🌸 **कहानी का शीर्षक: "मरजाऊं अगर तेरा साथ न मिले" 🌸
हर कहानी की शुरुआत किसी एक आम दिन से होती है…
लेकिन ये कहानी थी अर्जुन की, जिसकी जिंदगी ने अचानक एक मोड़ ले लिया था।
अर्जुन एक साधारण लड़का था, छोटे से गाँव का रहने वाला। उसके सपने बड़े थे, लेकिन संसाधन छोटे। पढ़ाई में तेज़ था, पर परिवार की मजबूरी के कारण कॉलेज जाना भी आसान नहीं था। पर उसके दिल में उम्मीद की एक छोटी सी चिंगारी हमेशा जलती रहती।
एक दिन गाँव में एक नई लड़की आई। उसका नाम था “अमृता”। बेहद खूबसूरत, पर अकेली। उसके आँखों में कुछ अनकहे दुख थे। अर्जुन ने पहली नजर में ही महसूस किया कि अमृता उसकी दुनिया बदल देगी।
अर्जुन रोज़ उसके पास जाने की हिम्मत जुटाता। पर एक डर सताता था – क्या अमृता उसके साथ दोस्ती भी करेगी?
कई हफ्तों की चुप्पी और दूर से निहारने के बाद, एक दिन अर्जुन ने हिम्मत करके अमृता से बात की। उसकी मासूम मुस्कान ने अर्जुन के दिल को छू लिया।
धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती गहराती चली गई। हर दिन एक नई कहानी बनती। स्कूल की लाइब्रेरी में किताबें बाँटते, गाँव की छत पर बैठके सपनों की बातें करते।
पर जैसे-जैसे समय बीतता गया, अमृता के दुख की परतें खुलने लगीं।
अमृता ने अर्जुन को बताया – उसके घर की परिस्थिति बहुत खराब थी। उसके माता-पिता का झगड़ा, गरीबी और समाज की नकारात्मकता ने उसे अकेला कर दिया था।
अर्जुन ने ठान लिया था –
“जो भी हो, अमृता को कभी भी अकेला नहीं छोड़ूंगा।”
पर जीवन की कहानी हमेशा आसान नहीं होती।
एक दिन गाँव में एक बड़ी दुर्घटना हो गई। अमृता के पिता की अचानक मौत हो गई। अमृता की दुनिया बिखर गई।
अर्जुन ने उसे सँभालने की पूरी कोशिश की, पर समाज के तानों ने दोनों को अलग करने की साजिश रची।
लोग कहते थे –
"अर्जुन जैसी साधारण लड़की के लिए अमृता जैसी लड़की सही नहीं।"
"तुम दोनों का साथ नहीं चलेगा।"
हर एक बात ने अर्जुन के दिल में छुरा घोंपा। पर उसकी मोहब्बत की आग बुझने का नाम नहीं ले रही थी।
अर्जुन ने सबको चुनौती दी –
“अगर मोहब्बत में ताकत है, तो इसे मिटा नहीं सकते। मैं मर जाऊं पर अपने प्यार से समझौता नहीं करूंगा।”
अर्जुन ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी, नौकरी करके अमृता का पालन-पोषण करने लगा। हर दिन संघर्ष की नई लड़ाई लड़ता रहा। अमृता की आँखों में फिर से उम्मीद की चमक लौटने लगी।
समय बीतता गया। गाँव वालों की बातें भी धीरे-धीरे बदलने लगीं। जब उन्होंने देखा अर्जुन की निस्वार्थता, अमृता के लिए उसके बलिदान को, तो सभी ने मान्यता दी।
अर्जुन और अमृता ने मिलकर गाँव में एक छोटी सी लाइब्रेरी भी खोल दी, ताकि हर बच्चे का भविष्य संवर सके।
वो दिन आया जब दोनों ने शादी की। सादगी से पर प्यार भरे ढंग से।
अर्जुन की आँखें उस दिन आसुओं से भर गईं,
“तुम्हारे बिना जीना मेरे लिए मुमकिन नहीं था।”
अमृता मुस्कुराई –
“और तुम्हारे साथ हर मुश्किल आसान लगती है।”
आज भी गाँव में वो लाइब्रेरी एक प्रेरणा बन गई है।
अर्जुन और अमृता की कहानी हर दिल को छू जाती है –
कि मोहब्बत सिर्फ एक भावना नहीं, बलिदान, संघर्ष और उम्मीद की मिसाल भी है।
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