Anubandh - 4 in Hindi Love Stories by Diksha mis kahani books and stories PDF | अनुबंध - 4

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अनुबंध - 4

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💕💕💕 अनुबंध – एपिसोड 4 💕💕💕
 
 
 
 
नाश्ते के बाद विराट ने कहा,
"अनाया, मेरी टाई सेट करो।"
अनाया ने हल्की झिझक के साथ उसकी टाई ठीक की। विराट ने उसका ठोड़ी पकड़कर हल्की मुस्कान दी,
"कल से ऑफिस आओ, और अपने काम में पूरी निपुणता दिखाओ।"
अनाया ने सिर हिलाया, सभी की निगाहें उन पर थीं।
"गुड गर्ल!," विराट ने कहा और ऑफिस की ओर निकल गए।
 
विराट का ऑफिस हमेशा की तरह सख़्त और कड़ा था। कर्मचारियों के काम में कोई गलती नहीं बख़्शी जाती थी। उसने कर्मचारी एक-एक करके डांटा, लेकिन उसकी आँखों में अनाया की याद लगातार थी।
 
आरव घर लौटते ही विराट का मस्तीख़ोर अंदाज़ सामने लाया—
"भाई, देखो घर की नई मैम कैसे सबको संभाल रही है।"
विराट ने उसे ठंडी नज़रों से देखा।
 
डिनर के समय अनायास ही हाथ छू गया। अनाया का दिल धड़क उठा। उसने हल्की मुस्कान बनाई, लेकिन अंदर हलचल थी।
 
रात को सोफ़े पर अनाया सो गई, विराट बिस्तर पर।
"क्यों मेरे दिल की धड़कनें इतनी तेज़ हैं?" उसने खुद से कहा।
 
 
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ऑफिस :
 
पहले ऑफिस डे पर, सभी ने अनाया को अलग नज़र से देखा—“Mam या Mrs. Singhaniya।”
अनाया को अजीब सा महसूस हुआ, लेकिन उसने खुद को संभाला।
 
मीटिंग में कोई कर्मचारी उसके पास बहुत पास खड़ा हुआ, विराट ने उसकी ओर ठंडी नज़रों से देखा।
"तुम्हारा काम सिर्फ़ मुझे देखना है, बाकी दुनिया को नहीं।" उसने गंभीर आवाज़ में कहा।
अनाया ने हँसते हुए कहा,
"सॉरी सर, मैंने तो सोचा था सीसीटीवी के लिए अप्लाई किया है।"
 
ऑफिस का माहौल हल्का हो गया, लेकिन विराट की सख़्ती और पज़ेशन लगातार नजर आ रही थी।
 
 
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विराट और अनाया की दिनचर्या अब दो महीनों से लगातार वही थी।
 
सुबह अनाया तैयार होती, विराट उसे देखा करता, अनाया इस बात से अनजान थी।
 
वह उसकी टाई सेट करती।
 
नाश्ता साथ में करते।
 
ऑफिस में काम और मीटिंग्स।
 
अब उनके बीच लड़ाई कम हो गई थी।
 
 
विराट अक्सर उसकी शरारती फेस और हाजिरजवाबी का आनंद लेने लगा। अनाया ने भी उसकी पज़ेसिव आदतों को धीरे-धीरे समझना शुरू किया।
 
 
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"दो महीनों में सिर्फ़ दिन बदल गए, पर दिल की धड़कन वही तेज़ है।
कागज़ का अनुबंध अब अहसासों की कहानी बन गया है।"
 
एक दिन:
 
पार्टी हॉल के सुनहरे झूमर अपनी रोशनी बिखेर रहे थे। हर तरफ़ चमक-दमक, महंगे सूट, झिलमिलाती साड़ियाँ, और हल्की-सी परफ्यूम की खुशबू हवा में घुली हुई थी।
 
अनाया ने नीले रंग की सिल्क साड़ी पहनी थी, गले में हल्का डायमंड सेट, और बाल खुले। वह खुद भी नहीं जानती थी कि उसकी इस सादगी में इतनी खूबसूरती कैसे आ रही है कि हर नज़र उसी पर टिक रही थी।
 
विराट ने काले रंग का थ्री-पीस सूट पहना था। चेहरे पर वही ठंडा-सा एक्सप्रेशन, लेकिन नज़रों में कुछ और।
 
 
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विराट ने हॉल में कदम रखते ही उसका हाथ थाम लिया। अनाया चौंकी, लेकिन उसने हाथ नहीं छुड़ाया—कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के मुताबिक पब्लिक में कपल एक्टिंग करनी थी।
 
भीड़ के बीच चलते हुए उसने अचानक उसे अपनी ओर खींच लिया, इतना करीब कि अनाया का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। उसकी कमर पर विराट की उंगलियों का हल्का दबाव था।
 
"पब्लिक में ये स्माइल..." विराट के चेहरे पर बनावटी मुस्कान थी, लेकिन आँखों में ठंडी-सी चेतावनी।
"प्राइवेट में चुप रहना।" उसकी धीमी आवाज़ अनाया के कानों में गूंज गई।
 
अनाया ने मन ही मन फुसफुसाया,
"और सर, प्राइवेट में ये पकड़ छोड़ना?"
वो बस खुद से बोल रही थी, लेकिन उसकी आँखों में थोड़ी शरारत थी। विराट ने ये सुना नहीं, लेकिन उसके करीब होने का असर वो खुद महसूस कर रही थी—उसकी खुशबू, उसके कंधे की गर्माहट, उसकी सांसों की रफ़्तार... सब कुछ उसे डिस्टर्ब कर रहा था।
 
 
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पार्टी में आते-जाते लोग उनसे बातें कर रहे थे। हर बार विराट उसका हाथ थोड़ा कस देता, जैसे कह रहा हो—"तुम मेरी हो।"
अनाया को पता था ये सिर्फ़ कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा है, लेकिन उसके दिल में कहीं न कहीं एक अजीब-सा एहसास घर कर रहा था।
 
वो मुस्कुरा रही थी, बातें कर रही थी, लेकिन उसकी नज़रें बार-बार विराट के चेहरे पर चली जातीं।
विराट, जो हमेशा अपने इमोशन्स छुपा लेता था, आज खुद को रोक नहीं पा रहा था—उसकी हंसी, उसकी मासूम मुस्कान, उसकी आंखों की चमक… सब कुछ उसे अजीब-सा सुकून दे रहा था।
 
"ये लड़की… आदत बन चुकी है मेरी।"
वो ये सोच तो रहा था, लेकिन मानने को तैयार नहीं।
 
 
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पार्टी के बीच में धीमा म्यूज़िक शुरू हुआ। कुछ कपल डांस फ्लोर पर चले गए।
विराट ने बिना कुछ कहे उसका हाथ थाम लिया और डांस फ्लोर पर ले गया।
 
"सर… ये?"
"कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा है," उसने ठंडे स्वर में कहा, लेकिन उसकी हथेलियों की गर्माहट कुछ और बयां कर रही थी।
 
वो धीरे-धीरे उसकी कमर थामकर, उसकी आंखों में देखते हुए डांस कर रहा था।
अनाया को उसकी नज़दीकी से साँसें अटक रही थीं।
वो सोच रही थी—"क्यों ये नकली पल, इतना असली लग रहा है?"
 
 
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गाड़ी में लौटते समय दोनों चुप थे। गाड़ी की खिड़की से आती ठंडी हवा, और अंदर का भारी-सा सन्नाटा।
विराट ने अचानक कहा—
"आज तुम अच्छी लग रही थी।"
अनाया ने हैरान होकर देखा—वो तारीफ़ कर रहा था?
 
उसने बस हल्की मुस्कान दी,
"थैंक्यू, सर।"
विराट ने उसे देखा, जैसे कुछ कहना चाहता हो, लेकिन चुप रह गया।
 
 
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"कॉन्ट्रैक्ट में लिखी हर शर्त… दिल के पन्नों पर नई इबारत लिख रही थी।
ये नकली नज़दीकियां… कहीं असली एहसास में तो नहीं बदल रहीं?"
 
 
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जानने के लिए पढ़ते रहे.....
अनुबंध 💕💕✨
©Diksha 
जारी(....)
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