बात है सर ? आप बिना झिझक के मुझसे कहिए । मैं पुरी कोशिश करुँगा के मैं आपके काम आ सकू ।



अशोक :- बेटा वो मैं चाहता हूँ के ... ! बेटा मैं अपनी बेटी जानवी के लिए तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ ।



आदित्य: - उस विकाश ने फिर कुछ किया है क्या ?




अशोक :- नही , ऐसी कोई बात है । दरअसल बात ये है के मैं अपनी बेटी जानवी का रिश्ता लेकर आया हूँ ।
अशोक ऐसी बात सुनकर कृतिका और रमेश बहोत खुश हो जाता है पर आदित्य खुश नही होता ।



आदित्य: - सर ये आप क्या बोल रहे हो ?
अशोक :- बेटा मैं समझ सकता हूँ के तुम ये सौच रहे हो के मैं कितना बेशर्म हूँ के मैं ये जानते हूए भी के मेरी बेटी किसी और से प्यार करती है और मैं उसकी शादी तुमसे कराना चाहता हूँ । पर बेटा मेरा यकीन मानो मेरी बेटी दिल की बहोत अच्छी है ।




आदित्य: - सर मैं समझ सकता हूँ , पर मैं आपकी बेटी से शादी नही कर सकता । 


अशोक :- पर बेटा ।




आदित्य: - सर आप तो जानते हो के मैं किसी और से प्यार करता हूँ और उसकी जगह को मैं किसी और को नही दो पाउगां । सर आप और आपकी बेटी बहोत अच्छे हो पर मैं उसे शादी के बाद शायद वो प्यार और जगह ना दे पाउ । तो मुझे बहोत बुरा लगेगा और मैं जानबुझकर आपकी बेटी के लाइफ के साथ खिलवाड़ नही कर सकता ।




अशोक :- बेटा मैं सब समझता हूँ और सब जानता भी हूँ । पर यकीन मानो , मैं ये फेसला बहोत ही सौच समझकर लिया हूँ ।



आदित्य: - पर अंकल मैं ही क्यू ? मेरे से और भी कितने अच्छे लड़के है ।



अशोक :- होगें शायद तुमसे भी बहोत अच्छे पर बेटा मेरे मे मेर बेटी के लिए तुम ही सही हो !





तभी रमेश आदित्य से कहता है ।




रमेश: - ये तु इतना सौच क्यों रहा है क्यो रहा है आदित्य । तुम अब भी मोनिका का वेट कर रहे हो । जबकी वो तुम्हें दैखना तक पंसद नही करती । और तुम उसके लिए शादी नही करना चाहते । सर आप शादी की तैयारी किजिए हमे ये रिस्ता मंजूर है ।



आदित्य: - रमेश मेरी बात सुन ।



कृतिका :- कोई बात नही सुननी । हम भी तुम्हारे दोस्त है और दोस्त मतलब फैमिली । हमे पुरा हक फैसला लेने का । ताकी तुम भी खुश रह सको । सर हमे रिश्ता मंजूर है ।



आदित्य: - ठिक है , पर मुझे थोड़ा वक्त चाहिए । मुझे सौचने दो ।



आदित्य बात को सुनकर अशेक मायुस हो जाता है और वहां से जाने के लिए उठ जाता है ।




अशोक :- ठिक है बेटा । मैं चलता हूँ तुम सौचकर मुझे बता देना ।



इतना बोलकर अशोक वहां से उठकर चला जाता है ।
अशोक के जाने के बाद रमेश और कृतिका आदित्य से कहता है ।




कृतिका :- ये क्या आदित्य । जो लड़की तुम्हें ठोकर मारकर किसी और के साथ चली गई उसके लिए तुम अपनी लाईफ को क्यो खराब कर रहे हो ?




रमेश: - वो तो तुमसे प्यार भी नही करती थी वो सिर्फ पैसो से प्यार करती है । आदित्य मेरी बात मानो और अशोक सर की बात मान लो । शादी के लिए हां कर दो । 



आदित्य: - यार मोनिका चाहे कुछ भी करे , पर मैने तो उससे सच्चा प्यार किया था । मैं उसे कैसे भूल सकता हूँ ।


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कृतिका :- तो क्या करेगा तु । उसके याद मैं अपने आपको ऐसे बर्बाद कर देगा , कभी शादी नही करेगा । ठिक है अगर तुम हमे अपना कुछ नही मानते हो तो आज के बाद हम दोनो तुमसे इस बारे मे कुछ नही कहेगें ।




आदित्य: - ये बोल रहे हो तुम दोनो यार । मैने ऐसा कब कहा । पर मुझे थोड़ा वक्त चाहिए क्योकि मुझे पापा और भैया को भी बताना है ।



रमेश :- अच्छा तो ये बात है । और अगर उन्होने ना कहा तो ?




आदित्य: - जब वो मुझे अपने दम पर कुछ करने के लिए दे सकते है तो अपनी पंसद से शादी भी करने दे सकते है ।



कृतिका :- तो इसका मतलब तुम जानवी से शादी करने को तैयार हो ।



आदित्य :- तुम दोनो की बात कभी टाला है मैने ।
आदित्य के इतना कहने पर कृतिका और रमेश दोनो खुश हो जाता है । और आदित्य को गले लगा लेता है ।
उधर जानवी कमरे मे बैठी थी तभी उसका फोन रिंग होता है । जानवी दैखती है के विकाश का फोन था । जानवी फोन रिसिव करती है तो विकाश मायुस होकर कहता है ।



विकाश :- क्या कर रही हो जान ।



जानवी :- क्या है बोलो ।



विकाश :- तुमसे मिलने का मन हो रहा है । काफी दिन हो गए ना तुमने फोन किया और ना ही मिलने आए ।



जानवी :- वो क्या है ना मेरे पापा का तबियत बहोत खराब हो गई थी । 



जानवी विकाश को सबकुछ बोलकर सुनाती है । जानवी की बात को सुनकर विकास गुस्सा हो जाता है उसे अपनी प्लानिंग फेल होती नजर आ रही थी , करोड़ो की जायदाद हाथ से जाता दिखाई देने लगा । तब विकाश जानवी से कहता है ।



विकाश :- तुम्हारे पापा बहोत चालाक है जानवी , उनका कुछ तबियत खराब नही हूआ है । वो सब नाटक कर रहे है ।



जानवी :- विकाश जबान को संभालो । तुम मेरे पापा के बारे मे ऐसा नही बोल सकते ।



विकाश :- सच बोल रहा हूँ । वो नाटक करके हम दोनो को अलग करना चाहते है । और तुम उनकी बातो मे आ गई । मेरी बात मानो और चलो आज हम भाग चलते है । मरने दो उन्हें । जो हमे अलग करना चाहेंगे उसे जिने का कोई हक नही ।



विकाश की बात को सुनकर जानवी गुस्सा होकर कहती है ।



जानवी :- विकाश । तुम्हारी हिम्मत कैसै हूई ऐसा कहने की ।

To be continue. ....