Three best forever - 38 in Hindi Comedy stories by Kaju books and stories PDF | थ्री बेस्ट फॉरेवर - 38

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थ्री बेस्ट फॉरेवर - 38

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( > 💜💜💜सभी उन मां बेटी का प्यार देख मुस्कुरा रहे थे। मस्ती कुछ बोलने वाली थी की,,,, अब आगे,,,

सभी लड़के वहा आते हुए बोले "Hmm,, बहुत ज्यादा भुख लगी है लेकीन सिर्फ आपके हाथो से बने खाने की" 
सभी जहा जगह मिली वहा बैठ गए।

क्यूंकि सारे सोफे फुल थे। सिंगल सोफे पर मोहिंता मेम और सोफे के साइड हैंडल पर मस्तानी बैठी थी तो वही दूसरे सिंगल सोफे पर ज्ञानेद्रीय सर और उसके साइड हैंडल पर रियूमा बैठी थीं। वही बचा एक बेड साइज सोफा जिस पर विजेंद्र सर और प्रिंसीबल सर फैल कर बैठे थे। इसलिए सभी लड़के नीचे कारपेंट पर पसर गए मानो बहुत मेहनत का काम कर लिया हो। 

ज्ञानेद्रिय सर उन सभी को घूरते हुए "चाहे कितनी भी भुख लगी हो जल्दबाजी करने से काम बिगड़ता है इसलिए आराम से बनाइए हम इंतजार कर लेंगे" 
सभ लड़के इधर उधर देखने लगे जैसे उन्होने कुछ कहा ही नहीं।

"ज्ञानेद्रीय सर सही कह रहे आराम से बनाइए हम बिना खाए नही जाने वाले" मोहिंता मेम ज्ञानेद्रीय सर के बातो मे सहमति जताते हुए बोली तो विजेंद्र सर को ये काटे की तरह चुभ गया । 
वो भी बोल पड़े "हा मोहिंता मेम सही कह रही वैसे भी दो घंटे पहले हम सबने ब्रेकफास्ट किया ही था इसलिए कोई जल्दी नहीं " 

प्रिंसिबल सर भी बोले "मैं भी ज्ञानेद्रीय सर की बात से सहमत हु" 

"अच्छा सर मैं समझ गई आराम से ही बनाऊंगी और स्वादिष्ट ही बनाऊंगी" ये बोल सुनिता जी मुस्कुराते हुए किचन में चली गई।

राहुल बोला "खाना बनने में एक घंटा लगने वाला है तो खाली बैठे रहे क्या ?" 

स्ट्रॉन्ग कन्फयुज होकर सवाल किया "तो,, तो क्या करे,,?" 

"पुरे घर में झाडू पोछा कर लो जाओ वक्त कट जायेगा" रियू ने कहा तो सारे लड़के उसे इग्नोर कर दिए। 

रियू की भौहें तन गई। "सालो की हिम्मत कैसे हुई मुझे इग्नोर करने की" वो सबको घुरते हुए मन में बोली। 

वही राहुल बोलने जा रहा था की उससे पहले मस्ती चील करते हुए बोली "करना क्या है सफर से लौटे हैं मस्त पसर कर आराम करो अपने बॉडी को आराम दो वरना लूले लगड़े बनते फिरोगे" 

सभी उसे तरेर कर घूरते हुए बोले "तुम डायरेक्ट बोलो ना तुम्हे और नींद आ रही इतना ज्ञान पेलने की जरूरत नहीं है" 

राहुल बोला "चलो लूडो या फिर साप सीढ़ी खेलते हैं या फिर सतरंज भी खेल सकते हैं" 

"जिसको खेलना खेलो पर मेरे आराम में खलल डाला तो पकड़ कर पीट दूंगा" प्रिंसिबल सर ने चिढ़ते हुए बोले और सोफे पर लेट गए। 

"मैं भी थक गया बच्चो गुड नाईट एक घंटे के लिए" ये बोल विजेंद्र सर भी उनके बगल में लेट गए।

"मुझे भी नही खेलना I am going to sleep by मेरे लिए बहुत इंपॉर्टेंट है by by टाटा" मस्ती अपने रूम में जाते हुए बोली। 

तो रियु भी उसके पीछे जाते हुए बोली "चल मै भी आती हु थक गई हूं इन नमूनो की कीच कीच से" उसकी बात सुन सारे लड़के मुंह बनाकर उसे घूरे।

ज्ञानेद्रीय सर अचानक से नरमी से बोले "मस्ती मोहिंता मेम को भी ले जाओ,,"  

मोहिंता मेम चिंता भरे भाव से उन्हे देख बोली "Hmm,,,, जी और आप,,,?" 

तो ज्ञानेद्रीय सर हलकी मुस्कान चेहरे पर बिखेरते
हुए बोले "मैं ऐसे ही ठीक हु आप जाइए थोड़ा आराम कर लीजिए" 

मस्ती चालाकियत से मुस्कुराई और बोली "चलिए मेम सर बैठे बैठे ही सो सकते है आखिर सख़्त मर्द जो है" उसकी बात सुन ज्ञानेद्रीय सर चौक गए और मस्ती को हैरानी से देखने लगे। 

वही सभी की हसी छुट गई लेकिन कोई भी आवाज नही किया शांति से खी खी कर रहे थे।

"Hmm" मोहिंता मेम भी कुछ बोल ही नहीं पाई बस एक टूक जवाब देकर चुप चाप मस्ती के पीछे चल दी ऊपर वाले रूम की तरफ

अब वहा पर सिर्फ छ लोग थे। सारे लड़के ज्ञानेद्रीय सर को देखें जो उन्हें ही लगातार घूर रहे थे। 

पाचो लड़के गोल घेरा बना लिए और धीरे से फुसफुसाकर बाते करने लगे। 

समजीत उत्साह से पुछा "ज्ञानेद्रीय सर हमे ऐसे क्यू घूर रहे?" 
तो उत्साह उसे घुरकर धीरे से बोला "उन्होने ने मुझे बता नहीं रखा जो मुझसे पूछ रहा,,मुझे क्या पता क्यों घूर रहे" 

राहुल बोला "शायद सर हमारे साथ खेलना चाहते हैं" 

"पर चेहरा देख तो ऐसा नहीं लग रहा" मनीष बोला तो 

स्ट्रॉन्ग डरते हुए "ह हा ऐसा लग रहा जैसे धमकी भरी वोर्निंग दे रहे हो"

समजीत फिर बोला "तो सर से पूछ ही ले या हम पांचों ही खेले ?" 

उसकी बात सुन मनीष बोला "रहने दे यार नही खेलते आराम करते सबकी तरह" 

राहुल बोला "अरे यार मनीष पूछने दे ना क्या पता खेलना चाहते हो और ना पूछने पर और भड़क उठे तो" 

स्ट्रॉन्ग,, समजीत,, उत्साह बोले "हा उस्से अच्छा पूछ ही लेते है सब कुछ क्लियर हो जायेगा" 

मनीष को उनकी बात सही लगी तो वो बोला "Hmm ये बात भी सही है ठीक है तो पूछेगा कौन?" 

सभी उसी की तरफ उंगली कर इशारा किए। मनीष सर पीट लिया । 

मनीष ज्ञानेद्रीय सर की ओर बेचारगी सा चेहरा बनाकर देखा ज्ञानेद्रीय सर सब समझ रहे थे आखिर अब तक उनकी खुसुर फुसुर वाली चर्चा जो इतनी भी धीमी नही थी उन्होंने सब सून लिया था। इससे पहले वो कुछ पूछता ज्ञानेद्रीय सर बोल पड़े "मुझे नही खेलना मै सो रहा था लेकिन तुम बेअक्कल गधे लड़को ने डिस्टर्ब कर दिया,,अभी तो ट्रिप से आए हो और कितना खेलोगे,,एक घंटे के लिए शांति नाम की चीज अपनी नींद पुरी कर रही अगर वो जाग गई ना तो तुम लोगो को क्या,,किसी को शांति प्रदान नही होगी इसलिए चुप चाप आराम करो" 

उनकी बात सारे लड़के अच्छे से समझ रहें थे की वो मस्ती की बात कर रहे हैं। 
सभी को उनकी बात हद से ज्यादा सही लगी तो बिना कुछ बोले वही पसर कर लेट गए।

एक घंटे बाद

खाना बन चुका था और उसकी लजीजदार खुशबू ने पुरे घर में फैलकर सोए पड़े भुखे जनताओ की भुख और बढ़ा दी थी। 
लेकिन नींद किसी नही खुली थी सभी बस अपने सपने में जीभ फेरे जा रहे थे।

"खाना बन गया खाने की खुशबू पुरे घर के चक्कर काट रही फिर इतनी शांति क्यू? बाकी सब का तो समझ में आता है लेकिन मेरे घर की अशांति कैसे शांत है ? जरुर सोई हुई होगी और कुछ नहीं हो सकता इसका जाकर देखती हूं फिर खाना लगाऊंगी" ऐसे ही खुद से बतियाते हुए वो किचन  से बाहर निकल हॉल में आई तो हैरान रह गई। 

"हैएए,,,,ये क्या,,,,,

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( > 💜💜💜क्या हुआ होगा ? क्यू हैरान रह गई सुनिता जी ? जानने के लिए बने रहे मेरे साथ मिलते हैं जल्द ही next ep में 🤩💜💜💜