Anubandh - 5 in Hindi Love Stories by Diksha mis kahani books and stories PDF | अनुबंध - 5

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अनुबंध - 5

💕💕💕 अनुबंध – एपिसोड 5 💕💕💕

सुबह की हल्की धूप परदे के बीच से कमरे में आ रही थी।
विराट की आदत थी हर दिन अलार्म से पहले ही उठ जाना—कड़क अनुशासन, बिल्कुल घड़ी की सुई जैसा।
लेकिन आज... नींद उसकी आंखों में अटकी हुई थी।
धीरे-धीरे उसने आंखें खोलीं और एक अजीब सन्नाटा महसूस किया।

बिस्तर का दूसरा हिस्सा खाली था।
सिल्क की चादर पर उसके बालों की खुशबू भी नहीं।

उसका दिल अचानक धक् से हुआ।

"अनाया?"
उसने बिस्तर के पास देखा।
ड्रॉअर खाली।
अलमारी खुली।
लेकिन कहीं उसका निशान नहीं।

वो एक अजीब-सी बेचैनी में उठ खड़ा हुआ।
कमरा चेक किया।
डाइनिंग टेबल पर नहीं।
गेस्ट रूम में नहीं।
आँगन में नहीं।

दिल में एक अजीब-सी खलिश थी, जैसे किसी ने उसके रुटीन से एक ज़रूरी हिस्सा खींच लिया हो।

उसके मन में सवाल उठा—“क्या मैं सच में… उसके लिए परेशान हो रहा हूँ?”

लेकिन उसके कदम रुक नहीं रहे थे।


---

हॉस्पिटल :

गाड़ी हॉस्पिटल के बाहर रुकी।
वो अंदर भागा और फिर अचानक ठिठक गया।

अनाया वहां थी।
उसकी आंखों में चिंता, लेकिन होंठों पर हल्की मुस्कान।
वो एक हैंडसम डॉक्टर से बात कर रही थी।
डॉक्टर उसकी बातें ध्यान से सुन रहा था।

विराट की नसें तन गईं।
दिल में एक जलन उठी।
पेट में अजीब-सी कसक।

"ये मुस्कान… सिर्फ़ मेरे लिए होनी चाहिए।"


---

वो तेज़ कदमों से वहां पहुंचा।
डॉक्टर को ठंडी नज़रों से देखा और बिना कुछ कहे अनाया की कलाई पकड़ ली।

"घर चलते हैं।"

अनाया चौंक गई।
"विराट… छोड़िए, मैं—"

लेकिन उसने उसकी एक न सुनी।
उसकी पकड़ सख़्त थी, जैसे दुनिया का कोई भी तूफ़ान उसे छुड़ा न सके।
वो उसे लगभग खींचता हुआ गाड़ी तक ले गया।


---



गाड़ी में सन्नाटा था।
सिर्फ़ उनकी साँसें, और बीच का तनाव।

विराट के अंदर तूफ़ान मच रहा था।
उसकी उँगलियाँ स्टेयरिंग व्हील पर कस गईं।

"मैंने कहा था, मेरी इजाज़त के बिना कहीं नहीं जाना।"
उसकी आवाज़ में कड़कपन था।

अनाया ने सीधा उसकी आंखों में देखा।
उसके चेहरे पर गुस्से और दर्द का संगम था।

"और मैंने कहा था, मेरी बहन से बड़ी कोई इजाज़त नहीं।"

उसका गुस्सा एक पल को ठहर गया।
लेकिन अहंकार ने उसे चुप कर दिया।



वो बिना कुछ बोले ड्राइव करता रहा।
लेकिन उसी रात उसने अपने आदमी को हॉस्पिटल भेजा।
अनाया की बहन के इलाज का पूरा इंतज़ाम करवा दिया।

डॉक्टर ने अगले दिन अनाया को बताया कि जो महंगा इलाज था, उसका पेमेंट हो चुका है।
अनाया हैरान रह गई—"ये कैसे…?"

लेकिन विराट?
वो कुछ भी जताए बिना अपने कमरे में बैठा फाइल्स पर ध्यान देने का नाटक करता रहा।
दिल के किसी कोने में उसे तसल्ली थी—“मैं उसकी परेशानी नहीं देख सकता।”


---


उस रात उनका पहला बड़ा झगड़ा हुआ।

अनाया ने उसे पूरी तरह अनदेखा किया।
डाइनिंग टेबल पर न उससे बात की।
ऑफिस में न उसकी तरफ़ देखा।
बेडरूम में सीधा सोफे पर सो गई।

ऑफिस में वो अपने काम में डूबी रही।
मीटिंग में उसने विराट की तरफ़ एक बार भी नज़र नहीं डाली।

विराट की आँखों ने बार-बार उसे खोजा, लेकिन उसने नज़रें फेर लीं।


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वो बाहर से वही ठंडा और परफेक्ट दिखता रहा।
पापा के सामने सामान्य रहा।
आरव के मज़ाक पर आधी मुस्कान भी दे दी।

लेकिन कमरे में आते ही उसका चेहरा गिर गया।

उसने सोफे पर सोती अनाया को देखा—
दोरैमॉन वाला पिलो सीने से लगाए, आंखों के कोने लाल।

उसके मन में चुभन हुई।

"मुझे नफ़रत करनी चाहिए… लेकिन ये चुप्पी… मार रही है मुझे।"



वो खिड़की के पास खड़ा होकर सिगार जलाता है।
धुआँ फैलता है, लेकिन उसके भीतर का धुंध और गहरा हो जाता है।

"कॉन्ट्रैक्ट ने हमें बांधा था, लेकिन ये खामोशी… मुझे तोड़ रही है।"

वो खुद को समझाने की कोशिश करता है—
"ये बस एक डील है, विराट। तू क्यूँ परेशान है?"

लेकिन आंखें बार-बार सोफे पर सोती अनाया की तरफ़ चली जाती हैं।

उसके मन में गूंजता है—

"तेरा होने लगा हूँ,
खोया हूँ मैं सोचता हूँ…
तूझे पाने की दुआएँ करता हूँ…" (फ़िल्म – अजब प्रेम की ग़ज़ब कहानी)

वो खुद से जूझ रहा था।
ये एहसास… अब इनकार करना मुश्किल था।


---

सुबह अनाया ऑफिस गई, लेकिन एक शब्द भी न बोली।
कर्मचारियों ने देखा कि “वो मिसेज़ सिंगानिया, जो हमेशा शालीन और प्रोफ़ेशनल रहती हैं, आज कितनी चुप हैं।”

विराट ने अपनी मीटिंग में गुस्से में फाइल पटक दी।
"क्या बेकार प्रेज़ेंटेशन है ये!"
कर्मचारियों ने पहली बार उसके चेहरे पर इतना उबाल देखा।

सच ये था कि उसकी खीझ काम पर नहीं—
बल्कि अनाया की चुप्पी पर थी।


---


रात को जब दोनों कमरे में पहुंचे, अनाया बिना उसकी तरफ़ देखे सीधा सोफ़े पर लेट गई।

विराट उसके पास गया।
"अनाया…"

उसने आँखें बंद रखीं।
"प्लीज़… मुझे सोने दीजिए।"

वो कुछ पल उसे देखता रहा।
फिर धीमे स्वर में बोला—
"मुझे नफ़रत करनी चाहिए थी तुमसे… लेकिन पता नहीं क्यों, ये खामोशी मुझे पागल कर रही है।"


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एपिसोड के अंत में उसकी बेचैन सोच गूँजती है—

"शायद ये सिर्फ़ क़रार नहीं रहा…
लेकिन अगर मैं मान लूँ कि ये मोहब्बत है—तो क्या मैं खुद से हार जाऊँगा?"

अनाया सोफे पर आँसुओं के बीच सो जाती है, और विराट खिड़की के पास खड़ा आसमान की तरफ़ देखता है।

💕🤍✨🌷
"रिश्ते कभी झगड़ों से नहीं टूटते…
वो तब टूटते हैं, जब खामोशी दोनों के बीच दीवार बन जाए।"💕🌷🤍🌷💕💕💕


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©Diksha 

जारी(....)

एक एपिसोड को लिखने में 2 दिन लगते है तो रेटिंग्स जरूर दे!✨💕🤍


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Diksha mis kahani 😙