कैंपस की भीड़-भाड़ के बीच उस दिन का माहौल कुछ और ही था। मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स को पहली बार हॉस्पिटल ब्लॉक में एक live surgery demo दिखाया जाने वाला था। सबके चेहरे पर उत्सुकता और हल्की-सी nervousness थी।
अनाया अपनी batch के साथ OT गैलरी में पहुँची। सामने बड़ी-सी glass window थी, जिसके उस पार डॉक्टर एक जटिल सर्जरी की तैयारी कर रहे थे। Students को procedure observe करना था और बाद में report बनानी थी।
अनाया का दिल तेज़ धड़क रहा था। किताबों में anatomy पढ़ना अलग था, मगर अब सच में किसी patient को देखना — ये उसके लिए बिल्कुल नया अनुभव था।
वो चुपचाप अपनी जगह पर खड़ी थी, तभी बगल से राज की calm आवाज़ आई—
“पहली बार देख रही हो, न?”
अनाया ने हल्की-सी मुस्कान दी, “हाँ… थोड़ा nervous feel हो रहा है।”
राज ने अपनी नज़र surgery की तरफ रखी और धीरे से कहा—
“Relax. Focus process पर करो, डर पर नहीं। यही सीखने का असली तरीका है।”
उसके words simple थे, लेकिन उनमें एक अजीब-सी certainty थी। अनाया ने गहरी साँस ली और ध्यान स्क्रीन पर लगाने की कोशिश की।
एक छोटा-सा gesture
सर्जरी शुरू हुई। Senior surgeon step-by-step हर चीज़ समझा रहे थे। Anaya notes ले रही थी, लेकिन उसकी gloves बार-बार हाथ से फिसल रही थीं। तभी अचानक pen नीचे गिर पड़ा।
अनाया झेंपकर नीचे झुकी, तभी राज ने pen उठाकर उसकी तरफ बढ़ा दिया।
“Careful. Surgical setting में चीज़ें गिराना ठीक नहीं।”
उसकी tone strict लग रही थी, मगर अनाया को पता था उसमें चिंता भी छिपी थी। उसने धीरे से कहा—
“Thanks…”
दिल की हलचल
जैसे-जैसे surgery आगे बढ़ी, अनाया थोड़ी-कुछ असहज होने लगी। खून और surgical instruments देखकर उसकी आँखें हल्की-सी बंद हो गईं।
राज ने उसे देखा और softly कहा—
“Anaya, तुम्हें ठीक है? Sit कर लो, faint मत हो जाना।”
वो तुरंत सँभल गई, “नहीं, मैं ठीक हूँ। बस… आदत नहीं है।”
राज ने सिर हिलाया, “हिम्मत रखो। तुम कर लोगी।”
उसका भरोसा जैसे किसी दवा की तरह असर कर गया। अनाया ने दोबारा नज़र स्क्रीन पर डाली और खुद को steady करने लगी।
डेमो के बाद
सर्जरी खत्म होते ही सब students बाहर आ गए। Corridor में हल्की-सी हलचल थी। सब अपने-अपने notes compare कर रहे थे।
अनाया चुपचाप अपने पन्ने पलट रही थी। तभी राज पास आकर बोला—
“Good effort. Nervousness होना normal है, but तुमने handle कर लिया। That’s good.”
अनाया ने उसकी तरफ देखा, उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी।
“Thanks… शायद अगर आप साथ न होते तो मैं manage नहीं कर पाती।”
राज ने हल्की मुस्कान दी, “सीखना teamwork से ही possible है।”
उसके लिए यह बस एक professional बात थी, मगर अनाया के लिए जैसे किसी ख्वाब का भरोसा।
रात का सच
उस रात हॉस्टल के कमरे में अनाया diary लिख रही थी—
“आज मैंने पहली बार एक इंसान के दिल को धड़कते देखा… और अजीब बात ये है कि उस दिल की आवाज़ मुझे उसकी तरफ खींच रही थी। शायद इसलिए कि मेरे अपने दिल की धड़कन भी उसी के नाम से गूंज रही है। उसने मुझे हिम्मत दी, भरोसा दिया… क्या उसे कभी एहसास होगा कि उसकी खामोशी भी मेरे लिए आवाज़ बन गई है?”
उधर, राज हॉस्टल के कमरे में बैठा था। surgery demo की पूरी detailing उसने notes में उतार दी थी। उसकी आदत थी कि दिनभर जो भी clinical experience मिलता, उसे तुरंत लिख ले।
आज के notes के बीच अचानक उसका pen रुक गया। दिमाग में वही पल घूम गया — जब एक junior डर के बावजूद खड़ी रही, खुद को steady किया और पूरा demo observe किया।
राज ने पन्ना पलटते हुए धीरे से सोचा—
“First year में इतना courage rare होता है। मेहनत करने की आदत है इसमें।”
उसने किताब बंद की और मेज़ पर रख दी। उसके लिए यह बस observation था, लेकिन कहीं न कहीं, यह पहला मौका था जब किसी junior की performance ने उसे genuinely प्रभावित किया था।
To Be Continued…
(क्या ये छोटी-सी पहचान आगे चलकर अनजाने रिश्तों की बुनियाद बनेगी?)