🌸 Ek Mulakat 🌸
कॉलेज की लाइब्रेरी में आज कुछ ज़्यादा ही शांति थी। हर कोई अपनी-अपनी किताबों में खोया हुआ था। तभी दरवाज़ा खुला और एक धीमी हवा के साथ वो अंदर आई। उसकी मौजूदगी से जैसे कमरे की रौनक बदल गई। हल्की गुलाबी ड्रेस, कंधों पर खुले बाल और हाथ में किताबों का ढेर—वो किसी कहानी की नायिका जैसी लग रही थी।
मैं वहीं कोने में बैठा उसे देखता रह गया। पहली बार लगा कि "एक मुलाकात" इंसान की पूरी ज़िंदगी बदल सकती है।
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पहली नज़र का असर
वो मेरी टेबल के पास वाली कुर्सी पर आकर बैठी। किताब खोली और पढ़ने लगी। लेकिन मेरी नज़रें बार-बार उसकी मुस्कान पर अटक जातीं। थोड़ी देर बाद उसने मेरी तरफ़ देखा और हल्की सी मुस्कान दी। मुझे समझ नहीं आया कि मैं किताब पढ़ रहा था या उसकी आँखें।
उसका नाम "आर्या" था। लाइब्रेरी कार्ड पर लिखा देखा तो दिल की धड़कन तेज़ हो गई। मैंने हिम्मत करके कहा,
"हाय… आप भी English literature पढ़ रही हैं?"
उसने मुस्कुराकर कहा,
"हाँ… और आप?"
बस, वहीं से बातचीत शुरू हुई।
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दोस्ती की शुरुआत
दिन बीतने लगे। हर रोज़ हम लाइब्रेरी में मिलते। कभी किताबों पर चर्चा, कभी कॉफी पर बातें। धीरे-धीरे दोस्ती गहरी होती गई। मुझे लगता था कि शायद अब मेरी ज़िंदगी की सारी कहानियाँ उसी के साथ पूरी होंगी।
आर्या का अंदाज़ अलग था। वो छोटी-छोटी बातों में खुश हो जाती। बारिश हो या धूप, उसकी मुस्कान सब कुछ बदल देती। मैं हर दिन उसे देखने का बहाना ढूंढता।
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इज़हार की हिचकिचाहट
कई बार मन करता था कि उसे अपने दिल की बात कह दूँ। लेकिन डर यही था कि कहीं वो दोस्ती भी खो न दूँ।
एक शाम कैफे में बैठकर मैंने कहा,
"आर्या, तुम्हें लगता है कि जिंदगी में सबसे खूबसूरत चीज़ क्या है?"
वो हँसते हुए बोली,
"एक मुलाकात… जो आपकी सोच बदल दे।"
उसकी बात सुनकर मेरा दिल ज़ोर से धड़कने लगा।
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वो खास दिन
कॉलेज का फेयरवेल था। सब लोग सज-धज कर आए थे। आर्या नीली साड़ी में आई और सच कहूँ तो मैंने आज तक इतना खूबसूरत नज़ारा नहीं देखा था।
मैंने हिम्मत जुटाई और स्टेज के पीछे उसे रोककर कहा,
"आर्या, शायद ये हमारी आख़िरी मुलाकात हो, इसलिए मैं कहना चाहता हूँ… मैं तुम्हें पसंद करता हूँ।"
वो चुप रही, बस आँखों में देखती रही। पल भर बाद उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान आई और उसने कहा,
"मुझे भी पहली मुलाकात से ही तुम अच्छे लगे थे।"
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मुलाकात से रिश्ते तक
उस दिन से हमारी कहानी ने नया मोड़ लिया। दोस्ती से मोहब्बत का सफर शुरू हुआ। लाइब्रेरी की वो पहली नज़र, कैफे की अनगिनत बातें और फेयरवेल की वो शाम—सब कुछ यादगार बन गया।
ज़िंदगी में कभी-कभी बस एक मुलाकात काफी होती है, जो आपको आपकी मंज़िल तक पहुँचा देती है।
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✨ और आज जब हम साथ बैठे हैं, तो अक्सर सोचते हैं—अगर वो मुलाकात न हुई होती, तो शायद ये कहानी कभी लिखी ही न जाती।
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🌹 Ending Note
"Ek Mulakat" बस एक कहानी नहीं, बल्कि यह एहसास है कि कभी-कभी किस्मत हमें ऐसे मोड़ पर ला देती है, जहाँ दिल और दिमाग दोनों हार मान जाते हैं और सिर्फ मोहब्बत जीतती है।
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