(विशाल डिस्को में एक लड़की को बचाकर एहसास करता है कि उसने गलती से छाया की जगह किसी और को प्रपोज कर दिया। आग्रह और टीना उसे सच सामने लाने की सलाह देते हैं। खन्ना रेस्टोरेंट में छाया से मिलने पर वह गुस्से और पछतावे के बीच अपनी भावनाओं को काबू में रखते हुए “सॉरी” कहता है। छाया शांत रहती है, अपनी मर्जी से फैसले लेती है। विशाल उसे घर तक छोड़ने की पेशकश करता है, लेकिन छाया बस से जाने की जिद करती है। इसी बीच इंस्पेक्टर ठाकुर बक्सीर तक पहुँचने की कोशिश में गंभीर रणनीति बना रहे हैं। विशाल अपने अधूरे इज़हार और बेचैनी में घर लौटता है। अब आगे)
नित्या पर बक्सीर की नज़र
गुप्ता हाउस में छाया कुछ खुश नहीं थी। अपने कमरे के एक कोने में खड़ी, वह सोच में डूबी थी। विशाल का यह कहना कि “चलो… जो मैं नहीं कह पाया, वो तुम समझ गई,” छाया के मन में उलझन पैदा कर गया था। उसे लगा कि विशाल ने लड़की के साथ अपने रिश्ते को स्वीकार किया, लेकिन यह बात सिरृफ गुस्से में कहीं थी यह नहीं समझ पाई।
कुछ देर बाद छाया कमरे से बाहर आई। बाहर केशव और पापा थोड़े परेशान खड़े थे। नित्या और गौरी एक-दूसरे से गले मिल रही थीं।
सामने देखा तो ताऊजी और ताईजी का सामान तैयार था। छाया भागकर ताईजी के पास गई और गले लग गई।
ताईजी ने सिर पर हाथ रखते हुए कहा, “किसी चीज़ की जरूरत हो तो तुरंत फोन कर देना।” छाया ने उनके हाथों को अपने हाथ में लेकर चूम लिया और पूछा, “जाना जरूरी है क्या?” विपिन ने जवाब दिया, “हां बेटी, खेती-बाड़ी में मेरे प्राण बसते हैं।”
नित्या ने तुरंत अपने बाऊजी के गले लगना चाहा, लेकिन छाया ने हंसते हुए नित्या को हटाकर खुद ताऊजी के गले लग गई। सबने मिलकर सामान गाड़ी में रखा और जल्दी ही ताऊजी और ताईजी रेलवे स्टेशन के लिए निकल पड़े। नित्या की आंखों में आंसू थे।
नम्रता ने नित्या को प्यार से गले लगाया और यह देख छाया ने हल्की चिढ़ दिखाते हुए कहा, “मैं भी दुखी हूं।” इस पर सब हँस पड़े और नम्रता और नित्या ने छाया को जोर से दबोच लिया।
छाया अपनी मां और नित्या को लेकर पास वाले पार्क गई। छाया ने नित्या को एक्सरसाइज के लिए इक्विपमेंट वाले कोने में ले जाकर कहा, “दीदी! आप एक्सरसाइज करो, वैसे भी आपने बहुत सारा वेट बढ़ा लिया है।” नित्या चौंक गई, लेकिन जल्दी ही इक्विपमेंट पर चढ़कर एक्सरसाइज करने लगी।
पास में साइकिलिंग कर रही एक महिला जोर से हंसते हुए कहने लगी, “बेटा! तुम्हारा वेट बिल्कुल ज्यादा नहीं है, लेकिन एक्सरसाइज सिर्फ़ वेट कम करने के लिए नहीं, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भी है।” नित्या ने छाया को जीभ दिखाई और छाया चिढ़ गई।
थोड़ी देर बाद नम्रता वहां पहुंची और महिला को देखकर बोली, “तुम रोमिला हो न?” महिला ने हां में सिर हिलाया और नम्रता ने गले लगा लिया। छाया और नित्या यह देखकर खुश हो गईं।
रोमिला ने बताया कि वह पिछले हफ्ते आई थी और उसका बेटा यहां नौकरी करता है। छाया और नित्या ने नमस्ते करके अपनी एक्सरसाइज जारी रखी।
फिर वे घर लौट आए और किचन में मिलकर डिनर तैयार किया। छाया ने पापा को बताया, “पापा, आज मां की बचपन की सहेली मिली।” छाया और केशव कभी मां के रिश्तेदारों से नहीं मिले थे, इसलिए वह काफी खुश थी।
नम्रता की शादी जल्दी कराई गई थी क्योंकि उसके पिता गंभीर बीमारी से गुजर गए थे और मां भी अस्वस्थ थी। बचपन की सहेली डिंपल की मां ने नम्रता के लिए रिश्ता लाया, और गौरी उसकी जेठानी बनी। शादी के कुछ ही दिन बाद नम्रता की मां भी चल बसी। इस कठिन समय में ससुराल और गौरी के मायके वालों ने बहुत साथ दिया। यह सोचकर नम्रता की आंखों में आंसू आ गए। नित्या ने अपनी चाची को गले लगाया।
रात काफी हो चुकी थी, और सब अपने-अपने कमरे में सोने चले गए।
.....
रात लगभग 9 बजे थी। वीरान जंगल के बीचोंबीच एक टूटा-फूटा घर खड़ा था। घर के बाहर दो नकाबपोश लोग बंदूकें हाथ में लिए सतर्क निगाहें रखे हुए थे। अंदर, घर की धुंधली रोशनी में, लगभग 45 साल का एक आदमी अपने बिस्तर पर बेसुध पड़ा था।
अचानक उसके बिस्तर के कोने पर रखा मोबाइल फोन बज उठा। सिरहाने पर खड़ा आदमी झट से फोन उठाने के लिए आगे बढ़ा और बोला, “बॉस! डेनियल का फोन है?”
बेसुध पड़ा आदमी कान की ओर इशारा करता है। जैसे ही फोन उसके कान तक गया, उसने ठंडी और कट्टर आवाज़ में कहा, “जितना माल बोला है, तुम्हें मिल जाएगा। लेकिन इतना माल, 80 करोड़ रुपए से एक पैसा कम नहीं।” थोड़ी देर बात सुनने के बाद उसने चिल्लाकर कहा, “बक्सीर नाम है मेरा—एक बार बोल दिया तो मतलब बोल दिया। माल जितना बोलो, कीमत उतनी होगी।”
फोन दूर रखने के लिए उसने इशारा किया। तभी कमरे में एक और आदमी दाखिल हुआ। उसने हिचकिचाते हुए कहा, “बॉस, रघु को जेल में रखे इतना समय हो गया है। कहीं पुलिस की ज्यादा पिटाई से वह सब कुछ न बोल दे।”
बक्सीर ने बिना देखे, ठंडी आवाज़ में कहा, “क्या बोल दे, छगन।”
छगन ने कोई जवाब नहीं दिया। कमरे में सन्नाटा और घबराहट का माहौल छा गया था, जैसे हर पल कुछ बड़ा होने वाला हो।
रात का सन्नाटा घर के भीतर और बाहर दोनों जगह गूंज रहा था। बक्सीर अपने बिस्तर से उठ खड़ा हुआ, सिगरेट की लपटों में अपनी उदासीन मुस्कान छिपाए हुए। उसने गहरी आवाज़ में कहा, “पुलिस मुझे ढूंढ रही है। लेकिन मुझ तक कभी पहुंच नहीं पाएगी। मुझ पर शक करते हो क्या?”
छगन घबराया, आवाज कांपती हुई बोली, “नहीं, नहीं, ऐसा नहीं है… लेकिन रघु कब तक इतनी मार झेल पाएगा?”
बक्सीर बिना किसी झिझक के वापस अपनी जगह पर बैठ गया और लापरवाह अंदाज में बोला, “जब तक उसके घरवाले हमारे कब्जे में हैं।”
फिर उसने मोबाइल उठाया और स्क्रीन पर एक सीन खोलकर दिखाया। वहां कुछ लोग कुर्सियों में बंधे थे, और उनके सिर पर दो बंदूकें ताने हुए थे।
बक्सीर अंगड़ाई लेते हुए बोला, “वैसे रघु पकड़ा कैसे गया?”
उस समय कमरे में खड़ा आदमी हकलाते हुए बोला, “एक लड़की के चक्कर में।”
यह सुनते ही बक्सीर मुस्कुराया, अपनी सिगरेट के धुएँ में लापरवाह अंदाज में दुबारा बिस्तर पर लेट गया और छगन से कहा, “माल तैयार करो। शाम तक डिलीवर करना है।”
कमरे में सन्नाटा फिर छा गया, जैसे कोई बड़ा तूफ़ान आने ही वाला हो।
1. क्या नित्या के ऊपर फिर से कोई मुसीबत आने वाली है या इंस्पेक्टर ठाकुर बकसीर को पकड़ने में सफल होगा?
2. रोमिला गुप्ता परिवार में खुशियां लाएगी या नयी शुरूआत की निशानी है?
3. छाया की गलतफहमी दूर होगी या हमेशा के लिए वह विशाल से अलग हो जाएंगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "छाया प्यार की"