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( >💜💜💜 हेलो होला आइला 😜 मेरे नमूने सिरफिरे यारों,,,चलो next ep पढ़ने में ध्यान दो,,,😎
विजेंद्र सर बोले "मुझे नही लगता अब उसकी जरुरत है इधर देखिए"
उनकी बात सुन प्रिंसीबल सर उस तरफ़ रुख किए तो वो भी हैरान और कन्फ्यूज रह गए। क्युकी ज्ञानेद्रीय सर अपनी जगह से मिस्टर इंडिया हो गए थे। अब आगे,,,,
दोनों सर साथ में बोले "ये कहा गए??" तभी छत से पांचों लड़कों की चिल्लाने की आवाज आई। दोनों सर दनदनाते हुए फट फट सीढ़िया चढ़ ऊपर पहुंचे और सामने का नजारा देखा तो देखते रह गए।
सुनिता जी का रूम
यहां सुनिता जी के रूम में आवाज नही गई क्युकी रूम साउंड प्रूफ था और सिर्फ उनका रूम ही नहीं बल्कि मस्ती का रूम भी।
ये चारो लेडिस गॉसिप कर रही थी।
तभी सुनीता जी को ध्यान आया की उन्हे पराठे बनाने है वो बोली "चलो अबतक तो उनका हो गया होगा मैं पराठे बना लेती हु बहुत भूख लगी होगी सबको"
मोहिंता मेम मुस्कुराते हुए बोली "हा चलिए मैं भी हेल्प कर देती हु"
तो सुनिता जी बोली "उसकी जरूरत नहीं है ऑल रेडी मैं सारा खाना बना चुकी हु बस पराठे बनाने है मैं कर लूंगी"
"ठीक है इसी कारण मैं आपके बनाए पराठे चख लूंगी बहुत तारीफ करते रहते हैं रियू और मनीष" मोहिंता मेम चहकते हुए बोली।
चारो रूम से बाहर निकलते हुए दोनों लेडिज किचन में चले गए। तो वही रियू मस्ती डायनिंग टेबल पर पैरो से चेयर खींच कर बैठ गई।
और यहां छत पर अलग ही प्रदर्शन चल रहा था। पाचों लड़के एक साथ ऊपर से नीचे तक साबुन के बुलबुलों से लदे खाली कच्छे में एक तरफ़ खड़े खुद को एक दूसरे के पीछे छुपा रहे थे।
वही प्रिंसीबल सर और विजेंद्र सर की घूरती नजरों से उन्हे और हद से ज्यादा शर्म आने लगी थी।
मनीष बड़ी मुश्किल से हिम्मत कर बोला "सर ऐसे मत देखो हम अभागो को"
दोनो सर हड़बड़ा गए ये सोच की कही गलत तो नही समझ लिया इन पांचों नमूनों ने
प्रिंसीबल सर उन्हे अपनी कड़क आवाज में बोले "कुछ भी उल्टा पुल्टा सोचने की जरूरत नहीं है अब बाथरूम से बाहर ऐसे अंग प्रदर्शन करने निकलोगे तो कोई भी घुरेगा ही ना "
विजेंद्र सर भी मुंह बनाते हुए बोले "हा बच्चों ऐसे क्यू खड़े हो भरे संसार में अपनी इज्जत क्यों उछाल रहे? ऐसा कोई करता है क्या"
तभी पाचो साथ में बोले "सर हम ख़ुद नही निकले है बल्कि बाथरूम से बेदखल निकाले गए हैं "
"What nonsense,,,?" प्रिंसीबल सर और विजेंद्र सर कन्फ्यूज होकर बोले।
"अरे सर ज्ञानेद्रीय सर को नॉनसेंस मत बोलिए" मनीष बोला।
तो दोनों सर उसे कन्फ्यूज शक्ल बनाए देख पूछे "तुम्हे पता है कहा है वो??"
वो सभी बताने वाले थे की बाथरुम का दरवाजा खुला और ज्ञानेद्रीय सर बाथरोंब पहने बाहर आए दोनों सर आखें फैलाए देखते रह गए। क्या गीले बालों से टपकता पानी लुढ़कते हुए बदन पर मक्खन की तरह फिसलते जा रहा था बॉडी भी परफेक्ट ज्ञानेद्रीय सर अपने कॉलेज में सबसे हैंडसम थे और दूसरे no में खुद प्रिंसीबल सर थे आखिर में विजेंद्र सर आते थे। लेकिन अपने झूठे व्यक्तित्व की वजह से ज्यादा मशहूर थे। जिससे सिर्फ कुछ ही लोग वाकिफ थे।
ज्ञानेद्रिय सर सबको देखे और उन्हे घूरता छोड़ इग्नोर कर अपने लाए कपड़े पहन कर नीचे जाते हुए बोले "घूरनासुर की तरह घूरना बंद करो और जल्दी फ्रेश होकर नीचे आओ वरना ठंडा खाना खाते रह जाओगे"
उनकी बात सुन सभी उन्हे घूरना बंद कर होश में आए।
सभी कन्फ्यूज शक्ल बनाए एक दूसरे को देखने लगे इस उम्मीद में की किसी को तो कुछ समझ आए पर नहीं किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
"क्या हुआ था जरा शुरु से बताना तो" विजेंद्र सर ने पांचों से पूछा।
तो स्ट्रॉन्ग बोला "ज्यादा कुछ नहीं बस दरवाजा धड़ धड़ करने लगा था तो,,,"
उसकी बात काट कर मनीष बोला "तो हम खोल दिए और,,,"
राहुल भी उसकी बात काटकर बोला "और ज्ञानेद्रीय सर बेधड़क अंदर घुस आए और,,,"
तो वही उत्साह और समजीत साथ में बोले "और हमे बेदखल बाहर कर दिए"
प्रिंसीबल सर सख्ती से बोले "हा हा ठीक है अब रोना गाना शुरु मत कर देना अभागन औरतो की तरह जाओ जल्दी फ्रेश होकर आओ बहुत कर लिए अंग प्रदर्शन"
उनकी बात सुन पांचों लड़के एक दूसरे को बेचारगी से देखे और बाथरूम में घुस गए।
दोनो सर भी एक दूसरे को देखे और नीचे चल दिए।
ज्ञानेद्रिय सर हॉल में आकर सिंगल सोफे पर बैठ गए थे। दोनो सर भी वहा आकर बैठ गए और ऊपर से नीचे तक ज्ञानेद्रीय सर को घूरने लगे।
उनकी नजर भी ज्ञानेद्रीय सर अच्छे महसूस कर रहे थे अब वो चिढ़ गए और बोले "आप दोनो ऐसे घूरना बंद करेंगे या नही"
तो वही विजेंद्र सर बोल पड़े "नही "
उनके जवाब में ज्ञानेद्रीय सर उनको जलती नजरों से घुर बोले "काटे की आदत ही होती हैं पैरो में अटके रहने की कोई ना मैं ही उठ कर चला जाता हु" और वो वहा से उठकर डायनिंग टेबल की तरफ बढ़ गए। प्रिंसीबल सर ने रोका लेकिन वो नहीं रुके और आगे बढ वहा पहुंचकर रियू मस्ती की तरह चेयर पैरो से खींचकर बैठ गए।
मस्ती और रियू उन्हे ही हैरानी से देखने लगी तो ज्ञानेद्रीय सर उन्हे अपनी पैनी नजर से देख खुन्नसाए हुए बोले "अब तुम दोनो क्यों ऐसे घुरनदेवी बनी हुई हो क्या हुआ?"
मस्ती रियू के पास जाकर धीरे से बोली "लगता हैं सर का दिमाग खिसका हुआ है"
रियू भी उससे धीरे से बोली"Hmm धीरज से काम लेना पड़ेगा"
दोनो की फुफुसाहट ज्ञानेद्रीय सर अच्छे से सुन पा रहे थे वो उन्हे घूरते हुए बोले "थोड़ा और धीरे बोलों ताकि मुझे सुनाई ना दे "
"ही ही ही हम तो बस ये पूछना चाहते हैं की आप इतने भड़के हुए क्यों है??" रियु मस्ती जबरदस्ती हस्ते हुए साथ में पूछी।
तो ये सुन ज्ञानेद्रिय सर उनपर भी भड़कने वाले थे की मोहिंता मेम पानी का जग और ट्रे में खाने की प्लेट्स लेकर आते हुए बोली "कोई मेरे हाथ से थोड़ा सा लेलो वरना गिर कर चकना चूर हो जायेगा" आवाज सुन सभी उस ओर देखे विजेंद्र सर भागते हुए डायनिंग टेबल की ओर आए लेकिन उनसे पहले ही ज्ञानेद्रीय सर फट से खड़े हुए और आगे बढ़ उनके दोनों हाथ से सामान लेकर टेबल पर रख दिए। प्रिंसिबल सर भी वहा आए और ज्ञानेद्रीय सर के साथ वाली चेयर खींच कर बैठ गए।
"जब संभाल नही सकती तो इतना वजन लेने की,,," ज्ञानेद्रीय सर सख्ती से बोल ही रहे थे की मोहिंता मेम पर उन्होंने गौर किया उस साड़ी में वो बेहद खुबसूरत लग रही थी।
ऊपर से उनको घबराया हुआ मासूम चेहरा देख वो चुप रह गए उनका गुस्सा पल भर में उड़न छू हो गया। वो लगातार उन्हे ही निहारने लगे। तो वही मोहिंता मेम भी उन्हे ही एक टक देखने लगी लेकिन क्यों ये नही समझ पा रही थी।
वही उन्हे एक दूसरे में खोए देख मस्ती रियू और प्रिंसीबल सर मन ही मन मुस्कुराए जा रहे थे तो वही विजेंद्र सर के कलेजे में जलन के मारे आग सुलग रही थी।
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( >💜💜💜 हे मेरे नमूने यारों,,,,
कैसी लग रही स्टोरी
अपनी छोटी राय तो डालो,,,
मिलते हैं जल्द ही next ep में 💜💜💜