Anubandh 12 in Hindi Love Stories by Diksha mis kahani books and stories PDF | अनुबंध - 12

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अनुबंध - 12

अनुबंध : एपिसोड 12 

           –💗✨ टूटन और तलाश💗✨

रात गहरी थी।
बारिश की हल्की-हल्की बूँदें खिड़की से टकराकर संगीत-सा बजा रही थीं।
लेकिन विराट के अंदर कोई शोर था—वो शोर जो कई दिनों से बढ़ता जा रहा था।

उसने आईने में खुद को देखा—एक टूटा हुआ आदमी।
वो विराट सिंगानिया, जो हमेशा परफेक्ट, कंट्रोल में और अडिग दिखता था, आज अपने ही डर और अहंकार के बोझ तले बिखर चुका था।

उसकी आँखों में लालिमा थी।
वो फुसफुसाया—
इनफ… अब और नहीं। अगर मैंने आज उसे खो दिया, तो ज़िंदगी भर खुद को माफ़ नहीं कर पाऊँगा।”


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अनाया बालकनी में बैठी थीं। बारिश की बूँदें उनके गालों पर गिर रही थीं, आँसुओं से मिलकर और भी नम हो रही थीं।

दिल में दर्द था, लेकिन उस दर्द से ज़्यादा चुभ रहा था विराट की खामोशी।

“क्यों मैं ही हमेशा रोती हूँ? क्यों मैं ही हमेशा टूटती हूँ? अगर ये रिश्ता सिर्फ़ एक क़रार है, तो मैं इसे निभाने के लिए क्यों जल रही हूँ?”

उन्होंने आँखें बंद कर लीं।
लेकिन दिल की गहराइयों में कहीं, अब भी एक उम्मीद थी… कि शायद विराट बदलेगा, शायद वो बोल पाएगा।


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दरवाज़ा धीरे से खुला।
विराट अंदर आया।

उसकी आँखों में तूफ़ान था, लेकिन चेहरा झुका हुआ।
वो धीरे-धीरे अनाया की ओर बढ़ा।

“अनाया…” उसकी आवाज़ भारी थी।
वो चुप रहीं।

वो उनके सामने घुटनों के बल बैठ गया।
पहली बार, विराट सिंगानिया झुका था।

“मैं हार गया हूँ, अनाया। अपने अहंकार से, अपनी खामोशी से, अपने डर से।
मैंने हमेशा सोचा कि मैं मज़बूत हूँ… लेकिन सच्चाई ये है कि मैं सबसे कमज़ोर तब होता हूँ जब तुम मुझसे नज़रें फेर लेती हो।”

अनाया ने आँसुओं से भीगी आँखों से उसकी ओर देखा।
“विराट… क्यों? क्यों मुझे इतना तड़पाया? क्यों मुझे उस औरत की तरह महसूस करवाया, जो तुम्हारे लिए बस एक डील है?”

वो काँपते हुए बोला—
“नहीं! कभी नहीं!
हाँ, ये शादी एक डील से शुरू हुई थी… लेकिन अब ये मेरी सबसे बड़ी सच्चाई है।
मैंने मानने में देर की, लेकिन मैं तुमसे प्यार करता हूँ, अनाया।
पागलपन की हद तक। इतना कि तुम्हारे आँसू मुझे जला देते हैं और तुम्हारी मुस्कान मेरी ज़िंदगी बना देती है।”


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उनके आँसू बह निकले।
“तो फिर… इतने दिन क्यों चुप रहे? क्यों मुझे अकेले लड़ने दिया?”

वो उसके हाथ पकड़कर बोला—
“क्योंकि मैं डरता था।
डरता था कि अगर मैंने तुमसे कह दिया कि तुम मेरी दुनिया हो… और तुमने मुझे ठुकरा दिया, तो मैं जी नहीं पाऊँगा।
मैंने अपनी ज़िंदगी हमेशा कंट्रोल में रखी है, लेकिन तुमने आते ही सब तोड़ दिया।
और सच ये है—मैं ये टूटन चाहता हूँ।
बस तुम चाहो, अनाया।”


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अनाया अब और रोक न पाईं।
उन्होंने सिसकते हुए विराट को कसकर गले लगा लिया।

“तुम बहुत बुरे हो… जानते हो?”
वो आँसुओं के बीच मुस्कराईं।

विराट ने उनकी कमर कस ली।
“हाँ, मैं बुरा हूँ… लेकिन तुम्हारे लिए बदलने को तैयार हूँ। बस मुझे मत छोड़ो।”

बारिश तेज़ हो गई थी।
दोनों बालकनी में ही भीगते रहे, लेकिन उनके दिलों का बोझ धुल चुका था।


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अगली सुबह, पहली बार घर में हल्की-हल्की हँसी गूँजी।
अनाया किचन में थीं, और विराट उनकी मदद करने आया।

“ये चाकू तुमसे संभलेगा नहीं, Mr. सिंघानिया,” अनाया ने चिढ़ाते हुए कहा।

वो मुस्कराया।
“अब मैं सब सीख लूँगा, बस तुम्हें हँसते हुए देखना चाहता हूँ।”


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कुछ ही दिनों बाद ऑफिस में भी लोग हैरान थे।
जहाँ पहले विराट का गुस्सा सब पर भारी रहता था, अब उसकी आँखों में अजीब-सी शांति थी।
उसकी नज़रों में अब सिर्फ़ अनाया बसती थीं—खुलकर, बिना किसी डर के।

कर्मचारियों ने फुसफुसाकर कहा—
“सर… बदल गए हैं।”

हाँ, वो बदल चुका था।


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रात को अनाया और विराट छत पर खड़े थे।
तारों से भरा आसमान, हल्की हवा…

विराट ने उनका हाथ थामते हुए कहा—
“शायद हम देर से समझे, शायद हमने बहुत लड़ाइयाँ झेलीं… लेकिन अब मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहता हूँ—
अनाया, तुम मेरी हो। हमेशा से। और हमेशा रहोगी।”

अनाया ने सिर उसके कंधे पर रख दिया।
“और आप… मेरे।”


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"तन्हाई और तकरार के बाद, इज़हार ने उनकी दुनिया बदल दी। अब ये रिश्ता क़रार नहीं—मोहब्बत की सबसे सच्ची कहानी थी।"


"प्यार कभी आसानी से नहीं मिलता… उसे पाने के लिए अहंकार तोड़ना पड़ता है, डर हराना पड़ता है, और आँसुओं को अपनाना पड़ता है।
लेकिन जब प्यार मिल जाता है—तो सारी लड़ाइयाँ जीत में बदल जाती हैं।"


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💗✨बारिश की बूँदों में भीगते रहे,
ग़म के आँसुओं से सीने जलते रहे।
तन्हाई से तकरार तक का सफ़र,
इज़हार की रोशनी में ढलते रहे।

वो अहंकार जो बीच में दीवार बना,
वो डर जिसने दिल को कैद रखा।
आज टूट गया, मिट गया हर पर्दा,
प्यार ने दोनों को एक कर दिया।

अब न कोई कॉन्ट्रैक्ट, न कोई मज़बूरी,
बस एक-दूजे की धड़कनों में पूरी।
अनाया की हँसी में उसका जहां,
विराट के सुकून में उसका आसमां।

प्यार की यही असली दास्तां है—
लड़ाइयों से गुज़रकर भी जो थामे हाथ,
ग़लतियों को माफ़ कर जो लिखे नई शुरुआत,
वही तो मोहब्बत की सच्ची पहचान है।💗✨


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मेरे प्यारे ParaHearts, 🤍(my readers)💗✨

आप सबने इस कहानी "अनुबंध" के हर सफ़र में मेरा साथ दिया—
कभी मुस्कान के साथ, कभी आँखों में नमी के साथ,
कभी गुस्से में विराट पर झल्लाते हुए,
तो कभी अनाया के आँसुओं में खो जाते हुए।

आपकी हर रेटिंग, हर कमेंट, हर दिल से लिखा गया शब्द—
मेरे लिए सिर्फ़ हौसला नहीं, बल्कि वो धड़कन थी,
जिससे ये कहानी साँस ले पाई।

ये कहानी आपके बिना अधूरी थी।
और आज जब ये सफ़र खत्म हो रहा है,
तो मैं दिल से शुक्रिया कहना चाहती हूँ।

✨🤍 "आपके साथ ने 'अनुबंध' को एक कहानी से,
एक एहसास बना दिया।" 🤍✨

आप सभी का दिल से धन्यवाद।
हम फिर मिलेंगे, एक नई कहानी, एक नई मोहब्बत, एक नए सफ़र के साथ। ✨

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© Diksha 

समाप्त•••💗💗••••💗💗••••💗💗•••💗💗