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💕💕💕 अनुबंध 💕💕💕♥️🤍
"कभी-कभी, प्यार को अपनाने का तरीका अनुबंध से ही शुरू होता है…
‘अनुबंध: प्यार या सौदा’ – जल्द ही आपके सामने।"
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एपिसोड 1 — अनजान सौदा
कॉरिडोर की लंबी सीढ़ियों पर अपनी फाइलों में गुम अनाया भागते-भागते आ रही थी। उसकी नज़र फाइलों में लिखी रिपोर्ट्स पर थी और कदमों की रफ्तार तेज़। तभी अचानक सामने से आती हुई एक कठोर दीवार-सी शख्सियत से उसकी जोरदार टक्कर हो गई।
फाइलें चारों तरफ़ बिखर गईं। अनाया संभलते-संभलते खुद भी लड़खड़ा गई, लेकिन तभी एक मज़बूत हाथ ने उसकी कमर थाम ली।
वो आवाज़—गहरी, ठंडी और अहंकारी—उसके कानों में गूंजी।
"देखकर नहीं चल सकतीं मिस...?"
अनाया ने चेहरा उठाया और सामने देखा।
काला थ्री-पीस सूट, नुकीली जॉलाइन, सख़्त निगाहें और होंठों पर हल्की सी झुंझलाहट लिए खड़ा था वो आदमी।
उसकी गहरी आँखें जैसे सीधे अनाया की रूह में झाँक रही हों।
अनाया ने झटके से उसकी पकड़ से खुद को छुड़ाया और कहा—
"ओह, सॉरी... आप सामने खड़े थे तो दीवार जैसा ही लगा।"
उसके होंठों पर एक मासूम-सी मुस्कान थी, मगर आवाज़ में चुभन भी।
उस आदमी के चेहरे पर हल्की-सी व्यंग्य भरी मुस्कान आई।
"दीवार?" उसने एक कदम करीब आते हुए धीमी आवाज़ में कहा।
"ख़्याल रखिए मिस... अगली बार ये दीवार शायद आपको बचाए भी नहीं।"
अनाया का दिल अनजाने डर और हल्की-सी खीज़ के बीच अटक गया।
वो पल कुछ अजीब-सा था।
ना जाने क्यों, उसकी धड़कनें तेज़ हो गई थीं...
क्या ये अनजानी टक्कर ही अनुबंध की शुरुआत थी? या ये मुलाक़ात किसी अनचाहे बंधन की आहट?
ये तो आगे ही पता चलेगा ✨
विराट ने कोई जवाब नहीं दिया। बस हल्के से झुका, उसकी बिखरी फाइलें उठाकर उसके हाथ में दीं। उसकी उँगलियाँ जान-बूझकर अनाया की उँगलियों को छू गईं।
वो पल जैसे समय को थमा गया।
विराट की आँखों में अजीब सी चमक थी। अंदर ही अंदर उसके मन में ख्याल आया —
"ये लड़की बाकी लड़कियों जैसी नहीं है… ये तो… मेरी ‘कॉन्ट्रैक्ट वाइफ़’ बनने लायक है।"
अनाया उसकी नज़रों से बचकर बोली,
"थैंक्यू… लेकिन आगे दीवार बनकर मत खड़े हो जाइएगा।"
विराट ने हल्की सी मुस्कान की और धीमी, गहरी आवाज़ में कहा —
"दीवारें गिरती नहीं, अनाया… बस टकराने वालों को उनकी औक़ात दिखाती हैं।"
वो पल ऐसा था जैसे दो ध्रुव पहली बार टकरा गए हों।
****
विराट अपनी कंपनी के काँच के बड़े केबिन में बैठा था। शाम ढल रही थी, हल्की सुनहरी रोशनी उसके पीछे बने शीशों से कमरे में उतर रही थी। सामने टेबल पर फाइलें बिखरी थीं, मगर उसकी नज़र उन पर नहीं थी। उसकी उँगलियाँ हल्के-हल्के अपनी रोलैक्स वॉच की पट्टी से खेल रही थीं।
वो ठंडा, परफ़ेक्ट, अनुशासित—
पर इस समय उसकी आँखों में हल्का-सा भंवर था।
उसके कानों में बार-बार गूँज रही थी उसके वकील की बात—
"मिस्टर विराट, आपके पिता की आखिरी वसीयत साफ़ कहती है… अगर आप अगले छह महीनों में शादी नहीं करते, तो उनकी सारी प्रॉपर्टी और कंपनी की आधी हिस्सेदारी आपके छोटे भाई को ट्रांसफ़र हो जाएगी।"
वकील की गंभीर आवाज़ अभी भी उसके मन में गूँज रही थी।
विराट ने अपनी कुर्सी पर पीछे झुकते हुए, गहरी साँस भरी।
"शादी…" उसके होंठों से ये शब्द मानो तिरस्कार से निकला।
उसकी आँखों में एक ठंडी चमक उभरी।
"औरतें… सब एक जैसी होती हैं। लालच, दिखावा और झूठ से भरी हुई।"
उसका जबड़ा कस गया।
"मैं किसी को अपनी कमजोरी नहीं बनने दूँगा। अगर ये शादी करनी ही है… तो सिर्फ़ मेरे शर्तों पर।"
उसकी नज़र सामने रखे ग्लास टेबल पर ठहर गई।
वहाँ उसकी उँगलियों से खींची गई लकीरों की तरह ही उसका मन भी उलझा हुआ था।
अचानक उसने हल्की-सी मुस्कान दी, वो मुस्कान जिसमें ठंडापन और चालाकी दोनों थे।
"अगर मुझे शादी करनी है… तो ऐसी लड़की चाहिए, जो अलग हो। जो मुझे चुनौती न दे… पर जिसे मैं पूरी तरह काबू में रख सकूँ।"
उसके होठों से धीमी, मगर गहरी आवाज़ निकली—
"ये शादी एक सौदा होगी… और मैं कभी हारता नहीं।"
उसके चेहरे पर वही अहंकार भरी ठंडी चमक लौट आई,
जो उसकी पहचान थी।
***
तभी उसे ऑफिस में अनाया की याद आई।
तीन साल पहले की पहली मुलाक़ात, उसका हाज़िरजवाबी अंदाज़, उसकी चुलबुली मुस्कान और नटखट झगड़े…
वो पल याद करके, विराट के चेहरे पर पहली बार हल्की, लगभग नज़रअंदाज़ करने वाली मुस्कान उभरी।
“वो लड़की… अलग है। बाकी किसी से नहीं मिलती।” विराट ने अपने आप से कहा।उसे एक वाक्या याद आया।
ऑफिस में तीन साल पहले की घटना—
अनाया दस्तावेज़ संभालते हुए बोली थी, “सर, अगर ये रिपोर्ट टाइम पर नहीं पहुँची, तो क्लाइंट नाराज़ होंगे।”
विराट ने उसका नोटबुक पकड़ते हुए कहा—
“तुम्हें लगता है, सिर्फ़ तुम ही समझती हो बिज़नेस की बातें?”
अनाया ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया—
“सर, मैं समझती हूँ, लेकिन शायद आपकी आँखें कुछ और ही देख रही हैं।”
वो झगड़ा खत्म तो हुआ, लेकिन दिलों में एक अजीब खिंचाव छोड़ गया।विराट के आस पास न जाने कितनी लड़कियां मंडारा ती रहती हैं,पर अनाया उन में से नही थी। वो एक सशक्त लड़की थी,जिसे विराट जैसे लोग में इंटरेस्ट नहीं था।
विराट ने अपने असिस्टेंट को कॉल की, और कुछ कहा।
वो उठ खड़ा हुआ और कांच के शीशे से बाहर की दुनिया की देखा, जो इस भाग दौड़ की जिंदगी में फंसी हुई है,
उसने अपने ट्राउजर की पॉकेट में हाथ डाला,"तो मिस अनाया आपको मिसेज सिंघानिया बनने का मौका मिल रहा है?"
देखते है की आप प्यार से मानती है या....!
.फिर ,मैं तो हूं ही!"
कह वो मुस्कुराया।
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अनाया घबराई-सी दरवाज़े पर खड़ी थी। सामने चमचमाती ग्लास वाली दीवारों के बीच, लेदर की कुर्सी पर बैठा वो शख्स—विराट। उसकी नज़रें ठंडी थीं लेकिन उनमें अजीब-सी ताक़त थी।
अनाया (मन ही मन) – "ये रुख़ा-सूखा आदमी अचानक मुझे क्यों बुला रहा है? कहीं कल वाली बात की वजह से मुझे जॉब से तो नहीं निकाल देगा? ओ गॉड!"
वो धीरे-धीरे अंदर आई। उसके हील्स की आवाज़ कमरे की खामोशी तोड़ रही थी।
विराट ने फ़ाइल बंद की और सीधे उसकी आँखों में देखते हुए कहा—
"बैठो मिस अनाया… मुझे तुमसे ज़रूरी बात करनी है।"
अनाया चौकन्नी होकर बैठ गई।
"जी सर… अगर कल मैंने कुछ गलत कहा या किया तो सॉरी… प्लीज़ मुझे फायर मत कीजिए।"
विराट की आँखों में हल्की-सी खीझ और खतरनाक शांति तैर गई।
"फायर? नहीं… मैं तुम्हें हटाना नहीं चाहता। मैं तुम्हें… अपनी कॉन्ट्रैक्ट वाइफ़ बनाना चाहता हूँ।"
कमरे में कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया।
अनाया की आँखें चौड़ी हो गईं।
"एक्सक्यूज़ मी? कॉन्ट्रैक्ट वाइफ़?… ये ऑफिस है या कोई वेब सीरीज़ की स्क्रिप्ट?"
विराट गंभीर था, उसकी आवाज़ धीमी मगर सख़्त थी—
"एक साल के लिए। तुम्हें किसी भी रकम की ज़रूरत होगी… मैं दूँगा। तुम्हें सिर्फ़ मेरी पत्नी बनकर रहना होगा।"
अनाया ने होंठ काटे और हल्की मुस्कान के साथ बोली—
"मतलब… पैसों से वाइफ़ हायर करोगे? तो फिर मिस्टर विराट, आप मुझे ये भी बता दीजिए… कि वाइफ़ के साथ आएगी कौन-कौन सी 'टर्म्स एंड कंडीशन्स'? कहीं खाना बनाना भी तो नहीं पड़ेगा?"
उसके लहजे में तंज़ और आँखों में चमक थी।
विराट ने उसे जाते हुए देखा। वो उठी, फाइल टेबल पर रखी और दरवाज़े की ओर चल दी।
लेकिन तभी, विराट की नज़रें गहरी हो गईं। होंठों पर हल्की-सी खतरनाक स्माइल खेल गई।
उसने धीरे से कहा—
"तुम्हें जाना है तो जाओ मिस अनाया… लेकिन याद रखना—तुम चाहे जितनी बार दूर जाने की कोशिश करो… तुम्हें वापस यहीं आना होगा। मेरे पास। बाय हुक ऑर बाय क्रूक।"
उसकी आवाज़ कमरे में गूँज उठी।
अनाया का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। दरवाज़े पर रुककर उसने पलटकर उसे देखा—और विराट की मुस्कान ने उसकी साँसें रोक दीं।
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"कॉन्ट्रैक्ट शादी का ये खेल… इश्क़ और जुनून की शर्तों पर लिखा जाएगा। सवाल बस इतना है—क्या अनाया सच में बच पाएगी इस खतरनाक मुस्कान से?"(,ये सिर्फ मुझे पता है )
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कमरे का दरवाज़ा धीरे से खुला।
अनाया थकी हुई-सी, चेहरे पर हल्की बेचैनी लिए, अपने घर पहुँची। छोटे-से दो कमरे के फ्लैट में, हल्की पीली रोशनी में बैठी उसकी छोटी बहन काव्या किताब पढ़ रही थी।
अनाया (थोड़ी मुस्कुराहट के साथ):
"काव्या… आज फिर वही रूखा-सूखा आदमी मिला था। बहुत घमंडी है, लेकिन अजीब-सा असर डालता है… मैंने नाम रखा है उसका – रूडी।"
काव्या हंस दी, हंसी की खनक में बीमार-सी कंपकंपी छिपी हुई थी।
काव्या: "दीदी, तुम्हें तो सबमें मज़ाक दिखता है। शायद वही रूडी तुम्हारी कहानी बदल दे।"
अनाया उसे तकिये से हल्के से मारती है और फिर दोनों बहनों की हंसी कमरे में गूंज उठती है।
लेकिन अचानक…
काव्या की सांसें तेज़ होने लगीं। हंसी का रंग उसके चेहरे से उड़ गया। सीने पर हाथ रखकर वह बुरी तरह कांपने लगी।
अनाया (घबराकर): "काव्या!!… ओ गॉड, फिर से अटैक!"
काव्या की आंखों में डर और दर्द साफ झलक रहा था।
अनाया तुरंत फ़ोन उठाती है, एम्बुलेंस को कॉल करती है।
अनाया (टूटी आवाज़ में): "प्लीज़ जल्दी आइए, मेरी बहन… हार्ट पेशेंट है, हालत बहुत खराब है।"
एम्बुलेंस की सायरन की आवाज़ कुछ ही मिनटों में उनके छोटे से घर की गलियों में गूंज उठी।
अनाया ने कांपते हाथों से काव्या को स्ट्रेचर पर लिटाया।
रास्ते भर, अस्पताल की ओर दौड़ती एम्बुलेंस में, अनाया की आंखों से आंसू बहते रहे।
फ्लैशबैक उसके सामने ज़िंदा हो उठा —
सालों पहले का वह हादसा…
टूटती हुई कार, चीखते हुए उसके माता-पिता, खून में सनी सड़क…
और दो नन्हीं बच्चियाँ – अनाया और काव्या – जो उस रात से एक-दूसरे के सहारे जी रही थीं।
अनाया (मन ही मन):
"माँ… पापा… आप चले गए, लेकिन काव्या मेरा सबकुछ है। मैं उसके बिना एक पल भी नहीं जी सकती। अगर कुछ हो गया न… तो मैं भी नहीं बच पाऊंगी।"
उसकी उंगलियाँ मजबूती से काव्या के हाथ को पकड़े हुई थीं।
वह बार-बार फुसफुसा रही थी –
अनाया: "तू कुछ नहीं होगा मेरी जान, सुन रही है न तू? हम दोनों अकेले हैं… लेकिन एक-दूसरे का परिवार हैं। तू मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाएगी।"
एम्बुलेंस की नीली-लाल बत्तियाँ रात की सड़कों पर चमक रही थीं… और अनाया का दिल मानो अपनी धड़कनों को गिन-गिनकर गवा रहा था।
क्या काव्या बच पाएगी? अनाया के टूटे दिल में क्या कोई अनजान शख़्स जगह बना पाएगा? जानने के लिए पढ़ते रहे अनुबंध!🫂✨🤍♥️
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आगे ~~(अगले अध्याय में)
कोरिडोर में हल्की रोशनी और हॉस्पिटल का सन्नाटा। बारिश की बूँदें खिड़कियों पर टिक रही थीं।
अनाया के हाथ में मेडिकल बिल और लैपटॉप का केस था, उसके कदम तेज़ और असमंजस में।
“इतना पैसा… कहाँ से लाऊँ मैं?” उसने अपने आप से फुसफुसाया।
उसकी आँखों में हताशा और गहरी चिंता थी, क्योंकि उसकी बहन काव्या की तबीयत स्थिर नहीं थी। हर मिनट उसकी साँस उसके दिल की धड़कनों को तेज़ कर देता था।
तभी पीछे से किसी की आवाज आई...........
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जारी(...)
©Diksha
रेटिंग्स देते रहे, मुझे लिखने में प्रोत्साहन मिलता है।