❤️ कहानी: हम दोनों दो प्रेमी ❤️
कॉलेज की लाइफ़ का सबसे सुनहरा पल वही होता है जब दिल पहली बार किसी के लिए धड़कता है। आरव और काव्या भी ऐसे ही दो दिल थे, जो एक ही क्लास में पढ़ते थे। दोनों की मुलाकात तो पहले दिन ही हो गई थी, लेकिन दोस्ती धीरे-धीरे मोहब्बत में बदल गई।
आरव थोड़ा शांत स्वभाव का था, वहीँ काव्या चंचल और हंसमुख। जब भी क्लास में हंसी-ठिठोली होती, तो उसकी हंसी पूरे माहौल को रोशन कर देती। आरव अक्सर चोरी-चुपके उसे निहारता और सोचता—"काश, यह हंसी सिर्फ मेरी हो जाए।"
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पहली बार इज़हार
एक दिन कॉलेज कैंटीन में बारिश हो रही थी। बाहर चारों तरफ़ भीगी धरती की खुशबू फैली हुई थी। काव्या खिड़की के पास खड़ी बारिश की बूंदों को देख रही थी। आरव ने हिम्मत जुटाई और पास जाकर बोला—
“काव्या, क्या मैं तुमसे एक बात कह सकता हूँ?”
काव्या ने उसकी आँखों में झाँका और मुस्कुराते हुए बोली—“हाँ, कहो।”
आरव ने कांपते हुए शब्दों में कहा—“शायद यह बारिश की ठंडी हवाएँ हैं या तुम्हारी मुस्कान का असर... लेकिन दिल की हर धड़कन तुम्हारा नाम लेती है। क्या तुम मेरी दोस्त से कुछ ज्यादा बनोगी?”
काव्या कुछ पल चुप रही, फिर शरमाते हुए बोली—“आरव, मुझे भी वही एहसास होता है... शायद हम दोनों सिर्फ दोस्त नहीं, दो प्रेमी हैं।”
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मोहब्बत के रंग
उस दिन के बाद से उनकी ज़िंदगी जैसे बदल गई। कैंटीन की कॉफ़ी, लाइब्रेरी की किताबें, पार्क की बेंच और कॉलेज का हर कोना उनकी मोहब्बत का गवाह बनने लगा।
आरव उसे रोज़ घर छोड़ने जाता और रास्ते भर बातें करता। कभी काव्या गुस्सा हो जाती, तो आरव उसे चॉकलेट या गुलाब देकर मना लेता। उनकी नोकझोंक में भी प्यार की मिठास होती।
काव्या हमेशा कहती—“आरव, अगर कभी मैं रूठ जाऊँ, तो मुझे मनाना मत छोड़ना।”
और आरव हर बार हंसकर कहता—“तुम रूठोगी ही क्यों, जब तुम मेरी ज़िंदगी हो।”
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मुश्किल दौर
लेकिन हर प्रेम कहानी की तरह उनकी कहानी में भी इम्तिहान आया। काव्या के पापा को यह रिश्ता पसंद नहीं था। वे चाहते थे कि काव्या पढ़ाई पर ध्यान दे और शादी उनकी पसंद से करे।
आरव और काव्या दोनों टूट से गए, लेकिन एक-दूसरे का हाथ थामे रहे। आरव ने काव्या से वादा किया—“जब तक मैं अपनी पहचान नहीं बना लेता, तब तक तुम्हें अपने पापा के सामने लाने का हक़ नहीं रखता। बस थोड़ा इंतज़ार करो।”
काव्या ने भी आँसू पोछते हुए कहा—“आरव, मैं इंतज़ार करूँगी। चाहे कितने साल क्यों न लग जाएँ, पर हम दोनों का साथ कभी नहीं टूटेगा।”
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सफलता और नया सवेरा
आरव ने मेहनत की, पढ़ाई में टॉप किया और जॉब भी मिल गई। धीरे-धीरे उसने अपने सपनों को हकीकत में बदला। उधर, काव्या भी अपने करियर में आगे बढ़ी, लेकिन उसने हमेशा आरव का साथ निभाया।
कुछ सालों बाद, आरव काव्या के घर गया। इस बार आत्मविश्वास से भरा, अपने सपनों और मेहनत के सबूतों के साथ। उसने काव्या के पापा से कहा—
“मैं काव्या से सिर्फ प्यार ही नहीं करता, बल्कि उसे ज़िंदगीभर खुश रख सकता हूँ।”
काव्या के पापा ने उसकी ईमानदारी और मेहनत देखी और आखिरकार मान गए।
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दो प्रेमियों का मिलन
शादी का दिन आया। काव्या दुल्हन बनकर आई, तो आरव की आँखों में आँसू आ गए। वह बोला—
“कभी सोचा नहीं था कि यह दिन भी आएगा, जब तुम सच में मेरी हो जाओगी।”
काव्या मुस्कुराते हुए बोली—
“आरव, मैंने तो पहले दिन से ही खुद को तुम्हारा मान लिया था। हम दोनों सिर्फ प्रेमी नहीं, बल्कि एक-दूसरे की ज़िंदगी हैं।”
लाल जोड़े में सजी काव्या और आरव के गले में जयमाला पड़ते ही, हर कोई उनकी प्रेम कहानी की गहराई को महसूस कर रहा था।
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अंत में
आरव और काव्या की कहानी यह बताती है कि सच्चा प्यार कभी हारता नहीं। मुश्किलें आती हैं, पर जब दो दिल सच्चे होते हैं तो पूरी दुनिया भी हार मान लेती है।
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🌹 हम दोनों दो प्रेमी 🌹
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