Anubandh - 6 in Hindi Love Stories by Diksha mis kahani books and stories PDF | अनुबंध - 6

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अनुबंध - 6

💕💕💕 अनुबंध – एपिसोड 6 💕💕💕


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दो दिन से… सिर्फ़ दो दिन हुए थे, लेकिन विराट सिंहानिया को लग रहा था जैसे सदियाँ बीत गई हों।
वो, जिसकी एक नज़र पर लोग झुक जाया करते थे, आज अपनी ही पत्नी की एक नज़र का मोहताज बन गया था।

ऑफिस में अनाया की मौजूदगी उसके लिए हवा जैसी थी—चुपचाप बहती हुई, लेकिन ज़िंदगी के लिए ज़रूरी।
मगर पिछले दो दिनों से वो सिर्फ़ “जी सर”, “ठीक है सर” बोलकर निकल जाती।

विराट अपने केबिन से शीशे के पार देखता—वो अपनी गुलाबी सलवार-कुर्ते में फाइलें सहेज रही थी, पेन अपने कान के पीछे अटका रखा था, होंठों पर हल्की-सी लिपग्लॉस की चमक।
कितनी साधारण लगती थी… पर उसके लिए वही सबसे असाधारण और मुश्किल इंसान थी।

उसने अपने दिल में बुदबुदाया—
"क्या करूँ कि ये फिर से मुस्कुराए? क्या करूँ कि मेरी तरफ वैसे देखे, जैसे पहले देखती थी?"


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उसने अचानक अपने असिस्टेंट को बुलाया।
"अगर… मान लो… किसी की पत्नी नाराज़ हो, तो उसे मनाने के लिए क्या गिफ्ट देना चाहिए?"

असिस्टेंट ने चौंककर देखा—वो बॉस, जो बिज़नेस डील्स में कभी किसी से राय नहीं लेता, आज गिफ्ट आइडियाज़ पूछ रहा है?

"सर… चॉकलेट, फूल… या शायद ज्वेलरी?"

विराट ने हल्की मुस्कान दबाई।
"ठीक है, जाओ।"

उसके मन में पहला ख़्याल यही आया—“क्या ये चीज़ें सच में इसे मना पाएंगी? या मैं खुद अपने हाथों से इसका गुस्सा तोड़ना चाहता हूँ?”


लंच ब्रेक में जब अनाया अपनी टेबल पर लौटी, तो उसने देखा—एक सुंदर-सा बुक्वे और उसके साथ एक छोटी-सी चॉकलेट बॉक्स रखी थी।

उसके हाथ ठिठक गए।
दिल ने कहा—“ये विराट ने रखा होगा।”

उसने चारों तरफ़ नज़र दौड़ाई। सभी अपनी-अपनी कुर्सी पर थे।
वो बस हल्की-सी मुस्कुराई… लेकिन तुरंत होंठों की वो मुस्कान गायब हो गई।

उसने फूल और चॉकलेट को साइड रख दिया—जैसे ये उसकी नाराज़गी तोड़ने के लिए काफी न हों।

वो जानती थी—ये इशारे खतरनाक थे।
क्योंकि ये इशारे धीरे-धीरे उस कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ रहे थे, जिसे उसने सुरक्षा के लिए बनाया था।

दूर अपने केबिन से विराट ने ये सब देखा।
उसकी भौंहें हल्की-सी सिकुड़ गईं।
"अब बहुत हुआ।"


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मीटिंग खत्म होने के बाद अनाया फाइल लेकर बाहर निकली।
उसने लिफ्ट का बटन दबाया, दरवाज़ा खुला और वो अंदर चली गई।

लेकिन दरवाज़ा बंद होने ही वाला था कि किसी ने हाथ रखकर उसे रोक लिया।
वो विराट था।

अगले ही पल उसने लिफ्ट का बटन दबाकर उसे रोक दिया और दोनों हाथों से अनाया को दीवार के बीच ब्लॉक कर लिया।

उसकी आँखें गहरी, खतरनाक… और चाहत से भरी थीं।
"मेरी तरफ देखो… अभी।"

अनाया ने होंठ भींचकर सिर दूसरी तरफ घुमा लिया।
"नहीं।"

विराट के होंठों पर हल्की, पर खतरनाक मुस्कान आई।
"नहीं देखोगी तो… किस कर दूँगा।"

उसका दिल जोर से धड़क उठा।
"आप पागल हैं क्या?" उसने धीरे से कहा और उसे धकेलने की कोशिश की, लेकिन उसकी पकड़ उसकी कमर और कलाई पर कस चुकी थी।

वो उसके बिल्कुल करीब झुक आया, उसकी सांसें उसके कान के पास गर्माहट दे रही थीं।
"लड़ लो मुझसे, मार लो मुझे… लेकिन मुझे इग्नोर मत करो।"

उसकी आवाज़ में गुस्से से ज्यादा एक अनकही बेचैनी थी।

फिर उसी लहजे में, लेकिन बेहद मुलायम अंदाज़ में—
"सॉरी।"

वो अचानक पीछे हट गया और लिफ्ट का दरवाज़ा खोलकर बाहर निकल गया, अनाया को हिलते दिल और धड़कते कानों के साथ वहीं छोड़ते हुए।


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शाम को ऑफिस से निकलते वक्त आसमान में काले बादल छा गए थे।
गाड़ी में बैठते ही मूसलधार बारिश शुरू हो गई।

विराट गाड़ी चला रहा था, लेकिन अचानक आगे ट्रैफिक जाम लग गया।
वो खिड़की के बाहर देख रहा था और अनाया चुपचाप उसके पास बैठी थी।

तभी पास से गुज़रे ट्रक ने एक बड़ा-सा छींटा मारा और उसकी शर्ट गीली हो गई।
अनाया सिहर गई।

विराट ने भौंहें सिकोड़कर गाड़ी से अपना कोट निकाला और उसकी तरफ बढ़ा दिया।
"पहन लो।"

"मैं ठीक हूँ—"

"पहन लो, अनाया।" इस बार उसकी आवाज़ में आदेश से ज्यादा चिंता थी।

वो झुककर उसके कान के पास आया—
"तुम्हें इस तरह कांपते देखना मुझे पसंद नहीं।"

उसके शब्दों ने अनाया के दिल की धड़कन तेज़ कर दी।
उसने धीरे से कोट ले लिया और अपने ऊपर डाल लिया।

विराट खिड़की से बाहर देखते हुए बोला—
"तुम्हारे लिए मैं ठंडा हूँ… लेकिन दुनिया के लिए आग।"




उसी पल पास की किसी गाड़ी से रेडियो की धुन सुनाई दी—
🎵 *"तुम ही हो… अब तुम ही हो… ज़िंदगी अब तुम ही हो…" 🎵

अनाया की सांसें अटक गईं।
दिल में एक कसक-सी उठी—“क्या ये रिश्ता सच में सिर्फ़ कॉन्ट्रैक्ट है?”

विराट ने गहरी सांस ली।
उसने आँखें बंद कीं और खुद से कहा—“काश ये पल थम जाए।”


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उस रात जब दोनों घर पहुँचे, तो माहौल में वही चुप्पी थी।
लेकिन उस चुप्पी में भी बहुत कुछ कहा जा रहा था।

विराट की आँखें बार-बार उसकी तरफ़ उठतीं।
अनाया को महसूस होता—उसकी निगाहें उसकी हर हरकत को पकड़ रही थीं।

वो किचन में पानी लेने गई तो उसकी कलाई छूते हुए विराट ने गिलास पकड़ाया।
उस स्पर्श में कोई जल्दबाज़ी नहीं थी… पर उसमें इतनी गहराई थी कि उसके दिल की धड़कन फिर से बेकाबू हो गई।

उसने अपनी पलकों के नीचे से उसकी तरफ़ देखा।
वो नज़रें कह रही थीं—"मैं गुस्से में हूँ, लेकिन ये नज़दीकियाँ मुझे भी रोक नहीं पा रही हैं।"



रात को बिस्तर के अलग-अलग कोनों पर लेटे हुए भी दोनों सो नहीं पाए।
बारिश की बूंदें खिड़की पर बज रही थीं, लेकिन उनके दिलों में उससे कहीं ज्यादा शोर था।

विराट ने सोते-सोते करवट ली और धीमे से फुसफुसाया—
"अनाया… मुझे माफ़ कर दो।"

अनाया ने अपनी पलकों को भींच लिया।
उसकी आँखों से आँसू बह निकले, लेकिन होंठों ने कोई जवाब नहीं दिया।


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✨ कॉन्ट्रैक्ट ने हमें करीब रखा, लेकिन इन अनकहे इशारों ने हमें बाँधना शुरू कर दिया था। ✨

©Diksha 

जारी(....)

एक एपिसोड को लिखने में 2 दिन लगते है तो रेटिंग्स जरूर दे!✨💕🤍


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Diksha mis kahani